इस लेख में छात्रों को एनसीईआरटी 10वीं कक्षा की भूगोल की पुस्तक यानी “समकालीन भारत-2” के अध्याय- 5 “खनिज तथा ऊर्जा संसाधन” के नोट्स दिए गए हैं। विद्यार्थी इन नोट्स के आधार पर अपनी परीक्षा की तैयारी को सुदृढ़ रूप प्रदान कर सकेंगे। छात्रों के लिए नोट्स बनाना सरल काम नहीं है, इसलिए विद्यार्थियों का काम थोड़ा सरल करने के लिए हमने इस अध्याय के क्रमानुसार नोट्स तैयार कर दिए हैं। छात्र अध्याय- 5 भूगोल के नोट्स यहां से प्राप्त कर सकते हैं।
Class 10 Geography Chapter-5 Notes In Hindi
आप ऑनलाइन और ऑफलाइन दो ही तरह से ये नोट्स फ्री में पढ़ सकते हैं। ऑनलाइन पढ़ने के लिए इस पेज पर बने रहें और ऑफलाइन पढ़ने के लिए पीडीएफ डाउनलोड करें। एक लिंक पर क्लिक कर आसानी से नोट्स की पीडीएफ डाउनलोड कर सकते हैं। परीक्षा की तैयारी के लिए ये नोट्स बेहद लाभकारी हैं। छात्र अब कम समय में अधिक तैयारी कर परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त कर सकते हैं। जैसे ही आप नीचे दिए हुए लिंक पर क्लिक करेंगे, यह अध्याय पीडीएफ के तौर पर भी डाउनलोड हो जाएगा।
अध्याय-5 “खनिज तथा ऊर्जा संसाधन“
बोर्ड | सीबीएसई (CBSE) |
पुस्तक स्रोत | एनसीईआरटी (NCERT) |
कक्षा | दसवीं (10वीं) |
विषय | सामाजिक विज्ञान |
पाठ्यपुस्तक | समकालीन भारत-2 (भूगोल) |
अध्याय नंबर | पाँच (5) |
अध्याय का नाम | “खनिज तथा ऊर्जा संसाधन” |
केटेगरी | नोट्स |
भाषा | हिंदी |
माध्यम व प्रारूप | ऑनलाइन (लेख) ऑफलाइन (पीडीएफ) |
कक्षा- 10वीं
विषय- सामाजिक विज्ञान
पुस्तक- समकालीन भारत-2 (भूगोल)
अध्याय- 5 “खनिज तथा ऊर्जा संसाधन”
खनिज और खनिजों का वर्गीकरण
- खनिज निश्चित संरचना वाले प्राकृतिक तत्व होते हैं।
- खनिज कठोर, नरम आदि जैसे कई रूपों में पाए जाते हैं।
- कुछ खनिज अपने समरूप तत्वों के यौगिक होते हैं।
- खनिजों में कई रंग, कठोरता, चमक, घनत्व और विविध क्रिस्टल पाए जाते हैं, जिसके आधार पर खनिजों को विभिन्न वर्गों में बाँटा जाता है।
- खनिजों को निम्न तीन मुख्य वर्गों में बाँटा जाता हैं-
- धात्विक खनिज
- अधात्विक खनिज
- ऊर्जा खनिज
खनिज कहाँ-कहाँ पाए जाते हैं?
