दशहरा पर निबंध (Essay On Dussehra In Hindi) – दशहरा पर सरल भाषा में निबंध पढ़ें

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दशहरा पर निबंध (Essay On Dussehra In Hindi)- दशहरा हिंदुओं के प्रमुख त्यौहारों में से एक है। ये बुराई पर अच्छाई की विजय का पर्व है, जिसे विजयदशमी, बिजौया और आयुध पूजा के नाम से भी जाना जाता है। यह त्यौहार राक्षस रावण पर भगवान राम की विजय को याद करता है। इसलिए यह बुराई पर अच्छाई का प्रतीक है। इसे अश्विनी शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है जिसे दशहरा या विजयदशमी के नाम से जानते हैं। इस माह में ठण्ड का हल्का-सा आगमन हो जाता है। दशहरा से पहले नौ दिन नवरात्रि मनाई जाती है और नवरात्रि के दसवें दिन दशहरा होता है। दशहरा प्रायः अक्टूबर के महीने में पड़ता है। आप हमारे इस पेज से दशहरा पर निबंध हिंदी में (Dussehra Essay In Hindi) पढ़ सकते हैं।

दशहरा पर निबंध (Essay On Dussehra In Hindi)

छात्र इस आर्टिकल को पढ़कर स्कूलों में विजयदशमी/दशहरा पर निबंध हिंदी में (Essay In Hindi On Dussehra) आसानी से लिख सकते हैं। अगर आप दशहरा के बारे में जानना चाहते हैं, तो parikshapoint.com आपके लिए Dussehra Par Nibandh लेकर आया है। इस पोस्ट से आप Hindi Essay On Dussehra पढ़ सकते हैं। आप हमारे इस पेज पर दिए Dussehra Nibandh In Hindi पढ़कर जान सकते हैं कि दशहरा क्यों मनाया जाता है? हमनें Dussehra Par Nibandh In Hindi एकदम सरल, सहज और स्पष्ट भाषा में लिखा है, ताकि हर वर्ग के लोग हमारे इस Dussehra In Hindi Essay को आसानी से समझ सकें।

स्कूलों में छात्रों को अक्सर दशहरा पर्व (Dussehra Festival) के अवसर पर निबंध प्रतियोगिता में Dussehra Ka Nibandh लिखने के लिए दिया जाता है, जिसमें वह About Dussehra In Hindi में लिखते हैं। आप हमारे इस पेज पर दिए गए Nibandh On Dussehra In Hindi को पढ़कर Dussehra In Hindi के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं और एक बेहतर Dussehra Par Nibandh Hindi Mein लिखकर दिखा सकते हैं। इस पेज से आप हिंदी में दशहरा पर निबंध के साथ-साथ दशहरा पर निबंध हिंदी में 10 लाइन, दशहरा पर निबंध 300 Words और दशहरा पर निबंध 500 Words भी नीचे से पढ़ सकते हैं।

दशहरा पर निबंध
(Dussehra Essay In Hindi)

प्रस्तावना

दशहरा बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है, जो हमें ये संदेश देता है कि बुराई कितनी भी बड़ी और ताकतवर क्यों न हो, मगर अच्छाई के सामने वह बहुत छोटी और कमजोर है। देर से ही सही किंतु एक-न-एक दिन बुराई को हार का सामना करना पड़ता है। बुराई कुछ समय के लिए अच्छाई को दबा जरूर सकती है लेकिन उसे कभी हरा नहीं सकती। सच और अच्छाई की जीत निश्चित है, उसे कोई नहीं रोक सकता। जिस प्रकार भगवान राम ने रावण का वध करके बुराई का अंत किया था, उसी प्रकार हमें भी अपने अंदर की बुराई को खत्म करना होगा।

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दशहरा कब और क्यों मनाया जाता है?

दशहरा या विजयादशमी हिंदू धर्म के लोगों का मुख्य त्यौहार है। ये हर साल आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। दशहरा इसलिए मनाया जाता है क्योंकि भगवान श्री राम ने नौ दिनों के युद्ध के बाद दानव राजा रावण का वध करके उसकी कैद से अपनी पत्नी देवी सीता को मुक्त कराया था। इसके अलावा इस दिन देवी दुर्गा ने राक्षस महिषासुर का भी वध किया था। तब से ये दिन विजयदाश्मी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन लोग माँ दुर्गा और भगवान राम की पूजा करते हैं और प्रार्थना करके आशीर्वाद मांगते हैं। ऐसा भी माना जाता है कि भगवान श्री राम ने भी देवी दुर्गा की शक्ति के लिए प्रार्थना की थी।

