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प्रकृति पर निबंध (Nature Essay In Hindi)

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Ekta Ranga

प्रकृति पर निबंध (Nature Essay In Hindi)- यह पृथ्वी बहुत ही सुंदर है। भगवान ने बड़ी ही फुर्सत के साथ इस पृथ्वी की रचना की है। प्रकृति इंसान को हमेशा से ही लुभाती आई है। हम हर रोज यह देखते हैं कि प्रकृति में सूरज उगता है, और सूरज ढलता है। जब सुबह सूरज चमकता है तो वह हमें सोने के समान प्रतीत होता है। और जब हम रात को चंद्रमा देखते हैं तो वह हमें हीरे के समान लगता है। इस प्रकृति में मानव, पशु-पक्षी और फल-फूल सब कुछ साथ में ही निवास करते हैं। सुबह-सुबह पक्षियों की चहचहाहट कानों को सुकून देती है।

प्रकृति पर निबंध (Essay On Nature In Hindi)

प्रकृति भगवान की तरफ से दिया हुआ सबसे सुंदर उपहार है। प्रकृति में नदियां हैं, विशाल समुद्र है, हरे-भरे पेड़ हैं और पशु-पक्षी हैं। प्रकृति में सब कुछ एक दूसरे से जुड़े हैं। इस धरती पर चार प्रकार की ऋतुओं को देखा जा सकता है। पूरे साल ये ऋतुएं बदलती रहती हैं। कभी ग्रीष्म ऋतु आती है, तो कभी शीत ऋतु आती है। कभी वर्षा ऋतु आती है, तो कभी वसंत ऋतु। बसंत ऋतु सभी के लिए सबसे सर्वोत्तम ऋतु होती है। बसंत के समय में सभी कुछ खिला हुआ और हरा भरा महसूस होता है। इस दुनिया में जितने भी कवि हुए हैं उन सभी को प्रकृति से एक अलग प्रकार का लगाव रहा है। बहुत से कवियों ने अपने प्रकृति के प्रेम को अपनी कविताओं में दर्शाया है। तो आज का हमारा विषय प्रकृति पर आधारित है।

प्रकृति पर निबंध

इस पोस्ट में हमने प्रकृति पर निबंध एकदम सरल, सहज और स्पष्ट भाषा में लिखने का प्रयास किया है। प्रकृति पर निबंध के माध्यम से आप जान पाएंगे कि प्रकृति क्या है, हमारे जीवन में प्रकृति का क्या महत्त्व है, प्रकृति का हमारे साथ कैसा रिश्ता है और हमें अपनी प्रकृति तथा प्राकृतिक संसाधनों को किस तरह से बचाकर रखना चाहिए। तो चलिए प्रकृति पर निबंध पढ़ना शुरू करते हैं।

प्रस्तावना

मैं हर दिन छत पर बैठी साफ आसमान को निहारती रहती हूं। बहुत सुंदर लगता है ऐसे वातावरण को देखकर। सुखद हवाओं के बीच यह लाखों झिलमिलाते तारे और उनके मध्य अति खूबसूरत सा पूर्णिमा का चांद। कितना गजब का अहसास होता है यह। ऐसा वातावरण देख मेरे मन में एक ही विचार उत्पन्न होता है कि यह प्रकृति अगर अपनी संपूर्ण छटाएं समेट ले तो क्या हो? शायद इसकी हम कल्पना मात्र भी नही कर सकते हैं। क्योंकि हम खुद भी इसी प्रकृति का अभिन्न हिस्सा हैं। जैसे पानी, हवा, सूर्य, चंद्र, पेड़- पौधे, फल-फूल, गाय, भैंस आदि। बगैर इनके सब सुना है। प्रकृति ने हमेशा हमारा समूचा ख्याल रखा है। हम सदैव इस पर निर्भर और इसके आभारी रहे हैं। लेकिन अभी कई सालों से हम प्रकृति के प्रति लापरवाह से हो गए हैं।

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प्रकृति क्या है?

