बहुव्रीहि समास (Bahuvrihi Samas)-हिंदी भाषा सभी भारतीयों को समझ में आती है। हम यह सोचते हैं कि हिंदी ही तो है इसलिए हमें इसे लिखने और इसे बोलने में किसी भी तरह की परेशानी नहीं होगी। अगर हम सच में ऐसा सोचते हैं तो यह बिल्कुल गलत है। जब तक हमें किसी भी भाषा का पूरा ज्ञान नहीं होगा तब तक हम किसी भी चीज को अच्छे से नहीं समझ पाएंगे। जैसे हमने अपने पड़ोस में ही रहने वाले एक जने को पूछा कि बहुव्रीही समास का एक सरल और अच्छा सा उदाहरण दे दिजिए, तो झट से उत्तर आया कि “मालूम नहीं”।
बहुव्रीहि समास (Bahuvrihi Samas)
हमने अपनी एक पिछली पोस्ट में समास के भेद ‘तत्पुरुष समास‘ के बारे में अच्छे से समझा था। हमने यह जाना कि तत्पुरूष समास समास का ही भेद है। आज की हमारी इस पोस्ट के माध्यम से भी हम समास के ही अन्य भेद बहुव्रीहि समास (Bahuvrihi Samas) के बारे में जानेंगे। तो आखिर यह बहुव्रीही समास है क्या? एकदम सरल भाषा में समझे तो बहुव्रीहि समास वह समास होता है जिसमें दोनों ही पद अप्रधान होते हैं। इसमें समास का पहला पद और अंतिम पद दोनों ही प्रधान नहीं होते हैं। तो आइए आज की इस पोस्ट के माध्यम से समझते हैं कि बहुव्रीहि समास क्या होता है?
बहुव्रीहि समास किसे कहते हैं?
जब दो या अधिक शब्दों का परस्पर संबंध पता चले और इन्ही शब्दों से जब एक स्वतंत्र शब्द बने तो ऐसे में वह समास कहलाता है। समास के चार प्रकार के भेद होते हैं। उन्हीं में से एक होता है बहुव्रीहि समास। आइए, हम बहुव्रीहि समास को आसान भाषा में समझने की कोशिश करते हैं। बहुव्रीहि समास का अर्थ उस समास से है जहां पर पहले पद और दूसरे पद का कोई महत्व नहीं होता और यही दोनों पद मिलकर तीसरे पद की महिमा को दर्शाते हैं। अर्थात दोनों पद किसी अलग अर्थ को दर्शाते हैं। उदाहरण के तौर पर- लंबा है उदर जिसका अर्थात लंबोदर। यहां पर यह उदाहरण तीसरे पद गणेश जी को दर्शा रहे हैं। यहां पर गणेश जी की विशेषता बताई जा रही है।
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बहुव्रीहि समास की परिभाषा
हिंदी व्याकरण की भाषा में बहुव्रीहि समास वह समास है जिसमें कोई पद प्रधान न होकर किसी अन्य पद की प्रधानता होती है। यह अपने पदों से भिन्न किसी विशेष संज्ञा का विशेषण है, उनको बहुव्रीहि समास कहा जाता है।
बहुव्रीहि समास के भेद
बहुव्रीहि समास पांच प्रकार के होते हैं-
1) समानाधिकरण बहुव्रीहि समास
2) व्याधिकरण बहुव्रीहि समास
3) तुल्ययोग बहुव्रीहि समास
4) व्यतिहार बहुव्रीहि समास
5) प्रादी बहुव्रीहि समास
समानाधिकरण बहुव्रीहि समास
इसमें जितने भी समास के पदों को दर्शाया जाता है वह सभी शब्द कर्ता कारक की विभक्ति के होते हैं। लेकिन समस्त पद के द्वारा जो अन्य कहा जाता है वो कर्म, करण, संप्रदान, अपादान, संबंध, अधिकरण आदि विभक्तियों में भी कहा जाता है, उसे समानाधिकरण बहुव्रीहि समास कहते हैं। उदाहरण के लिए-
पीत है अम्बर जिसका वह = पीताम्बर
दो है गुना जिसमें वह = दोगुना
न्याय है प्रिय जिसको वह = न्यायप्रिय
कर लिया है कार्य जिसने वह = कृतकार्य
व्याधिकरण बहुव्रीहि समास
जिस समस्त पद में दोनों पदों का अधिकरण समान न हो अर्थात् दोनों पदों में अलग-अलग कारक चिह्नों का प्रयोग हो, उसे व्यधिकरण बहुव्रीहि समास कहते है। उदाहरण के लिए-
