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भगवान श्री राम पर निबंध (Bhagwan Shree Ram Essay In Hindi)

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Ekta Ranga

भगवान श्री राम पर निबंध (Bhagwan Shree Ram Essay In Hindi)- भील जाति की श्रमणा भगवान राम की परम भक्त थी। वह दिन रात भगवान राम का ही स्मरण करती रहती थी। बहुत से लोग उसका मज़ाक भी उड़ाते थे। इसी वजह से दुखी होकर वह मातंग ऋषि के आश्रम में चली गई। वह वहां पर आश्रम में रहकर मातंग ऋषि की सेवा करने लगी। ऋषि मातंग उससे बहुत ही ज्यादा खुश रहने लगे। श्रमणा की राम भक्ति को देखकर ही उसका नाम शबरी रख दिया गया।

Essay On Bhagwan Shree Ram In Hindi

शबरी अब भगवान राम से मिलने की प्रतीक्षा करने लगी। आखिरकार एक दिन ऐसा भी आया जब भगवान श्री राम खुद ही चलकर शबरी की झोपड़ी में पधारे। उस दिन शबरी के भाग्य खुल गए। वह राम के दर्शन पाकर धन्य हो उठी। शबरी बहुत ही भाग्यशाली महिला थी कि उसे भगवान राम के दर्शन करने के मौका प्राप्त हुआ। तो आइए हम भगवान श्री राम पर निबंध (Essay On Shri Ram In Hindi) पढ़ते हैं।

भगवान श्री राम पर निबंध

हमारा देश महान पुरुषों के जन्म का साक्षी रहा है। हमारे देश की धरती पर भगवान श्री कृष्ण और गौतम बुद्ध का जन्म हुआ था। ऐसे ही पालनहार श्री विष्णु के अवतारों में से एक प्रभु श्रीराम के बारे में आज हम बात करते हैं। मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का जन्म पावन नगरी अयोध्या में हुआ। उनके चरित्र को हमेशा ही मर्यादित दर्शाया गया है। उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम राम के नाम से जाना जाता है। उन्हें उनके त्याग के लिए ही इस नाम से विभूषित किया गया था। उनके चरित्र और आभा से प्रभावित होकर बहुत से कवि संतों ने उनका गुणगान अपनी कविताओं में किया।

प्रस्तावना

“राम नाम के हीरे मोती मैं बिखराऊं गली गली। ले लो रे कोई राम का प्यारा, शोर मचाऊं गली गली।।” भगवान राम को समर्पित यह प्रसिद्ध भजन हमारे मन को बहुत आनंद देता है। राम नाम ही अपने आप में सर्वोत्तम है। राम का नाम लेने से सारी पीड़ाएं और कष्ट कम हो जाते हैं। भगवान राम जो कि भगवान विष्णु के अवतार हैं वह पूरे संसार के पालनहारे हैं। भगवान राम का नाम जगत में सारी पीड़ा को हरने वाला है। श्री राम के परम भक्त हनुमान जी को कहा जाता है। भगवान राम को आदर्शवादी महान राजा और एक अच्छे पुत्र के व्यक्तित्व को आज भी याद किया जाता है। संत तुलसीदास ने रामचंद्र जी गुणों का बखान अपने दोहो में किया है।

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भगवान राम का जन्म

भगवान राम को सारी दुनिया पूजती है। हम सब राम के भरोसे हैं। हम सभी की ही तरह भगवान राम ने भी धरती पर जन्म लिया था। क्या आपको भगवान राम के जन्म की कहानी पता है? अगर नहीं, तो हम पढ़ना शुरू करते हैं। बात है त्रेता युग की। दरअसल उस समय पर अयोध्या बहुत बड़ी नगरी हुआ करती थी। उस नगरी के राजा थे दशरथ। अयोध्या की प्रजा राजा दशरथ को बहुत चाहती थी। वह भी अपनी प्रजा से खुश थे। लेकिन एक बात से राजा दशरथ बहुत दुखी रहते थे।

