आईपीएस की फुल फॉर्म (IPS Full Form In Hindi)- वर्तमान समय में सिविल सेवा में नौकरी प्राप्त करना एक ट्रेंड बन चुका है। भारत के अधिकतर युवा सिविल सेवा में किसी न किसी पद पर अधिकारी बनने का सपना देखते हैं और बहुत से उम्मीदवार अपने सपने को पूरा भी करते हैं। आई.पी.एस. अधिकारी का पद भी भारतीय संविधान के अनुच्छेद-312 के अनुसार तीन अखिल भारतीय सेवाओं में से एक है जोकि भारत की प्रशासनिक और राजनयिक सिविल सेवा के लिए जिम्मेदार है। आजकल इसे गृह मंत्रालय द्वारा अनुशासित किया जाता है। वर्तमान समय में इस पद को महिलाएँ अधिक संख्या में प्राप्त कर रही हैं।
आईपीएस की फुल फॉर्म
किसी भी पद को प्राप्त करने के लिए व्यक्ति को किसी न किसी परीक्षा से अवश्य गुजरना पड़ता है। इसी तरह आई.पी.एस. जैसे प्रतिष्ठित पद को प्राप्त करने के लिए अभ्यर्थी को संघ लोक सेवा द्वारा आयोजित की जाने वाली सिविल सेवा परीक्षा उत्तीर्ण करनी पड़ती है। यह पुलिस सेवा की एक ऐसी शाखा है जिसके पद पर आसीत उम्मीदवार को हर जगह वर्दी के साथ सम्मानित होने का अवसर मिलता है। इसलिए इसको नौकरी, शक्ति और सम्मान हर दृष्टि से भारत के शीर्ष पदों में शामिल किया जाता है। अगर आपका भी सपना आई.पी.एस. अधिकारी बनना है, तो आपके लिए यह आर्टिकल बहुत महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। आई.पी.एस. से जुड़ी जानकारियों को आप यहाँ से एक के बाद एक पढ़ सकते हैं।
आई.पी.एस. क्या है?
आई.पी.एस. का हिंदी में पूरा नाम भारतीय पुलिस सेवा है। आई.पी.एस. पद के लिए चयन संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित कराई जाने वाली परीक्षा के माध्यम से होता है। यह परीक्षा हर वर्ष आयोजित कराई जाती है। फिर सफल उम्मीदवारों को आई.ए.एस., आई.एफ.एस. और आई.पी.एस. जैसे शीर्ष तीन पदों/सेवाओं में से किसी एक का चयन करने का विकल्प दिया जाता है। विकल्प का अवसर आपके अंकों/रैंक पर भी निर्भर करता है। वर्तमान समय में भारतीय पुलिस सेवा में अधिकारी रिसर्च और एनालिसिस विंग, इंटेलिजेंस ब्यूरो आपराधिक जाँच विभाग, ट्रैफिक ब्यूरो, होम गार्ड और अपराध शाखा जैसी कई एजेंसियाँ शामिल हैं। इस तरह आई.पी.एस. भारतीय प्रशासनिक सेवा, भारतीय पुलिस सेवा और भारतीय विदेश सेवा इन तीन सबसे प्रतिष्ठित और सम्मानित भारतीय सेवाओं में शामिल है।
आई.पी.एस. फुल फॉर्म
आई.ए.एस. का पूरा नाम हिंदी और अंग्रेजी में नीचे टेबल में पढ़ें-
आई.पी.एस. की फुल फॉर्म हिंदी में (IPS Full Form In Hindi) | आई.पी.एस. की फुल फॉर्म अंग्रेजी में (IPS Full Form In English) |
