बसंत पंचमी पर निबंध (Basant Panchami Essay In Hindi)

Photo of author
PP Team

बसंत पंचमी पर निबंध (Essay On Basant Panchami In Hindi)- बसंत पंचमी (Basant Panchami) मुख्य रूप से प्रकृति और भारतीय परंपरा से जुड़ा हुआ त्योहार है। बसंत पंचमी बसंत ऋतु की ताजगी एवं खूबसूरती का उत्सव होता है। जब सूरज की किरणें और दिनों से उजली हों, सुबह-सवेरे कोयल कुह-कुह बोल रही हो, खेतों में पीली सरसों लहरा रही हो, बागों में पीले फूल खिल उठे हों, पेड़ों पर अजब हरियाली हो, तो हमें समझ जाना चाहिए कि बसन्त पंचमी का आगमन हो चुका है। बसंत पंचमी का आगमन सभी के मन में एक अलग ही तरह की सकारात्मक ऊर्जा भर देता है। बसंत पंचमी खुशियों के साथ-साथ शिक्षा, ज्ञान और समृद्धि का भी त्योहार है।

Essay On Basant Panchami In Hindi

आप parikshapoint.com के इस पेज से बसंत पंचमी पर निबंध (Essay On Basant Panchami In Hindi) प्राप्त कर सकते हैं। अगर आप जानना चाहते हैं कि बसंत पंचमी कब है, बसंत पंचमी क्यों मनाई जाती है, बसंत पंचमी कैसे मनाई जाती है, बसंत पंचमी का महत्व क्या है, तो आप बसंत पंचमी पर निबंध हिंदी में (Basant Panchami Par Nibandh Hindi Mein) पढ़ सकते हैं। वसंत पंचमी पर निबंध (Basant Panchami Par Nibandh) के अलावा आप हमारे इस लेख से बसंत पंचमी पर कविता, बसंत पंचमी शायरी, 10 Lines On Basant Panchami In Hindi, Speech On Basant Panchami In Hindi, Short Essay On Basant Panchami In Hindi भी पढ़ सकते हैं।

Basant Panchami Par Nibandh

बसंत ऋतु हम सभी के जीवन में नयापन का अहसास तो लाती ही है, साथ ही यह आशाओं और सफलताओं के नए अवसर भी प्रदान करती है। बसंत पंचमी पर निबंध इन हिंदी (Hindi Essay On Basant Panchami) पढ़ते समय आप इसके सभी पहलुओं के बारे में जानेंगे। बसंत ऋतु के फूल, फल एवं पत्तियां हमारे चारों ओर के संसार को जीवन रंग एवं सुगंध से भर देती हैं। बसंत ऋतु प्रेम का भी प्रतिनिधित्व करती है और हमें प्यार करना भी सिखाती है। बसंत पंचमी पर निबंध In Hindi में नीचे से पढ़ें।

बसंत पंचमी पर निबंध
(Basant Panchami Essay In Hindi)

प्रस्तावना

हिंदुओं के लिए माघ का महीना बहुत ही खास होता है क्योंकि इसी महीने में ही बसंत पंचमी (Basant Panchami) का त्योहार आता है। बसंत पंचमी का त्योहार हर साल पूरे देश में बड़ी ही धूमधाम और उत्साह के साथ मनाया जाने वाला त्योहार है। बसंत पंचमी के दिन सभी लोग माँ सरस्वती की पूजी करते हैं और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। देवी सरस्वती को विद्या, संगीत और कला की देवी माना गया है। बसंत पंचमी का दिन शुक्ल पक्ष का पांचवां दिन होता है और विद्या की अधिष्ठात्री देवी महासरस्वती के जन्मदिन के रूप में भी मनाया जाता है।

ये भी पढ़ें

बसंत पंचमी पर निबंधयहाँ से पढ़ें
बसंत ऋतु पर निबंधयहाँ से पढ़ें
बसंत पंचमी पर शुभकामनाएं संदेशयहाँ से पढ़ें
बसंत पंचमी पर 10 लाइनयहाँ से पढ़ें
बसंत पंचमी पर कवितायहाँ से पढ़ें
बसंत पंचमी का महत्वयहाँ से पढ़ें
बसंत पंचमी पर कोट्सयहाँ से पढ़ें

बसंत पंचमी के दिन ही विद्या, बुद्धि और ज्ञान की देवी सरस्वती ने प्रकट होकर दुनिया को आवाज़ दी थी। भगवती सरस्वती सत्वगुणसंपन्न हैं और इन्हें हम कई अलग-अलग नामों से भी पुकारते हैं, जैसे- वाक्‌, वाणी, गिरा, भाषा, शारदा, वाचा, श्रीश्वरी, वागीश्वरी, ब्राह्मी, गौ, सोमलता, वाग्देवी और वाग्देवता। हम माँ सरस्वती की कृपा से ही विद्या, बुद्धि, वाणी, संगीत और ज्ञान को प्राप्त करते हैं। माघमास की पंचमी तिथि को तेजस्विनी और गुणशालिनी देवी सरस्वती की आराधना करने के लिए चुना गया है।

ये निबंध भी पढ़ें

26 जनवरी गणतंत्र दिवस पर निबंधयहां से पढ़ें
होली पर निबंध यहां से पढ़ें
15 अगस्त पर निबंध यहां से पढ़ें
शिक्षा का महत्त्व पर निबंध यहां से पढ़ें
पर्यावरण प्रदूषण पर निबंधयहां से पढ़ें
अन्य विषयों पर निबंध यहां से पढ़ें

वीडियो के माध्यम से बसंत पंचमी पर भाषण सुनें

बसंत पंचमी पर भाषण (Video)यहां से सुनें

बसंत पंचमी कब मनाई जाती है?