राजा दशरथ के कोई संतान नहीं थी। इसके लिए राजा दशरथ ने विष्णु भगवान से पुत्र प्राप्ति की प्रार्थना की। राजा दशरथ को विष्णु भगवान के आशीर्वाद से चार सुंदर पुत्रों की प्राप्ति हुई- राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघन। इन सभी भाइयों में सबसे बड़े थे राम भगवान। श्री राम का जब जन्म हुआ था तो उस समय चैत्र मास की नवमी थी। श्री राम के तेज से सारी अयोध्या नगरी दमक उठी। श्री राम के जन्म के बाद पंडितों ने यह घोषणा की कि श्री राम बड़े होकर असुरों का संहार करेंगे।

भगवान राम का बचपन

इस दुनिया में बच्चे सबसे निर्मल हृदय वाले होते हैं। बच्चे घर में खुशहाली लाते हैं। बच्चों से घर भरा रहता है। ऐसा ही एहसास होता था माता कौशल्या को। श्री राम का जन्म होते ही माता कौशल्या को सुख की अनुभूति हुई। हमने ज्यादातर बच्चों को देखा है कि वह बेहद ही नटखट होते हैं। वह किसी भी बात को गंभीरता से नहीं लेते हैं। लेकिन श्री राम का स्वभाव दूसरे बच्चों से अलग था। श्री राम बहुत ही गंभीर और समझदार किस्म के बच्चे थे। श्री राम ने अपने पिता राजा दशरथ से ईमानदारी और मर्यादा में रहना सीखा था। बचपन में ही उन्होंने अपने गुरू से हर प्रकार के अस्त्र-शस्त्र चलाने सीख लिए थे।

भगवान राम की शिक्षा

भगवान राम की शिक्षा-दीक्षा भी हुई। दरअसल जैसे ही राजा दशरथ के चारों पुत्रों की शिक्षा का समय आया, तो उन्होंने सोचा कि क्यों ना चारों को ऋषि विश्वामित्र के आश्रम में भेज दिया जाए। ऋषि विश्वामित्र ने चारों को शिक्षा दीक्षा दी। ऋषि विश्वामित्र से शिक्षा पाकर ही श्रीराम ने अपने गुरु ऋषि विश्वामित्र के आश्रम में आतंक मचा रहे राक्षसों का वध किया था। यही नहीं, भगवान राम ने आश्रम में रहते हुए ही ताड़का राक्षसी का वध भी किया था। भगवान राम गुरु वशिष्ठ के मनपसंद शिष्य बन गए थे। उन्होंने श्री राम को हर कला में पारंगत कर दिया था। भगवान राम बहुत ही कुशाग्र बुद्धि के धनी थे।

माता सीता और राजा जनक

राम के बिना सीता अधूरी हैं और सीता के बिना राम अधूरे हैं। पुराणों में माता सीता के जन्म का दिलचस्प विवरण मिलता है। ऐसा माना जाता है कि माता सीता राजा जनक की पुत्री थीं। लेकिन असल में माता सीता को धरती की पुत्री माना जाता है। वह मिथिला नगरी में जन्मी थीं। पौराणिक कथाओं के अनुसार राजा जनक के कोई संतान नहीं थी। वह भगवान से रात दिन संतान प्राप्ति के लिए वरदान मांगते। शायद उनकी यह इच्छा पूरी होने वाली थी। एक दिन जब राजा जनक हल जोत रहे थे, तो उनको माता सीता कलश में मिली। राजा जनक की मुराद पूरी हुई। और ऐसे माता सीता का जन्म हुआ।

