पर्यावरण पर निबंध | Environment Essay In Hindi

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पर्यावरण पर निबंध (Essay On Environment In Hindi)- पर्यावरण शब्द पढ़ने, लिखने, बोलने या सुनने में जितना छोटा है, इसका अर्थ उतना ही ज़्यादा बड़ा और गहरा है। प्रकृति (Nature) से मिली पर्यावरण (Environment) की शक्तियों का अंदाज़ा लगाने अगर हम बैठेंगे, तो शायद हमारा पूरा एक जीवन भी इसके लिए कम रहेगा। पर्यावरण एक ऐसा विषय है जिसके बारे में जितना पढ़ा जाए या लिखा जाए उतना ही कम है। मनुष्य, पशु-पक्षी, पेड़-पौधे आदि सभी चीज़ें पर्यावरण से ही जीवित हैं। पर्यावरण के बिना मानव जीवन की कल्पना करना असंभव है। हम सभी पर्यावरण के साथ और पर्यावरण हमारे साथ हर तरह से जुड़ा हुआ है।

Essay On Environment In Hindi

सुबह के उजाले से लेकर रात के अंधेरे तक पृथ्वी पर सभी कार्य पर्यावरण की मदद से ही सम्पन्न होते हैं, इसीलिए प्रकृति या पर्यावरण को कमजोर समझना मनुष्य की सबसे बड़ी भूल है। अगर आप जानना चाहते हैं कि पर्यावरण क्या है या पर्यावरण का क्या अर्थ है या पर्यावरण किसे कहते हैं, पर्यावरण कितने प्रकार के होते हैं, पर्यावरण दिवस कब मनाया जाता है, तो आप parikshapoint.com के इस पेज पर दिए गए पर्यावरण पर निबंध इन हिंदी (Environment Essay In Hindi) को पढ़ सकते हैं। इस लेख में आप पर्यावरण पर निबंध (Paryavaran Par Nibandh) के अलावा वन और पर्यावरण पर निबंध (Van Aur Paryavaran Par Nibandh), हमारा पर्यावरण पर निबंध (Hamara Paryavaran Par Nibandh), पर्यावरण सुरक्षा पर निबंध, पर्यावरण संरक्षण पर निबंध भी पढ़ सकते हैं।

पर्यावरण पर निबंध

हमने आपके लिए पर्यावरण पर निबंध हिंदी में (Paryavaran Par Nibandh Hindi Mein) बहुत ही सरल, सहज और आसान भाषा में उपलब्ध करवाया है। आप हमारे पर्यावरण निबंध हिंदी में (Paryavaran Essay In Hindi) से सहायता लेकर स्कूल और कॉलेज में होने वाली पर्यावरण निबंध प्रतियोगिता में भाग ले सकते हैं और एक अच्छा पर्यावरण पर हिंदी में निबंध (Environment In Hindi Essay) लिखकर अपनी लेखनी का प्रदर्शन कर सकते हैं और प्रथम पुरस्कार भी जीत सकते हैं। पर्यावरण के बारे में (About Environment In Hindi), पर्यावरण संरक्षण के बारे में और जागतिक पर्यावरण दिन के बारे में जानने के लिए हिंदी में पर्यावरण पर निबंध (Essay On Paryavaran In Hindi) नीचे से पढ़ें।

पर्यावरण पर निबंध 
(Environment Essay In Hindi)

प्रस्तावना

जिन पेड़ों की ठंडी हवा से हमें तपती गर्मी में चैन मिलता है, जिस धूप के सेक से हमारे बदन की सर्दी कम होती है, जिस स्वच्छ जल को पीकर हम अपनी प्यास बुझाते हैं या जिस खेत में उपजे अन्न से हमारी भूख शांत होती है ये सब पर्यावरण का ही खेल है। जिस तरह से सुबह, दोपहर, शाम और रात प्रकृति के नियम के अनुसार होते हैं ठीक उसी तरह से पर्यावरण के भी कुछ अपने नियम हैं। पर्यावरण का हर काम उसके नियम के अनुरूप ही होता है। जब इस सृष्टि का निर्माण हुआ होगा तभी से पृथ्वी पर पर्यावरण की भी उत्पत्ति हो गई होगी क्योंकि बिना पर्यावरण के दुनिया का बनना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन था।