बसंत पंचमी हिंदुओं का मौसमी त्योहार है। आमतौर पर बसंत पंचमी का त्योहार फरवरी और मार्च के महीने में आता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार यह माघ का महीना होता है जिसमें ज्ञान, संगीत और कला की देवी सरस्वती का उत्सव बड़ी ही धूमधाम से पूरे भारत में मनाया जाता है। यह उत्सव हर साल माघ महीने के पांचवें दिन यानी कि पंचमी तिथि को मनाया जाता है। बसंत पंचमी से ही बसंत ऋतु की शुरुआत हो जाती है। बसंत का त्यौहार हिंदू धर्म के लोग में पूरी जीवंतता, उत्साह और खुशी के साथ मनाते हैं।

बसंत ओर वसंत दोनों ही संस्कृत शब्द हैं और हिंदी भाषा में, “बसंत” का अर्थ एक ऋतु जब शीतकाल समाप्त होता है और ग्रीष्म आरंभ नहीं होता; मधुमास; ऋतुराज, वसंत ऋतु यानी मौसम होता है। वहीं “पंचमी” का अर्थ पांचवें दिन से है। आसान भाषा में अगर इसे समझें तो बसंत पंचमी बसंत ऋतु के पांचवें दिन के रूप में मनाए जाने वाला त्योहार होता है। बसंत पंचमी को लोग सरस्वती पूजा के नाम से भी जानते हैं। बसंत का एक अर्थ मन में बसने वाला या सदा रहने वाला भी है।

बसंत पंचमी क्यों मनाई जाती है?

पौराणिक मान्यताओं में ऐसा माना गया है कि इस सृष्टि की रचना भगवान ब्रह्मा ने की है। जब भगवान ब्रह्मा ने जीवों और मनुष्यों को रचा और इस सृष्टि की तरफ जब उन्होंने बड़े ही ध्यान से देखा, तो उन्हें चारों तरफ सुनसान और शांत माहौल के सीवा और कुछ नजर नहीं आया। तब उन्हें महसूस हुआ कि कोई कुछ बोल क्यों नहीं रहा है। ये सब देखकर ब्रह्मा जी काफी मायूस हो गए। ब्रह्मा जी तभी भगवान विष्णु जी के पास गए और उन्हें अपनी ये समस्या बताई और इस समस्या का हल निकालने का अनुरोध उनसे किया। विष्णु जी ने ब्रह्मा जी के अनुरोध करने पर अपने कमंडल से पृथ्वी पर जल छिड़का। उनके उस जल से पृथ्वी हिलने लगी और पृथ्वी में कंपन पैदा हो गया।

कुछ देर तक पृथ्वी यूंही कांपती रही और फिर चार हाथों वाली एक सुंदर स्त्री प्रकट हुई। यह स्त्री और कोई नहीं बल्कि साक्षात माँ सरस्वती थीं, जिनके पास अद्भुत शक्तियाँ थीं। उनके एक हाथ में वीणा, दूसरे हाथ में वर मुद्रा, तीसरे हाथ में पुस्तक और और चौथे हाथ में माला थी। फिर ब्रह्मा जी ने माँ सरस्वती से वीणा बजाने का अनुरोध किया और जैसे ही उन्होंने वीणा बजाया, तो सभी जीवों को आवाज मिल गई। वो दिन बसंत पंचमी का दिन था और तभी से बसंत पंचमी का पर्व देवी सरस्वती के जन्मदिवस के रूप मनाया जाने लगा और उनकी पूजा की जाने लगी।

Untitled design 1 min
जय शारदे माँ

“या देवी सर्वभूतेषु, विद्या रुपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः”

संस्कृत के इस श्लोक का अर्थ है कि “जो देवी सभी प्राणियों में बुद्धि के रूप में स्थित हैं, उनको नमस्कार, नमस्कार, बारंबार नमस्कार है। आपको मेरा बार-बार प्रणाम है।”

बसंत पंचमी कैसे मनाई जाती है?

