दुर्गा पूजा पर निबंध (Durga Puja Essay in Hindi) – दुर्गा पूजा पर सरल भाषा में निबंध पढ़ें

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Anjana Yadav
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दुर्गा पूजा पर निबंध (Durga Puja Essay in Hindi) – हिन्दू धर्म में दुर्गा पूजा का एक विशेष महत्व है। दुर्गा पूजा को दो नवदुर्गा और नवरात्रि के नाम से भी जाना जाता है। इस साल दुर्गा पूजा की शुरुआत 26 सितम्बर से हो चुकी हैं। माँ दुर्गा की 9 दिनों तक आराधना की जाती है। 9 दिनों के बाद दशहरा के साथ नवरात्रि या दुर्गा पूजा पर्व संपन्‍न होगा। आज हम आपके लिए इस आर्टिकल पर दुर्गा पूजा पर निबंध (essay on durga puja in hindi) लेकर आए हैं। आप दुर्गा पूजा पर लेख (durga puja par lekh) के माध्यम से दुर्गा पूजा के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त कर सकेंगे। दुर्गा पूजा क्या है?, दुर्गा पूजा किस लिए मनाई जाती है?, दुर्गा पूजा को कैसे मनाया जाता है? आदि प्रश्न के उत्तर आपको आज इस आर्टिकल पर मिल जायेंगे।

दुर्गा पूजा पर निबंध (Essay on Durga Puja in Hindi)

दुर्गा पूजा वैसे भारत के हर राज्य में मनाई जाती है, लेकिन कोलकाता, असम, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, बिहार, झारखंड, त्रिपुरा, मणिपुर, और उड़ीसा जैसे राज्यों में सबसे अधिक मनाई जाती है। दुर्गा पूजा के निबंध (essay of durga puja in hindi) से हमने आपको एक विषेश जानकारी देने का प्रयास किया है। दुर्गा पूजा के बारे में हिंदी में (about durga puja in hindi) सबसे अच्छी जानकारी इस आर्टिकल पर दी गई है। आइये फिर नीचे दुर्गा पूजा पर निबंध (durga puja par essay) देखें।

प्रस्तावना

दुर्गा पूजा हिंदुओं का महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक माना जाता है, यह 10 दिनों तक चलता है इसमें मां दुर्गा की पूजा की जाती हैं। दुर्गा पूजा साल में दो बार मनाया जाता है जिसे हम दुर्गा पूजा या नवरात्रि के रूप में जानते हैं। ये पतझड़ के मौसम में आता है। भारत में विभिन्न प्रकार के धर्मों के लोग रहते हैं और हर साल सभी अपने त्यौहारों को बड़े उत्साह के साथ मनाते हैं। लोग दुर्गा मां की पूजा करने के लिए मंदिरों में जाते हैं। और हर त्यौहार का मनुष्य के जीवन में अलग ही महत्व होता है। दुर्गा पूजा की शुरुआत बहुत सारी तैयारियों के साथ और मां दुर्गा के सम्मान तथा उन्हें खुश करने के लिए में किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि मां दुर्गा की पूजा करने से दुनिया की बुराई को खत्म करने के लिए और अच्छाई पर विजय प्राप्त करने के लिए किया जाता है।

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माँ दुर्गा की पूरे 9 दिन अलग-अलग तरह से पूजा की जाती हैं। दुर्गा मां को प्रसन्न करने के लिए लोग 8 दिन तक व्रत रखते हैं और उन्हें खुश करने की कोशिश करते हैं ताकि उनके घर में सुख – शांति और समृद्धि बनी रहें। जिसके लिए वो तरह-तरह के फल और पकवान भी चढ़ाते हैं। भारत में जितने भी त्योहार मनाए जाते हैं उन सभी के पीछे कोई ना कोई सामाजिक कारण जरूर होता है। दुर्गा पूजा को काफी देशों में मनाया जाता है जैसे- कोलकाता, असम, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, बिहार, झारखंड, त्रिपुरा, मणिपुर, उड़ीसा आदि। दुर्गा पूजा के अष्टमी, नवमी और दसवीं के दिन स्कूल, कॉलेज, सरकारी दफ्तर, आदि में अवकाश रहता है।