खनिज अयस्कों में पाए जाते है, जिन्हें आर्थिक लाभ के लिए खनन के माध्यम से प्राप्त किया जाता है। खनिजों को शैल समूहों से प्राप्त किया जाता है, जिनका वर्णन निम्न प्रकार से है-
- खनिज आग्नेय एवं कायांतरित चट्टानों में दरारों, जोड़ों, भ्रंशो, विदरों से जमी हुई अवस्था में प्राप्त होते हैं। जस्ता, ताँबा, जिंक एवं सीसा आदि इसी अवस्था में पाए जाते हैं।
- बहुत से खनिज अवसादी चट्टानों के परतों से प्राप्त किए जाते हैं। इस तरह के खनिजों के निर्माण में लंबी अवधि के साथ-साथ अत्यधिक दाब व ताप की आवश्यकता होती है।
- धरातलीय चट्टानों के अपघटन से भी खनिजों का निर्माण होता है। बॉक्साइड का निर्माण इसी प्रकार होता है।
- पहाड़ियों के नीचे एवं घाटी के नीचे रेत में भी जलोढ़ जमाव के रूप में खनिज पाए जाते हैं। इन खनिजों को ‘प्लेसर निक्षेप’ के नाम से भी जाना जाता है। सोना, चाँदी, टिन व प्लेटिनम ऐसे खनिजों के मुख्य उदाहरण है।
- समुद्री जल के अंदर से भी खनिजों को प्राप्त किया जाता है। नमक, मैगनीशियम एवं ब्रोमाइन इत्यादि समुद्री जल से प्राप्त होते हैं। समुद्री तली में मैंगनीज की मात्रा अधिक पाई जाती है।
भारत में पाए जाने वाले मुख खनिज
लौह खनिज
- लौह खनिज धात्विक खनिजों के कुल उत्पादन में तीन-चौथाई भाग का योगदान करते हैं।
- भारत अपनी घरेलू आवश्यकताओं को पूरा करने के बाद भी बड़ी संख्या में धात्विक खनिजों का निर्यात करता है।
लौह अयस्क
- लौह अयस्क औद्योगिक विकास के लिए मुख्य आधार माना जाता है।
- भारत में श्रेष्ठ किस्म के लौह अयस्क विद्यमान हैं।
- मैग्नेटाइट में 70% लोहांश पाया जाता है।
- भारत में ओडिशा-झारखंड, दुर्ग-बस्तर-चंद्रपूर, बल्लारि-चित्रदुर्ग, महाराष्ट्र-गोवा इत्यादि लौह अयस्क की मुख्य पेटियाँ हैं।
मैंगनीज
- इसका उपयोग इस्पात के विनिर्माण के लिए किया जाता है।
- मैंगनीज का प्रयोग बलीचिंग पाउडर, कीटनाशक दवा, और पेंट बनाने के लिए किया जाता है।
- ओडिशा मैंगनीज का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है।
अलौह खनिज
- भारत में अलौह खनिज की मात्रा आवश्यकता से कम है।
- इस श्रेणी में ताँबा व बॉक्साइट को मुख्य रूप से शामिल किया जाता है।
ताँबा
- भारत में ताँबे का भंडार और उत्पादन दोनों ही कम है।
- ताँबे का प्रयोग बिजली के तार बनाने, विद्युतकशास्त्र एवं रसायन उद्योगों में किया जाता है।
- झारखंड का सिंहभूम जिला और राजस्थान में खेतड़ी खदानें ताँबा उत्पादन के लिए प्रसिद्ध हैं।
बॉक्साइट
- एल्यूमिना की मात्रा सबसे अधिक बॉक्साइट में पाई जाती है।
- बॉक्साइट के कारण एल्यूमिनियम एक मूल्यवान धातु बन जाता है क्योंकि यह लोहे जैसी शक्ति के साथ अधिक हल्का और सुचालक होता है।
- भारत में बॉक्साइट के निक्षेप अमरकंटक पठार, मैकाल की पहाड़ियों एवं बिलासपुर-कटनी जैसे पठारी प्रदेशों में पाए जाते हैं।
- ओडिशा बॉक्साइट का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है।
अधात्विक खनिज
अभ्रक
- अभ्रक प्लेटों और पत्रण क्रम में पाया जाने वाला खनिज है।