प्रकृति मानव द्वारा विकसित नहीं की गई है। बल्कि प्रकृति को भगवान द्वारा निर्मित किया गया है। मानव, पशु-पक्षी और पेड़-पौधे आदि सब उस ईश्वर की देन है। प्रकृति वह है जिसमें हम खुलकर सांस लेते हैं। प्रकृति जीवित प्राणियों की माता के समान है। प्रकृति हम सभी को खुले मन से हर प्रकार के संसाधन उपलब्ध करवाती है। प्रकृति कभी भी किसी से भेदभाव नहीं करती है। धरती हमें मां के समान प्रेम देती है। कुदरत भगवान द्वारा दिया गया सबसे अनमोल तोहफा है। प्रकृति के बिना हमारा कोई वजूद नहीं है। हमें प्रकृति के प्रति हर दिन अपना आभार प्रकट करना चाहिए।

प्रकृति का महत्व

प्रकृति का बहुत बड़ा महत्व है हमारे जीवन में। आज हम सभी को हमारी प्रकृति के प्रति आभारी होना चाहिए। आज हमें जो खाना मिल रहा है वह प्रकृति में उगे अनाज से ही मिल रहा है। कल-कल बहती नदियां हमें पीने योग्य पानी प्रदान करवाती हैं। आज हमारे परिवेश में जितने भी पेड़-पौधे हैं वह सब हमें ऑक्सीजन प्रदान करवाते हैं। सभी मानव ऑक्सीजन के सहारे ही जिंदा हैं। आज बीमार व्यक्ति भी प्रकृति में आकर एकदम स्वस्थ हो जाता है। प्रकृति में बैठने पर हमें मानसिक और शारीरिक शांति की अनुभूति होती है। हम सब प्रकृति में ही जन्मे हैं इसलिए प्रकृति हमारी मां के समान है। प्रकृति के आस-पास रहने से हमारे अंदर सहनशीलता का गुण पैदा होता है।

प्रकृति और मानव का रिश्ता

प्रकृति और मानव का रिश्ता बहुत ज्यादा पुराना है। सबसे पहले धरती का निर्माण हुआ। धरती के साथ ही मानव भी अस्तित्व में आ गया था। आज प्रकृति ने मानव को शुद्ध ताजी हवा प्रदान कर रखी है। प्रकृति हमारे लिए खाने के लिहाज से अन्न प्रदान करती है। जब सूर्य उगता है तो हमें यह पता चलता है कि सुबह हो चुकी है। और जब चांद आता है तो हमें रात होने का पता चलता है। प्रकृति मानव की सेवा में हर पल खड़ी रहती है। वह कभी भी मानव को नुकसान नहीं पहुंचाती है। लेकिन मानव प्रकृति को नुकसान पहुंचाने में लगा है। आज अंधाधुंध तरीके से पेड़ों की कटाई की जा रही है। पानी की बर्बादी हो रही है। प्रकृति का दोहन करने के चलते प्राकृतिक संसाधन खत्म हो रहे हैं। धरती भी इतना दोहन सहन नहीं कर सकती है इसलिए वह अपना गुस्सा सुनामी और भूकंप के रूप में दिखाती है।

प्रकृति का संरक्षण

कुदरत मानव को हमेशा से ही अपने संरक्षण में रखती आयी है। प्रकृति ने मानव को कभी भी किसी प्रकार की परेशानी नहीं उठाने दी। हम सभी मनुष्यों के भरण-पोषण का दायित्व प्रकृति उठाती है। प्रकृति तो हर पल हमारे अभिभावक की तरह हमारे साथ खड़ी रहती है। लेकिन आखिर हम इस धरती के लिए क्या कर रहे हैं। हम हर दिन धरती का शोषण कर रहे हैं। पेड़ उजाड़े जा रहे हैं। नदियां प्रदूषित की जा रही है। हवा में प्रदूषण फैलता जा रहा है। पर हमें समय रहते चेतना होगा। यह हमारा दायित्व है कि हम ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाएं। नदियों को प्रदूषित होने से रोकें। हम ही अपनी पृथ्वी को खत्म होने से बचा सकते हैं।