“भारतीय पुलिस सेवा” (Bharatiy Police Seva) | “इंडियन पुलिस सर्विस” (Indian Police Service) |
ये फुल फॉर्म भी देखें
एमबीए की फुल फॉर्म (MBA Full Form In Hindi) |
इसरो की फुल फॉर्म (ISRO Full Form In Hindi) |
आईटीआई की फुल फॉर्म (ITI Full Form In Hindi) |
एनडीए की फुल फॉर्म (NDA Full Form In Hindi) |
आई.पी.एस. का इतिहास
भारतीय पुलिस सेवा की उत्पत्ति स्वतंत्रता के दौरान या स्वतंत्रता के बाद नहीं हुई बल्कि अंग्रेजी शासन के दौरान ही हो गई थी। लेकिन उस समय इस सेवा को इंपीरियल पुलिस के नाम से जाना जाता था जिसे अंग्रेजी सरकार द्वारा संचालित किया जाता था। फिर जब भारत स्वतंत्र हुआ तब भारतीयों को इस सेवा में भर्ती के लिए स्वीकृति दी गई और इसके लिए कुछ नियम भी बनाए गए। इस तरह इस सेवा का नाम इंपीरियल पुलिस से बदलकर वर्ष 1948 में भारतीय पुलिस सेवा कर दिया गया।
आई.पी.एस. के लिए योग्यता
- अभ्यर्थी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय/संस्थान से स्नातक होना चाहिए।
- जो उम्मीदवार स्नातक की परीक्षा दे चुके हैं और अंतिम वर्ष के परिणाम की प्रतीक्षा कर रहे हैं, वो उम्मीदवार भी आई.पी.एस. परीक्षा के लिए आवेदन कर सकते हैं।
- अभ्यर्थी भारत का नागरिक होना चाहिए।
- परीक्षा में बैठने के लिए सामान्य श्रेणी के उम्मीदवारों और ईडब्ल्यूएस के उम्मीदवारों के लिए मात्र 6 प्रयास होते हैं वहीं आरक्षित उम्मीदवार आई.पी.एस. के पद के लिए 9 बार परीक्षा दे सकते हैं।
- उम्मीदवार की आयु कम से कम 21 और अधिक से अधिक 32 वर्ष होनी चाहिए। लेकिन आरक्षित उम्मीदवारों को सरकार की तरफ से आयु सीमा में रियायत बरती जाती है। इसे आप टेबल से अच्छे से समझ सकते हैं-
वर्ग | न्यूनतम आयु सीमा | अधिकतम आयु सीमा |
सामान्य | 21 | 32 |
अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) | 21 | 35 |
अनुसूचित जनजाति | 21 | 37 |
ईडब्ल्यूएस | 21 | 32 |
आई.पी.एस. शारीरिक क्षमता
आई.पी.एस. के पद को ग्रहण करने के लिए उम्मीदवारों को टेबल में दी गई शारीरिक क्षमताओं को पूरा करना होता है-
श्रेणी | आई.पी.एस. पुरुषों के लिए शारीरिक मानदंड | आई.पी.एस. महिलाओं के लिए शारीरिक मानदंड |
ऊँचाई | सामान्य के लिए लिए 165 सेमी. और आरक्षितों (एसटी/एससी/ओबीसी) के लिए 160 सेमी. | सामान्य के लिए लिए 150 सेमी. और आरक्षितों (एसटी/एससी/ओबीसी) के लिए 145 सेमी. |
सीना | 84 सेमी. विस्तार 5 सेमी. | 79 सेमी. विस्तार 5 सेमी. |
आँखों की रोशनी | 6/6 और 6/9 अच्छी आँखों के लिए दूर की दृष्टि | 6/9 या 6/12 खराब आँखों के लिए निकट दृष्टि |
आई.पी.एस. परीक्षा कितने चरणों में होती है?
