प्रदूषण के सभी प्रकारों में से वायु प्रदूषण सबसे खतरनाक प्रदूषण माना जाता है क्योंकि यह एक ही समय में पर्यावरण, प्रकृति, प्राकृतिक संसाधनों, मनुष्य, पेड़-पौधों, जानवरों, पशु-पक्षियों, वायु, जल आदि सभी को एक साथ बहुत तेजी से प्रभावित कर सकता है। वायु प्रदूषण मानव जीवन पर कई तरह से अपने दुष्प्रभाव छोड़ता है और आने वाले समय के लिए एक गंभीर समस्या बन सकता है। समय रहते अगर इसका समाधान नहीं निकाला गया, तो यह धीरे-धीरे प्रकृति को नष्ट कर देगा।
परिचय
वायु से हमारा तात्पर्य हवा या पवन से है। वायु से ही हमें ऑक्सीजन प्राप्त होती है, जो पृथ्वी पर जीवन यापन के लिए सबसे ज़रूरी है। फिर चाहे वह कोई मनुष्य हो, पेड़-पौधे हों या जीव-जन्तु हों। सभी को जीवित रहने के लिए शुद्ध और स्वस्च्छ वायु की ज़रूरत है। लेकिन क्या आज हम साफ हवा में सांस ले पा रहे हैं? हमें क्यों पेड़-पौधों से मिलने वाली प्राकृतिक ऑक्सीजन के बावजूद भी सिलेंडर वाले ऑक्सीजन की ज़रूरत पड़ती है। ये समय क्यों आ गया है कि हमें बाहर निकलते वक्त अपने मुँह को किसी कपड़े या मास्क के ढककर निकलना पड़ रहा है। इसका कारण सिर्फ एक है और वो है तेजी से अपने पैर पसारता हुआ “प्रदूषण”। प्रदूषण ने ना सिर्फ प्रकृति को नुकसान पहुँचाया है बल्कि महामारियों को भी जन्म दिया है।
वायु प्रदूषण क्या है?
सबसे पहले हम ये जानने की कोशिश करते हैं कि वायु प्रदूषण है क्या? दरअसल वायु प्रदूषण हमारे पर्यावरण और पूरी वायुमंडलीय हवा में बाहरी तत्वों से मिलकर बनता है। यह तत्व छोटे-बड़े उद्योगों और अनगिनत मोटर वाहनों से पैदा होते हैं। यह खतरनाक, हानिकारक और जहरीली गैसें ही हमारे मौसम, पेड़-पौधों, जानवरों, पक्षियों और मनुष्यों के ऊपर अपना दुष्प्रभाव डालती हैं। मानवीय संसाधन वायु प्रदूषण के मुख्य कारकों में से एक हैं। सबसे ज्यादा वायु प्रदूषण होने का कारण इंसानों द्वारा की जाने वाली गतिविधियाँ हैं। ये गतिविधियाँ तेल का जलना, गंदा कचरा जलाना, प्लास्टिक जलाना, हानिकारक गैसों को छोड़ना, कारखानों, मोटर वाहनों से निकलने वाला धुआँ आदि में सम्मिलित होती हैं।
वायु प्रदूषण के कारण
वायु प्रदूषण होने के मुख्य दो कारण सामने आते हैं, पहला प्राकृतिक कारण और दूसरा मानव निर्मित कारण। इन दोनों कारणों की वजह से ही वायु प्रदूषण पैदा होता है। लेकिन अगर तुलना की जाए, तो सबसे ज्यादा वायु प्रदूषण मानव निर्मित कारण की वजह से ही बढ़ा है। वायु प्रदूषण के अन्य कारण निम्नलिखित हैं-
- ज्वालामुखी से निकलने वाली जहरीली गैस और लावा
- प्राकृतिक रूप में जंगलों में लगने वाली आग
- वातावरण में हर समय उड़ती हुई धूल और मिट्टी
- तेज हवा, आंधी और तूफान
- बड़े उद्योगों और कारखानों से निकलने वाली दूषित गैस
- वनों की कटाई
- जनसंख्या वृद्धि
- परमाणु परीक्षण से निकलने वाले जहरीले तत्व
- गंदे कचरे से उड़ने वाली भयंकर बदबू
- धूम्रपान
- किसानों द्वारा पराली जलाना