- यह खनिज काले, लाल, पीले, हरे, पारदर्शी अथवा भूरे रंग का हो सकता है।
- अभ्रक एक ऐसा खनिज है जिसका इस्तेमाल विद्युत एवं इलैक्ट्रॉनिक उद्योगों में किया जाता है।
- छोटा नागपुर, राजस्थान, बिहार-झारखंड, आंध्र प्रदेश आदि अभ्रक के उत्पादक क्षेत्र हैं।
चट्टानी खनिज (चूना पत्थर)
- यह कैल्शियम, कैल्शियम कार्बोनेट एवं मैगनीशियम कार्बोनेट से युक्त चट्टानों से प्राप्त किया जाता है।
- चूना पत्थर सबसे अधिक अवसादी चट्टानों से प्राप्त किए जाते हैं।
- चूना पत्थर की सहायता से सीमेंट तैयार किया जाता है।
- लौह-प्रगलन विधि के लिए भी चूना पत्थर जरूरी होता है।
खनिजों का संरक्षण
- खनिजों पर उद्योगों की निर्भरता बढ़ती जा रही है इसलिए खनिजों का संरक्षण अब बेहद जरूरी हो गया है।
- लंबे समय (लाखों वर्ष) में तैयार होने वाले खनिजों के उपयोग को कम करना होगा।
- अब ज्यादातर खनिज सीमित व अनवीकरणीय हो चुके हैं।
- खनिज भले ही अल्पजीवी हैं लेकिन ये देश की अधिक मूल्यवान संपत्ति हैं।
- भारत में खनिजों के सुनियोजित व उचित उपयोग के लिए मिलजुलकर प्रयास करना होगा।
- पुनःचक्रण विधि द्वारा भविष्य के लिए खनिज संसाधनों को बचाया जा सकता है।
- सरकार भी खनिज संसाधनों वाले क्षेत्र पर अपनी नज़र रखकर खनिजों के संरक्षण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।
ऊर्जा के संसाधन और उनका वर्गीकरण
ऊर्जा लगभग सभी क्रियाओं के लिए आवश्यक है। ऊर्जा उत्पादन के अनेक स्त्रोत पाए जाते हैं। इन स्त्रोतों को दो वर्गों में बाँटा गया हैं, जिनका वर्णन निम्न प्रकार है-
ऊर्जा के परंपरागत स्त्रोत
कोयला
- भारत में कोयला ऊर्जा का महत्त्वपूर्ण स्त्रोत है क्योंकि कोयले की मात्रा यहाँ अधिक पाई जाती है।
- कोयले का उत्पादन पादपों के लाखों सालों तक जमीन के अंदर दबे रहने से होता है।
- लाखों वर्षों तक जमीन में दबे रहने के कारण कोयला कई रूपों में पाया जाता है।
- भूरे रंग का लिग्नाइट कोयला निम्न कोटि कोयला होता है। तमिलनाडु के नैवेली में ऐसा कोयला अधिक पाया जाता है।
- भारत में गोंडवाना और टरशियरी कोयला भी पाया जाता है।
पेट्रोलियम
- कोयले के बाद ऊर्जा का दूसरा सबसे महत्त्वपूर्ण साधन पेट्रोलियम है, जिसे खनिज तेल भी कहा जाता है।
- इससे बहुत से विनिर्माण उद्योगों को कच्चा समान प्राप्त होता है।
- पेट्रोलियम खाड़ी क्षेत्रों, तलछटी चट्टानों/चट्टानों के बीच भ्रंश ट्रैप में पाया जाता है।
- भारत में मुंबई, गुजरात और असम प्रमुख पेट्रोलियम उत्पादन राज्य हैं।
प्राकृतिक गैस
- यह एक प्रदूषण रहित महत्त्वपूर्ण ऊर्जा संसाधन है।
- प्राकृतिक गैस पेट्रोलियम के अलावा अलग अन्य जीवाश्म ईंधनों के साथ गैसीय अवस्था में भी पाई जाती है।
- यह कम कार्बनडाई-ऑक्साइड का उत्सर्जन करता है इसलिए इसे पर्यावरण का सुचालक माना जाता है।
- कृष्णा-गोदावरी नदी के बेसिन में प्राकृतिक गैस की मात्रा सबसे अधिक पाई जाती है।
- वर्तमान में गाड़ियों में उपयोग होने वाली संपीडित प्राकृतिक गैस (सी. एन. जी.) इस ऊर्जा संसाधन की मुख्य विशेषता बन चुकी है।
