मैं जब छोटी थी तो मेरी दादी मुझे हमेशा लोरियां सुनाया करती थीं। उनकी एक लोरी की मुझे आज भी याद आती है- ‘चंदा मामा दूर के, पुए पकाए बूर के। आप खाए थाली में, मुन्ने को दे प्याली में।’ इस लोरी को सुनकर मैं हमेशा एक ही बात सोचा करती थी कि अगर हम चंदा मामा पर जाकर रहने लग जाएं, तो हमें वहां कैसा लगेगा। एक दिन मैंने पापा के पास यह पूछा कि पापा हम चांद पर कैसे रहने जा सकते हैं। पापा को मेरे प्रश्न पर हंसी आ गई। वह बोले चांद पर तो कोई भी नहीं जा सकता है बेटा।
मुझे सभी कहा करते थे कि चांद पर जाना संभव नहीं है। लेकिन मेरा मन मुझसे कहा करता था कि एक दिन ऐसा भी आएगा जब हमारा देश चांद को भी फतह कर लेगा। आखिरकार वो दिन आ ही गया जब हमारे देश ने चांद पर कदम रख ही लिए। 23 अगस्त 2023 का वो सुनहरा दिन कोई भी सदियों तक नहीं भूलेगा। सभी की आंखें टेलीविजन स्क्रीन पर ही टिकी हुई थीं। जैसे ही यह खबर आई कि चांद के साउथ पोल पर चंद्रयान-3 ने सफल लैंडिंग कर ली है, पूरे देश में मानो खुशी की लहर दौड़ गई। आंखों से मानो खुशी के आंसू छलक पड़े। तो आज का हमारा यह आर्टिकल चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) पर आधारित है। इस पोस्ट के माध्यम से हम चंद्रयान 3 के बारे में विस्तृत जानकारी हासिल करेंगे।
प्रस्तावना
हमारा देश विज्ञान में दिन प्रतिदिन प्रगति कर रहा है। आज भारत अमेरिका और रूस जैसे शक्तिशाली देशों को भी विज्ञान क्षेत्र में चुनौती देने में लगा है। इसका सबसे बेहतरीन उदाहरण 23 अगस्त 2023 का दिन था, जब चंद्रयान 3 ने चंद्रमा की सतह के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक लैंडिंग कर ली थी। यह खबर आते ही हमारा देश चंद्रमा की सतह के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक लैंडिंग करने वाला विश्व का पहला देश बन गया। हालांकि हमारे देश ने इससे पहले भी चांद तक पहुंचने का सफर शुरू किया था लेकिन वह सफर बीच रास्ते में ही खत्म हो गया था।
आपको याद होगा कि इसरो ने लैंडर और रोवर को चंद्रमा पर लगभग 70 डिग्री दक्षिण के अक्षांश पर साॅफ्ट लैंडिंग करवाने की पूरी कोशिश की थी लेकिन इसरो की यह कोशिश सफल नहीं हो पाई थी। उस समय चंद्रयान का लैंडर विक्रम चांद की सतह से टकरा गया था और उसी समय चंद्रयान 2 का मिशन असफल हो गया था। इस विफलता से वैज्ञानिकों को भारी दुख पहुंचा था लेकिन वैज्ञानिकों ने हार नहीं मानी। वह लगातार प्रयास करते गए और आखिरकार उनका प्रयास चंद्रयान 3 से सफल हुआ। अब चंद्रयान 3 की सफलता ने यह तय कर दिया है कि भारत चंद्रमा की सतह पर एक नया इतिहास रचेगा।
चंद्रयान 3 क्या है?
