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बसंत पंचमी का महत्व (Importance Of Basant Panchami In Hindi)

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Ekta Ranga
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हमारा देश रंग रंगीला है। यहां पर कई सारे धर्म-जाति और पंथ के लोग निवास करते हैं। इसी के ही चलते इस देश में पूरे साल खूब सारे त्यौहारों की रौनक बनी रहती है। भारत देश का हर एक त्यौहार एक उत्सव की तरह ही होता है। उल्लास और प्रफुल्लता से भरे इंसानी चहरों को देखने में एक अलग ही आनंद आता है। आज से केवल थोड़े ही दिन बाद बसंत का त्यौहार आने की राह देख रहा है। आज हम अपनी पोस्ट में बात कर रहे हैं सबका प्यारा उत्सव बसंत पंचमी के महत्व के बारे में। आइये हम बसंत पंचमी के बारे में विस्तार से जानते हैं।

बसंत पंचमी का महत्व

भारत में अगर कोई मौसम सबसे अनुकूल रहता है तो वह है बसंत पंचमी का त्यौहार। यह एक ऐसी ऋतु होती है जहां हमको गुलाबी ठंडक का एहसास होता है। आज से केवल कुछ दिनों बाद ही यह खूबसूरत त्यौहार है। इस दिन मां सरस्वती की पूजा की जाती है। इसी त्यौहार के उपलक्ष्य के चलते हम आपके लिए बसंत पंचमी पर यह खास निबंध लेकर आए हैं। इस निबंध के माध्यम से जान सकेंगे कि बसंत पंचमी क्या है, इसका महत्व क्या है, यह क्यों मनाई जाती है आदि।

बसंत ऋतु का यह त्यौहार हर साल माघ मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी को आता है। यह उत्सव लाता है अपने साथ उत्साह, उमंग और उल्लास। लोगों का यह मानना है कि ठीक इसी दिन मां सरस्वती का जन्म हुआ था। यही एक वजह है इस दिन को मां सरस्वती के जन्मदिन के रूप में मनाने की परंपरा है। यह त्यौहार कवियों को भी बहुत प्रिय होता है। इस दिन मां सरस्वती सभी कवियों को नई रचना तैयार करने का आशीर्वाद देती है।

सरस्वती के आशीर्वाद से वह कलम उठाकर नई कविताएँ रचते हैं। एक और मान्यता के अनुसार मां लक्ष्मी का जन्म भी बसंत पंचमी पर ही हुआ था। बसंत पंचमी के अन्य नाम की बात करे तो इसी त्यौहार को श्री पंचमी के नाम से भी जाना जाता है। इस खास अवसर पर लोग सुबह जल्दी उठते हैं और जल्दी उठकर नहाते हैं। फिर विधि विधान से मां सरस्वती की पूजा और अर्चना करके माता के समक्ष कलश स्थापित करते हैं। इस साल बसंत पंचमी का त्यौहार 26 जनवरी को मनाया जाएगा।

बसंत पंचमी की कहानी

मां सरस्वती को ज्ञान की देवी माना जाता है। आज इस दुनिया में जितना भी विवेक और बुद्धि का प्रकाश फैला हुआ है वह सब माता सरस्वती की वजह से ही है। बसंत पंचमी का इतिहास बहुत पुराना है। कहते हैं जब बह्मा जी ने इस सृष्टि की रचना की थी तब जीवित प्राणियों के होने के बावजूद उन्हें कुछ सूनेपन का अनुभव हुआ। उन्हें तुरंत ही समझ में आ गया कि वाणी के बिना यह पृथ्वी सूनी और अधूरी है। ब्रह्मा जी ने अपने कमंडल से धरती पर पानी का छिड़काव किया। जैसे ही पानी की बूंदे धरती पर आकर गिरी ठीक उसी वक्त एक सुंदर नारी का अवतरण हुआ।