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पर्यावरण का अर्थ

पर्यावरण दो शब्दों ‘परि’ (जो हमारे चारों ओर है) और ‘आवरण’ (जो हमें चारों ओर से घेरे हुए है) के मेल से बना है, जिसका शाब्दिक का अर्थ है हमारे चारों ओर का आवरण यानी कि वातावरण। पर्यावरण (Environment) शब्द एक फ्रेंच भाषा के शब्द एनविरोनिया (Environia) से लिया गया है जिसका मतलब होता है हमारे आस-पास या चारों ओर। जिस परिवेश या वातावरण में हम सब निवास करते हैं यह उस परिवेश के जैविक पर्यावरण (जो जीवित होते हैं) और अजैविक पर्यावरण (जो जीवित नहीं होते हैं) दोनों को दर्शाता है। पर्यावरण और जीव प्रकृति के दो संगठित और जटिल घटक होते हैं। पर्यावरण हम सभी के जीवन को नियंत्रित करने का काम करता है क्योंकि सबसे ज़्यादा हम पर्यावरण के साथ ही संपर्क में आते हैं और पर्यावरण में रह कर ही अपना जीवन व्यतित करते हैं।

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पर्यावरण क्या है?

पर्यावरण किसी एक तत्व का नाम नहीं है ब्लकि यह विभिन्न तत्वों के योग के मिलकर बना है। जो तत्व या चीजें हमें अपने आसपास नज़र आती हैं वही हमारा पर्यावरण है। पर्यावरण भौतिक और बल को दर्शाता है। पर्यावरण को वातावरण या स्थिति के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जिसमें व्यक्ति, जीव या पौधे निवास करते हुए अपना हर कार्य करते हैं। मनुष्य के जीवन चक्र में पर्यावरण की मुख्य भूमिका होती है क्योंकि हम सभी सबसे अधिक पर्यावरण के ऊपर ही निर्भर हैं। पर्यावरण के पास प्राकृतिक चीजों का उत्पादन करने और सौंदर्य दर्शाने की शक्तियाँ मौजूद हैं। पर्यावरण वह स्थिति है जिसमें एक जीव जन्म लेता है, फिर उसकी जीवन प्रक्रिया चलती है और फिर एक समय ऐसा आता है जब उसका अंत होता है।यह जीवित जीव की वृद्धि और विकास को प्रभावित करता है।

अन्य शब्दों में कहा जाए तो पर्यावरण उस परिवेश को दर्शाने का काम करता है जो सभी सजीवों को चारों तरफ से घेरे रहता है और उनके जीवन को प्रभावित करता है। पर्यावरण वायुमंडल, जलमंडल, स्थलमंडल और जीवमंडल से बना हुआ है। मिट्टी, पानी, हवा, आग और आकाश पर्यावरण के मुख्य घटक हैं, जिन्हें हम पंचतत्व भी बोलते हैं। पर्यावरण ने हम सभी को एक आरामदायक जीवन जीने के लिए और ज़रूरत के अनुसार उनका उपभोग करने के लिए हमें प्राकृतिक संसाधन प्रदान किए हैं। पर्यावरण का संबंध उन चीज़ों से है जो किसी वस्तु के बहुत पास है और उस पर उसका सीधा प्रभाव पड़ता हो। हमारा पर्यावरण उन चीजों या साधनों को दिखाता है जो हमसे हर रूप में अलग हैं और हमारे जीवन को प्रभावित करते हैं।

पर्यावरण किसे कहते हैं?