भगवान राम का विवाह

भगवान राम अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद अपने निवास स्थान अयोध्या चले गए थे। वह अयोध्या नगरी में हंसी खुशी के साथ अपने माता-पिता संग समय व्यतीत कर रहे थे। फिर एक दिन ऋषि विश्वामित्र राजा दशरथ के महल पधारे। वह असुरों से यज्ञ की रक्षा हेतु राम और लक्ष्मण जी को अपने साथ ले गए। वह जब वहां गए तो उन्हें सीता स्वयंवर में भाग लेने का मौका मिला। हालांकि माता सीता और भगवान राम ने एक दूसरे को अशोक वाटिका में देख लिया था। माता सीता ने मन ही मन में श्री राम को अपना पति मान लिया था। राजा जनक ने यह तय किया था कि जो कोई भी राजा जनक का धनुष तोड़ेगा वही सीता का पति हो जाएगा। जब धनुष तोड़ने का समय आया तो बड़े से बड़े धुरंधर भी उस धनुष को तोड़ नहीं पाए। आखिरकार भगवान राम ने बड़ी ही आसानी से धनुष तोड़ दिया। और ऐसे श्री राम और माता सीता का विवाह संपन्न हुआ।

श्री राम और वनवास

भगवान राम का माता सीता से विवाह संपन्न हो जाने के बाद वह अयोध्या नगरी आ गए। श्री राम के विवाह के साथ ही लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न का विवाह भी सीता माता की बहनों से संपन्न हुआ। विवाह के बाद सभी का जीवन बहुत अच्छा चल रहा था। अयोध्या नरेश न यह तय किया कि वह राम को अगला राजा घोषित कर देंगे। लेकिन एक दिन कैकेयी अपनी दासी मंथरा की चाल में फंस गई। मंथरा ने यह कहकर भड़काया कि राजा दशरथ श्री राम को राजा बना देंगे और भरत को कुछ भी हासिल नहीं होगा। मंथरा के कहने पर कैकेयी ने राजा दशरथ से दो वर मांगे कि वह राजा राम को चौदह वर्ष के लिए वनवास भेज दें। और भरत को अयोध्या का अगला राजा घोषित कर दें। राजा दशरथ इस बात से भंयकर रूप से दुखी हो उठे। दशरथ ने अपने वचन को कायम रखते हुए भारी मन के साथ राम भगवान को चौदह वर्ष वनवास का आदेश दे दिया।

माता सीता का अपहरण

जब श्री राम को चौदह वर्ष का वनवास हुआ तो वह वनवास अकेले नहीं गए। भगवान राम के साथ लक्ष्मण और माता सीता भी गई थीं। माता सीता को भगवान राम ने साथ चलने से मना किया था। लेकिन माता सीता तब भी भगवान श्री राम के साथ गईं। भगवान राम, लक्ष्मण और माता सीता के साथ वनवास काट रहे थे। लेकिन एक दिन माता सीता ने एक खूबसूरत हिरण को देखकर उसे पाने की मंशा जाताई। भगवान राम उस हिरण को पकड़ने के लिए दौड़े। और पीछे से वह लक्ष्मण को माता सीता की रखवाली के लिए छोड़ गए। लेकिन जब भगवान राम के जाने के बाद किसी पुरूष के चिल्लाने की आवाज आई तो माता सीता घबरा गईं। उन्हें लगा कि भगवान राम के साथ कुछ अनहोनी हो गई है। माता सीता ने लक्ष्मण को आदेश दिया कि वह श्री राम की रक्षा के लिए तुरंत ही जाएं। लक्ष्मण ने माता सीता का आदेश माना और लक्ष्मण रेखा खींचते हुए कहा का कि वह इस लक्ष्मण रेखा को पार ना करें। लेकिन अनहोनी को कोई नहीं टाल सकता था। माता सीता ने लक्ष्मण रेखा पार की और मायावी रावण ने माता सीता का अपहरण कर लिया।

