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Class 11 History Ch-2 “तीन महाद्वीपों में फैला हुआ साम्राज्य” Notes In Hindi

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Mamta Kumari
Last Updated on

इस लेख में छात्रों को एनसीईआरटी 11वीं कक्षा की इतिहास की पुस्तक यानी विश्व इतिहास के कुछ विषय के अध्याय- 2 “तीन महाद्वीपों में फैला हुआ साम्राज्य” के नोट्स दिए गए हैं। विद्यार्थी इन नोट्स के आधार पर अपनी परीक्षा की तैयारी को सुदृढ़ रूप प्रदान कर सकेंगे। छात्रों के लिए नोट्स बनाना सरल काम नहीं है, इसलिए विद्यार्थियों का काम थोड़ा सरल करने के लिए हमने इस अध्याय के क्रमानुसार नोट्स तैयार कर दिए हैं। छात्र अध्याय- 2 इतिहास के नोट्स यहां से प्राप्त कर सकते हैं।

Class 11 History Chapter-2 Notes In Hindi

आप ऑनलाइन और ऑफलाइन दो ही तरह से ये नोट्स फ्री में पढ़ सकते हैं। ऑनलाइन पढ़ने के लिए इस पेज पर बने रहें और ऑफलाइन पढ़ने के लिए पीडीएफ डाउनलोड करें। एक लिंक पर क्लिक कर आसानी से नोट्स की पीडीएफ डाउनलोड कर सकते हैं। परीक्षा की तैयारी के लिए ये नोट्स बेहद लाभकारी हैं। छात्र अब कम समय में अधिक तैयारी कर परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त कर सकते हैं। जैसे ही आप नीचे दिए हुए लिंक पर क्लिक करेंगे, यह अध्याय पीडीएफ के तौर पर भी डाउनलोड हो जाएगा।

अध्याय-2 “तीन महाद्वीपों में फैला हुआ साम्राज्य“

बोर्डसीबीएसई (CBSE)
पुस्तक स्रोतएनसीईआरटी (NCERT)
कक्षाग्यारहवीं (11वीं)
विषयइतिहास
पाठ्यपुस्तकविश्व इतिहास के कुछ विषय
अध्याय नंबरदो (2)
अध्याय का नाम“तीन महाद्वीपों में फैला हुआ साम्राज्य”
केटेगरीनोट्स
भाषाहिंदी
माध्यम व प्रारूपऑनलाइन (लेख)
ऑफलाइन (पीडीएफ)
कक्षा- 11वीं
विषय- इतिहास
पुस्तक- विश्व इतिहास के कुछ विषय
अध्याय- 2 “तीन महाद्वीपों में फैला हुआ साम्राज्य”

रोमन साम्राज्य और उसके इतिहास को जानने के स्त्रोत

  • रोमन साम्राज्य यूरोप, एशिया और अफ्रीका में फैला हुआ एक विस्तृत साम्राज्य था।
  • यह साम्राज्य अनेक स्थानीय संस्कृतियों और भाषाओं से संपन्न था।
  • कानूनी रूप से स्त्रियों की स्थिति काफी अच्छी थी। आज भी ऐसी स्थिति बहुत से देशों में देखने को मिलती है।
  • रोमन साम्राज्य की अर्थव्यवस्था बहुत हद तक दास-श्रम पर आधारित थी, इसलिए यहाँ की अधिकतर जनता स्वतंत्रता से वंचित रही।
  • रोम साम्राज्य के इतिहास को निम्न तीन प्रकार के स्त्रोतों के माध्यम से जान सकते हैं-
    • पाठ्य सामग्री
      • इसमें उस समय के व्यक्तियों द्वारा लिखे गए इतिहास एवं वर्ष-वृत्तांत को शामिल किया जाता है।
      • पत्र, व्याख्यान, प्रवचन और कानून इत्यादि भी इसी प्रकार के स्त्रोत हैं।
      • इन स्त्रोतों से रोमन साम्राज्य के आर्थिक, राजनीतिक, धार्मिक एवं सामाजिक स्थिति को जानने में सहायता मिलती है।
    • प्रलेख एवं दस्तावेज
      • ऐसे स्त्रोत उत्कीर्ण लेखों या पांडुलिपियों के रूप में मिलते थे।
      • पत्थर की शिलाओं पर उत्कीर्ण होने की वजह से ये स्त्रोत नष्ट नहीं हुए इसलिए इन स्त्रोतों को विश्वसनीय माना जाता है।
      • हजारों की संख्या में संविदापत्र, लेख, संवादपत्र और सरकारी दस्तावेज पैपाइरस पत्र पर लिखे हुए पाए गए हैं।
    • भौतिक अवशेष
      • इसमें कई तरह की वस्तुएँ शामिल हैं, जो खुदाई या क्षेत्र सर्वेक्षण के जरिए प्राप्त की जाती हैं।
      • मुख्य रूप से इमारते, स्मारक, मिट्टी के बर्तन, सिक्के, पच्चीकारी सामान और भू-दृश्य इसमें शामिल हैं।

