लोहड़ी का महत्व (Importance Of Lohri In Hindi)

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Anjana Yadav
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लोहड़ी का महत्व (Importance Of Lohri In Hindi)- लोहड़ी किसानों के लिए सबसे महत्वपूर्ण त्योहार है। इस समय खेतों और खलियानों में चारों तरफ फसल ही फसल लहलहाने लगती है। लोहड़ी पंजाब के प्रमुख त्योहारों में से एक है। इसकी रौनक पूरे देश में देखी जा सकता है। पंजाब में आदिकाल से ही लोहड़ी का त्यौहार मनाया जाता रहा है और ये त्यौहार कृषि से संबंधित होता है। लोहड़ी का त्यौहार मकर सक्रांति से एक दिन पहले यानी 13 जनवरी को मनाया जाता है।

लोहड़ी से सबंधित सभी जानकारी अगर आप जानना चाहते हैं तो लोहड़ी का महत्व, लोहड़ी पर किसकी पूजा की जाती है, क्या लोहड़ी एक धार्मिक त्योहार है, लोहड़ी पर्व हमें क्या प्रेरणा देता है, तो आपको हमारा लोहड़ी का महत्व पर आर्टिकल पढ़ना पड़ेगा।

13 जनवरी लोहड़ी पर्व का महत्व पढ़ें

प्रस्तावना

लोहड़ी का त्यौहार भारत के साथ-साथ विदेशों में भी हर साल बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता रहा है। ये त्यौहार पंजाबियों का सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक होता है। लोहड़ी का त्यौहार फसल की कटाई के अवसर पर मनाया जाता है। लोहड़ी वाले दिन सभी लोगों का उत्साह देखते ही बनता है। लोहड़ी के दिन शाम को सभी लोग खुले आंगन या खुली जगह पर आग जलाते हैं और पूरा परिवार इकट्ठा होकर ढोल-नगाड़े के साथ आग के चारों तरफ घूमते हुए आग में चढ़ाव के रूप में तिल, गुड़, मूंगफली डालकर इस पूजा को मानते हैं।

लोहड़ी का महत्व

लोहड़ी के दिन अग्नि और सूर्य देव की पूजा की जाती है। यह उत्तर भारत के राज्यों जैसे- हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश में फसल कटाई के बाद अग्नि और सूर्य देव को धन्यवाद देने के लिए यह पूजा की जाती है। धन्यवाद देने का मतलब यह होता है कि अग्नि और सूर्य देव की कृपा से फसल की उपज अच्छी हुई है, इसी खुशी में मकर सक्रांति की पूर्व संध्या (मकर सक्रांति के एक दिन पहले की संध्या) को आग जलाकर लोग घेरा बनाकर के हाथों में मूंगफली, तिल, गुड़ का भोग लगाते हैं जो कि बहुत शुभ माना जाता है। लोहड़ी के अगले दिन जो भी राख बची होती है उसको पूरे मोहल्ले और परिवार के लोगों में बांटा जाता है। सिख के लोगों का मानना हैं की इस राख ईश्वर का प्रसाद है इसलिए सभी इसको अपने घर ले जाते हैं।

लोहड़ी का त्यौहार क्यों मनाया जाता है?

लोहड़ी का त्यौहार अच्छी फसल उपज होने के कारण अग्नि और सूर्य देव को धन्यवाद देने के लिए इस त्यौहार को मनाया जाता है। लोहड़ी पर्व के दौरान सभी लोगों में एक अलग ही आनंद और उत्साह देने को मिलता है। इसी उत्साह और उमंग को बनाएं रखने के लिए सभी लोग अग्नि और सूर्य देव से प्रार्थना करते हैं कि हर साल ऐसे ही अच्छी फसल हो। ये त्यौहार कृषि केंद्रित लोगों को बढ़ावा देने का भी काम करता है।

लोहड़ी पर किसकी पूजा की जाती है?

लोहड़ी पर अग्नि और सूर्य देव की पूजा की जाती है। लोहड़ी के दिन सभी लोग इकट्ठा होकर नाच-गाकर अपनी खुशियों का प्रदर्शन करते हैं। ये पूजा मकर सक्रांति के सुबह तक मनाई जाती है। ये त्यौहार साल का पहला त्यौहार भी कहा जाता है।

लोहड़ी का मतलब

लोहड़ी= ल – लकड़ी + ओह – जलते हुए उपले + ड़ी – रेवड़ी। इस त्यौहार में सभी लोगों मिलकर उपले, लकड़कियों को इकट्ठा कर घर के बाहर पूजा के दिन इन्हें जलाते हैं।

पंजाब में लोहड़ी क्यों मनाई जाती है?

अकबर के शासन काल में लड़कियों को बेचने के लिए पंजाब के एक प्रांत में बाजार लगता था। तब पंजाब के एक सरदार ने उन लड़कियों को सम्मान से उनकी शादी करवा कर उनको अच्छा जीवन दिया। इसी खुशी में यह पंजाब में मनाया जाता है। पंजाब में जब भी कोई नई फसल या संतान की प्राप्ति होती है तब लोहड़ी के दिन मिठाई बांटी जाती है।

लोहड़ी का पर्व हमें क्या प्रेरणा देता है?

