कारक किसे कहते हैं? (Karak Kise Kahate Hain?) परिभाषा, भेद, उदाहरण

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कारक (Karak)- हिंदी भाषा में हिंदी व्याकरण (Hindi Grammar) की भूमिका सबसे अहम है। जब हमारी हिंदी व्याकरण मजबूत होगी तभी हम अच्छी हिंदी समझ पाएंगे, बोल पाएंगे और लिख पाएंगे तथा हमारी हिंदी भाषा (Hindi Language) और मजबूत होगी। हिंदी व्याकरण का अध्ययन हमारे स्कूल के दिनों से ही शुरू हो जाता है। हिंदी व्याकरण में हम स्वर, व्यंजन, संज्ञा, सर्वनाम, कारक, काल, लिंग, रस आदि कई विषयों को पढ़ते हैं। उन्हीं में से हिंदी व्याकरण का एक विषय है “कारक”। कारक हिंदी व्याकरण के महत्त्वपूर्ण विषयों में से एक है।

कारक (Karak)

इस लेख में हम बात करेंगे कि कारक किसे कहते हैं (Karak Kise Kahate Hain), कारक के भेद (Karak Ke Bhed) यानी कारक के कितने भेद होते हैं, Karak Meaning in Hindi, Karak Meaning in English, कारक कितने प्रकार के होते हैं (Karak Kitne Prakar Ke Hote Hain), कारक की परिभाषा, कारक के उदाहरण (Karak in Hindi with Examples), कारक कितने होते हैं, कारक विभक्ति संस्कृत में, Karak in English, Karak in Hindi Grammar, कारक चिह्न हिंदी आदि। कारक के बारे में यह सभी जानकारी प्राप्त करने के लिए आप इस पेज को पूरा पढ़ सकते हैं।

कोई भी काम या किसी भी क्रिया को करने में जो मुख्य भूमिका निभाता है, उसे कारक कहा जाता है। कारक शब्द ‘कृ’ धातु और ‘अक’ प्रत्यय (कृ+अक=कारक) से मिलकर बना है। कारक किसे कहते हैं, यह विस्तार से जानने के लिए नीचे पढ़ें।

कारक किसे कहते हैं?

संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से वाक्य का सम्बन्ध दूसरे शब्दों के साथ स्थापित हो उसे कारक कहते हैं। आसान भाषा में अगर इसे समझें तो, “वाक्य के साथ प्रयोग होने वाला वो शब्द जिसका क्रिया के साथ सीधा संबंध स्थापित हो, उसे कारक कहा जाता है।” कारक संज्ञा या सर्वनाम शब्दों का वो रूप है जिसका सीधा सम्बन्ध क्रिया से है। किसी काम को करने वाला कारक यानी कि जो भी उस काम को करने में मुख्य भूमिका निभाता है, वह कारक कहलाता है।

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कारक की परिभाषा

अगर कारक को परिभाषित करें यानी कि कारक को परिभाषा के रूप में समझें तो, “कारक का मतलब होता है किसी कार्य को करने वाला। यानी जो भी किसी क्रिया को करने में मुख्य भूमिका निभाता है, उसे हम कारक कहते हैं।”

कारक के भेद

अब हम बात करते हैं कि कारक के कितने भेद या प्रकार होते हैं? कारक के मुख्य रूप से आठ प्रकार के भेद होते हैं, जो निम्नलिखित हैं-

1. कर्ता कारक- जो वाक्य में कार्य को करता है, उसे कर्ता कारक कहा जाता है। कर्ता वाक्य का वह रूप होता है जिसमें कार्य को करने वाले का पता चलता है। कर्ता कारक का विभक्ति चिह्न ‘ने’ होता है।

2. कर्म कारक- वो वस्तु या व्यक्ति जिस पर वाक्य में की गयी क्रिया का प्रभाव पड़ता है, उसे कर्म कारक कहा जाता है। कर्म कारक का विभक्ति चिह्न ‘को’ होता है।

3 करण कारक- वो साधन जिससे कोई क्रिया होती है, उसे करण कारक कहा जाता है। यानी कि जिसकी मदद से किसी काम को अंजाम दिया जाता, उसे करण कारक कहा जाता है। करण कारक के दो विभक्ति चिह्न होते हैं- ‘से’ और ‘के द्वारा’।