प्रकृति पर प्रसिद्ध अनमोल वचन

(1) मैंने पूरी ज़िन्दगी वहां कांटे निकालने और फूल लगाने का प्रयास किया है जहाँ वो विचारों और मन में बड़े हो सकें। – अब्राहम लिंकन

(2) अनुकूल बनें या नष्ट हो जाएं, अब या कभी भी, यही प्रकृति की निष्ठुर अनिवार्यता है। – एच.जी. वेल्स

(3) पतझड़ एक दूसरे बसंत की तरह है जब सभी पत्तियां फूल बन जाती हैं। – अल्बर्ट कैमस

(4) पक्षी तूफ़ान गुजरने के बाद भी गाना गाते हैं; क्यों नहीं लोग भी जो कुछ बचा है उसी में प्रसन्न रहने के लिए खुद को स्वतंत्र महसूस करते हैं। – रोज केन्नेडी

(5) पृथ्वी और आकाश, जंगल और मैदान, झीलें और नदियाँ, पहाड़ और समुद्र, ये सभी उत्कृष्ट शिक्षक हैं, और हम में से कुछ को इतना कुछ सीखाते हैं जितना हम किताबों से नहीं सीख सकते। – जाॅन लुब्बोक

(6) अपनी पहली सांस लेने के पहले के नौ महीने छोड़ दिया जाएं तो इंसान अपने काम इतने अच्छे ढंग से नहीं करता जितना कि एक पेड़ करता है। – जार्ज बर्नार्ड शाॅ

(7) वो सबसे धनवान है जो कम से कम में संतुष्ट है, क्योंकि संतुष्टि प्रकृति की दौलत है। – सुकरात

(8) मेरा सोचना है कि मैं कभी एक पेड़ जितनी सुन्दर कविता नहीं देख पाऊंगा। – जोयस किल्मर

(9) अपना चेहरा सूर्य के प्रकाश के तरफ रखिये और आपको कोई परछाई नहीं दिखाई देगी। – हेलेन केलर

(10) बहुत सारे लोग सर पे बारिश की बूँद गिरने पर उसे कोसते हैं, और ये नहीं जानते की वही प्रचुरता में भूख मिटाने में वाली चीजें लेकर आती है। – सेंट बैसिल

प्रकृति पर महादेवी वर्मा की कविता

फूल

मधुरिमा के, मधु के अवतार
सुधा से, सुषमा से, छविमान,
आंसुओं में सहमे अभिराम
तारकों से हे मूक अजान!
सीख कर मुस्काने की बान
कहां आए हो कोमल प्राण!

स्निग्ध रजनी से लेकर हास
रूप से भर कर सारे अंग,
नये पल्लव का घूंघट डाल
अछूता ले अपना मकरंद,
ढूंढ पाया कैसे यह देश?
स्वर्ग के हे मोहक संदेश!

रजत किरणों से नैन पखार
अनोखा ले सौरभ का भार,
छ्लकता लेकर मधु का कोष
चले आऎ एकाकी पार;
कहो क्या आऎ हो पथ भूल?
मंजु छोटे मुस्काते फूल!

उषा के छू आरक्त कपोल
किलक पडता तेरा उन्माद,
देख तारों के बुझते प्राण
न जाने क्या आ जाता याद?
हेरती है सौरभ की हाट
कहो किस निर्मोही की बाट?

चांदनी का श्रृंगार समेट
अधखुली आंखों की यह कोर,
लुटा अपना यौवन अनमोल
ताकती किस अतीत की ओर?
जानते हो यह अभिनव प्यार
किसी दिन होगा कारगार?

कौन है वह सम्मोहन राग
खींच लाया तुमको सुकुमार?
तुम्हें भेजा जिसने इस देश
कौन वह है निष्ठुर करतार?
हंसो पहनो कांटों के हार
मधुर भोलेपन का संसार!