रोमन साम्राज्य का आरंभिक काल

  • रोमन साम्राज्य को दो भागों पूर्ववर्ती साम्राज्य और परवर्ती साम्राज्य में बाँटा गया है।
  • रोमन साम्राज्य सांस्कृतिक दृष्टि से ईरान की तुलना में अधिक विविधतापूर्ण था।
  • 27 ई. पू. में प्रथम सम्राट ऑगस्टस ने जिस राज्य को स्थापित किया था उसे ‘प्रिंसिपेट’ कहा जाता था।
  • ऑगस्टस एकछत्र शासक और सत्ता का वास्तविक स्त्रोत था लेकिन फिर भी उसे लातिनी भाषा में प्रिंसेप्स यानी ‘प्रमुख नागरिक’ कहा जाता था।
  • ऑगस्टस निरंकुश शासक नहीं था।
  • उन दिनों जब रोम गणतंत्र था तब सैनेट नाम की संस्था भी कार्य कर रही थी।
  • उस समय सबसे क्रूर और हिंसक सम्राट वो माने जाते थे जो सैनेट के प्रति बुरे व्यवहार को अपनाते थे।
  • सम्राट और सैनेट के अलावा सेना भी एक प्रमुख संस्था थी।
  • रोम की सेना वेतनभोगी व्यावसायिक सेना थी और उन्हें 25 वर्षों तक सेना में सेवा देनी होती थी।
  • सेना साम्राज्य का सबसे बड़ा एकल निकाय था जिसमें चौथी शताब्दी तक लगभग 600000 सैनिक थे।
  • सैनेट और सेना के बीच संबंध अच्छे नहीं थे। सैनेट सेना से डरती थी क्योंकि वह अप्रत्याशित हिंसा स्त्रोत थी।
  • साम्राज्य में सम्राट भविष्य में कितने सफल होंगे, यह इस बात पर निर्भर करता था कि उनका नियंत्रण सेना पर कितना है।
  • सेनाओं के विभाजित होने का परिणाम हमेशा गृहयुद्ध होता था।
  • सम्राट, अभिजात वर्ग और सेना ये मुख्य तीन साम्राज्य के खिलाड़ी माने जाते थे।
  • उस समय शासन प्रक्रिया पारिवारिक वंशक्रम पर आधारित थी। कोई वंश न होने पर दत्तक पुत्रों को भी राजा बनाया जाता था।
  • ऑगस्टस के शासन काल को शांति के लिए याद किया जाता है क्योंकि इसके शासन काल में साम्राज्य का विकास व विस्तार हुआ था।

रोमन साम्राज्य में प्रत्यक्ष शासन का विस्तार

  • प्रत्यक्ष क्रमिक विकास रोमन साम्राज्य की प्रमुख विशेष उपलब्धि थी।
  • दूसरी शताब्दी के प्रारंभिक वर्षों तक जो राज्य फरात नदी के पश्चिम में पड़ते थे उन्हें भी रोमन साम्राज्य में मिला लिया गया।
  • उस समय हेरॉड अधिक संपन्न राज्य था। इस राज्य से हर साल 54 लाख दिनारियस के बराबर आमदनी होती थी।
  • दिनारियस रोम में एक चाँदी का सिक्का होता था जिसमें विशुद्ध चाँदी की मात्रा लगभग 4.5 ग्राम होती थी।
  • इटली को छोड़कर जिन्हें उस दौरान प्रांत नहीं माना जाता था, उनसे कर वसूल किया जाता था।
  • रोमन साम्राज्य अपने चरमोत्कर्ष के दौरान स्कॉटलैंड से आर्मेनिया की सीमाओं और सहारा से फरात नदी के आगे तक फैली हुई थी।
  • पूरे साम्राज्य में दूर-दूर तक अनेक राज्य स्थापित किए गए थे।
  • कार्थेज, सिकंदरिया, एटिऑक इत्यादि भूमध्यसागर के तटों पर स्थापित नगर साम्राज्यिक प्रणाली के मूल आधार थे।
  • स्थानीय उच्च वर्ग की कर देने में महत्वपूर्ण भूमिका थी।
  • जब उच्च वर्ग प्रशासनिक कार्यों में शामिल होने लगे तब एक नया संभ्रात वर्ग उभरा, जोकि सैनेट से अत्यधिक शक्तिशाली था।
  • शहर में रहने वाले लोग साल में कम से कम 176 दिन कोई न कोई मनोरंजन कार्यक्रम जरूर करते थे।