उस नारी ने सफेद रंग के वस्त्र धारण कर रखे थे। उसकी चार भुजाएं थीं। उसके एक हाथ में वीणा थी तो दूसरे हाथ में पुस्तक के साथ माला थाम रखी थी। उस नारी के मुख पर ओजस की चमक थी। उसे देखकर ब्रह्मा जी ने प्रार्थना कि कि वह कृपा करके अपनी वीणा बजाए। जैसे ही वीणा ने अपनी तान छेड़ी समस्त संसार में भी वाणी की राग छिड़ गई। इस घटना के पश्चात ब्रह्मा जी ने उस सुंदर नारी को सरस्वती नाम से विख्यात कर दिया। उसी दिन से सरस्वती को ज्ञान और संगीत की देवी के रूप में पूजा जाता है।

बसंत पंचमी क्यों मनाई जाती है?

बसंत पंचमी का त्यौहार हर साल बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है। यही मान्यता है कि इस दिन माता सरस्वती धरती पर प्रकट हुई थीं। यह दिन कुछ नया काम शुरू करने का दिन माना जाता है। नया काम कुछ भी हो सकता है जैसे कि विघारंभ संस्कार की शुरुआत, संगीत सीखने का प्रशिक्षण हो या फिर नया व्यापार। हर एक काम को अच्छे से शुरू करने और वह काम लगातार चलता रहे उसके लिए हमें बुद्धि की आवश्यकता पड़ती है। अच्छी बुद्धि की कामना हेतु हम सरस्वती मां को पूजते हैं। यह त्यौहार भारत के अलावा बांग्लादेश, नेपाल और भूटान में भी मनाया जाता है।

बसंत पंचमी का वैज्ञानिक महत्व

बसंत पंचमी का वैज्ञानिक महत्व भी बहुत ज्यादा है। दरअसल बसंत पंचमी के दिन भगवान शुक्र अपने मित्र सूर्य के घर की ओर निकल पड़ते हैं। इससे हमें यह सीख मिलती है कि अब जाड़े का मौसम खत्म होने को आया है, इसलिए हम सब मिलकर नवचेतना का संचार करें। बसंत पंचमी पर पीले वस्त्र धारण करने का भी रिवाज है। यही नहीं, इस दिन लोग पीले रंग के पकवान बनाकर माता सरस्वती को प्रसाद के रूप में चढ़ाते हैं। क्या आप जानते हैं कि पीला रंग सकारात्मक उर्जा का प्रतीक है? खेतों में आए पीले सरसों के फूलों को देखकर किसानों के अंदर गजब की स्फूर्ति आ जाती है। किसान इन्हें देखकर और भी आशावान महसूस करते हैं। बसंत ऋतु का त्यौहार हमें यह सीख देता है कि हमें हमेशा सूर्य की किरणों के समान आशावान बने रहना चाहिए।

बसंत पंचमी का आध्यात्मिक महत्व

बसंत पंचमी के दिन माता सरस्वती के अलावा मां लक्ष्मी को भी पूजा जाता है। यही एक वजह है कि इस दिन को लोग श्रीपंचमी के नाम से भी जानते हैं। बंगाल में लोग बसंत पंचमी को सरस्वती पूजो के नाम से बुलाते हैं। यह मान्यता है कि बसंत पंचमी पर सरस्वती की पूजा करने पर माता विद्यार्थियों को ज्ञान का वरदान देती है। आज हम जिस कोई भी बड़े पद पर बैठे कमा रहे हैं वह सब सरस्वती की देन है। इस दिन पर कुछ लोग कामदेव की भी पूजा करते हैं।

बसंत पंचमी कब मनाई जाती है?

बसंत पंचमी का त्यौहार हर साल माघ महीने के पांचवे दिन मनाया जाता है। यह त्यौहार अधिकतर फरवरी के महीने में पड़ता है परंतु कभी कभी यह जनवरी में भी मनाया जाता है। इस साल यह पर्व 26 जनवरी को गुरुवार के दिन मनाया जाएगा।

बसंत पंचमी पर लोग सरस्वती की पूजा अर्चना करते हैं। माता के सामने कलश स्थापित किया जाता है। लोग पीले रंग के वस्त्र धारण करते हैं। पीले रंग के पकवान बनाए जाते हैं। इस दिन पर किसान हल की पूजा करते हैं।

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