चंद्रयान 3 भारत का एक ऐसा महत्वाकांक्षी मिशन है जिससे चंद्रमा की सतह से जुड़ी कई सारी जानकारियां हासिल होंगी। इस मिशन का सारा श्रेय भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) को जाता है। चंद्रयान 3 जैसे महत्वपूर्ण मिशन को इसरो द्वारा 14 जुलाई 2023 को लांच किया गया था। इस मिशन का मुख्य उद्देश्य यह था कि कैसे चंद्रयान चंद्रमा की दक्षिणी ध्रुव सतह पर सफलतापूर्वक लैंडिंग करेगा। लांचिंग और लैंडिंग के बीच 40 दिनों का समय था। इस चंद्रयान 3 को बनाने में भारतीय टेक्नोलॉजी का ही पूर्ण रुप से इस्तेमाल किया गया है।
इसरो के वैज्ञानिक इस मिशन को सफल बनाने के लिए दिन-रात जुटे हुए थे। चंद्रयान 3 को श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से लांच होने की हरी झंडी मिली थी। जैसे चंद्रयान 2 में एक लैंडर और एक रोवर था। ठीक उसी प्रकार चंद्रयान 3 में भी एक लैंडर और एक रोवर शामिल है। इसी के साथ इस बार लैंडर और रोवर के साथ एक आर्बिटर भी रखा गया है। तीनों चीजों का अपना अलग महत्व है। लैंडर का काम होगा यान को सफलतापूर्वक तरीके से चांद पर उतारना। रोवर चांद की सतह पर रहकर काफी सारी चीजों की खोज करेगा। तो वहीं आर्बिटर यह अध्ययन करेगा कि चांद पर किस तरह का वातावरण है। चंद्रयान 3 पूरी तरह से भारतीय तकनीक से बनकर तैयार हुआ है।
चंद्रयान 3 की विशेषताएं
- चंद्रयान 3 (Chandrayaan-3) की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि वह चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव हिस्से पर लैंड हुआ।
- चंद्रयान 3 हमें यह जानकारी देगा कि आखिर चांद पर पानी और बर्फ की मात्रा कितनी है।
- चंद्रयान 3 यह पता लगाने में भी हमारी मदद करेगा कि आखिर चांद पर कितनी मात्रा में प्राकृतिक तत्व एवं खनिज उपलब्ध हैं।
- चंद्रयान 3 को बनाते वक्त भारत ने किसी भी प्रकार से विदेशी तकनीक का सहारा नहीं लिया है। बल्कि वैज्ञानिकों ने पूर्ण रूप से स्वदेशी तकनीक का सहारा लिया है।
- यह यान ये भी पता लगाएगा कि आखिर चंद्रमा पर कितनी प्रकार की प्राकृतिक गैसों का भंडारण है।
- चंद्रयान 3 वैज्ञानिकों को तस्वीरें भेजेगा कि आखिर चंद्रमा की सतह का ढांचा किस प्रकार है।
- यह यान इस बात की भी खोज करेगा कि क्या चांद पर भी धरती की ही तरह पशु-पक्षियों का निवास है।
चंद्रयान 3 से होने वाले लाभ
चंद्रयान 3 भारत का सबसे प्रत्याशित मिशन था। सभी लोग इसके लांचिंग के लिए लंबे समय से इंतजार कर रहे थे। इससे पहले 2019 में चंद्रयान 2 की असफलता के बाद हर कोई चंद्रयान 3 की सफलता के लिए प्रार्थना कर रहा था। आखिरकार सभी की प्रार्थनाएं सफल हो गईं। चंद्रयान 3 ने आखिरकार दक्षिणी ध्रुव सतह पर भारत का झंडा फहरा ही दिया। चंद्रयान 3 के सफल होने से भारत को अनेक प्रकार के लाभ होंगे, जैसे-
- चंद्रयान 3 के सफल होने से अब हमारे वैज्ञानिकों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाने में सफलता मिलेगी। अब हमारे देश का मान सम्मान और भी ज्यादा बढ़ जाएगा।
- अब पूरे विश्व में हमारी तकनीकी क्षमताओं पर बहुत ज्यादा विश्वास बढ़ जाएगा।
- हमारा देश दुनिया का ऐसा चौथा देश बन जाएगा जिसने चांद पर पहुंचने का गौरव हासिल किया है। अमेरिका, रूस और चीन पहले ही कारनामा कर चुके हैं।
- चंद्रयान 3 ने हमारे देश के लिए मून इकॉनोमी का भी रास्ता खोज लिया है।
- अब हमारे देश की अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में और भी ज्यादा प्रगति होगी।
- चंद्रयान 3 की सफलता हमारे देश के युवाओं के लिए भी बहुत महत्व रखती है।
- इस मिशन से यह पता चल पाएगा कि आखिर चांद सही मायने में दिखता कैसा है।
- चंद्रयान 3 की सफलता हमें असफलताओं से हार नहीं मानने की शिक्षा देती है।