साम्राज्य पर तीसरी-शताब्दी का संकट

  • रोमन साम्राज्य में पहली और दूसरी शताब्दी शांति, समृद्धि और आर्थिक विकास का प्रतीक बनी रही लेकिन तीसरी शताब्दी आंतरिक तनाव से परिपूर्ण रही।
  • 230 के दशक में साम्राज्य को कई बाहरी संकटों को झेलना पड़ा।
  • 225 ईस्वी में आए संकट का मुख्य कारण ससानी नाम के आक्रामक वंश का उदय था, जो 15 से भी कम वर्षों में तेजी से फरात नदी की दिशा में फैल गया था।
  • शिलालेख में बताया गया है कि ईरान के शासक द्वारा रोमन के 60000 सैनिक मारे गए थे।
  • रोमन साम्राज्य के कई प्रांतों की सीमाओं पर बार-बार आक्रमण होते थे।
  • रोमवासियों को डैन्यूब के आगे का क्षेत्र छोड़ने के लिए मजबूर किया गया। उस समय सम्राट विरोधी पक्ष अर्थात् विदेशी बर्बरों से युद्ध करते रहे।
  • तीसरी शताब्दी के समय 47 वर्षों में कम समय अंतराल के बीच 25 सम्राटों का राज्याभिषेक होना यह स्पष्ट करता है कि यह शताब्दी रोमन साम्राज्य के लिए संकट भरा था।

रोमन साम्राज्य में लिंग, साक्षरता और संस्कृति संबंधित विशेषताएँ

  • लिंग संबंधित विशेषताएँ
    • इस साम्राज्य की अत्याधुनिक विशेषता बड़े स्तर पर एकल परिवार का चलन था।
    • वयस्क पुत्र और वयस्क भाई साझे परिवार में बहुत कम रहते थे।
    • अपनी पैतृक संपत्ति पत्नी अपने पति को हस्तांतरित नहीं करती थी और पैतृक परिवार में उसका पूरा हक होता था।
    • उस समय दहेज प्रथा भी प्रचलन में थी।
    • विवाह के लिए पुरुषों की आयु 28-29 वर्ष या 30-32 वर्ष और महिलाओं की आयु 16-18 वर्ष या 22-23 वर्ष निश्चित की गई थी।
    • स्त्री और पुरुष के बीच उम्र के अंतर को अच्छा माना जाता था।
    • विवाह का आयोजन परिवार द्वारा किया जाता था।
    • महिलाओं के प्रति कई बार उनके पति क्रूर व्यवहार को अपनाते थे।
    • बच्चों पर कानूनी नियंत्रण उनके पिता का होता था। भ्रूण हत्या का अधिकार भी पिता को ही प्राप्त था।
    • कभी-कभी पिता इतने क्रूर हो जाते थे कि शिशुओं की हत्या करने के लिए उन्हें ठंड में छोड़ देते थे।
  • साक्षरता संबंधित विशेषताएँ
    • साम्राज्य में साक्षरता कामचलाऊ थी।
    • 79 ई. में पोंपेई नगर में कामचलाऊ साक्षरता व्यापक रूप से विद्यमान थी। पोंपेई की मुख्य गलियों की दीवारों पर लगे विज्ञापन और पूरे शहर में पाए गए अभिलेख इस बात को सही साबित करते हैं।
    • आज मिस्र में बहुत से ‘पैपाइरस’ बचे हुए हैं, जिन पर संविदा-पत्र जैसे औपचारिक दस्तावेज लिखे हुए हैं।
    • ऐसे लोगों की संख्या भी अधिक थी जो बिल्कुल भी पढ़-लिख नहीं पाते थे।
  • संस्कृति संबंधित विशेषताएँ
    • रोमन साम्राज्य में कई स्तरों पर विविधता नजर आती है।
    • धार्मिक संप्रदायों, स्थानीय देवी-देवताओं, बोलचाल की भाषा, वेशभूषा, भोजन, सामाजिक संगठन सहित बस्तियों में भी विविधता पाई जाती है।
    • फरात के पश्चिम में अरामाइक, मिस्र में कॉप्टिक, उत्तरी अमेरिका में प्यूनिक और बरबर व स्पेन में कैल्टिक भाषा का प्रयोग यह बताता है कि रोमन साम्राज्य में भाषागत विविधता विद्यमान थी।
    • तीसरी शताब्दी के मध्य तक बाईबिल का अनुवाद कॉप्टिक भाषा में हो चुका था।