आई.पी.एस. परीक्षा को तीन चरणों में आयोजित किया जाता लेकिन इसके बाद एक मेडिकल टेस्ट भी होता जिसे आप चौथा चरण मान सकते हैं।
- प्रारंभिक परीक्षा (Prelims)- प्रारंभिक परीक्षा अगले चरण में जाने के लिए सिर्फ एक टेस्ट मात्र है। इस परीक्षा में प्राप्त अंकों को अंतिम परिणाम नहीं माना जाता। लेकिन इसमें दो पेपर सामान्य अध्ययन-1 और सामान्य अध्ययन-2 होते हैं और परीक्षार्थियों को इन पेपरस को पास करना होता है तभी वो अगले चरण में जाने योग्य माने जाते हैं। इसलिए उम्मीदवारों के लिए सबसे पहले प्रारंभिक परीक्षा पास करना जरूरी होता है। इस परीक्षा का पाठ्यक्रम विस्तृत होता इसलिए इसमें हर तरह के बहुविकल्पीय प्रश्नों को रखा जाता है लेकिन सामान्य अध्ययन-1 का पेपर आपके यूपीएससी कटऑफ अंक को निर्धारित करता है। प्रारंभिक परीक्षा को पास करने के लिए कम से कम 33% अंक उम्मीदवार को प्राप्त करने होते हैं।
- मुख्य परीक्षा (Mains)- आई.पी.एस. पद को प्राप्त करने के लिए मुख्य परीक्षा सबसे महत्वपूर्ण होती है क्योंकि इस परीक्षा में प्राप्त अंकों को अंतिम परिणाम में जोड़ा जाता है। उम्मीदवारों को आई.पी.एस. पद के लिए यू.पी.एस.सी. परीक्षा की तैयारी करते समय इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए। यह परीक्षा मुख्य रूप से व्याख्यात्मक होती है जिसमें कुल 9 पेपर शामिल होते हैं जिसमें से दो पेपर भाषा के होते हैं। मुख्य परीक्षा के पाठ्यक्रम में उन सभी सामान्य अध्ययन पेपर्स को शामिल किया गया है, जिन्हें आई.ए.एस. परीक्षा में बैठने के लिए वैकल्पिक विषयों के रूप में चुना जाता है। इस प्रकार आई.ए.एस. की तरह ही 48 वैकल्पिक विषयों को चुनने का अवसर यू.पी.एस.सी. में आई.पी.एस. पद के लिए आवेदन करने वाले अभ्यर्थियों को मिलता है। आप मुख्य परीक्षा के बारे में नीचे दी गई तालिका से अच्छे से समझ सकते हैं-
आईपीएस परीक्षा के कुल पेपर | विषय | पेपर की प्रकृति | कुल अंक | समयावधि |
पेपर-ए | भारतीय भाषा | क्वालीफाई करना अनिवार्य | 300 | तीन घंटे |
पेपर-बी | अंग्रेजी | क्वालीफाई करना अनिवार्य | 300 | तीन घंटे |
पेपर-। | निबंध | मेरिट रैंकिंग | 250 | तीन घंटे |
पेपर-।। | सामान्य अध्ययन पेपर 1 | मेरिट रैंकिंग | 250 | तीन घंटे |
पेपर-।।। | सामान्य अध्ययन पेपर 2 | मेरिट रैंकिंग | 250 | तीन घंटे |
पेपर- ।V | सामान्य अध्ययन पेपर 3 | मेरिट रैंकिंग | 250 | तीन घंटे |
पेपर- V | सामान्य अध्ययन पेपर 4 | मेरिट रैंकिंग | 250 | तीन घंटे |
पेपर- V। | वैकल्पिक पेपर 1 | मेरिट रैंकिंग | 250 | तीन घंटे |
पेपर- V।। | वैकल्पिक पेपर 2 | मेरिट रैंकिंग | 250 | तीन घंटे |