हिंदू धर्म के लोगों में ऐसी भी मान्यता है कि वसंत पंचमी के दिन माँ सरस्वती (Maa Saraswati) की पूजा और आराधना करने से बुद्धि और विद्या के वरदान की प्राप्ती होती है। वसंत पंचमी के दिन लोग पीले रंग के कपड़े पहनकर माँ सरस्वती के चरणों में पीले रंग के फूल अर्पित करते हैं। बहुत से स्कूलों, कॉलेजों और ऑफिसों में भी बसंत पंचमी के त्योहार पर देवी सरस्वती की पूजा होती है। यह भी माना जाता है कि वसंत पचंमी के दिन से होली की शुरुआत हो जाती है और सर्दी कम होकर गर्मी के आगमन की आहट मिलने लगती है। हिंदू धर्म के बहुत से लोग संगीत, कला, विद्या, वाणी और ज्ञान की देवी सरस्वती के समर्पण में भी बसंत पंचमी के दिन को मनाते हैं। वसंत पंचमी का दिन विवाह, गृह प्रवेश या अन्य शुभ कामों के लिए भी अच्छा समझा जाता है। भारत के अलग-अलग हिस्सों में बसंत पंचमी अलग-अलग तरीके से मनाई जाती है, जैसे-

पंजाब

पंजाब में बसंत पंचमी बहुत ही घूमधाम से मनायी जाती है। वहाँ पर लोग सुबह जल्दी उठकर स्नान करते हैं और फिर गुरुद्वारे या मंदिर जाकर भगवान का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। बसंत पंचमी का आनंद लेने के लिए वहाँ के लोग अपने दोस्त, परिवार और पड़ोसियों के साथ मिलकर पतंग उड़ाने का मज़ा लेते हैं, गाने गाते हैं और डांस भी करते हैं। इस दिन वहाँ के लोग मक्के की रोटी, सरसों का साग, खिचड़ी, मीठे चावल और अन्य स्वादिष्ट भोजन भी खाते हैं।

उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश में भी बसंत पंचमी के दिन लोग देवी सरस्वती की पूजा-अर्चना करते हैं। वहाँ पर लोग पीले और नए वस्त्र पहनते हैं, एक-दूसरे को मिठाइयां बांटते हैं और साथ मिलकर नृत्य भी करते हैं। उत्तर प्रदेश में बहुत सी जगहों पर लोग बसंत पंचमी के दिन भगवान कृष्ण की भी आराधना करते हैं और उन्हें केसर के चावल का भोग लगाते हैं। वहाँ के सभी लोग इस दिन अपने-अपने घरों को पीले गेंदे के फूल से सजाते हैं।

पश्चिम बंगाल

पश्चमि बंगाल में जिस प्रकार दुर्गा पूजा का विशेष महत्त्व होता है, ठीक उसी प्रकार से वहाँ पर देवी सरस्वती पूजा का भी अपना महत्त्व है। बसंत पंचमी से दिन बंगाल में माँ सरस्वती मूर्ति को विराजमान किया जाता है और पंडाल भी लगाया जाता है। पंडाल में लोग बड़ी संख्या में देवी माँ की पूजा करने के लिए जमा होते हैं, नाचते-गाते हैं और माता को मीठे पीले चावल और बूंदी के लड्डू का प्रसाद अर्पित करते हैं। पश्चिम बंगाल के लोग बसंत पंचमी के दिन 13 व्यंजन बनाते हैं।

बिहार

बिहार के लोग वसंत पंचमी को कुछ अलग तरीके से मनाते हैं। वह अपने दिन की शुरुआत सुबह जल्दी उठकर सबसे पहले देवी सरस्वती के दर्शन करके और पूजा करके करते हैं। पूजा के बाद वह बूंदी के लड्डू और खीर देवी माँ को चढ़ाते हैं और फिर बचा हुआ वही प्रसाद अपने परिवार के सदस्यों, पड़ोसियों, रिश्तेदारों और दोस्तों के बीच बांटकर खाते हैं। बहुत से लोग बसंत पंचमी की शाम को एक बड़े से मैदान या किसी पार्क में जमा होते हैं और फिर ढोल बजाकर नचाते और गाते हैं।

उत्तराखंड

बसंत पंचमी उत्तराखंड के महत्त्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। यहाँ के लोग फूल, पत्ते और पलाश की लकड़ी चढ़ाकर देवी सरस्वती की पूजा करते हैं। बहुत से लोग इस दिन भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा भी करते हैं। उत्तराखंड के लोग आज के दिन पीले वस्त्र पहनते हैं और माथे पर पीले रंग का तिलक जरूर लगाते हैं। वहाँ के लोग बसंत पंचमी पर नृत्य करते हैं और केसर का हलवा बनाकर खाते हैं।

बसंत पंचमी का महत्व क्या है?