नवरात्रि में आपको सड़कों पर मूर्ति और पूजा की सामग्री से सजा हुआ पूरा शहर दिखाई देगा जहां चारों तरफ रौनक ही रौनक नजर आएगी। सुबह-सुबह दुर्गा मां की आरती आपको सुनाई देगी। चेहरे पर नौ दिन तक पूरे देश में एक अलग ही चहल-पहल आपको देखने को मिलेगी। दशहरा के दिन बच्चे इकट्ठा होकर मेला देखने जाते हैं मेले में जाकर उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहता है। दुर्गा पूजा में बहुत सारे कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है जैसे – रामलीला, झांकी, जगराता, भंडारा आदि। दुर्गा पूजा में सभी भक्त अपनी पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ मां का दर्शन करने जाते हैं।

दुर्गा पूजा का महत्व

दुर्गा पूजा का अपना अलग ही महत्व है। इसे शुरू से ही बड़े धूम-धाम के साथ मनाया जाता रहा है। गांव से लेकर शहर तक, हर जगह आपको दुर्गा माता की मूर्तियों को आकर्षक तरीके से सजाया हुआ देखने को मिल जाएगा। यहां पे पूरे 9 दिन भक्तों का मेला रहता है। भारत में विभिन्न प्रकार के धर्मों के लोग रहते हैं और हर साल सभी अपने त्यौहारों को बड़े उत्साह के साथ मनाते हैं। ये त्यौहार साल में दो बार आता है। चैत्र और अश्विन माह में आता है। दुर्गा पूजा भारत का धार्मिक त्योहार है। ये हिंदू धर्म के लोगों द्वारा बड़े खुशी के साथ मनाया जाता है। दुर्गा पूजा को लोग पहले दिन से शुरू करते हैं और दशमी पर दुर्गा विसर्जन तक मनाते हैं। दुर्गा पूजा को दुर्गा का उत्सव या नवरात्रि के नाम से भी जानते हैं। दुर्गा पूजा का धार्मिक, आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और सांसारिक महत्व होता है।

दुर्गा पूजा से संबंधित बहुत सारी कथाएं प्रचलित हैं। दुर्गा पूजा को इसलिए मनाया जाता है ताकि बुराई से अच्छाई पर विजय प्राप्त हो सकें। दुर्गा पूजा को लोगों का विश्वास पाने के लिए किया जाता है माता के प्रति। माता उन्हें सभी समस्याओं और नकारात्मक उर्जा से दूर रखें इसलिए सभी माता का व्रत और पूजा पाठ करते हैं। जो हमारे परिवार के लिए ऊर्जा का संचार करता है। दुर्गा पूजा को सबसे ज्यादा बंगाल में मनाया जाता है। दुर्गा पूजा के रूप में स्त्रियों की पूजा की जाती है।दुर्गा पूजा लोगों के लिए एक पारंपरिक अवसर है जो लोगों को भारतीय संस्कृति और रीति-रिवाजों से जोड़ता है। रामायण के अनुसार भगवान राम ने रावण को मारने से पहले मां दुर्गा से शक्ति प्रदान करने के लिए मां चंडी की पूजा की थी जिसके पश्चात दुर्गा पूजा के दसवें दिन रावण का वध किया गया था।

उत्सव – दुर्गा पूजा को लोग एक उत्सव के रूप में मनाते हैं। हर जगह मां दुर्गा की मूर्ति को स्थापित किया जाता है और लोग नाच – गा कर अपने भावनाओं को व्यक्त करते हैं। सुबह और शाम के समय दर्शन के लिए मंदिरों में मां के भक्तों का मेला लगा रहता है। दुर्गा मां की एक झलक पा कर उनके भक्त बहुत खुश होते हैं। दशहरा के दिन लोग नए–नए कपड़े पहनकर मेला देखने जाते हैं। बड़े, बूढ़े और सभी बच्चे खुश होकर इस पर्व का लुफ्त उठाते हैं।

दुर्गा पूजा का सामाजिक महत्व – भारतीय परिवारों में दुर्गा पूजा का शुभारंभ किया जाता है। दुर्गा पूजा का सामाजिक महत्व भी है जो वर्षा ऋतु के खत्म होने पर किसानों के लिए उन्नति का उत्सव लेकर आता है। इस समय तरह–तरह के अनाज होते हैं जिसे किसान वर्ग के लोग मां दुर्गा का प्रसाद के रूप में बनने के लिए मंदिरों में दान करते हैं।

दुर्गा पूजा में क्या-क्या होता है?