- व्यक्तित्व परीक्षण (Interview)- व्यक्तित्व परीक्षण या साक्षात्कार के लिए उन्हीं उम्मीदवारों को दिल्ली में धौलपुर हाउस बुलाया जाता है जो मुख्य परीक्षा को उत्तीर्ण करते हैं और सबसे बेहतर रैंक प्राप्त करते हैं। इस प्रकार इन उम्मीदवारों को ही इंटरव्यू के लिए ई-समन लेटर प्राप्त होते हैं। साक्षात्कार इस परीक्षा का अंतिम चरण है जिसमें साक्षात्कर्ता उम्मीदवारों से ऐसे प्रश्न पूछते हैं जिससे कि हर क्षेत्र में उनके विचार और दृष्टि को जान सकें परंतु ज़्यादातर प्रश्न उम्मीदवारों के बायोडेट एवं विस्तृत आवेदन से पूछे जाते हैं। चयनित उम्मीदवारों का सफल साक्षात्कार बोर्ड के सदस्यों द्वारा पूरा होता है ।
- चिकित्सा जाँच (मेडिकल परीक्षा)- आई.पी.एस. पद के लिए अभ्यर्थियों को मेडिकल टेस्ट भी पास करना होता है। दरअसल मेडिकल परीक्षा वाले दिन कुछ मुख्य चिकित्सा परीक्षण आयोजित किए जाते हैं; जैसे- नेत्र परीक्षण, मधुमेह परीक्षण, रक्त एवं मूत्र परीक्षण, सुनने की क्षमता, बीपी, फेफड़े और हृदय की गति, एक्स-रे (सीना, हर्निया की जांच शामिल हैं), मानक लंबाई, वजन इत्यादि। यह आखिरी परीक्षण यूपीएससी अपने उम्मीदवारों का चयन निश्चित करने के लिए करती है। आमतौर पर इस परीक्षा को साक्षात्कार के अगले दिन ही पूरा कर लिया जाता है। इस तरह अंत में तीनों चरणों और मेडिकल टेस्ट को पास करने के बाद सरकार द्वारा योग्य उम्मीदवारों को आई.पी.एस. पद के लिए चुना जाता है और उन्हें मसूरी के लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी में तीन महीने की ट्रेनिंग के लिए भेज दिया जाता है। ट्रेनिंग देने का मुख्य उद्देश्य चुने हुए प्रशिक्षुओं को देश के आर्थिक, राजनीतिक एवं सांस्कृतिक इतिहास के साथ-साथ अनुशासन, कर्तव्य और सामाजिक नियमों के बारे में जानकारी देना है। उसके बाद उम्मीदवार हैदराबाद में सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय पुलिस अकादमी में 11 महीने के आई.पी.एस. अधिकारी प्रशिक्षण पाठ्यक्रम के लिए भाग लेते हैं। इसी पाठ्यक्रम के समय प्रशिक्षुओं को पूर्ण रूप से पुलिस अधिकारियों के रूप में स्वीकार किया जाता है।
आई.पी.एस. ड्रेस कोड
भारतीय पुलिस सेवा के लिए चुने गए अधिकारियों को ड्यूटी के दौरान अपनी वर्दी धारण करनी होती है। आई.पी.एस. अधिकारियों की वर्दी का रंग प्रायः खाकी ही होता है। यह एक ऐसा ड्रेस कोड है जो वर्तमान समय में अधिकतर युवाओं को अपनी ओर आकर्षित करता है।
आई.पी.एस. अधिकारी के कर्तव्य/जिम्मेदारियाँ
- एक आई.पी.एस. अधिकारी को अपने कर्तव्यों को बड़ी ईमानदारी से धैर्यता के साथ निभाना होता है। इनके मुख्यों कर्तव्यों में बहुत महत्वपूर्ण व्यक्तियों (वीआईपी) की सुरक्षा, अपराध पर रोकथाम, जाँच एवं पहचान करना शामिल है।
- आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई, नशीले पदार्थों की तस्करी पर रोक, आर्थिक अपराध एवं प्राकृतिक आपदाओं के दौरान सुरक्षा साथ ही सार्वजनिक शांति तथा व्यवस्था के रखरखाव इत्यादि से जुड़े कार्य भी आई.पी.एस. अधिकारी की देख-रेख में ही होते हैं।
- भारतीय पुलिस की लगभग सभी एजेंसियों का नेतृत्व और कमान देने का कार्य आई.पी.एस. अधिकारी करते हैं।