हमारे देश में मुख्य रूप से छः तरह की ऋतुएँ पाई जाती हैं। सभी ऋतुएं अपने-अपने समय पर आकर अपना अलग-अलग रंग दिखाती हैं लेकिन बसंत ऋतु का अपना एक अलग और विशेष महत्त्व है। इसीलिए बसंत को हम ऋतुओं का राजा कहते हैं। इस ऋतु में प्रकृति का सौन्दर्य बाकी सभी ऋतुओं से बढ़कर होता है। वन-उपवन में अलग-अलग प्रकार के फूल खिल उठते हैं। गुलमोहर, चंपा, सूरजमुखी और गुलाब के फूलों की सुंदरता से आकर्षित होकर रंग-बिरंगी तितलियों और मधुमक्खियों उनके आस-पास मंडराती रहती हैं। इन फूलों की खूबसूरती को देखकर पशु-पक्षी तो क्या मनुष्य भी खुशी से झूमने लगता है। स्कूल और कॉलेज में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को भी यह त्योहार बहुत प्रिय होता है। बसंत पंचमी पर विद्यालयों में माँ सरस्वती की पूजा होती है। सभी शिक्षक अपने विद्यार्थियों को विद्या का महत्त्व बताते हैं और उन्हें सच्ची मेहनत और लगन से पढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं।

बसंत पंचमी के दिन पीले रंग का विशेष महत्त्व होता है और इस दिन ज़्यादातर स्त्रियाँ पीले कपड़े पहनती हैं। बसंत पंचमी के इस त्योहार पर सबसे ज़्यादा प्रभाव पीले रंग का ही होता है क्योंकि बसंती रंग पीले रंग का ही होता है। पीला रंग ख़ुशी, समृद्धि, ऊर्जा और रोशनी का भी प्रतीक होता है और यह भी इसका एक मुख्य कारण है कि इन दिन लोग पीले रंग के वस्त्र ही धारण करते है।

इस दिन पीले रंग के फूलों की माला और पीले रंग की मिठाइयाँ ही देवी सरस्वती को चढ़ायी जाती हैं। लोगों के घरों में बसंत पंचमी के इस पवित्र मौके पर स्वादिष्ट भोजन बनता है, जिसे वह बड़े ही चाव से खाते हैं। ऋतुराज बसंत का अपना एक अलग ही महत्त्व है, जिससे सभी लोगों में उत्साह और आनंद की तरंगें दौड़ने लगती हैं, स्वास्थ्य अच्छा हो जाता है और अगर हम इस ऋतु में रोज़ प्रात:काल सैर करते हैं, तो हमारा मन भी प्रसन्न रहने लगता है। वसंत ऋतु हमारे भीतर से नकारात्मक विचारों को दूर कर अच्छे विचार भर देती है।

निष्कर्ष

अंत में तो बस ये ही कहा जा सकता है कि वसंत पंचमी सौंदर्य का उत्सव है, जो भगवान ब्रह्मा, भगवान विष्णु और देवी सरस्वती की कृपा से प्रकृति के कण-कण में फैला हुआ है, जिसे हम सुन सकते हैं, देख सकते हैं, स्पर्श कर सकते हैं, महसूस कर सकते हैं। यह सौंदर्य सूरज की रोशनी, चाँद की चाँदनी, फूलों की खुशबू, पौधों की हरियाली, पहाड़ों की ऊँचाई, झरनों के नीले जल, पुस्तक के असीम ज्ञान और संगीत की धुन में कभी न खत्म होने वाले प्रेम की तरह मौजूद है।

बसंत पंचमी पर लघु निबंध (Short Essay On Basant Panchami In Hindi)

बहुत से विद्यार्थी बंसत पंचमी (Basant Panchami) पर छोटे निबंध भी गूगल (Google) पर सर्च करते हैं। इसीलिए हमने आपकी सुविधा के लिए बसंत पंचमी पर लघु निबंध (Short Essay On Basant Panchami In Hindi) इसी पेज पर उपलब्ध करवा दिए हैं। अब कक्षा 1 से 12 तक स्कूल में पढ़ने वाले छात्र और कॉलेज में पढ़ने वाले छात्र भी बसंत पंचमी पर निबंध कम शब्दों में पढ़ सकते हैं।

बसंत पंचमी पर निबंध 100 शब्द

बसंत पंचमी का त्योहार बसंत ऋतु की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है। बसंत पंचमी हिंदू धर्म के लोगों द्वारा पूरे उत्साह और खुशी के साथ मनाया जाने वाला त्योहार है। हिंदी में “बसंत / वसन्त” का अर्थ ”बसंत” से है और “पंचमी” का अर्थ पांचवे दिन से है। बसंत पंचमी को बसंत ऋतु के पांचवें दिन के रूप में मनाया जाता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार बसंत पंचमी माघ महीने के पांचवें दिन आती है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार ये महीना जनवरी या फरवरी का होता है। भारत में यह त्योहार सरस्वती पूजा के नाम से भी प्रसिद्ध है। वसंत या बसंत पंचमी को ऋतुओं के राजा वसंत का आगमन माना जाता है। इस दिन मनुष्य ही नहीं बल्कि अन्य जीव-जन्तु और पेड़-पौधे भी खुशी से नाच रहे होते हैं, आनन्दित हो रहे होते हैं। इस दौरान कुदरत ही मौसम बहुत ही सुहावना और खिला हुआ हो जाता है। बसंत पंचमी का त्योहार हम माँ सरस्वती के जन्मदिवस के रूप में मनाकर उनसे विद्या और बुद्धि का आशीर्वाद मांगते हैं।  