चंद्रयान का इतिहास
चंद्रयान का इतिहास जानने के लिए हम चलते हैं साल 2008 में। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने साल 2008 में अपना पहला अंतरिक्ष यान चांद पर भेजा था। यह यान भारत का पहला मानवरहित यान माना गया था। इस यान को रॉकेट की मदद से चांद पर भेजा गया था। चंद्रयान 1 की अवधि 10 दिन और 6 माह चली थी। इस मिशन का उद्देश्य चांद पर पानी के अंश और हीलियम का पता लगाना था।
भारत ने दूसरा इतिहास तब रचा जब भारत ने चंद्रयान 2 को चांद पर भेजने का फैसला किया। इतने लंबे अंतराल के बाद भारत की फिर से उम्मीदें जगीं। भारत के वैज्ञानिकों ने पूरे चंद्रयान 2 को बनाने में किसी भी विदेशी तकनीक की सहायता नहीं ली। चंद्रयान 2 में शामिल था एक ऑरबिटर, एक रोवर एवं एक लैंडर। 22 जुलाई 2019 को इसरो द्वारा श्रीहरिकोटा रेंज से चंद्रयान 2 को प्रक्षेपित किया गया था।
इस मिशन के तहत चंद्रयान 2 ने अंतरिक्ष में 47 दिनों का सफर तय किया था। भारत इतिहास रचन की ओर था। लेकिन इससे पहले कि यह मिशन पूरा हो पाता, इसरो का लैंडर विक्रम से संपर्क ही टूट गया। दरअसल लैंडर विक्रम चांद की सतह से टकराने के कारण क्रैश हो गया था। और आखिरकार चंद्रयान 2 मिशन कामयाब नहीं हो पाया।
चंद्रयान 3 के 10 रोचक तथ्य
- चंद्रयान 3 मिशन को सफल बनाने के लिए 615 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं।
- चंद्रयान 3 का जो रोवर है वह वैज्ञानिकों के लिए बहुत फायदेमंद साबित होगा। दरअसल यह रोवर वैज्ञानिकों को चांद पर होने वाली हर गतिविधियों के बारे में जानकारी देगा।
- चंद्रयान 3 को लाॅन्च करने का श्रेय वीइकल मार्क 3 सेटेलाईट को जाता है।
- चंद्रमा के साउथ पोल को डार्क साइड ऑफ मून कहकर पुकारा जाता है। चांद का साउथ पोल आज भी दुनिया के लिए रहस्य है।
- चंद्रयान 3 चंद्रमा पर अनेक प्रकार के संसाधनों की खोज करेगा।
- चंद्रयान 2 की असफलता के बाद से इसरो के वैज्ञानिकों ने लगातार 4 साल तक चंद्रयान 3 पर कड़ी मेहनत की।
- 1984 में राकेश शर्मा अंतरिक्ष पर कदम रखने वाले भारत के पहले व्यक्ति थे।
- चंद्रयान 3 की सफलता से भारत दुनिया का पहला ऐसा देश बन गया है जिसने चंद्रमा की सतह के दक्षिणी ध्रुव पर अपने कदम रखे।
- चंद्रयान 3 की सफलता से अमेरिका के आर्टेमिस मिशन को बहुत लाभ पहुंचेगा।
- Larsen and Toubro, Mishra Dhatu Nigam, BHEL, Godrej Aerospace, Ankit Aerospace, Walchandnagar Industries आदि बड़ी कंपनियां भी चंद्रयान 3 की सफलता में बड़ा योगदान रखती हैं।
ये भी पढ़ें :-
चंद्रयान 3 पर FAQs
Q1. चंद्रयान 3 क्या है?
A1. चंद्रयान 3 भारत का एक ऐसा महत्वाकांक्षी मिशन है जिससे चंद्रमा की सतह से जुड़ी कई सारी जानकारियां हासिल होंगी। इस मिशन का सारा श्रेय भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) को जाता है। चंद्रयान 3 जैसे महत्वपूर्ण मिशन को इसरो द्वारा 14 जुलाई 2023 को लांच किया गया था। इस मिशन का मुख्य उद्देश्य यह था कि कैसे चंद्रयान चंद्रमा की दक्षिणी ध्रुव सतह पर सफलतापूर्वक लैंडिंग करेगा।
Q2. चंद्रयान 3 ने कौन सी तारीख को चंद्रमा पर सफलतापूर्वक लैंडिंग की थी?
A2. चंद्रयान 3 ने 23 अगस्त वर्ष 2023 को चंद्रमा पर सफलतापूर्वक लैंडिंग की थी।
Q3. चंद्रयान 3 को बनाने में कितना खर्च आया?
A3. चंद्रयान 3 को बनाने में 615 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं।
Q4. चंद्रयान 3 से क्या फायदा है?
A4. चंद्रयान 3 मिशन से चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव सतह से जुड़े कई रहस्यों के बारे में पता चलेगा।
Q5. चंद्रयान 3 कब छोड़ा गया?
A5. 14 जुलाई वर्ष 2023 को।