साफ-सफ़ाई का काम किया जाता हैं- देवताओं के मंदिर की साफ – सफाई करना। दुर्गा पूजा का सबसे पहला काम होता है। देवी-नवरात्रि में पूरे घर को अच्छी तरह से साफ करके उसे सजाया जाता है।

मां की मूर्तियों को स्थापित

मां की मूर्ति को स्थापित किया जाता है शुभ मुहूर्त को देखकर। यह नवरात्रि का पहला दिन होता है इस दिन मां को फल और उनके पसंद के कुछ पकवान बनाकर चढ़ाए जाते हैं।

पूजा का आयोजन – दुर्गा पूजा के समय रोज कही ना कही पूजा से संबंधित कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। जहां पर सभी भक्तों निष्ठा एवं श्रद्धा के साथ मां के दर्शन करने के लिए इकट्ठा होते हैं। जैसे -रामलीला, भरतमिलाव, झांकी, आदि दुर्गा पूजा में बढ़-चढ़कर लोग कार्यक्रमों का आयोजन करवाते हैं। मां दुर्गा के सामने सभी भक्त अपनी-अपनी अरदास लगाते हैं ताकि उनके घर में सुख समृद्धि बनी रहे। यही कारण है कि दुर्गा पूजा यानि नवरात्रि को इतना महत्व दिया जाता है। गांव से लेकर शहर तक हर जहां मां के नाम की पुकार आपको सुबह होते ही सुनाई देने लगेगी। उत्तर प्रदेश में इसे सबसे ज्यादा मनाया जाता है। यहां के लोग मूर्ति विसर्जन भी बड़े धूमधाम के साथ करते हैं। उनका मानना है कि ये समय उनकी दुर्गा माता के सेवा करने का समय है इसलिए वो अपनी माता के सेवा में कोई कमी नहीं रहने देना चाहते हैं।

पूजा की तैयारी – नवरात्रि में दुर्गा मां की पूजा लोग सच्चे मन के साथ करते हैं। नवरात्रि हर बार महीने के शुक्ल पक्ष में की जाती हैं। नवरात्रि में लोग विभिन्न प्रकार की मूर्ति को स्थापित करते हैं जो तरह-तरह के रंगो से सुशोभित तरीके से सजे हुए होते हैं। जिसको देखकर लोग प्रसन्न हो जाते हैं। नवरात्रि में दुर्गा माता के साथ-साथ अन्य देवी-देवताओं कि भी पूजा की जाती है। उनके लिए हर दिन अलग-अलग तरह से पकवान, फल, फूल, माला जैसे सामग्री को चढ़ाए जाते हैं। मंदिरों में सुबह-सुबह मां की आरती के लिए कपूर, अगरबत्ती, घी, रूई आदि की व्यवस्था पहले से ही कर ली जाती है। ताकि बाद में पूजा करते समय किसी भी प्रकार की बाधा उत्पन्न न हो। नवरात्रि के 9वें दिन के लिए सामग्री कि भी व्यवस्था की जाती है। घर में लोग तरह-तरह के पकवान बनाकर कन्याओं को खिलाते हैं। मना जाता है कि कन्या को खिलाने से साक्षात दुर्गा मां का दर्शन होते हैं।

आप दुर्गा पूजा कैसे मनाते हैं?

हमारे यहां सबसे पहले घर और मंदिर को अच्छे से साफ किया जाता है। माता की पूजा से जुड़े सभी सामग्री को लेकर आते हैं। जिस दिन शुभ मुहूर्त होता है उस दिन माता की मूर्ति को स्थापित किया जाता है। मिट्टी के बर्तनों में कलश के ऊपर जों और अनाज को बो कर रखा दिया जाता है। उसके बाद मां के फल और कुछ पकवान बनाकर पैसों के साथ उन्हें अर्पित किया जाता है। नवरात्रि में हर दिन अलग -अलग माता की पूजा की जाती है और उनकी पसंद के तरह-तरह के पकवान बनाएं जाते हैं।

नवरात्रि के पहले दिन – ये नवरात्रि का पहला दिन होता है इस दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है और उन्हें गाय के घी का भोग लगाया जाता है।

नवरात्रि के दूसरे दिन – नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। इस दिन मां को शक्कर या पंचामृत का भोग लगाया जाता है।

नवरात्रि के तीसरे दिन – नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा को पूजा जाता है मां के लिए दूध या मावे से बनी हुई मिठाई का भोग लगाया जाता हैं।

नवरात्रि के चौथे दिन- नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा होती हैं। इस दिन हमारे यहां मां के लिए मालपुआ का भोग लगाया जाता है।

नवरात्रि के पांचवे दिन – यह दिन मां स्कंदमाता की पूजा की जाती है। मां को प्रसन्न करने के लिए केले का भोग लगाया जाता है जिससे घर में सुख शांति बनी रहें।

नवरात्रि के छठे दिन – ये नवरात्रि का छठा दिन होता है और इस दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है, इन्हें मीठा पान का भोग लगाया जाता है।