विद्युत
- आज प्रत्येक व्यक्ति विद्युत का इस्तेमाल अपने विभिन्न कार्यों के लिए करता है।
- विद्युत निम्न दो प्रकारों से उत्पन्न की जाती है-
- प्रवाहित जल की सहायता से हाइड्रो-टरबाइन चलाकर।
- ईंधनों (कोयला पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस) के ज्वलन से टरबाइन चलाकर।
- विद्युत बनने के बाद एक समान हो जाती है।
- भारत में विद्युत उत्पन्न करने के लिए भाखड़ा नांगल, दामोदर घाटी कॉर्पोरेशन एवं कोपिली हाइडल जैसी बहु-उद्देशीय परियोजनाएँ हैं।
ऊर्जा के गैर-परंपरागत स्त्रोत
परमाणु ऊर्जा
- परमाणु ऊर्जा को नाभिकीय ऊर्जा भी कहते हैं। इस ऊर्जा को अणुओं की संरचना बदलकर प्राप्त किया जाता है।
- उपरोक्त प्रकिया में अत्यधिक ऊष्मा उत्सर्जित होती है, जिसका उपयोग विद्युत ऊर्जा बनाने के लिए किया जाता है।
- झारखंड और राजस्थान में पाए जाने वाले यूरेनियम व थोरियम का प्रयोग परमाणु ऊर्जा उत्पादन में किया जाता है।
- केरल में मिलने वाली मेनाजाइट रेत में थोरियम की मात्रा अधिक पाई जाती है।
सौर ऊर्जा
- इसमें तेज धूम को सीधे विद्युत में परिवर्तित किया जाता है।
- ग्रामीण क्षेत्रों में सौर ऊर्जा का उपयोग सबसे अधिक किया जाता है।
- सौर ऊर्जा के उपयोग से गाँवों में ईंधन के लिए लकड़ी एवं उपलों पर निर्भता को कम किया जा सकता है।
- सौर ऊर्जा पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं पहुँचाती है।
पवन ऊर्जा
- यह ऊर्जा का सबसे सस्ता स्त्रोत है।
- तमिलनाडु, गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, आंध्र प्रदेश आदि राज्य पवन ऊर्जा के मुख्य केंद्र हैं।
- नागरकोइल तथा जैसलमेर भारत में पवन ऊर्जा का प्रभावी उपयोग करने के लिए प्रसिद्ध हैं।
बायोगैस संयंत्र
- धरेलू कचरों और पशुओं के मलवे से बायोगैस बनायी जाती है।
- उपरोक्त जैविक पदार्थों के अपघटन से गैस बनती है, जिसे बायोगैस कहा जाता हैं। इसकी तापीय क्षमता उपलों व चारकोल से अधिक होती है।
- पशुओं के गोबर से बनाए जाने वाले संयंत्र गाँवों में ‘गोबर गैस प्लांट’ के नाम से जाने जाते हैं।
- बायोगैस उपलों और लकड़ी को जलाने से होने वाले पेड़ों के नुकसान को कम करता है।
ज्वारीय ऊर्जा
- समुद्र में उठने वाली तेज तरंगों का उपयोग करके ज्वारीय उर्जा उत्पन्न की जाती है।
- ऊर्जा उत्पन्न करने की इस प्रक्रिया को टरबाइन की सहायता से पूरा किया जाता है।
- गुजरात और पश्चिम बंगाल में ज्वारीय ऊर्जा उत्पन्न करने वाले मुख्य केंद्र हैं।
भू-तापीय ऊर्जा
- धरती के आंतरिक ताप से उत्पन्न की जाने वाली ऊर्जा को भू-तापीय ऊर्जा कहते हैं।
- यह ऊर्जा इसलिए संभव है क्योंकि बढ़ती हुई धरती की गहराई में तापमान तेज़ होता है।
- यह तापमान इतना अधिक होता है कि पृथ्वी की सतह की तरफ बढ़ते हुए भाप में बदल जाता है। इसी भाप का इस्तेमाल टरबाइन चलाने एवं विद्युत उत्पन्न करने के लिए किया जाता है।
PDF Download Link |
कक्षा 10 भूगोल के अन्य अध्याय के नोट्स | यहाँ से प्राप्त करें |