हिंदू मान्यता और पौराणिक कथाओं में दशहरा मनाने के पीछे मुख्य दो कथाएं सुनने को मिलती हैं। पहली कथा के अनुसार त्रेता युग में भगवान श्रीराम और लंकापति रावण के बीच लगातार दस दिनों तक भीषण युद्ध चला था, जिसके दसवें दिन यानी कि दशहरा को भगवान श्रीराम ने रावण का वध किया था। रावण ने प्रभु श्रीराम की पत्नी सीता का धोके से अपहरण कर उन्हें अपनी लंका में कैद कर लिया था। देवी सीता को रावण की कैद से मुक्त कराने के लिए भगवान राम को युद्ध करना पड़ा। ये युद्ध दस दिन तक चला और दसवें दिन भगवान श्रीरामचन्द्र ने दशानन रावण का वध कर उसके अहंकार को तोड़ दिया। इस युद्ध में रावण के अंत के साथ-साथ राक्षस जाति का भी अंत हो गया था। दूसरी कथा के अनुसार, मां दुर्गा ने महिषासुर नामक दानव के साथ दस दिनों तक भीषण संग्राम किया था और आश्विन माह शुक्ल पक्ष की दशमी को उसका वध कर दिया। तभी से इसी कारण इस दिन को हर साल विजयादशमी या दशहरा के रूप में मनाया जाने लगा। इन दोनों ही घटनाओं का संबंध बुराई पर अच्छाई की जीत को दर्शाता है।

दशहरा का महत्त्व

दशहरा (विजयादशमी) पर्व हम सभी के जीवन में बहुत महत्त्व रखता है। ये दिन हमारेे लिए अपने अंदर की सभी बुराइयों को ख़त्म करके एक नये जीवन की शुरुआत करने का होता है। ये पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत की ख़ुशी में मनाया जाने वाला पर्व है। दशहरा सच्चाई की जीत की खुशी के जश्न के रूप में मनाया जाने वाला  त्यौहार है। इस जश्न के साथ सबकी अपनी-अपनी मान्यता और आस्था जुड़ी हई है, जैसे- किसानों के लिए ये फसल को घर लाने का जश्न है, बच्चों के लिए ये राम द्वारा रावण के वध का जश्न है और बड़ों के लिए ये बुराई पर अच्छाई का जश्न है। इस पर्व को हिंदू धर्म के लोग बहुत ही शुभ और पवित्र मानते हैं, क्योंकि दशहरे से पहले नौ दिनों तक नवरात्रि का त्यौहार चलता है। नवरात्रि में माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूचा-अर्चना की जाती है। लोगों में ऐसी भी मान्यता है कि इस दिन शुरू किया गया कोई भी नया कार्य शुभ और सफल होता है।

निष्कर्ष

दशहरा असत्य पर सत्य की जीत का प्रतीक है। यह बुराई पर अच्छाई की विजय का उत्सव है, जो हर साल हमें सीखाता और याद दिलाता है कि कैसे हमें अपने अंदर की बुराई को मार कर दुनिया में अच्छाई को ज़िदा रखना है। इसी वजह से हर साल दशहरा मनाया जाता है। हर साल दशहरा लोगों को सत्य, धर्म और अच्छाई का संदेश देकर जाता है। वह बताकर जाता है कि सत्य की राह पर चलने में शुरू में कठिनाइयां और मुश्किलें आएंगी, लेकिन अंत में जीत उसकी ही होगी।

दशहरा पर निबंध 300 शब्द में

दशहरा हिंदुओं का सबसे महत्त्वपूर्ण त्यौहार है। इस त्यौहार का पारंपरिक और धार्मिक महत्त्व सबसे अधिक है। भारत के लोग इसे बहुत ही उत्साह और धूमधाम से मनाते हैं। दशहरा बुराई पर अच्छाई की जीत और पाप पर पुण्य की जीत को भी प्रदर्शित करता है। हिंदू धर्म के लोग दशहरा का त्यौहार कई रीति-रिवाजों और पूजा-पाठ के साथ मनाते हैं। बहुत से धार्मिक लोग इस दिन उपवास भी रखते हैं। कुछ लोग दशहरे से पहले नवरात्रि के पूरे नौ दिनों तक व्रत रखते हैं और देवी दुर्गा का आशीर्वाद और शक्ति पाने के लिये उनकी उपासना करते हैं। दसवें दिन यानी कि आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी को लोग असुर राजा रावण पर राम की जीत के उपलक्ष्य में दशहरा मनाते हैं।