4. सम्प्रदान कारक- सम्प्रदान का मतलब ‘देना’ होता है। जब वाक्य में किसी को कुछ दिया जाए या किसी के लिए कुछ किया जाए, तो उस स्थान पर सम्प्रदान कारक होता है। सम्प्रदान कारक का विभक्ति चिह्न ‘के लिए’ और ‘को’ है।

5 अपादान कारक- जब संज्ञा या सर्वनाम के किसी रूप से किन्हीं दो चीज़ों के अलग होने का बोध होता है, तब उस स्थान पर अपादान कारक होता है। अपादान कारक का भी विभक्ति चिह्न ‘से’ होता है। ‘से’ चिह्न करण कारक का भी होता है लेकिन वहां इसका अर्थ साधन से होता है। यहाँ ‘से’ का अर्थ किसी चीज़ से अलग होने को दर्शाता है।

6 संबंध कारक- इस कारक के नाम से ही पता चल रहा है कि यह किन्हीं वस्तुओं में संबंध को दर्शाता है। संज्ञा या सर्वनाम का वह रूप जो हमें किन्हीं दो वस्तुओं के बीच संबंध का बोध कराता है, उसे संबंध कारक कहा जाता है। संबंध कारक के कई विभक्ति चिह्न हैं, जैसे- ‘का’, ‘के’, ‘की’, ‘ना’, ‘ने’, ‘नी’, ‘रा’, ‘रे’, ‘री’।

7 अधिकरण कारक- अधिकरण का मतलब है- आश्रय। संज्ञा का वो रूप जिससे क्रिया के आधार का बोध हो, उसे अधिकरण कारक कहा जाता है। इसके विभक्ति चिह्न ‘में’ और ‘पर’ होते हैं।

8 संबोधन कारक- यह संज्ञा या सर्वनाम का वह रूप है जिससे किसी को बुलाने, पुकारने या बोलने का बोध होता है, संबोधन कारक कहा जाता है। संबोधन कारक की पहचान करने के लिए ‘!’ इस चिह्न का इस्तेमाल किया जाता है। संबोधन कारक के विभक्ति चिह्न ‘अरे’, ‘हे’, ‘अजी’, ‘ओ’, ‘ए’ होते हैं।

कारक चिह्न

कारक का वह रूप जिससे क्रिया के संज्ञा या सर्वनाम शब्दों के साथ संबंध का बोध होता हो, वो ‘कारक चिह्न’ कहलाता है। सभी कारकों का अपना एक चिह्न ज़रूर होता है। किसी-किसी कारक के एक से ज़्यादा चिह्न भी होते हैं। सभी कारक के नाम और कारक चिह्नों की सूची इस प्रकार है-

कारक कारक चिह्न
कर्ता कारक ने
कर्म कारक को
करण कारक से, के द्वारा
सम्प्रदान कारक को, के लिए
अपादान कारक से
संबंध कारक का, के, की, ना, नी, ने, रा, रे, री
अधिकरण कारक में, पर
संबोधन कारक ऐ !, हे !, अरे !, अजी !, ओ !

कारक के उदाहरण

कारक के उदाहरण (Karak In Hindi With Examples) इस प्रकार हैं-

  • कर्ता कारक के उदाहरण
    • रामू ने अपने बच्चों को पीटा।
    • विकास ने एक सुन्दर पत्र लिखा।
  • कर्म कारक के उदाहरण
    • गोपाल ने राधा को बुलाया।
    • रामू ने घोड़े को पानी पिलाया।
  • करण कारक के उदाहरण
    • बच्चे गाड़ियों से खेल रहे हैं।
    • पत्र को कलम से लिखा गया है।
  • सम्प्रदान कारण के उदाहरण
    • माँ अपने बच्चे के लिए दूध लेकर आई।
    • विकास ने तुषार को गाड़ी दी।
  • अपादान कारक के उदाहरण
    • सुरेश छत से गिर गया।
    • सांप बिल से बाहर निकला।
  • संबंध कारक के उदाहरण
    • वह राम का बेटा है।
    • यह सुरेश की बहन है।
  • अधिकरण कारक के उदाहरण
    • वह रोज़ सुबह गंगा किनारे जाता है।
    • वह पहाड़ों के बीच में है।
  • संबोधन कारक के उदाहरण
    • हे राम! बहुत बुरा हुआ।
    • अरे भाई! तुम तो बहुत दिनों में आये।