जो कोई भी वस्तुएं हमारे आसपास या चारों ओर होती हैं, जैसे- पेड़-पौधे, जीव-जंतु, नदी, तालाब, हवा, मिट्टी तथा मनुष्य और उनके द्वारा जो कोई भी क्रियाएं की जाती हैं, उसी को हम पर्यावरण (Environment) कहते हैं। अलग-अलग दर्शनशास्त्रियों ने पर्यावरण को अपने-अपने शब्दों में परिभाषित किया है, जैसे-

  • टाॅसले के अनुसार- ’’प्रभावकारी दशाओं का वह सम्पूर्ण योग जिसमें जीव रहते हैं, पर्यावरण कहलाता है।’’
  • फिटिंग के अनुसार- ’’जीवों के पारिस्थितिकी का योग पर्यावरण है अर्थात् जीवन की पारिस्थितिकी के समस्त तथ्य मिलकर पर्यावरण कहलाते हैं।’’
  • बोरिंग के अनुसार- ’’एक व्यक्ति के पर्यावरण में वह सब कुछ सम्मिलित किया जाता है जो उसके जन्म से मृत्यु पर्यंन्त प्रभावित करता है।’’
  • मैकाइवर के अनुसार- ’’पृथ्वी का धरातल और उसकी सारी प्राकृतिक दशाएँ- प्राकृतिक संसाधन, भूमि, जल, पर्वत, मैदान, खनिज पदार्थ, पौधे, पशु तथा सम्पूर्ण प्राकृतिक शक्तियाँ जो कि पृथ्वी पर विद्यमान होकर मानव जीवन को प्रभावित करती हैं, भौगोलिक पर्यावरण के अन्तर्गत आती हैं।’’
  • गिलबर्ट के अनुसार- ’’वातावरण उन समाग्रता का नाम है, जो किसी वस्तु को घेरे रहते है तथा उसे प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करती है।’’

पर्यावरण कितने प्रकार के होते हैं?

पर्यावरण के मुख्य रूप से चार प्रकार होते हैं, जो निम्नलिखित हैं-

1. प्राकृतिक पर्यावरण- यह पर्यावरण का वो भाग है जो प्रकृति से हमें वरदान के रूप में मिला है। जो प्राकृतिक शक्तियाँ, प्रक्रियाएँ और तत्व मनुष्य के जीवन को प्रभावित करते हैं, उन्हें प्राकृतिक पर्यावरण के साथ में जोड़कर देखा जाता है। ये वो शक्तियाँ हैं जिनसे पृथ्वी पर विभिन्न वातावरणीय चीजें जन्म लेती हैं, जिसमें जैविक चीजें और अजैविक चीजें दोनों ही मौजूद होती हैं। जैविक चीजों में मनुष्य, पेड़-पौधे, जीव-जंतु, प्राकृतिक वनस्पति आदि चीजें आती हैं, तो वहीं अजैविक चीजों में जल, तापमान, हवा, तालाब, नदी, महासागर, पहाड़, झील, वन, रेगिस्तान, ऊर्जा, मिट्टी, आग आदि चीजें शामिल हैं।

2. मानव निर्मित पर्यावरण- इस तरह के पर्यावरण में मानव द्वारा निर्मित चीजें शामिल होती हैं, जैसे- उद्योग, शैक्षणिक संस्थाएँ, अधिवास, कारखाने, यातायात के साधन, वन, उद्यान, श्मशान, कब्रिस्तान, मनोरंजन स्थल, शहर, कस्बा, खेत, कृत्रिम झील, बांध, इमारतें, सड़क, पुल, पार्क, अन्तरिक्ष स्टेशन आदि। मानव अपनी शिक्षा और ज्ञान के बल पर विज्ञान तथा तकनीक की मदद से भौतिक पर्यावरण के साथ क्रिया कर जिस परिवेश का निर्माण करता है, उसे ही हम मानव निर्मित पर्यावरण कहते हैं।