बसंत पंचमी पर निबंध 200 शब्द

बसंत पंचमी का त्योहार हिंदू कैलेंडर के अनुसार हर साल माघ के महीने में मनाया जाता है। बसंत पंचमी भारत का महत्त्वपूर्ण त्योहार है, जो माघ मास का पांचवा दिन यानी कि फरवरी या मार्च के महीने में आता है। ये त्योहार ज्ञान की देवी सरस्वती के जन्मदिन और बसंत के मौसम की शुरुआत की खुशी में मनाया जाता है। बसंत पंचमी का त्योहार पूरी तरह से माँ सरस्वती को ही समर्पित है। हिंदू धर्म की पौराणिक कथाओं के अनुसार माँ सरस्वती कला, बुद्धि और ज्ञान की देवी हैं। बसंत पंचमी के दिन ही देवी सरस्वती का जन्मदिन भी होता है।

बसंत पंचमी का त्योहार मुख्य रूप से विद्यालयों, विश्वविद्यालयों और कार्यालयों में मनाये जाने वाला त्योहार है। माँ सरस्वती विद्या की देवी हैं, इसीलिए छात्र माँ सरस्वती से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए उनकी आराधना करते हैं और सरस्वती वंदना गाकर उन्हें मनाते हैं। बसंत के मौसम में फूल, पत्तियाँ, फसलें पूरी तरह से खिल उठती हैं। बहुत से लोग बसंत पंचमी के दिन पतंग भी उड़ाते हैं। बसंत पंचमी हिंदू धर्म के लोगों का मौसमी त्योहार है, जो बसंत के मौसम के आगमन को दर्शाता है। बसंत का मौसम सर्दियों के जाने की और गर्मियों के आने की आहट देता है। आसमान और बादलों के नीचे जो प्रकृति छिपी हुई होती है, बसंत पंचमी के दिन वह दिखाई देती है और उसकी खूबसूरती पूरे वातावरण में खिलने लग जाती है। तभी बंसत पंचमी को प्रकृति की सुंदरता का त्योहार कहा जाता है।

बसंत पंचमी पर निबंध 300 शब्द

हर साल भारत में बसंत पंचमी का त्योहार बड़ी ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इसी दिन ज्ञान की अधिष्ठात्री देवी माँ सरस्वती का जन्म हुआ था, तभी से इस दिन को देवी सरस्वती का दिन भी कहा जाता है और उनकी पूजा-अर्चना की जाती है। बसंत पंचमी पर हमारी फसलें जैसे- गेहूँ, जौ, चना आदि तैयार हो जाती हैं और किसान इस खुशी में हम बसंत पंचमी का त्योहार मनाते हैं। गांवों में आज भी शाम के समय बसंत का मेला लगता है। बसंत पंचमी के दिन लोग एक-दूसरे के गले मिलते हैं और घूमने जाते हैं। बहुत-सी जगहों पर बसंती रंग की पतंगें भी उड़ाई जाती हैं, जिन्हें देखना अपने आप में ही बड़ा रोचक होता है। इस दिन लोग बसंती कपड़े पहनते हैं, बसंती रंग का भोजन करते हैं और मिठाइयाँ बाँटते हैं।

माँ सरस्वती कला, ज्ञान और संगीत की देवी हैं। इसीलिए इस दिन बहुत से लोग अपने बच्चों को पढ़ने, लिखने और संगीत सीखने के लिए प्रोत्साहित करते हैं ताकि उनके ऊपर भी देवी सरस्वती के प्रेम की बौछार हो सके। बसंत पंचमी के दिन कुछ लोगों को अद्भुत कला और ज्ञान प्राप्त होता है, इसीलिए वह देवी सरस्वती को उनके अच्छे कामों से प्रभावित करने का पूरा प्रयास करते हैं। बसंत पंचमी सर्दियों के मौसम के खत्म होने का प्रतीक है। बसंत पंचमी के दिन से खिली-खिली धूप निकलने लग जाती है, खेत लहरा उठते हैं, जिन्हें देखकर न सिर्फ किसान खुश होते हैं बल्कि रंगीन फूलों को देखकर लोग भी प्रसन्न हो जाते हैं। देशों के अलग-अलग हिस्सों में लोग पतंग उड़ाकर भी इस त्योहार को मनाते हैं।

वसंत पंचमी का त्योहार पूरी तरह से ज्ञान और बुद्धि की देवी सरस्वती को समर्पित है। इस दिन शिक्षा से जुड़े लोग पूरी श्रद्धा और सच्चे विश्वास के साथ माता सरस्वती के दर्शन और आराधना करने के लिए मंदिरों में जाते हैं। इस शुभ दिन से बच्चों को पढ़ना और लिखना सिखाया जाता है। यह ज्ञान बढ़ाने और कुछ भी नया सीखने या करने के लिए शुभ शुरुआत माना जाता है। इस दिन दान का भी विशेष महत्त्व होता है। लोग गरीबों में किताबें, वस्त्र और भोजन दान करते हैं और उनके साथ खुशियाँ बांटते हैं।