कारक का मतलब

कारक को हिंदी और इंग्लिश में इस प्रकार समझ सकते हैं-

  • कारक का हिंदी में अर्थ (Karak Meaning in Hindi):- संज्ञा या सर्वनाम की वो स्थिति जो वाक्य में क्रिया के साथ उसके संबंध को स्पष्ट करती है, कारक कहलाती है।
  • कारक का इंग्लिश में अर्थ (Karak Meaning in English):- कारक को इंग्लिश में फैक्टर (Factor) कहा जाता है। कारक (फैक्टर) की अंग्रेजी में परिभाषा (डेफिनेशन) कुछ इस तरह से है- The position of a noun or pronoun which explains its relation with the verb in the sentence is called a factor.

कारक को आसानी से समझने के लिए नीचे बनीं टेबल को देखें।

कारक के भेदकारक चिह्नअर्थ
कर्तानेकाम करने वाला
कर्मको, एक्रिया से प्रभावित होने वाला
करणसे, के द्वाराक्रिया का साधन
सम्प्रदानको, के लिए, एजिसके लिए क्रिया की सम्पन्न की जाए
अपादानसे (अलग होने का भाव)अलगाव, तुलना, आरम्भ, सिखने आदि का बोधक
सम्बन्धका, की, के, ना, नी, ने, रा, री, रेअन्य पदों से पारस्परिक सम्बन्ध
अधिकरणमें, परक्रिया का आधार (स्थान, समय, अवसर) आदि का बोधक
संबोधनऐ !, हे !, अरे !, अजी !, ओ !किसी को पुकारने या बुलाने का बोधक
कारक किसे कहते हैं? कारक की परिभाषा, भेद, चिह्न और उदाहरण …

कारक से जुड़े अधिकतर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ’s)

People also ask

प्रश्न- कारक के कौन कौन से भेद है?
उत्तर- कारक के 8 भेद इस प्रकार हैं:

  1. कर्ता कारक
  2. कर्म कारक
  3. करण कारक
  4. सम्प्रदान कारक
  5. अपादान कारक
  6. सम्बन्ध कारक
  7. अधिकरण कारक
  8. संबोधन कारक

प्रश्न- कारक कैसे पहचाने?
उत्तर- वाक्य में प्रयुक्त होने वाले संज्ञा और सर्वनाम जिस रूप से वाक्य के दूसरे शब्दों के साथ संबंध, वाक्य की क्रिया से जाना जाए, उसे कारक कहा जाता है।

प्रश्न- कारक कितने हैं?
उत्तर- मुख्य रूप से आठ कारक होते हैं।

प्रश्न- कारक क्या होता है कारक के चिन्ह कारक के उदाहरण?
उत्तर- वाक्य में प्रयोग किए गए शब्द आपस में सम्बद्ध होते हैं। क्रिया के साथ संज्ञा का सीधा सम्बन्ध ही कारक कहलाता है। कारक को दर्शाने के लिये संज्ञा और सर्वनाम के साथ जिन चिह्नों का इस्तेमाल किया जाता है, उन्हें विभक्तियाँ कहते हैं। जैसे- पेड़ पर फल लगते हैं।

प्रश्न- अधिकरण कारक क्या है?
उत्तर- जिस शब्द से क्रिया के आधार का बोध हो, अधिकरण कारक कहलाता है।

प्रश्न- संबंध कारक क्या होता है?
उत्तर- संज्ञा या सर्वनाम का वो रूप जिससे किन्हीं दो वस्तुओं के बीच संबंध का बोध होता हो, उसे संबंध कारक कहा जाता है।

प्रश्न- कारक का चिन्ह क्या है?
उत्तर- क्रिया को करने वाला या क्रिया को पूरा करने में उसकी सहायता करने वाले शब्द या चिह्न को कारक का चिह्न कहते हैं।

प्रश्न- अधिकरण कारक का परसर्ग क्या होता है?
उत्तर- अधिकरण कारक के चिह्न मैं, पे, पर, के ऊपर, के अन्दर, के बीच, के भीतर- इसके परसर्ग/कारक चिह्न हैं।

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