3. भौतिक पर्यावरण- इस पर्यावरण में प्रकृति से बनी चीजों पर प्रकृति का ही सीधा नियन्त्रण होता है। इसमें मानव का किसी भी तरह का कोई हस्तक्षेप शामिल नहीं होता है। भौतिक पर्यावरण में जलमण्डल, स्थलमण्डल और वायुमण्डल का अध्ययन किया जाता है। इसके अलावा स्थलरूप, जलीय भाग, जलवायु, मृदा, शैल तथा खनिज पदार्थ आदि विषयों का भी इसमें अध्ययन करने को मिलता है।

4. जैविक पर्यावरण- मानव और जीव-जन्तुओं के मिलकर एक-दूसरे की मदद से जैविक पर्यावरण का निर्माण किया है। मानव एक सामाजिक प्राणी है जिस वजह से वह सामाजिक, भौतिक तथा आर्थिक गतिविधियों से जुड़ा रहता है। इसमें सभी तरह के जीव प्रणाली शामिल होते हैं। इन सभी के बीच जो संबंध होता है उसको परिस्थितिकी कह जाता है। यह एक प्रकार से संतुलन बनाए रखने की प्रक्रिया भी होती है। इसके अंतर्गत पेड़-पौधे, जीव-जन्तु, सूक्ष्म जीव, मानव आदि का अध्ययन शामिल है।

पर्यावरण दिवस कब मनाया जाता है और क्यों?

पर्यावरण दिवस (Environment Day) या विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) हर साल 5 जून का मनाया जाता है। पेड़-पौधे पर्यावरण में प्रदूषण के स्तर को कम करने का काम करते हैं और अशुद्ध पर्यावरण को शुद्ध करने में भी अपना पूरा योगदान देते हैं, लेकिन औद्योगीकरण के विकास का असर पर्यावरण पर बुरा पड़ रहा है। पर्यावरण प्रदूषण जैसे-जैसे बढ़ता जा रहा है उसकी वजह से कभी प्राकृतिक आपदाओं का खतरा भी बढ़ता जा रहा है। ऐसे में सबसे ज़्यादा जरूरी है कि लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक किया जाए। इसी उद्देश्य के साथ हम हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस के रूप में मनाते हैं।  

पर्यावरण दिवस मनाने की शुरुआत सबसे पहले स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में हुई थी। इसी देश में दुनिया का सबसे पहला पर्यावरण सम्मेलन भी आयोजित किया गया था, जिसमें कुल 119 देशों ने हिस्सा लिया था। इसी सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम की नींव रखी गई थी और हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाए जाने का संकल्प भी लिया गया था। सन् 1972 में संयुक्त राष्ट्र संघ की ओर से वैश्विक स्तर पर पर्यावरण प्रदूषण की समस्या और चिंता की वजह से विश्व पर्यावरण दिवस मनाने की पहल की गई। हमारे देश में भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने प्रकृति और पर्यावरण के प्रति चिंताओं को जाहिर किया था। विश्व पर्यावरण दिवस मनाने का उद्देश्य केवल इतना है कि दुनियाभर के सभी लोग पर्यावरण प्रदूषण की चिंताओं से अवगत हों और प्रकृति तथा पर्यावरण का महत्त्व बताते हुए दूसरों को जागरूक करें।

निष्कर्ष

भविष्य में अगर हम अपने आसपास के वातावरण को साफ, सुंदर और उपयोगी देखना चाहते हैं, तो सबसे पहले हमें अपने पर्यावरण के साथ जंगली जानवरों जैसा बर्ताव करना बंद करना होगा। पर्यावरण में मौजूद सभी चीज़ों का इस्तेमाल हमें भूखे भेड़ियों की तरह नहीं बल्कि इंसान बनकर ही करना होगा। जब हम पर्यावरण का साथ देंगे तो उससे कही गुना ज़्यादा बढ़कर पर्यावरण हमारा साथ देगा। जितनी सहायता की ज़रूरत हमें प्राकृतिक पर्यावरण की है, तो उससे अधिक सहायता प्रकृति को बचाने के लिए हमें करनी होगी।

पर्यावरण पर लघु निबंध (Short Essay On Environment In Hindi)