दशहरा को विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार दशहरा हर साल अक्टूबर के महीने में दीवाली से दो सप्ताह पहले आता है। भारत के लगभग सभी हिस्सों में दशहरा पर्व मनाया जाता है लेकिन सभी जगह इस पर्व को मनाने के रीति-रिवाज और परंपरा अलग-अलग हैं। बहुत-सी जगहों पर नौ दिन की नवरात्रि के साथ पूरे दस दिन तक इस पर्व को मनाया जाता है, जिसमें मंदिर के पुजारी रोज सुबह और शाम को मंत्रों के उच्चारण के साथ पूजा-अर्चना करते हैं। साथ ही कई जगहों पर रामलीला का आयोजन भी किया जाता है, जिसमें रामायण से जुड़ी कथा को भक्तों और दर्शकों के सामने प्रस्तुत किया जाता है। रामलीला के कलाकार मंच पर अपने अभिनय, संवाद, संगीत आदि के माध्यम से पौराणिक महाकाव्य रामायण के नाट्य रूपांतरण की प्रस्तुति देते हैं।

रामलीला में महान संत तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस और महान कवि वाल्मीकि द्वारा लिखी गई रामायण का प्रदर्शन किया जाता है। विजयदशमी मनाने के पीछे रामलीला का उत्सव पौराणिक कथाओं को इंगित करता है जिसमें राम जन्म, राम-सीता विवाह, राम वनवास, सीता हरण, हनुमत मिलन, लंका दहन, रावण मरण, अयोध्या पुनरागमन आदि दृश्यों को दिखाया जाता है। दशहरे के अवसर पर दस दिनों तक होने वाला रामलीला का मंचन रामायण के पूरे इतिहास को बताता है। रामलीला के दसवें दिन यानी कि विजयादशमी पर असुर राजा रावण, उसके पुत्र मेघनाथ और भाई कुम्भकर्ण के पुतले को जलाकर उनकी हार और राजा राम की जीत का जश्न मनाया जाता है।

दशहरा पर निबंध 500 शब्द में

हिंदू धर्म का महत्त्वपूर्ण पर्व दशहरा पूरे देश में खुशी और उल्लास के साथ मनाया जाता है। ये पर्व हिंदी कैलेंडर के अनुसार हर साल आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी को मनाया जाता है और अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार अक्टूबर के महीने में आता है। दशहरा का पर्व लंका के असुर राजा रावण पर भगवान राम की जीत को संदर्भित करता है। रावण बुराई का प्रतीक है जबकि भगवान राम सच्चाई के प्रतीक हैं, जिन्हें मर्यादा पुरुषौत्त्म के नाम से भी जाना जाता है। दशहरे से पहले देवी दुर्गा की पूजा की जाती है और हिंदू धर्म के लोगों द्वारा नवरात्रि, दुर्गाष्टमी, रामनवमी और दशहरा (विजयादशमी) जैसे धार्मिक उत्सव बड़ी ही धूमधाम से मनाये जाते हैं। नवरात्रि और दशहरा जैसे पवित्र पर्व पूरे देश में अलग-अलग परंपरा और रीति-रिवाजों के साथ मनाया जाता है।

दशहरे के बारे में कुछ महत्त्वपूर्ण तथ्य-

  • ऐसी मान्यता है कि अगर मर्यादा पुरुषौत्त्म भगवान श्री रामचन्द्र जी ने रावण का वध नहीं किया होता, तो हमेशा के लिए सूर्यास्त हो जाता।
  • दशहरा का एक महत्त्व ये भी है कि कि माँ दुर्गा ने आश्विन माह के शुक्ल पक्ष के दसवें दिन महिषासुर राक्षस का वध किया था।
  • महिषासुर असुरों को राजा था, जो लोगों पर अत्याचार करता था। उसके अत्याचारों को देखकर भगवान ब्रह्मा, विष्‍णु और महेश ने शक्ति (माँ दुर्गा) का निर्माण किया। माँ दुर्गा ने प्रकट होकर महिषासुर से दस दिनों तक युद्ध किया और दसवें दिन देवी दुर्गा ने उस राक्षस का वध कर बुराई का अंत कर दिया।
  • ये भी माना जाता है कि नवरात्रि में देवी माँ अपने मायके आती हैं और नवरात्र के दसवें दिन यानी कि दशहरे पर उनकी प्रतिमा को बहते जल में विसर्जित करके उन्हें खुशी-खुशी विदा किया जाता है।
  • दूसरी मान्यता ये भी है कि भगवान श्री राम ने रावण के दसों सिर यानी दस बुराइयों को ख़त्म किया था, जिसमें पाप, काम, क्रोध, मोह, लोभ, घमंड, स्वार्थ, जलन, अहंकार, अमानवता और अन्‍याय के रूप शामिल थे।
  • लोग ऐसा भी मानते हैं कि मैसूर के राजा ने 17वीं शताब्दी में मैसूर में दशहरा मनाया था।
  • दशहरा सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि बांग्लादेश, नेपाल और मलेशिया में भी मनाया जाता है। मलेशिया में इस दिन राष्ट्रीय अवकाश होता है।
  • दशहरा का महत्त्व भगवान राम और माता दुर्गा दोनों की बुराई पर अच्छाई की जीत को दर्शाता है।