वायु प्रदूषण के ये वो सभी कारण हैं जिनसे हम सभी अवगत हैं और जिनकी हम पहचान कर सकते हैं। इन कारणों को पहचाने के बावजूद हमें इन्हें नज़रअंदाज़ कर देते हैं और इन्हें भूलकर चुप बैठ जाते हैं। लेकिन अब ज़रूरत है कि वायु प्रदूषण के कारणों की समय पर पहचान करते हुए इसका तुंरत हल निकाला जाए और प्रदूषण की समस्या को खत्म किया जाए।
वायु प्रदूषण के प्रकार
वायु प्रदूषण प्रदूषण के प्रकारों में से ही एक है, लेकिन वायु प्रदूषण के अपने भी कुछ प्रकार हैं, जैसे-
- विविक्त प्रदूषण- हवा में कई तरह के प्रदूषक ठोस रूप में उड़ते हुए पाये जाते हैं। इस तरह के प्रदूषकों में धूल, राख आदि शामिल होते हैं। इसके कण बड़े और चौड़े आकार के होते हैं, जो पृथ्वी की सतह पर फैलकर प्रदूषण फैलाते हैं। इस तरह के प्रदूषण को विविक्त प्रदूषण कहा जाता है।
- गैसीय प्रदूषण- जो क्रियाएं मानव करता है उससे कई तरह की गैसों का निर्माण होता है और इस निर्माण में कई तरह के प्राकृतिक तत्व भी मौजूद होते हैं। हवा में ऑक्साइड और नाइट्रोजन के जलने पर जो धुआं मिल जाता है, उसे ही गैसीय प्रदूषक कहा जाता है।
- रासायनिक प्रदूषण- वर्तमान में चलने वाले आधुनिक उद्योगों में कई प्रकार के रासायनिक पदार्थों का इस्तेमाल होता है। इन उद्योगों से जो गैस और धुआं निकलता है, वो वायुमण्डल में विषैली रासायनिक गैसें होती हैं जो हवा को दूषित करती हैं।
- धुआँ और धुंध प्रदूषण- हमारे वायुमण्डल में धुआँ (स्मोक) और कोहरा (फॉग) यानी कि हवा में पायी जाने वाली जलवाष्प और जल की बूँदों के छोटे-छोटे कणों से धुंध (स्मॉग) का निर्माण होता है। इसी धुंध से वायुमण्डल में घुटन पैदा होती है और दृश्यता भी काफी कम हो जाती है।
वायु प्रदूषण के प्रभाव
वायु प्रदूषण के लगातार बढ़ने से और इसके अनियंत्रित होने की वजह से इसके कई दुष्प्रभाव सामने आ रहे हैं। ये दुष्प्रभाव आने वाले समय और धरती पर जीवन यापन के लिए गंभीर खतरा पैदा कर रहे हैं। वायु प्रदूषण के होने वाले गंभीर दुष्प्रभावों में निम्नलिखित हैं, जैसे-
बीमारियों का बढ़ना
हम सभी को इस पृथ्वी पर रहने के लिए स्वच्छता की सबसे ज़्यादा ज़रूरत होती है। साफ-सफाई के बिना हम एक पल भी जीवित नहीं रह सकते हैं। अगर हमारी हवा ही प्रदूषित होगी, तो इसके कारण अस्थमा, दमा, कैंसर, सिर दर्द, पेट की बीमारियां, एलर्जी, दिल की बीमारियों के होने का खतरा बढ़ जाएगा। ये बीमारियाँ हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत ज्यादा हानिकारक और जानलेवा साबित हो सकती हैं।
ऑक्सीजन कम होना
वायु प्रदूषण के कारण पृथ्वी पर ऑक्सीजन भी कम होती जा रही है। पहले हमारे वातावरण में ऑक्सीजन की मात्रा 24 प्रतिशित थी लेकिन धीरे-धीरे अब इसकी मात्रा भी कम हो रही है। एक रिसर्च के मुताबिक अब हमारे पर्यावरण में ऑक्सीजन की मात्रा घटकर केवल 22 प्रतिशत ही बची है।
पशु-पक्षियों की समय से पहले मृत्यु
स्वच्छ हवा और ऑक्सीजन न मिलने की वजह से रोज़ न जाने कितने ही जीव-जंतुओं की मौत हो रही है। वायु प्रदूषण के कारण पशु-पक्षियों की कुछ प्रजातियां तो बिल्कुल ही विलुप्त होती जा रही हैं। इस तरह से ही अगर वायु प्रदूषण बढ़ता रहा, तो एक दिन ऐसा आएगा जब धरती पर कोई भी जीव-जंतु जीवित नहीं बचेगा।