इस पर्व पर हमें यह प्रेरणा मिलती है कि सभी आपस में मिलजुल कर रहें, प्रेम और भाइचारे को बनाएं रखें। एक दूसरे की मदद के लिए हमेशा तैयार रहें।

लोहड़ी के दिन क्या बनाया जाता है?

इस दिन सभी घरों में गजक, रेवड़ी, मूंगफली, तिल के लट्टू, मक्के की रोटी और सरसों का साग बड़े ही प्यार और उत्साह के साथ बनाया जाता है। रात में गुड़, रेवड़ी, मूंगफली, तिल, गेहूं, मक्के के दाने का भोग लगाते हैं। सभी लोग इसे बड़े ही चाव से खाना पसंद करते हैं। इस पर्व पर जो विवाहित बेटी होती है उनकी मां उनके घर यानी कि ससुराल में वस्त, अनाज, फल, मिठाई, तिल से बनी सभी चीजों को पहुंचाती हैं। उनका मानना है कि इसके देने से उनके घर में बरकत के साथ-साथ बेटियों का मान-सम्मान बना रहता है।

लोहड़ी की विशेषता

लोहड़ी त्यौहार सिख लोगों का पावन त्यौहार है। इसे सर्दियों के महीने या अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार साल के पहले महीने मकर सक्रांति के एक दिन पूर्व संध्या में अग्नि और सूर्य देव के धन्यवाद देते हुए यह त्योहार संपन्न किया जाता है। भारत के कई राज्यों और विदेशों में भी सिख समुदाय के लोग इस पर्व को बड़े ही धूम-धाम से मानते हैं।

लोहड़ी के दिन नई बहू या संतान होने की खुशी पर हर जगह मिठाई बांटी जाती है। लोहड़ी के दिन हर जगह आपको गीत गाते और नित्य करते हुए लोग देखने को मिल जायेंगे। लोहड़ी को लाल लोई नाम से भी जाना जाता है। लोहड़ी को लेकर कई सारी कहानियां है जिन्हें लोहड़ी के दिन खासतौर पर सुनाया जाता रहा है।

जैसे- सती और शिव की, कृष्ण और उनके मामा कंस की जो कृष्ण को मारने के लिए भेजे थे। अकबर के शासन काल में लड़कियों को बेचा जाता था। एक सरदार ने उनके खिलाफ आवाज़ उठाई और लड़कियों को सम्मान दिलाया। उन्हीं के याद में ये लोहड़ी का त्यौहार मनाया जाता है।

लोहड़ी एक धार्मिक त्यौहार है

लोहड़ी पर हर साल सभी किसान खुशी से फूले नहीं समाते हैं। ये त्यौहार हर साल जनवरी माह के दूसरे सप्ताह में आता है। ये महीना किसानों के लिए पूरे उत्साह, उमंग और उल्लास से भरा हुआ माना जाता है। जनवरी में किसानों द्वारा बोए गए सभी फसल पक कर तैयार हो जाते हैं।

पंजाब और हरियाणा में इस पर्व को मस्ती भरे अंदाज में मनाया जाता है। इस दिन कुछ लोग इकट्ठा होकर गुरुद्वारे जाते हैं और वहां जाकर पूजा से जुड़े सभी विधाओं को पूर्ण करने के लिए आग जलाकर उसके चारों तरफ़ घूमते हुऐ हाथों में तिल, चावल, मक्के का भोग लगाते हैं। सूर्य देव से घर और अच्छी फसल की उपज के लिए आशीर्वाद मगाते हैं।

इस दिन सरसों का साग और मक्के की रोटी को बनाकर प्रसाद के रूप में भंडारा आयोजित किया जाता है। इस पर्व पर महिलाएं खुद को खूबसूरत दिखने के लिए हाथों और पैरों में मेंहदी लगा कर इस पर्व को मस्ती के साथ मानती हैं। इस पर्व पर सभी नृत्य करके अपनी-अपनी खुशी का प्रदर्शन करते हैं।

लोहड़ी पर क्या दान देते हैं?

ऐसा माना जाता है कि लोहड़ी के दिन पूजा के बाद गजक, रेवड़ी, मूंगफली, तिल के लड्डू, मक्के की रोटी और सरसों का साग आदि को गरीब कन्याओं को दिया जाता है ताकि घर में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहे। प्राचीन काल से ऐसी मान्यता है कि लोहड़ी के दिन गुड़ और तिल के दाने दान देना चाहिए जिससे सौभाग्य की प्राप्ति हो। कुछ कहानी में इस बात का जिक्र है कि अगर लोहड़ी के दिन आप काली गाय को उड़द के साथ-साथ चावल खिला देते हैं, तो परिवार के क्लेश से छुटकारा मिलता है।

निष्कर्ष

लोहड़ी का त्यौहार हर जगह बहुत की धूमधाम से मनाया जाता है। ये त्यौहार हमें मिल-जुलकर रहना सीखता है तथा किसानों के प्रति उमंग और उल्लास को ऐसे ही बनाएं रखने के लिए हमें प्रेरित भी करता है। लोहड़ी का त्यौहार अपने साथ बहुत सी खुशियां लेकर आता है।

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