एक विशाल साम्राज्य में आर्थिक विस्तार

  • रोमन साम्राज्य की आर्थिक समृद्धि का कारण साम्राज्य में खानों, खदानों, ईंट-भट्टों, जैतून के तेल की फैक्ट्रियों और बंदरगाहों की अधिक उपलब्धि थी।
  • शराब, जैतून तेल इत्यादि जैसे पदार्थों की ढुलाई ‘एम्फोरा’ नामक कंटेनर में की जाती थी।
  • भूमध्य सागर के निकटवर्ती क्षेत्रों में पानी की शक्ति के प्रयोग से औद्योगिकी को बहुत हद तक लाभ मिला।
  • स्पेन जैतून तेल का मुख्य उत्पादक क्षेत्र था। यहाँ जैतून तेल निकालने का कार्य 140-160 ई. तक चरम बिंदु रहा।
  • ड्रेसल-20 नामक कंटेनर में तेल को लाया जाता था।
  • पाँचवी और छठी शताब्दी में एगियन, दक्षिण एशिया माइनर, सीरिया और फिलिस्तीनी व्यापारी अंगूरी शराब और जैतून तेल के प्रमुख निर्यातक बन गए।
  • इस साम्राज्य में नुमीडिया जैसे कुछ ऐसे भी बड़े-बड़े हिस्से थे जो बहुत कम संपन्न हो पाए थे।
  • उस दौरान सुगठित वाणिज्यिक एवं बैंकिंग व्यवस्था थी और धन का प्रयोग व्यापक स्तर पर होता था।

साम्राज्य में श्रमिकों पर नियंत्रण

  • रोमन साम्राज्य में दास-प्रथा का प्रभाव बहुत अधिक था। चौथी शताब्दी में भी इस प्रथा की जड़ें पहले जितनी गहरी रहीं।
  • ऑगस्टस के शासन काल में इटली की कुल 75 लाख आबादी में से 30 लाख दास थे।
  • उच्च वर्ग के लोग दासों के साथ क्रूर व्यवहार करते थे लेकिन साधारण लोग उनके प्रति अधिक सहानुभूति रखते थे।
  • जब प्रथम शताब्दी ईसवी में दासों की संख्या कम हो गई तब दास रखने वाले लोगों को दास प्रजनन अथवा वेतनभोगी मजदूरों का सहारा लेना पड़ा।
  • भाड़े के मजदूरों की तुलना में गुलाम मजदूरों पर खर्च अधिक करना पड़ता था, इसलिए बाद में कृषि-क्षेत्र में अधिक संख्या में गुलाम मजदूर नहीं बचे थे।
  • मालिक कभी-कभी गुलामों या मुक्त हुए गुलामों को व्यापार चलाने के लिए पूँजी या अपना पूरा कारोबार सौंप देते थे।
  • विभिन्न समूहों में कार्य करने वाले दासों को पैरों में जंजीर डालकर एकसाथ रखा जाता था।
  • प्रकृति विज्ञान के लेखक प्लिनी द्वारा दास-प्रथा की कटु आलोचना की गई है।
  • प्लिनी ने दासों के संदर्भ में एक विवरण दिया, जिससे यह पता चलता है कि सिकंदरिया की फ्रैंकिन्सेंस अर्थात् सुगंधित राल की फैक्ट्रियों में कार्य करने वालों पर सख्ती से नियंत्रण रखा जाता था।
  • 389 ई. के एक कानून के अनुसार कामगारों को इसलिए दागा जाता था ताकि उनके भागने के बाद उन्हें पहचाना जा सके।
  • ऑगस्टीन के एक पत्र के मुताबिक माता-पिता कभी-कभी अपने बच्चों को 25 वर्ष के लिए बंधुआ मजदूरों के रूप में बेच दिया करते थे।
  • छठी शताब्दी तक पूर्वी भाग में वेतनभोगी श्रमिकों की संख्या में पहले से अधिक वृद्धि हो चुकी थी।