अगर आप पर्यावरण पर निबंध इन हिंदी (Paryavaran Par Nibandh In Hindi) में और पढ़ना चाहते हैं, तो आप नीचे से पर्यावरण पर लघु निबंध यानी कि पर्यावरण पर निबंध 150 शब्द और पर्यावरण पर निबंध 300 शब्द में पढ़ सकते हैं।

पर्यावरण पर निबंध 150 शब्द

हमारे पर्यावरण में लगभग सभी प्रकार के प्राकृतिक संसाधन पाए जाते हैं, जो अलग-अलग तरीकों से हमारी सहायता करते हैं। ये प्राकृतिक पर्यावरण हमें चारों ओर से घेरे हुए हैं। यह हमें आगे बढ़ने और विकसित होने का बेहतर माध्यम प्रदान करते हैं। यह हमें वो सब कुछ उपलब्ध करवाते हैं, जिसकी हमें जीवन यापन करने हेतु सबसे ज़्यादा ज़रूरत होती है। हमारा पर्यावरण भी हमसे कुछ मदद की अपेक्षा रखता है जिससे कि हमारा जीवन भी बना रहे और पर्यावरण भी कभी नष्ट न हो।

इस धरती पर अगर हम जीवन को बनाए रखना चाहते हैं, तो उसके लिए हमें सबसे पहले पर्यावरण को बचाकर रखना होगा और उसका संरक्षण करना होगा। पिछले कई वर्षों से हम पर्यावरण के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस तो मनाते हुए आ रहे हैं लेकिन पर्यावरण स्वच्छता और सुरक्षा के मामले में हमारा देश आज भी दूसरे देशों के मुकाबले बहुत पीछे है। पर्यावरण जैसे गंभीर विषय को जानने के लिए कि हमें हमारे पर्यावरण को किस प्रकार सुरक्षित रखना है और उन बातों के बारे में जानने के लिए जिनसे पर्यावरण को नुकसान पहुँचता है, हम सभी को पर्यावरण के लिए चलाई जा रही अलग-अलग मुहिम और पर्यावरण बचाओ अभियान का हिस्सा बनना चाहिए।

पर्यावरण पर निबंध 300 शब्द

हमारा पर्यावरण पृथ्वी पर जीवों के स्वस्थ जीवन के लिए सबसे अहम भूमिका निभाता है। इसके बावजूद भी हमारा पर्यावरण दिन-प्रतिदिन मानव निर्मित तकनीक तथा आधुनिक युग के आधुनिकरण की वजह से नष्ट होता जा रहा है। यही कारण है कि आज हमें पर्यावरण प्रदूषण जैसी सबसे बड़ी समस्या का सामना करना पड़ रहा है। पर्यावरण के बिना मानव जीवन की कल्पना तक नहीं की जा सकती। हमें अपने भविष्य को जीवित रखने के लिए सबसे पहले पर्यावरण का भविष्य सुरक्षित रखना होगा। इसकी जिम्मेदारी किसी एक इंसान की नहीं बल्कि पृथ्वी पर रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति की है। हर व्यक्ति को अपने-अपने स्तर पर पर्यावरण संरक्षण जैसे मुहिम का हिस्सा ज़रूर बनना चाहिए।

पर्यावरण सामाजिक, शारीरिक, आर्थिक, भावनात्मक तथा बौद्धिक रूप से हमारे दैनिक जीवन के विभिन्न पहलुओं को प्रभावित करता है लेकिन पर्यावरण प्रदूषण की समस्या ने वातावरण में विभिन्न प्रकार की बीमारीयों को जन्म दिया, जिसे आज हर व्यक्ति अपने जीवन में झेल रहा है। अब यह किसी समुदाय या शहर की समस्या नहीं रही बल्कि अब तो यह दुनियाभर की समस्या बन चुकी है। इस समस्या का समाधान किसी एक व्यक्ति के प्रयास करने से नहीं होगा। अगर इसका निवारण पूर्ण तरीके से नहीं किया गया, तो एक दिन ऐसा आएगा जब पृथ्वी पर जीवन का कोई अस्तित्व नहीं रहेगा। इसीलिए प्रत्येक आम नागरिक को सरकार द्वारा चलाए जा रहे पर्यावरण आन्दोलन में शामिल होना होगा। हम सभी को अपनी गलती में सुधार करते हुए पर्यावरण को प्रदूषण से मुक्त कराना होगा। यह मानना थोड़ा मुश्किल है, लेकिन सही यही है कि हर व्यक्ति द्वारा उठाया गया छोटे-से-छोटा भी सकारात्मक कदम एक दिन बड़ा बदलाव ज़रूर लाता है।