Untitled design min
शुभ बसंत पंचमी

बसंत पंचमी पर 10 लाइनें (10 Lines On Basant Panchami In Hindi)

1. बसंत पंचमी जनवरी तथा फरवरी (हिंदू कैलेंडर के अनुसार माघ के महीने) में आती है। 

2. यह ज्ञान, संगीत और कला की देवी सरस्वती का उत्सव है। 

3. यह हर साल माघ महीने के पांचवें दिन (पंचमी) को मनाया जाता है।

4. बसंत पंचमी, बसंत ऋतु की शुरुआत का प्रतीक है। 

5. बसंत ऋतुओं का राजा कहलाता है।

6. बसंत पंचमी को सरस्वती पूजा के नाम से भी जाना जाता है।

7. देवी सरस्वती के जन्मदिवस के रूप में यह पर्व मनाया जाता है। 

8. बसंत पंचमी के दिन पीले रंग का विशेष महत्त्व होता है।

9. वसंत पंचमी के दिन लोग पीले वस्त्र पहनते हैं और पीले रंग के फूलों से माँ सरस्वती की पूजा करते हैं।

10. बसंत पंचमी का त्योहार ज्ञान की देवी सरस्वती को समर्पित है।

बसंत पंचमी पर भाषण (Speech On Basant Panchami In Hindi)

आप सभी को मेरा नमस्कार! आज बसंत पंचमी के शुभ अवसर पर मुझे बोलने का मौका देने के लिए धन्यवाद। भारत में पूरे साल छह मौसम देखने को मिलते हैं, जिनमें से वसंत लोगों का सबसे मनचाहा मौसम होता है। वसंत ऋतु में फूलों पर बहार आ जाती है, खेतों मे सरसों चमकने लगती है, जौ और गेहूँ की बालियाँ खिलने लगती है, आमों के पेड़ों पर बौर आ जाती है और हर तरफ़ रंग-बिरंगी तितलियाँ मँडराने लगती हैं। वसंत ऋतु का स्वागत माघ महीने के पाँचवे दिन किया जाता है जिसमें विष्णु और कामदेव की पूजा होती है। इसे ही हम सब वसंत पंचमी के नाम से जानते हैं।

हिंदू धर्म और उनके शास्त्रों में बसंत पंचमी को ऋषि पंचमी के साथ भी जोड़ा जाता है। पुराणों-शास्त्रों तथा अनेक काव्यग्रंथों में भी बसंत पंचमी का अलग-अलग ढंग से इसका चित्रण मिलता है। बसन्त पंचमी कथा सृष्टि के प्रारंभिक काल में भगवान विष्णु की आज्ञा से ब्रह्मा ने जीवों, खासतौर पर मनुष्य योनि की रचना की क्योंकि वह अपनी सर्जना से संतुष्ट नहीं थे। उन्हें ऐसा लगता था कि कहीं कुछ कमी जरूर रह गई है जिसकी वजह से हर तरफ खामौशी छायी रहती है। फिर भगवान विष्णु जी से अनुमति लेकर ब्रह्मा जी ने अपने कमण्डल से पृथ्वी पर जल छिड़का और पृथ्वी पर जल गिरते ही वह कांपने लगी।

उसके कुछ समय बाद पेड़ों के बीच से एक अद्भुत शक्ति प्रकट हुई। वो शक्ति कोई और नहीं स्वयं माँ सरस्वती थीं। उनके एक हाथ में वीणा था और दूसरा हाथ वर मुद्रा में था। अन्य दोनों हाथों में पुस्तक और माला थी। ब्रह्मा जी ने देवी सरस्वती से वीणा बजाने का अनुरोध किया और जैसे ही माँ सरस्वती जी ने वीणा बजाया, संसार के समस्त जीव-जन्तुओं को वाणी प्राप्त हो गई। उसी दिन से ब्रह्मा जी ने उस देवी को वाणी की देवी माँ सरस्वती कहा। सरस्वती को बागीश्वरी, भगवती, शारदा, वीणावादनी और वाग्देवी सहित अनेक नामों से भी पूजा जाता है। माँ सरस्वती विद्या, बुद्धि और संगीत की देवी हैं। बसन्त पंचमी का दिन हम इन्हीं के जन्मदिवस के रूप में मनाते हैं।

ऋग्वेद में भगवती सरस्वती का वर्णन करते हुए कहा गया है- “प्रणो देवी सरस्वती वाजेभिर्वजिनीवती धीनामणित्रयवतु।” जिसका अर्थ है कि सरस्वती के रूप में ये हमारी बुद्धि, प्रज्ञा तथा मनोवृत्तियों की संरक्षिका हैं। हमारे जीवन का आधार भगवती सरस्वती ही हैं। इनकी समृद्धि और स्वरूप का वैभव अद्भुत है। पुराणों के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने सरस्वती से ख़ुश होकर उन्हें वरदान दिया था कि वसंत पंचमी के दिन तुम्हारी भी आराधना की जाएगी। तभी से पूरे भारत में वसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती की भी पूजा की जाने लगी।