जिसके सिर पर मकर का ध्वज है वह = मकरधव्ज (वह कामदेव है।)
लड्डू है प्रिय जिसको = मोदकप्रिय (वह गणेश है।)
वह जो सूर्य का पुत्र है = सूर्यपुत्र (वह कर्ण है।)
मक्खी को चूसता है जो = मक्खीचूस (वह कंजूस है।)
पहाड़ की पुत्री है जो = शैलपुत्री (माता पार्वती।)
तुल्ययोग बहुव्रीहि समास
इस तरह के समास में पहला पद साथ होता है लेकिन साथ के स्थान पर स होता है। उदाहरण के लिए-
सचेत = बिना चेतना के है जो।
सबल = जो बल के साथ है।
सपरिवार = परिवार के साथ है जो।
व्यतिहार बहुव्रीहि समास
जो समास किसी हार या पराजय की सूचना दे वह व्यतिहार बहुव्रीहि समास कहलाता है। इसके उदाहरण से हमें यह पता चलता है कि किसी की लड़ाई या झगडा हुआ है। उदाहरण के लिए-
हाथापाई = हाथों से लड़ाई हुई जो।
प्रादी बहुव्रीहि समास
जिस समास में पहला पद उपसर्ग का हो वह प्रादी बहुव्रीहि समास कहलाता है। उदाहरण के लिए-
निर्लज्ज = लज्जा नहीं है जिसमें।
निर्धन = धन नहीं है जिसके पास।
बहुव्रीहि समास के उदाहरण
विमल | गंदगी से रहित है जो वह |
तिरंगा | तीन है रंग जिसमें वह |
गोपाल | गायों को पालता है जो |
त्र्यम्बक | तीन नेत्र है जिसके |
हलधर | हल को धारण करता है जो |
पद्मासन | पद्म पर आसन करते है जो |
महाकाव्य | महान है जो काव्य |
महाबली | बहुत बली है जो |
चौमासा | वर्षा ऋतु के चार माह |
महावीर | महान है जो वीर |
त्रिवेणी | वह स्थान जो तीन नदियों का संगम स्थल है |
पतझड़ | पत्ते झड़ जाते है जिस ऋतु में |
पीताम्बर | जिसने पीले वस्त्र धारण किए हैं |
लम्बोदर | लम्बा है पेट जिसका |
मुरलीधर | बाँसुरी को धारण करने वाला |
गजानन | गज के समान मुख वाला |
कमलनयन | जिसके नयन कमल की तरह है |
गगनचुंबी | आकाश को चूमने वाली |
दशमुख | जिसके दस मुख है |
नीलकंठ | नीला है कंठ जिसका |
गिरिधारी | पर्वत को धारण करने वाला |
त्रिलोचन | तीन है नेत्र जिसके |
पतिव्रता | एक पति का पालन करने वाली |
निर्भय | जो किसी से भी ना डरता हो |
उन्नतिशील | उन्नति है शील जिसका |
अधजल | आधा है जल जिसमे वह |
साक्षर | अक्षर जाननेवाला है जो वह |
सफल | साथ है फल जिसके |
सकुशल | कुशल के साथ है जो |
चौपाया | चार है पैर जिसके |
निष्कर्ष
तो आज की हमारी इस पोस्ट के माध्यम से हमने यह सीखा कि बहुव्रीहि समास क्या है? बहुव्रीहि समास की परिभाषा क्या है। इस समास के कितने प्रकार के भेद हैं? हमने अपनी पोस्ट के माध्यम से बहुव्रीहि समास को आसान भाषा में समझाने की कोशिश की। हम यह आशा करते हैं कि आपको यह पोस्ट जरूर पसंद आई होगी।
FAQ’S
Q1. बहुव्रीहि समास किसे कहते हैं?
A1. हिंदी व्याकरण की भाषा में बहुव्रीहि समास वह समास है जिसमें कोई पद प्रधान न होकर किसी अन्य पद की प्रधानता होती है। यह अपने पदों से भिन्न किसी विशेष संज्ञा का विशेषण है, उनको बहुव्रीहि समास कहा जाता है।
Q2. बहुव्रीहि समास के भेद कितने प्रकार के होते हैं?
A2. बहुव्रीहि समास पांच प्रकार के होते हैं-
- समानाधिकरण बहुव्रीहि समास
- व्याधिकरण बहुव्रीहि समास
- तुल्ययोग बहुव्रीहि समास
- व्यतिहार बहुव्रीहि समास
- प्रादी बहुव्रीहि समास
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