प्रकृति पर निबंध 200 शब्दों में

प्रकृति दुनिया की सबसे खूबसूरत चीज में से एक है। प्रकृति को भगवान द्वारा निर्मित किया गया है। प्रकृति हमें जीवन की सारी सुविधाएं उपलब्ध करवाती है। प्रकृति के आस-पास रहने से हम हर पल खुश रहते हैं। हम अपने जीवन में पहाड़, नदियां, पेड़-पौधे और समुद्र देखते हैं। हम सभी प्राणी इस खूबसूरत प्रकृति का हिस्सा हैं। प्रकृति हमें हमेशा यह याद दिलाती है कि हमें अपनी धरती से असीम प्रेम होना चाहिए।

प्रकृति हमें मां का एहसास करवाती है। अगर यह ना होती तो हमारा भी कोई अस्तित्व नहीं होता। क्योंकि जीवन के लिए एक प्राणी का सांस लेना बहुत जरूरी होता है। और यह हमें सिर्फ प्रकृति ही प्रदान करा सकती है वायु के रूप में। हमारी सृष्टि में जो कुछ भी मौजूद है, जिसे हम पंचतत्व के नाम से जानते हैं, वह सब पदार्थ आखिर प्रकृति का ही तो हिस्सा हैं। इन पंचमहाभूतों में- आकाश, वायु, जल, अग्नि और पृथ्वी है।

प्रकृति पर 10 लाइनें

(1) प्रकृति हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा है।

(2) प्रकृति हमें जीवन जीने के लिए मूलभूत सुविधाएं प्रदान करती है, जैसे – खाना, पानी, वस्त्र, छत आदि।

(3) प्रकृति की रक्षा करना हमारा कर्तव्य होना चाहिए।

(4) आजकल प्रकृति अनुचित और अपर्याप्त औद्योगिक विकास के चलते असंतुलित हो चुकी है।

(5) प्रकृति और कुछ नहीं बल्कि जो कुछ भी हम देख, सुन और महसूस कर सकते हैं वह इसका हिस्सा है।

(6) प्रकृति हमें आयुर्वेदिक दवाएं प्रदान करती है जो हजारों सालों से छोटे-बड़े रोग उपचारों में बहुत उपयोगी रही है।

(7) प्रकृति को माँ का दर्जा मिला हुआ है, क्योंकि बगैर कुछ बदले में वह हमारी संपूर्ण रक्षा करती है।

(8) प्रकृति में किसी भी बीमार को स्वस्थ करने की जादुई ताकत है।

(9) प्रकृति बहुत विविध है। यह भगवान का एक खूबसूरत उपहार है।

(10) प्रकृति का रूप शांत और सुंदर होने के साथ-साथ प्राकृतिक आपदाओं के चलते घातक भी होता है।

FAQs
प्रश्न 1. प्रकृति क्या है?

उत्तर- प्रकृति दुनिया की सबसे खूबसूरत चीज में से एक है। प्रकृति को भगवान द्वारा निर्मित किया गया है। प्रकृति हमें जीवन की सारी सुविधाएं उपलब्ध करवाती है। प्रकृति के आस-पास रहने से हम हर पल खुश रहते हैं।

प्रश्न 2. प्रकृति के पांच तत्व के नाम बताइए?

उत्तर- आकाश, वायु, अग्नि, जल और पृथ्वी यह सभी प्रकृति के पांच तत्व हैं।

प्रश्न 3. प्रकृति का महत्व बताइए?

उत्तर- प्रकृति हमारे लिए बड़ी ही महत्वपूर्ण है। हमारा जीवन प्रकृति के आसपास घूमता है। हम सभी को हमारी प्रकृति के प्रति आभारी होना चाहिए। आज हमें जो खाना मिल रहा है वह प्रकृति में उगे अनाज से ही मिल रहा है। कल-कल बहती नदियां हमें पीने योग्य पानी प्रदान करवाती हैं। आज हमारे परिवेश में जितने भी पेड़-पौधे हैं वह सब सब हमें ऑक्सीजन प्रदान करवाते हैं।

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