वसंत ऋतु के आने से प्रकृति का कण-कण खिल उठता है। मनुष्य तो क्या जानवर भी खुशी से झूम उठते हैं। बसंत पंचमी से रोज सुबह एक नयी उमंग के साथ सूर्य निकलता है, जो नयी चेतना देकर अगले दिन फिर आने का आश्वासन देकर चला जाता है। वैसे तो माघ का यह पूरा महीना ही उत्साह देने वाला होता है, लेकिन वसंत पंचमी का त्योहार भारत के लोगों को कई तरह से प्रभावित करता है। जो लोग शिक्षा से प्रेम करते हैं, कला से प्रेम करते हैं और संगीत से प्रेम करते हैं वो लोग वसंत पंचमी के दिन मां शारदे के साथ अपने काम की भी पूजा करते हैं।

जो महत्व सैनिकों के लिए अपने शस्त्रों का है, विद्वानों के लिए अपनी पुस्तकों का है, व्यापारियों के लिए अपने बहीखातों का है, वही महत्व कलाकारों के लिए वसंत पंचमी का है। चाहे वे कवि हों या लेखक, गायक हों या वादक, नाटककार हों या नृत्यकार, सब अपने दिन की शुरुआत अपने उपकरणों की पूजा और मां सरस्वती की वंदना से करते हैं। इसके अलावा यह त्योहार हमें अतीत की कई प्रेरक घटनाओं की भी याद दिलाता है। वसंत पंचमी के दिन कवि सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ का भी जन्मदिन होता है। निराला जी के मन में गरीब और बेसहारा लोगों के प्रति प्यार और हमदर्दी थी। वो अपने पैसे, भोजन और वस्त्र जरूरतमंद लोगों को दे देते थे।

वसंत ऋतु एक तरफ हमारे मन में उल्लास और उमंग भरती है, तो वहीं दूसरी तरफ यह हमें उन वीरों की भी याद दिलाती है, जिन्होंने देश और धर्म के लिए हस्ते-हस्ते अपने प्राण त्याग दिए। इसी के साथ अब में अपनी वाणी को विराम देना चाहूंगा। आप सभी को बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं और मुझे इतने ध्यान से सुनने के लिए आपका दिल से धन्यवाद।

बसंत पंचमी पर कविता (Poem On Basant Panchami In Hindi)

वसंत ऋतु पर लगभग सभी कवियों ने अपनी लेखनी चलाई है, जिसमें से कुछ प्रसिद्ध कवियों की कविताएँ इस प्रकार से हैं-