विभिन्न सामाजिक श्रेणियाँ

  • इस साम्राज्य में समाज मुख्य रूप से तीन उच्च, मध्य और निम्न वर्ग में बँटा हुआ था।
  • समृद्ध, सैनेट तथा अश्वारोही उच्च वर्ग में शामिल थे। इनका संबंध महान घरानों से था।
  • तीसरी शताब्दी के शुरुआत में सैनेट की सदस्य संख्या लगभग 1000 थी, जिनमें से आधे सैनेट इतालवी परिवारों से थे।
  • सैनेटर और अश्वारोहियों ने समय में हुए परिवर्तन के साथ अभिजात वर्ग का रूप धारण कर लिया था।
  • मध्य वर्ग में नौकशाही और सेना की सेवा से जुड़े आम लोगों के साथ-साथ धनी व्यापारी एवं किसान भी शामिल थे।
  • मध्य वर्ग में शामिल अधिकतर लोग पूर्वी प्रांत से थे।
  • मध्य वर्ग से संबंधित परिवार आर्थिक रूप से सरकारी सेवा और राज्य पर निर्भर थे।
  • निम्न वर्ग उस समय ‘ह्यूमिलिओरिस’ कहते थे।
  • निम्न वर्ग में बड़ी-बड़ी औद्योगिक और खनन संपदाओं में कार्य करने वाले श्रमिक शामिल थे।
  • स्व-नियोजित शिल्पकारों को श्रमिकों की तुलना में बेहतर सुविधाएँ मिलती थीं।

समयावधि अनुसार मुख्य घटनाक्रम

क्रम संख्या कालघटनाक्रम
1.27 ई. पू.ऑक्टेवियन द्वारा स्थापित ‘प्रिंसिपेट’, वह अब अपने आपको ऑगस्टस कहने लगा था
2.लगभग 24-79वरिष्ठ प्लिनी का जीवन; विसुवियस नामक ज्वालामुखी के फटने से उसकी मृत्यु;
विसूवियस ने रोमन नगर पोम्पेई को भी अपने लाने में दफ़न कर लिया था।
3.66-70विशाल यहूदी विद्रोह और रोमन सेनाओं का जेरूसलम पर कब्जा
4.लगभग 115त्राजान की पूर्व में विजयों के बाद, रोमन साम्राज्य का अधिकतम विस्तार
5.212साम्राज्य के सभी मुक्त निवासियों को रोमन नागरिक का दर्जा दे दिया गया।
6.224ईरान में नया वंश स्थापित, जिसे उनके पूर्वज ससान के नाम पर ससानी कहा गया
7.250 का दशकफ़ारसवासियों ने फ़रात के पश्चिम में स्थित रोमन प्रदेशों पर आक्रमण किया
8.258कार्थेज के साइप्रसवासी बिशप को मृत्युदंड
9.260 का दशकगैलोनस ने फिर से सेना संगठित की
10.273पामाएय का कारवाँ नगर रोमवासियों द्वारा नष्ट किया गया
11.297डायोक्लीशियन ने 100 प्रांतों में साम्राज्य का पुनर्गठन किया
12.लगभग 310कॉन्स्टैनटाइन ने सोने का नया सिक्का (सॉलिडस) चलाया
13.312कॉन्स्टैनटाइन ने ईसाई धर्म स्वीकार कर लिया
14.324कॉन्स्टैनटाइन अब साम्राज्य का एकमात्र शासक बन गया। उसने कुंस्तुनतुनिया नगर की स्थापना की
15.354-430हिप्पो के बिशप ऑगस्टीन का जीवनकाल
16.378गोथ लोगों ने एड्रियोनोपोल में रोमन सेनाओं को करारी मात दी
17.391सिकंदरिया में सेरपियम (सेरपियम के मंदिर) नष्ट किए गए
18.410विसिगोथों ने रोम का विध्वंस कर दिया, 428 वैंडल लोगों ने अफ्रीका के प्रदेश पर कब्जा कर लिया
19.434-53अट्टिला नामक हूण का साम्राज्य
20.493ऑस्ट्रोगोथों ने इटली में राज्य स्थापित किया
21.533-50जस्टीनियन द्वारा अफ्रीका और इटली को मुक्त करा लेना
22.541-70ब्यूबोनिक प्लेग का प्रकोप
23.568लौंबार्ड लोगों ने इटली पर आक्रमण किया
24.लगभग 570पैगम्बर मुहम्मद का जन्म
25.661-750सीरिया में उमय्या वंश
26.698अरबों ने कार्थेज को जीत लिया
27.711स्पेन पर अरबों का आक्रमण
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