नवरात्रि के सातवें दिन – यह दिन मां कालरात्रि का होता है इस दिन मां को गुड़ या गुड़ से बने पदार्थों का भोग लगाया जाता है।

नवरात्रि के आठवें दिन – ये दिन महागौरी जी का होता है इस दिन मां महागौरी की पूजा की जाती है उन्हें नारियल का भोग लगाया जाता है।

नवरात्रि के 9 वें दिन – यह दिन मां का आखिरी दिन माना जाता है इस दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है उन्हें चना और हलवा का भोग लगाया जाता है। इस दिन हमारे यहां घर के सभी लोग नए–नए कपड़े पहनकर घर में हो रही मां की पूजा में हवन के लिए सम्मिलित होते हैं ऐसा माना जाता है कि घर में नवरात्रि के पूजा के बाद हवन कराना बहुत जरूरी होता है तभी इस व्रत का महत्व होता है इससे देवी मां बहुत प्रसन्न होती हैं। विभिन्न प्रकार के पकवान को बनाकर जैसे -छोले -पुड़ी, आलू की सब्जी, खीर, चना, ग्वालियर फली की सब्जी, बना कर 9 या 11कन्याओं के साथ एक लड़के को भी बैठा कर उनके पैर पानी से धुलवा कर आदर के साथ बैठाया जाता है। उनके माथे पर तिलक और हाथों में कलावे बांधकर उन्हें भोजन के लिए आमंत्रित किया जाता है। उन्हें भोजन करा कर उन्हें कुछ पैसे और गिफ्ट दिए जाते हैं।

मूर्ति का विसर्जन

मां दुर्गा की पूजा के बाद उनकी प्रतिमाओं या मूर्तियों का विसर्जन किया जाता है। मां की मूर्तियों का विसर्जन दशहरा के बाद किया जाता है। कहीं- कहीं पर मां की मूर्तियों के विसर्जन के बाद कुछ महिलाएं सिंदूर से खेलती हैं।

कैलाश पर्वत पर पुनः वापसी – ऐसा माना जाता है कि मां की मूर्तियों का विसर्जन इसलिए किया जाता है ताकि वह अपने निवास स्थान कौशल पर्वत पर पुन: वापस लौट जाएं। मां के भक्तों का सबसे महत्वपूर्ण दिन होता हैं। विसर्जन करने के बाद कुछ लोग अपना उपवास तोड़ते हैं बाकी लोग 9वें दिन ही कन्याओं को खिलाने के बाद अपना उपवास तोड़ देते हैं।

माता के मस्तक पर सिंदूर लगाकर पूजा – मां दुर्गा की प्रतिमा को सजाकर मां के भक्त लोग उन्हें सिंदूर जाकर उनकी आरती करते हैं। फिर मां की मूर्ति को विसर्जन के लिए जुलूस निकालकर खूब धूमधाम से नाचते और गाते हुए उन्हें नदी या तालाब तक ले जाते हैं। जहां पर मां के भक्तों की भारी भीड़ लगी होती हैं।

जल में दुर्गा मूर्ति का विसर्जन- दुर्गा मां की मूर्ति को जल में विसर्जित कर दिया जाता हैं। ऐसा माना जाता है कि जल बहुत पवित्र होता हैं। इसलिए जल का उपयोग हम पूजा – पाठ में भी करते हैं। लोगों का मानना है कि मां की मूर्ति को विसर्जित करने के बाद उनके प्राण सीधे परम ब्रह्मा में लीन हो जाते हैं।

मूर्ति विसर्जन के प्रभाव

लोगों की लापरवाही के चलते यह पर्यावरण पर प्रभाव डालता है। माता की मूर्ति को बनाने के लिए विभिन्न रंगों का प्रयोग किया जाता हैं जो पानी के लिए अच्छे नहीं माने जाते हैं। इन मूर्तियों को सीमेंट, प्लास्टिक, हानिकारक पेंट्स, पेरिस का प्लास्टर आदि का इस्तेमाल किया जाता है जिससे जानवरों द्वारा नदी या तालाब के पानी पीने से मौत भी हो जाती है और पानी पूरी तरह से दूषित हो जाता हैं।