हमें अब समझना होगा कि वो समय आ चुका है कि प्राकृतिक संसाधनों का दोहन बंद करते हुए उनका सही तरीके से इस्तेमाल करें। हमें इस बात का भी पूरा ख़्याल रखना होगा कि जीवन को बेहतर बनाने के लिए विज्ञान तथा तकनीक को विकसित करने के साथ-साथ पर्यावरण को भी किसी प्रकार का नुकसान न पहुँचे।

FAQs

People also ask

प्रश्न- पर्यावरण का क्या अर्थ है?
उत्तरः “परि” जो हमारे चारों ओर है”आवरण” जो हमें चारों ओर से घेरे हुए है, अर्थात पर्यावरण का शाब्दिक अर्थ होता है चारों ओर से घेरे हुए। पर्यावरण उन सभी भौतिक, रासायनिक एवं जैविक कारकों की समष्टिगत एक इकाई है जो किसी जीवधारी अथवा पारितंत्रीय आबादी को प्रभावित करते हैं तथा उनके रूप, जीवन और जीविता को तय करते हैं।

प्रश्न- पर्यावरण से आप क्या समझते हैं?
उत्तरः पर्यावरण उन सभी भौतिक, रासायनिक एवं जैविक कारकों की समष्टिगत एक इकाई है जो किसी जीवधारी अथवा पारितंत्रीय आबादी को प्रभावित करते हैं तथा उनके रूप, जीवन और जीविता को तय करते हैं। पर्यावरण वह है जो कि प्रत्येक जीव के साथ जुड़ा हुआ है हमारे चारों तरफ़ वह हमेशा व्याप्त होता है।

प्रश्न- पर्यावरण का मानव जीवन में क्या महत्व है?
उत्तरः पर्यावरण का हमारे जीवन में बहुत महत्व है। मनुष्य एक पल भी इसके बगैर नहीं रह सकता। जल, थल, वायु, अग्नि, आकाश इन्हीं पांच तत्वो से ही मनुष्य का जीवन है और जीवन समाप्त होने पर वह इन्हीं में विलीन हो जाता है। प्राचीन काल में मनुष्य अपने चारों ओर की सुंदर प्रकृति को सहेज कर रखता था तथा मनुष्य का जीवन बहुत सीधा-साधा और सरल था।

प्रश्न- पर्यावरण शक्तियां कितने प्रकार की होती हैं?
उत्तरः पर्यावरण शक्तियाँ मुख्य रूप से दो प्रकार की होती हैं। पहली बाह्य पर्यावरण शक्तियाँ और दूसरी आंतरिक पर्यावरण शक्तियाँ। 

प्रश्न- विश्व पर्यावरण दिवस (world environment day) कब मनाया जाता है?
उत्तर- विश्व पर्यावरण दिवस हर साल 5 जून को मनाया जाता है।

प्रश्न- पर्यावरण की विशेषता क्या है?
उत्तरः पर्यावरण के मुख्य तत्वों में जैव विविधता और ऊर्जा आते है। स्थान और समय का परिवर्तन पर्यावरण में होता रहता है। जबकि इसकी कार्यात्मक की निर्भरता ऊर्जा के संचार पर होती है।पर्यावरण के अंदर ही जैविक पदार्थ उत्पन्न होते हैं, जिनका कार्य अलग स्थानों पर अलग-अलग ही होता है।

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