वातावरण प्रभावित होना
हवा में प्रदूषण की मात्रा ज़्यादा होने की वजह से पृथ्वी का पूरा वातावरण बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है। इस वजह से पृथ्वी का संतुलन भी बिगड़ रहा है। रोज़ कोई ना कोई आपदा या महामारी आती रहती है। इन सबका कारण प्रदूषण ही है। अगर हमें हमारे वातावरण को बचाना है, तो वायु प्रदूषण को कम करना होगा।
अम्लीय वर्षा होना
वायु प्रदूषण होने की वजह से साफ हवा में बहुत सी प्रकार की हानिकारक गैसें मिल जाती हैं। इन गैसों में सल्फर डाइऑक्साइड सबसे खतरनाक होती है। जब ये हवा में घुल जाती है और जब बारिश होती है, तो जल के साथ क्रिया करके सल्फ्यूरिक अम्ल बनाती है, जिसे अम्लीय3 वर्षा बोलते हैं। इसे आम भाषा में हम तेजाब वर्षा या ऐसिड रेन भी कहते हैं जिसके कारण कई बीमारियां फैलती हैं। यह पानी में घुलने की वजह से सीधे हमारे शरीर में चली जाती हैं और कई अलग-अलग प्रकार की गंभीर बीमारियां बनाती हैं।
तापमान का बढ़ना
वायु प्रदूषण बढ़ने के साथ-साथ धरती का तापमान भी लगातार बढ़ता जा रहा है। एक रिसर्च के अनुसार अगर इसी तेजी से वायु प्रदूषण बढ़ता रहा, तो पृथ्वी का तापमान भी तेजी से बढ़ता जाएगा। यदि पृथ्वी का तापमान दो से तीन प्रतिशत भी बढ़ता है, तो पृथ्वी के हिम ग्लेशियर पिघल सकते हैं और भयंकर बाढ़ आ सकती है। अगर ऐसा हुआ, तो पृथ्वी पूरी तरह से नष्ट भी हो सकती है।
वायु प्रदूषण के निवारण
वायु प्रदूषण को कम करने के लिए और इसे नियंत्रित करने के लिए हमें छोटे-छोटे उपायों से ही शुरुआत करनी होगी। सबकी भागीदारी ही वायु प्रदूषण को खत्म करने में मदद करेगी। वायु प्रदूषण से बचाव के उपाय इस प्रकार हैं-
ज्यादा से ज्यादा पेड़-पौधे लगाना– अगर हम वायु प्रदूषण पर नियंत्रण पाना चाहते हैं, तो हमें ज़्यादा से ज़्यादा मात्रा में पेड़-पौधे लगाने होंगे। क्योंकि पेड़-पौधों से ही ऑक्सीजन निकलती है और यह कार्बन डाइऑक्साइड ग्रहण करते हैं जिस वजह से ज्यादातर प्रदूषित हवा साफ हो जाती है। लेकिन आज के समय में पेड़-पौधों को ही सबसे ज़्यादा काटा और नष्ट किया जा रहा है, जिसके कारण वायु प्रदूषण की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है।
जनसंख्या नियंत्रण को बढ़ावा देना– जनसंख्या वृद्धि की समस्या सबसे गंभीर समस्या है और इस समस्या से पूरी दुनिया जूझ रही है। यदि हम जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण पा लेते हैं, तो पर्यावरण में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा भी कम होगी और हमें कम उद्योग धंधे लगाने की आवश्यकता होगी, जिससे प्रदूषण अपने आप ही कम हो जाएगा। जनसंख्या वृद्धि भी वायु प्रदूषण का मुख्य कारण है।
उद्योग और कारखाने कम करना– वायु प्रदूषण को कम करने के लिए हमें उन उद्योगों और कारखानों को भी बंद करना होगा, जो अधिक मात्रा में प्रदूषण करते हैं। जिन कारखानों की हमें ज़रूरत है, उनकी चिमनीयों की ऊंचाई भी ज़्यादा होनी चाहिए। ऐसा करने से हमारा वायुमंडल भी कम से कम प्रभावित होगा।