- एक जिम्मेदार आई.पी.एस. अधिकारी को केंद्र और राज्य सरकारों के मंत्रालयों एवं विभागों के अलावा संघीय और राज्य दोनों स्तरों पर सार्वजनिक क्षेत्र के नीति निर्धारण में विभागाध्यक्ष के रूप भी कार्य करना पड़ता है।
- सरकार द्वारा अधिकारियों से अन्य सभी सेवाओं के साथ मिलकर कार्य करने की उम्मीद की जाती है। आई.ए.एस. और आई.पी.एस. अधिकारी दोनों को मिलकर प्रशासनिक कर्तव्यों और जिम्मेदारियों को निभाना होता है।
आई.पी.एस. अधिकारी का वेतन
एक आई.पी.एस. अधिकारी का वेतन हमेशा से ही अच्छे स्तर का रहा है लेकिन पाँचवें वेतन आयोग के लागू होने के बाद वेतन में पहले से बेहतर सुधार हुआ है। इस पद के लिए प्रारंभिक वेतन लगभग 40,000/- रु. प्रति माह है। वहीं माध्यमिक स्तर के लिए वेतन लगभग 60,000/- रु. प्रति माह है। लेकिन अगर कोई आई.पी.एस. अधिकारी वरिष्ठ स्तर का है, तो उसका मासिक वेतन लगभग 80,000/- रु. होगा। एक आई.पी.एस. का मासिक वेतन लगभग 50,000/- रु. से 2,00,000 या इससे अधिक भी हो सकता है।
भारत की पहली महिला आई.पी.एस. अधिकारी कौन थीं?
अमृतसर में जन्मी किरण बेदी भारत की पहली महिला आईपीएस अधिकारी हैं। वह भारतीय पुलिस सेवा में वर्ष 1972 में शामिल हुईं। इन्होंने 35 वर्ष तक अधिकारी के पद पर कार्य किया उसके बाद अपनी मर्जी से वर्ष 2007 में सेवानिवृत हो गई। उस समय वह पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो में महानिदेशक के पद पर कार्य कर रही थीं। उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान जो-जो कार्य ईमानदारी और निष्ठा से किए उसे आज भी लोगों द्वारा सराहा जाता है। आज भी वह युवाओं और युवतियों के बीच सम्मानित पात्र बनी हुई हैं। वह सबसे ज़्यादा महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बनी हुई हैं। किरण बेदी को मुख्य रूप से सामाजिक और मानवीय सेवाओं में उनके योगदान के लिए जाना जाता है जिसके लिए उन्हें सबसे ज़्यादा राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया हैं। वर्ष 1979 में राष्ट्रपति द्वारा उन्हें अकाली-निरंकारी झड़प के दौरान हिंसा को रोकने हेतु वीरता के लिए राष्ट्रपति का पुलिस पदक प्राप्त हुआ था।
FAQs
उत्तर: सिविल सेवा परीक्षा।
उत्तर: आई.पी.एस. का हिंदी में पूरा नाम भारतीय पुलिस सेवा है। आई.पी.एस. पद के लिए चयन संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित कराई जाने वाली परीक्षा के माध्यम से होता है।
उत्तर: “भारतीय पुलिस सेवा” (Indian Police Service)
उत्तर: इस पद के लिए प्रारंभिक वेतन लगभग 40,000/- रु. प्रति माह है। वहीं माध्यमिक स्तर के लिए वेतन लगभग 60,000/- रु. प्रति माह है। लेकिन अगर कोई आई.पी.एस. अधिकारी वरिष्ठ स्तर का है तो उसका मासिक वेतन लगभग 80,000/- रु. होगा। एक आई.पी.एस. का मासिक वेतन लगभग 50,000/- रु. से 2,00,000 या इससे अधिक भी हो सकता है।
उत्तर: किरण बेदी।
उत्तर: आप किसी भी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय/संस्थान से स्नातक होने चाहिए।
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