दशहरा पर्व पर हर तरफ खुशनुमा माहौल होता है। लोगों के घर और मंदिर जगमगाती रोशनी और फूलों से सज जाते हैं। दशहरे पर बहुत सी जगहों पर रामलीला का मंचन किया जाता है और मेले भी लगाए जाते हैं। मेलों में तरह-तरह के झूले, खेल-खिलौनों की दुकाने, खाने-पीने के स्टॉल बच्चों के आकर्षण का केन्द्र होते हैं। मेलों में घूमने, झूलों पर बैठने, खिलौने खरीदने और खाने-पीने के लिए बच्चे काफी उत्साहित होते हैं। रामलीला मंचन में रामायण कथा का इतिहास और उसका सार दिखाया जाता है, जिसे सभी बड़ी ही उत्सुकता से देखते हैं। रामलीला के आखिर में भगवान राम के किरदार वाला व्यक्ति रावण, मेघनाथ और कुम्भकर्ण के कागज के पुतले में तीर मारकर दशहरे का समापन करता है। तीनों पुतलों के साथ बुराई भी पल-भर में जलकर राख हो जाती है। लोग बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश लेकर अपने-अपने घर चले जाते हैं।

दशहरा पर 10 लाइनें

  1. दशहरा हिंदुओं का प्रमुख त्यौहार है जिसे पूरे भारतवर्ष में बहुत खुशी और उत्साह के साथ मनाया जाता है।
  2. ये त्योहार हर साल अक्टूबर के महीने में, दिवाली के त्योहार से 20 दिन पहले मनाया जाता है।
  3. दशहरे का त्यौहार 10 दिनों तक मनाया जाता है।
  4. पहले नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है, जिसे नवरात्र भी कहा जाता है।
  5. दसवें दिन लोग रावण, मेघनाथ और कुंभकर्ण के पुतले जलाते हैं।
  6. दशहरा को दुर्गोत्सव भी कहा जाता है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि दसवें दिन दुर्गा माँ ने भी असुर महिषासुर का वध किया था।
  7. अलग-अलग स्थानों पर रामलीला का आयोजन किया जाता है, जहां लोग श्री राम के जीवन का नाट्य रूपांतरण प्रस्तुत करते हैं।
  8. विजयदशमी के दिन रावण, मेघनाथ और कुंभकर्ण का पुतला जलाकर सत्य पर असत्य की जीत को दर्शाया जाता है।
  9. इसलिए दशहरा को असत्य पर सत्य और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक भी कहा जाता है।
  10. दशहरा का त्यौहार लोगों को सत्य, धर्म और अच्छाई सीखाकर जाता है।

FAQs

People also ask

प्रश्न- दशहरा कब है 2023?
उत्तर: इस साल दशहरा 24 अक्टूबर को मनाया जायेगा।

प्रश्न- दशहरा पूजा कब है 2023?
उत्तरः दशमी तिथि 24 अक्टूबर 2023 को रहेगी।

प्रश्न- दशहरा कौन से माह में मनाया जाता है?
उत्तर: दशहरा अधिकतर अक्टूबर माह में मनाया जाता है।

प्रश्न- दशहरे के कितने दिन बाद दिवाली आती है?
उत्तर: दशहरे के ठीक 20 दिन बाद दिवाली मनाई जाती है।

प्रश्न- दशहरा क्यों मनाया जाता है?
उत्तर: यह त्यौहार राक्षस रावण पर भगवान राम की विजय की याद कराता है। इसलिए यह बुराई पर अच्छाई का प्रतीक है। इसे अश्विनी शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है, जिसे दशहरा या विजयदशमी के नाम से जानते हैं। 

प्रश्न- गंगा दशहरा कब है?
उत्तर: गंगा दशहरा जून के महीने में मनाया जाता है।

प्रश्न- दशहरा पर निबंध कैसे लिखे?
उत्तरः दशहरा पर निबंध लिखने के लिए आपके पास उससे जुड़ी जानकारी होनी चाहिए।

प्रश्न- दशहरा से हमें क्या शिक्षा मिलती है?
उत्तरः दशहरा से हमें ये शिक्षा मिलती है कि हमें अपने भीतर की बुराई को खत्म करके अच्छाई को अपनाना चाहिए।

हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा यह हिंदी में निबंध (Essay In Hindi) ज़रूर पसंद आया होगा और आपको इस निबंध से जुड़ी सभी ज़रूरी जानकारी भी मिल गई होगी। इस निबंध को अंत तक पढ़ने के लिए धन्यवाद।

parikshapoint.com की तरफ से आप सभी को “दशहरा की हार्दिक शुभकामनाएं” (Happy Dussehra)।

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