ऊर्जा के नए स्रोत तलाशें– कारखानों, फैक्ट्रियों, मशीनों आदि को चलाने के लिए हमें ऊर्जा के लिए नए स्रोत तलाशने होंगे। हमें कोयले और परमाणु ऊर्जा का प्रयोग कम करना होगा। हमें सौर ऊर्जा का उपयोग ज़्यादा से ज़्यादा करना होगा। ऐसा करने से वायु प्रदूषण भी नहीं होगा और हमें ऊर्जा भी पूरी तरह से प्राप्त हो जाएगी।
सार्वजनिक वाहनों का उपयोग– वायु प्रदूषण को कम करने के लिए हमें निजी वाहनों का इस्तेमाल बंद करके ज़्यादा से ज़्यादा सार्वजनिक वाहनों का इस्तेमाल करना होगा। इस पहल से भी वायु प्रदूषण में कमी आएगी।
कानूनी नियंत्रण जरूरी– वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए हमारी देश की सरकार को नए नियम और कानून बनाने चाहिए। इसके अलावा प्रदूषण नियंत्रण से जुड़े प्रमाण पत्र की भी अनिवार्यता करनी होगी और लोगों को वायु प्रदूषण कानून का भी सख्ती से पालना करना सीखना होगा।
जन जागरण की आवश्यकता– प्रदूषण पर नियंत्रण पाने के लिए हमें लोगों को प्रदूषण के बारे में सचेत और जागरूक करना होगा। प्रदूषण के बारे में सभी विद्यालयों में पाठ्यक्रम शामिल होना चाहिए जिससे बचपन से ही बच्चों को पता हो प्रदूषण कैसे फैलता है और इसे फैलने से कैसे रोकें। इसके अलावा हमें गांव-गांव में जाकर नुक्कड़-नाटकों के माध्यम से वहाँ के लोगों को समझाना चाहिए कि प्रदूषण हमारे स्वास्थ्य के लिए कितना हानिकारक है। इन सभी प्रयासों के बाद ही हम वायु प्रदूषण पर नियंत्रण पाने में सफल हो सकते हैं।
निष्कर्ष
वायु प्रदूषण की समस्या एक ऐसी गंभीर समस्या है जिसके बारे में हम लोगों को जितना जागरूक करेंगे उतनी ही जल्दी हम इस समस्या का इलाज कर पाएंगे। लोगों को जागरूक करेंगे का काम हमें जमीनी स्तर पर रहकर, उनके बीच जाकर और उन्हें इस समस्या के दुष्प्रभावों के बारे में बताकर करना होगा। लेकिन उससे भी पहले हमें खुद जागरूक होना होगा, खुद को बदलना होगा और सबसे पहले इसकी शुरुआत हमें अपने आप से ही करनी होगी, तब कहीं जाकर हम वायु प्रदूषण मुक्त भारत की कल्पना कर सकते हैं।
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वायु प्रदूषण पर आधारित FAQs
प्रश्न- वायु प्रदूषण कैसे होता है?
उत्तर- वायु में हानिकारक प्रदूषकों के एकत्रित होने को वायु प्रदूषण कहते हैं। अधिक जनसंख्या, वाहन, असंतुलित औद्योगीकरण इसके मुख्य कारण हैं।
प्रश्न- वायु प्रदूषण का अर्थ क्या है?
उत्तर- वायु प्रदूषण रसायनों, सूक्ष्म पदार्थ या जैविक पदार्थ के वातावरण में मानव की भूमिका है, जो मानव को या अन्य जीव-जंतुओं को या पर्यावरण को नुकसान पहुँचाता है। वायु प्रदूषण के कारण मौतें और श्वास रोग होते हैं।
प्रश्न- वायु प्रदूषण के स्रोत कौन-कौन से हैं?
उत्तर- कोयला, मिट्टी के तेल, जलाऊ लकड़ी, गोबर के केक, सिगरेट से निकलने वाले धुएं आदि के जलने के दौरान निकलने वाली आम प्रदूषक गैसें कार्बन मोनोऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड आदि लगभग 90% हैं।