श्री राम और रावण युद्ध

जैसे ही भगवान राम को यह पता चला कि माता सीता का अपहरण कर लिया गया है तो वह बेचैन हो उठे। वह माता सीता को ढूंढने के लिए लक्ष्मण के साथ वन-वन भटकते रहे। बीच रास्ते में उनको जटायु मिला। जटायु ने श्री राम को बताया कि माता सीता को रावण अपहरण करके ले गया है। सीता माता को ढूंढने के सफर में भगवान राम को हनुमानजी भी मिले। हनुमानजी ने अपनी लंबी वानर सेना तैयार की और रामसेतु के सहारे श्री राम और लक्ष्मण को लंका ले गए। भगवान राम और लंका नरेश रावण के बीच भंयकर युद्ध चला। इस युद्ध में सभी वानर सेना और रावण के भाई विभीषण ने अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान दिया। अंत में बुराई की हार हुई और अच्छाई की जीत हुई। लंका नरेश रावण मारा गया। और ऐसे में भगवान राम सीता माता को रावण की कैद से आजाद करके अयोध्या ले गए।

भगवान श्री राम पर 200 शब्दों में निबंध

भगवान राम को हम सभी मर्यादा पुरुषोत्तम राम के नाम से जानते हैं। वह सारी दुनिया को सही रास्ते पर चलना सिखाते हैं। त्रेतायुग में जन्मे प्रभु श्री राम ने रावण नाम के दुष्ट दानव का वध करके समस्त दुनिया का उद्धार किया था। भगवान राम का जन्मस्थान अयोध्या माना जाता है। भगवान राम के पिता राजा दशरथ थे। भगवान राम की माता का नाम कौशल्या था। श्री राम के कुल तीन भाई थे- लक्ष्मण, शत्रुघ्न और भरत। लक्ष्मण भगवान राम के सगे भाई थे। तो वहीं दूसरी ओर शत्रुघ्न और भरत सुमित्रा और केकैयी के पुत्र थे।

भगवान राम का विवाह माता सीता से संपन्न हुआ था। माता सीता और श्री राम के दो पुत्र भी थे जिनका नाम लव और कुश था। राजा राम ने अपने पूरे जीवन में मर्यादा में रहकर काम किया। राजा राम को न्यायप्रिय राजा माना जाता है। उन्होंने अपनी प्रजा के लिए खूब काम किया। भगवान राम को विष्णु भगवान के दस अवतारों में से एक माना जाता है। जब भगवान राम रावण का वध करके अयोध्या लौटे, तो अयोध्या में खुशी की लहर दौड़ गई। उस दिन सभी अयोध्या वासियों ने चारों तरफ दीपक जलाए। बस उसी दिन से दीवाली का त्योहार मनाने की परंपरा शुरू हो गई।

भगवान श्री राम पर 10 लाइनें

(1) भगवान राम का जन्म अयोध्या में हुआ था।

(2) भगवान राम के पिता का नाम दशरथ था। और माता का नाम कौशल्या था।

(3) भगवान राम का जन्म चैत मास की नवमी को हुआ था।

(4) भगवान राम के भाई का नाम लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न था।

(5) भगवान राम को मर्यादा पुरुषोत्तम नाम से भी जाना जाता है।

(6) भगवान राम की पत्नी का नाम माता सीता था।

(7) श्री राम के पुत्रों का नाम लव और कुश था।

(8) तुलसीदास जी ने महाकाव्य रामचरितमानस लिखी थी।

(9) भगवन राम के गुरू ऋषि विश्वामित्र थे।

(10) भगवान राम के जन्मदिन को रामनवमी के रूप में मनाया जाता है।

भगवान राम से सम्बंधित FAQs

प्रश्न 1. भगवान राम का जन्म कब और कहां हुआ था?

उत्तर- भगवान राम का जन्म अयोध्या में चैत मास की नवमी को हुआ था।

प्रश्न 2. भगवान श्री राम का विवाह किसके साथ संपन्न हुआ था?

उत्तर- भगवान श्री राम का विवाह सीता माता के साथ संपन्न हुआ था।

प्रश्न 3. माता सीता ने पहली बार भगवान राम को कहां देखा था?

उत्तर- माता सीता ने पहली बार भगवान राम को अशोक वाटिका में देखा था।

प्रश्न 4. माता सीता का अपहरण किसने किया था?

उत्तर- माता सीता का अपहरण लंका नरेश रावण ने किया था।

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