कविता 1

जैसे बहन ‘दा’ कहती है

ऐसे किसी बँगले के किसी तरु (अशोक?) पर कोइ चिड़िया कुऊकी

चलती सड़क के किनारे लाल बजरी पर चुरमुराये पाँव तले

ऊँचे तरुवर से गिरे

बड़े-बड़े पियराये पत्ते

कोई छह बजे सुबह जैसे गरम पानी से नहायी हो-

खिली हुई हवा आयी फिरकी-सी आयी, चली गयी।

ऐसे, फ़ुटपाथ पर चलते-चलते-चलते

कल मैंने जाना कि बसन्त आया।

और यह कैलेण्डर से मालूम था

अमुक दिन वार मदनमहीने कि होवेगी पंचमी

दफ़्तर में छुट्टी थी- यह था प्रमाण

और कविताएँ पढ़ते रहने से यह पता था

कि दहर-दहर दहकेंगे कहीं ढाक के जंगल

आम बौर आवेंगे

रंग-रस-गन्ध से लदे-फँदे दूर के विदेश के

वे नन्दनवन होंगे यशस्वी

मधुमस्त पिक भौंर आदि अपना-अपना कृतित्व

अभ्यास करके दिखावेंगे

यही नहीं जाना था कि आज के नग्ण्य दिन जानूंगा

जैसे मैने जाना, कि बसन्त आया।

– बसन्त आया / रघुवीर सहाय

कविता 2

जागो बेटी देखो उठकर

कैसा उजला हुआ सवेरा

कोयल कुह-कुह बेल रही है

स्वागत करती है यह तेरा

आज बसंत पंचमी का दिन

पूजेंगे सब सरस्वती को

विद्या कि देवी है यह तो

देती है वरदान सभी को

उठो अभी मंजन कर लो तुम

फिर तुमको नेहलाऊँगी

बासनती कपड़े पहनकर

चन्दन तिलक लगाऊँगी

पूजा करके हम तीनों ही

पीले चावल खायेंगे

दादा बांटेंगे प्रसाद तो

सब ही मिलकर पायेंगे।

उसके बाद सैर करने को

हम बगिया में जायेंगे

सरसों फूली बौर आम में

देख देख सुख पायेंगे

नीलकंठ पक्षी भी हमको

दर्शन देने आयेगा।

आज बसन्त पंचमी का दिन

तभी सफल हो पायेगा।

– आज बसंत पंचमी का दिन / सरोजिनी कुलश्रेष्ठ

कविता 3

आया बसंत, आया बसंत

रस माधुरी लाया बसंत

आमों में बौर लाया बसंत

कोयल का गान लाया बसंत

आया बसंत आया बसंत

टेसू के फूल लाया बसंत

मन में प्रेम जगाता बसंत

कोंपले फूटने लगी

राग-रंग ले आया बसंत

आया बसंत आया बसंत

नव प्रेम के इज़हार का

मौसम ले आया बसंत

बसंती बयार में

झूमने लगे तन-मन

सोये हुए प्रेम को आके जगाया बसंत

आया बसंत आया बसंत

– आया बसंत / कविता गौड़

कविता 4

और बसन्त फिर आ रहा है

शाकुन्तल का एक पन्ना

मेरी अलमारी से निकलकर

हवा में फरफरा रहा है

फरफरा रहा है कि मैं उठूँ

और आस-पास फैली हुई चीज़ों के कानों में

कह दूँ ‘ना’

एक दृढ़

और छोटी-सी ‘ना’

जो सारी आवाज़ों के विरुद्ध

मेरी छाती में सुरक्षित है

मैं उठता हूँ

दरवाज़े तक जाता हूँ

शहर को देखता हूँ

हिलाता हूँ हाथ

और ज़ोर से चिल्लाता हूँ –

ना…ना…ना

मैं हैरान हूँ

मैंने कितने बरस गँवा दिये

पटरी से चलते हुए

और दुनिया से कहते हुए

हाँ हाँ हाँ…

– बसन्त / केदारनाथ सिंह

कविता 5

इन ढलानों पर वसन्त

आएगा हमारी स्मृति में

ठंड से मरी हुई इच्छाओं को फिर से जीवित करता

धीमे-धीमे धुंधवाता ख़ाली कोटरों में

घाटी की घास फैलती रहेगी रात को

ढलानों से मुसाफ़िर की तरह

गुज़रता रहेगा अंधकार

चारों ओर पत्थरों में दबा हुआ मुख

फिर उभरेगा झाँकेगा कभी

किसी दरार से अचानक

पिघल जाएगी जैसे बीते साल की बर्फ़

शिखरों से टूटते आएंगे फूल

अंतहीन आलिंगनों के बीच एक आवाज़

छटपटाती रहेगी

चिड़िया की तरह लहूलुहान

– वसंत / मंगलेश डबराल

FAQs
प्रश्न- बसंत पंचमी का क्या महत्व है?

उत्तरः हिंदू धर्म में बसंत पंचमी का खास महत्व है। मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन ही माता सरस्वती का अवतरण हुआ था। इस दिन विद्या की देवी मां सरस्वती की पूजा अर्चना की जाती है।

प्रश्न- बसंत पंचमी का मतलब क्या है?

उत्तरः वसंत पञ्चमी या श्रीपंचमी एक हिन्दू त्यौहार है। इस दिन विद्या की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। वसंत ऋतु का स्वागत करने के लिए माघ महीने के पाँचवे दिन एक बड़ा जश्न मनाया जाता था, जिसमें विष्णु और कामदेव की पूजा होती है। यह वसंत पंचमी का त्यौहार कहलाता था।

प्रश्न- बसंत पंचमी कैसे मनाई जाती है?

उत्तरः हिंदू धर्म के कई अनुयायी संगीत, ज्ञान, कला, विद्या, वाणी और ज्ञान की देवी सरस्वती (Maa Saraswati) के समर्पण में भी इस दिन को मनाते हैं। इस दिन पीले रंग का महत्व होता है। इस अवसर पर सरसों के खेत लहलहा उठते हैं। लोग इस दिन पीले रंग के कपड़े पहनते हैं।

प्रश्न- पंचमी 2024 कब है?

उत्तरः साल 2024 में 14 फरवरी, बुधवार के दिन बसंत पंचमी का दिन मनाया जाएगा। इस दिन देवी सरस्वती की पूजा से विद्या और ज्ञान का आशीर्वाद मिलेगा।

प्रश्न- बसंत पंचमी क्या है और क्यों मनाई जाती है?

उत्तरः इस दिन विद्या की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। यह पूजा पूर्वी भारत, पश्चिमोत्तर बांग्लादेश, नेपाल और कई राष्ट्रों में बड़े उल्लास से मनायी जाती है। वसंत ऋतु का स्वागत करने के लिए माघ महीने के पाँचवे दिन एक बड़ा जश्न मनाया जाता था जिसमें विष्णु और कामदेव की पूजा होती है। यह वसंत पंचमी का त्यौहार कहलाता था।

प्रश्न- बसंत पंचमी पर क्या दान करना चाहिए?

उत्तरः बसंत पंचमी पर किताबें, वस्त्र, भोजन आदि चीजें दान करनी चाहिए।

प्रश्न- बसंत पंचमी के दिन किस कवि का जन्मदिन मनाया जाता है?

उत्तरः वसंत पंचमी को कवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला का जन्मदिन मनाया जाता है।

अन्य विषयों पर निबंध पढ़ने के लिएयहाँ क्लिक करें

Leave a Reply