निष्कर्ष

इस निबंध में हमने दुर्गा पूजा पर बात की है कि दुर्गा पूजा को हम कैसे मानते हैं। भारत में विभिन्न प्रकार के धर्मों के लोग रहते हैं और हर साल सभी अपने त्यौहारों को बड़े उत्साह के साथ मनाते हैं। लोग दुर्गा मां की पूजा करने के लिए मंदिरों में जाते हैं। हर त्यौहार का मनुष्य के जीवन में अलग ही महत्व होता है। दुर्गा पूजा की शुरुआत बहुत सारी तैयारियों के साथ और मां दुर्गा के सम्मान तथा उन्हें खुश करने के लिए किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि मां दुर्गा की पूजा करने से दुनिया की बुराई को खत्म करने के लिए और अच्छाई पर विजय प्राप्त करने के लिए किया जाता है। इसे शुरू से ही बड़े धूम – धाम के साथ मनाया जाता रहा है।

गांव से लेकर शहर तक हर जगह आपको दुर्गा माता की मूर्तियों को आकर्षक तरीके से सजाया हुआ देखने को मिल जाएगा। ये नवरात्रि का पहला दिन होता है इस दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है और उन्हें गाय के घी का भोग लगाया जाता है। नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा को पूजा जाता है। नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा होती हैं। यह दिन मां स्कंदमाता की पूजा की जाती है। ये नवरात्रि का छठा दिन होता है और इस दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है, इन्हें मीठा पान का भोग लगाया जाता है।

यह दिन मां कालरात्रि का होता है इस दिन मां को गुड़ या गुड़ से बने पदार्थों का भोग लगाया जाता है। ये दिन महागौरी जी का होता है इस दिन मां महागौरी की पूजा की जाती है। यह दिन मां का आखिरी दिन माना जाता है इस दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है उन्हें चना और हलवा का भोग लगाया जाता है। मां दुर्गा की प्रतिमा को सजाकर मां के भक्त लोग उन्हें सिंदूर जाकर उनकी आरती करते हैं। फिर मां की मूर्ति को विसर्जन के लिए जुलूस निकालकर खूब धूमधाम से नाचते और गाते हुए उन्हें नदी या तालाब तक ले जाते हैं। जहां पर मां के भक्तों की भारी भीड़ लगी होती हैं।

दुर्गा मां की मूर्ति को जल में विसर्जित कर दिया जाता हैं। दशहरा के दिन बच्चे इकट्ठा होकर मेला देखने जाते हैं मेले में जाकर उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहता है। दुर्गा पूजा में बहुत सारे कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है जैसे – रामलीला, झांकी, जगराता, भंडारा आदि। दुर्गा पूजा में सभी भक्त अपनी पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ मां का दर्शन करने जाते हैं। इस तरह से हम दुर्गा पूजा मनाते हैं। कुछ विदेशी लोग भी इस त्योहार को मनाते हैं।

दुर्गा पूजा पर 10 लाइन

1) दुर्गा पूजा में लोग छोटी बच्चियों की पूजा करते हैं तथा उनके माथे पर तिलक लगाकर उनके पैर धोकर उनका घर में स्वागत करते हैं।

2) दुर्गा पूजा के समय जागरण में लोग बच्चियों को मां दुर्गा मानकर उनका आशीर्वाद लेते हैं।

3) जागरण में लोग राधाकृष्ण, दुर्गा मां, तथा अन्य भगवान को बनाकर लोगों का मनोरंजन करने का भी काम करते हैं गाने गाकर और नाच कर।

4) नवरात्रि के समय हर जगह मां की मूर्तियों को स्थापित किया जाता है और सुबह – शाम लोग वहां पर इकट्ठा होकर आरती करते हैं।

5) नवरात्रि में तरह-तरह के फल और पकवान माता के लिए बनाकर चढ़ाए जाते हैं ताकि माता उनसे प्रसन्न रहें और उनके घर, परिवार पर अपनी कृपा बनाएं रखें।

6) दुर्गा पूजा को दो नवदुर्गा और नवरात्रि के नाम से भी जाना जाता है।

7) नवरात्रि हिंदुओं का सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक होता है।

8) दशहरा के दिन बच्चे इकट्ठा होकर मेला देखने जाते हैं मेले में जाकर उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहता है। दुर्गा पूजा में बहुत सारे कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है जैसे – रामलीला, झांकी, जगराता, भंडारा आदि।

9) ऐसा माना जाता है कि मां की मूर्तियों का विसर्जन इसलिए किया जाता है ताकि वह अपने निवास स्थान कौशल पर्वत पर पुन: वापस लौट जाएं।

10) विभिन्न प्रकार के पकवान को बनाकर लोगों को प्रसाद के रूप में देते हैं जैसे -छोले -पुड़ी, आलू की सब्जी, खीर, चना, ग्वालियर फली की सब्जी, को बनाया जाता है।

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