जिस तरह से लिखना एक कला है उसी प्रकार से बोलना भी कला का ही एक अंग है। कब, कहां, कैसे, क्या, कितना बोलना है यह हमारी वैचारिकता पर निर्भर करता है। बोलना या भाषण देना कला का ही रूप है। कोई व्यक्ति अच्छा लिख सकता है, तो कोई व्यक्ति अच्छा बोल सकता है। जो व्यक्ति अच्छा बोलता है और जिसकी बात में दम होता है वो व्यक्ति ही भविष्य में अच्छा वक्ता बनता है। हम अपने घर-परिवार में या दोस्तों के बीच जितना अधिक बोलेंगे हमारी बोलने की कला भी अपने आप ही जागृत होने लगेगी।
इस पोस्ट में हम आपके लिए भाषण व भाषण लेखन से जुड़ी जानकारी लेकर आये हैं, जैसे- भाषण क्या होता है, भाषण कला क्या है, भाषण का अर्थ क्या है, भाषण का महत्त्व क्या है आदि। इसके अलवा आप इस पोस्ट में भाषण के प्रकार, भाषण के नियम और भाषण के उद्देश्य के बारे में भी जानेंगे। नीचे हमने हिंदी भाषण की विषय सूची भी दी हुई है, जिन्हें पढ़कर आप समझ सकेंगे कि एक भाषण किस तरह की शैली में लिखा जाता है और भाषण को लिखते समय कौन-सी खास बातों का ध्यान रखना होता है। अंग्रेजी में कहावत है कि ‘To be a good speaker, be a good listener, first’ अर्थात् अच्छा वक्ता होने के लिए पहले आपको अच्छा श्रोता बनना होगा।
भाषण क्या है?
भाषण का संबंध सीधे तौर पर बोलने की कला से है। जब कोई व्यक्ति अपने मन के भावों, विचारों और तथ्यों को एकत्रित करके अन्य लोगों के सामने मौखिक रूप से प्रस्तुत करता है, तो वह भाषण कहलाता है। भाषण बोलने वाले को वक्ता और भाषण सुनने वाले को श्रोता कहा जाता है। किसी भी विषय पर भाषण एक बड़े जन-समूह के बीच दिया जाता है ताकि उस भाषण में कही गई बात का प्रभाव अधिक से अधिक लोगों पर पड़े। वक्ता द्वारा भाषण में कही जा रही कोई भी बात सही है या फिर गलत, इसका निर्णय या तो निर्णायक मंडल लेती है या फिर उसके श्रोता। इस प्रकार सामान्य शब्दों में हम कह सकते हैं कि ‘भाषण वह विधा है, जिसमें किसी विषय को धाराप्रवाह रूप में प्रभावशाली ढंग से वितरण करते हुए, विचारों तथा तथ्यों को लोगों के सामने प्रस्तुत किया जाता है, उसे भाषण कहते हैं।’
भाषण कला क्या है?
बोलना तो हम सभी जानते हैं परंतु सही मायने में बोलने की कला समाज के कुछ खास लोगों के पास ही होती है। अपनी इस जादुई रूपी कला से वह किसी को भी बड़ी ही आसानी से अपने वश में कर लेते हैं। नेता, अभिनेता, खिलाड़ी, अध्यापक, डॉक्टर, वकील आदि कुछ ऐसे पेशे हैं जिनमें बोलने या भाषण देने की कला का होना बेहद ज़रूरी होता है। मिसाल के तौर पर यदि हम बात करें, तो महात्मा गांधी जी के भाषण को सुनने के लिए हर जगह लोग बड़ी तादात में जमा हुआ करते थे। गांधी जी के भाषणों का प्रभाव लोगों में इस कदर देखने को मिलता कि वह उनकी एक पुकार पर देश के लिए मर-मिटने तक को तैयार हो जाते। बोलने की कला को ही भाषण कला कहा गया है। इकलौते व्यक्ति के सामने बोलना हो या फिर किसी बड़े जन-समूह के समक्ष भाषण देना हो, हमेशा सोच-समझकर ही बोलना चाहिए।
भाषण का अर्थ क्या है?
भाषण का सही अर्थ है कि भाषण या व्याख्यान देते समय आप अपनी बात को कलात्मक और प्रभावशाली ढंग से लोगों के सामने प्रस्तुत करें अथवा आपका बात कहने का तरीका ऐसा हो कि किसी की भी भावनाओं को ठेस न पहुंचे। भाषण में भावों को आत्मविश्वास व नपे-तुले शब्दों के साथ कहने की दक्षता प्राप्त व्यक्ति ही अच्छा वक्ता साबित हो सकता है। आपका भाषण ऐसा हो कि श्रोता पूरा भाषण सुने बिना अपनी कुर्सी छोड़ने की हिम्मत न कर सके।
भाषण की परिभाषा
भाषण को लेकर अलग-अलग विचारकों ने अपने मत गढ़े हैं, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं-
- “अपने विचारों को धाराप्रवाह रूप में अभिव्यक्त करना ही भाषण कहलाता है।”
- “लाखों लोगों के समूह के समक्ष अपने विचारों को मौखिक रूप से अभिव्यक्त करना एक अच्छे भाषण देने वाले व्यक्ति की पहचान होती है।”
- “एक व्यक्ति द्वारा अपने विचारों के अभिव्यक्ति में संस्कृति, भाषा का उतार-चढ़ाव, वाक शक्ति का प्रदर्शन भाषण कहलाता है।”
भाषण का महत्त्व क्या है?
भाषण का महत्त्व सबसे अधिक बोलने वाले के लिए ज़रूरी होता है। भाषण देना एक ऐसी कला है जिसमें निरंतर अभ्यास की ज़रूरत होती है। आप जितना ज़्यादा बोलने का अभ्यास करेंगे आप उतने ही ज़्यादा अच्छे वक्ता कहलाएंगे। भाषण का महत्त्व किसी देश के लोकप्रिय नेता से अच्छा और कौन समझ सकता है। यदि किसी नेता को बोलने या भाषण देने का मौका ही न दिया जाये, तो क्या जनता उसे अपना लीडर चुनेगी। या फिर किसी बड़े फिल्म स्टार को डायलॉग ही बोलने को न मिलें, तो क्या हम उसे अपना फेवरेट एक्टर मानेंगे। इसलिए भाषण महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यह वक्ता को अपने विचारों को व्यक्त करने में सक्षम बनाता है तथा श्रोता को अपनी तरफ पूरी ताकत से खींचता है।
भाषण के प्रकार
भाषण को मुख्यतः दो प्रकार में बांटा गया है- पहला है मौखिक भाषण और दूसरा है लिखित भाषण।
- मौखिक भाषण- भाषण के मौखिक रूप में जब कोई वक्ता बिना किसी लिखित नोट के अपने मन के विचारों को तत्काल व धाराप्रवाह रूप से बोलता चला जाता है, तो उसे मौखिक भाषण कहते हैं।
- लिखित भाषण- भाषण के लिखित रूप में जब कोई वक्ता भाषण में बोलने वाली बातों को पहले से लिखकर या नोट्स बनाकर पूरी तैयारी के साथ मंच पर आता है, तो उसे लिखित भाषण कहते हैं। वक्ता मौखित भाषण की तुलना में लिखित भाषण का प्रयोग अधिक करते हैं।
भाषण के 10 नियम
बड़े-सियाने कह गए हैं कि पहले तोलो, फिर बोलो। जिस प्रकार धनुष से निकला हुआ बाण वापस नहीं आता, उसी प्रकार मुँह से निकली हुई बात भी कभी वापस नहीं आती, इसलिए हमें कुछ भी बोलने से पहले बात को अच्छे से सोच-समझ लेना चाहिए कि जो बात हम बोलने वाले हैं उसे बोलना चाहिए या नहीं। नीचे हमनें भाषण से जुड़े कुछ नियम बता रखे हैं, जिन्हें पढ़कर आप समझ सकते हैं कि भाषण देते समय हमें किन-किन सावधानियों का ध्यान रखना चाहिए।
- नियम नंबर 1- बोलने से पहले सोचें।
- नियम नंबर 2- भाषण को लिखकर तैयार करें।
- नियम नंबर 3- भाषण देने से पहले अभ्यास ज़रूर करें।
- नियम नंबर 4- बोलते समय अपनी आवाज़ पर ध्यान दें।
- नियम नंबर 5- शब्दों का चयन करें।
- नियम नंबर 6- अपने भाषण की भाषा को प्रभावशाली रखें।
- नियम नंबर 7- भाषण देते समय अति उत्तसाहित होने से बचें।
- नियम नंबर 8- पूरे आत्मविश्वास के साथ भाषण दें।
- नियम नंबर 9- एक ही बात को बार-बार न दोहराएं।
- नियम नंबर 10- अपनी बात को तय समय के भीतर ही समाप्त करने की कोशिश करें।
भाषण कैसे लिखें?
भाषण लिखते समय आपको मुख्यतः तीन बातों का खास ध्यान रखना होता है-
- भाषण की शुरुआत- भाषण की शुरुआत हमेशा मौजूद लोगों के लिए अभिवादन व संबोधन के साथ करें। इसके बाद अपना परिचय दें और बताएं कि आप किस विषय पर बोलने जा रहे हैं।
- भाषण में क्या बोलें- आप जिस भी विषय के बारे में बोलें, ध्यान रखें कि अपने उस विषय से न भटकें। विषय को केन्द्र में रखकर ही अपनी बात रखें। अपने भाषण को प्रभावशाली बनाने के लिए तर्क और तथ्यों को ज़रूर उजागर करें। ज़रूरत महसूस होने पर भाषण में आप कविता या शायरी भी सुना सकते हैं।
- भाषण का समापन- भाषण को समाप्त करने से पहले अपनी बात को पूरी ज़रूर करें व अंत में सभी का धन्यवाद करते हुए अपने भाषण को खत्म करें।
भाषण का उद्देश्य
भाषण जनता के सामने दी जाने वाली एक प्रस्तुति है, जिसका मुख्य उद्देश्य जनता को प्रभावित करना होता है। भाषण में कही जाने वाली बात या विचार को प्रभावशाली तरीके से व्यक्त करने की कला ही भाषण के उद्देश्य को पूरा करती है। किसी भी भाषण का उद्देश्य तब सफल माना जाता है जब वक्ता के प्रति श्रोताओं की तालियां लगातार बजती रहें।
भाषण के विषय
बाल दिवस पर भाषण |
गांधी जयंती पर भाषण |
हिंदी दिवस पर भाषण |
शिक्षक दिवस पर भाषण |
स्वतंत्रता दिवस पर भाषण |
गणतंत्र दिवस पर भाषण |
भाषण पर आधारित FAQs
भाषण बोलने की वह कला है जिसमें वक्ता अपने विचारों को प्रभावशाली तरीके से श्रोताओं के सामने व्यक्त करता है।
भाषण दो प्रकार के होते हैं- मौखिक और लिखित।
उत्तरः भाषण का उद्देश्य लोगों तक अपनी बात को पहुंचाना होता है।
भाषण देने वाले को वक्ता कहते हैं।