अकर्मक क्रिया किसे कहते हैं? (Akarmak Kriya Kise Kahate Hain?): अकर्मक क्रिया की परिभाषा, भेद, उदाहरण और अकर्मक क्रिया और सकर्मक क्रिया में अंतर

Photo of author
Ekta Ranga

अकर्मक क्रिया (Akarmak Kriya)- हिंदी व्याकरण में क्रिया का अध्याय भी अपने आप में बहुत महत्वपूर्ण है। अक्सर स्कूली बच्चों में यह देखा गया है कि वह हिंदी व्याकरण को लेकर थोड़ा सा चिंतित रहते हैं। खासकर के तब जब उनकी परीक्षाएं नजदीक होती हैं। उन सभी के लिए क्रिया वाला अध्याय समझना थोड़ा सा मुश्किल रहता है। क्रिया और उसके भेद को समझने के लिए हमारे दिमाग को थोड़ी कसरत करनी पड़ती है। साधारण शब्दों में कहे तो क्रिया का अर्थ होता है काम। क्रिया के ही दो प्रकार के भेद होते हैं। पहला होता है अकर्मक क्रिया तो दूसरा होता है सकर्मक क्रिया।

अकर्मक क्रिया (Akarmak Kriya)

क्रिया को हिंदी व्याकरण का महत्वपूर्ण अंग माना जाता है। क्रिया का सामान्य अर्थ होता है किसी काम को करना। जो व्यक्ति कोई कार्य या क्रिया करता है उसे हम कर्ता के नाम से जानते हैं। क्रिया का ही एक महत्वपूर्ण भेद है अकर्मक क्रिया। इसके नाम से ही पता चल रहा है कि अकर्मक क्रिया वह है जिसके लिए कर्म की आवश्यकता ना हो। हिंदी व्याकरण के हिसाब से देखें तो अकर्मक क्रिया वह है जिसमें क्रिया को कर्म की जरूरत नहीं पड़ती। तो आज की हमारी इस पोस्ट के माध्यम से हम जानेंगे कि अकर्मक क्रिया किसे कहते हैं (Akarmak Kriya Kise Kahate Hain) और इसके भेद कितने प्रकार के होते हैं? हम आज अकर्मक और सकर्मक क्रिया के बीच का अंतर भी जानेंगे। तो चलिए हम यह पोस्ट पढ़ना शुरू करते हैं।

अकर्मक क्रिया किसे कहते हैं?

अकर्मक क्रिया यानी कि जिसमें कर्म का अभाव होता है अतः जिसमें सटीक कर्म या कार्य या काम का पता नहीं चलता है उसे अकर्मक क्रिया कहते हैं।

ये भी पढ़ें

हिंदी वर्णमाला (Hindi Varnamala) | Alphabets In Hindiयहाँ से पढ़ें
कारक किसे कहते हैं? (Karak Kise Kahate Hain?)यहाँ से पढ़ें
संज्ञा किसे कहते हैं? (Sangya Kise Kahate Hain?)यहाँ से पढ़ें

अकर्मक क्रिया की परिभाषा

अकर्मक शब्द से हम यह समझ सकते हैं कि जहां पर कोई कर्म करने की आवश्यकता ना पड़े तो उसे हम अकर्मक कहते हैं। इसलिए अकर्मक क्रिया का अर्थ होता है ऐसी क्रिया जिसे कोई कर्म करने की जरूरत ही ना पड़े। इसके उदाहरण हैं- डोलना, शर्माना, ललचाना, घबराना, भूलना, खुजलाना, घटना, बरसना, कूदना, उछलना, मरना, जीना, रोना, लिखना, उगना, चलना आदि।

अकर्मक क्रिया के वाक्य उदाहरण

1 ) बच्चे उछल रहे हैं।

2 ) पृथ्वी डोल रही है।

3 ) मोहन रोता है।

4 ) मीरा चलती है।

5 ) टीचर बरसती है।

6 ) वन घट रहे हैं।

7 ) वह पानी से नहाता है।

8 ) नीरज खाता है।

अकर्मक क्रिया के भेद

अकर्मक क्रिया के भेद दो प्रकार के होते हैं-

1 ) पूर्ण अकर्मक क्रिया

2 ) अपूर्ण अकर्मक क्रिया

पूर्ण अकर्मक क्रिया

पूर्ण का अर्थ है अपने आप में पूरा होना। पूर्ण अकर्मक क्रिया क्रिया का वह रूप है जिसमें ना तो कर्म की जरूरत पड़ती है और ना ही कोई पूरक शब्दों का इस्तेमाल करना पड़ता है। उदाहरण के लिए- उड़ना, देना, दिखाना, सोना, हँसना, आना, जाना, नाचना, भागना आदि।

पूर्ण अकर्मक क्रिया के उदाहरण

1 ) खूब सारे पक्षी आसमान में उड़ते हैं।

2 ) मोहन हँसता है।

3 ) वह रात को जल्दी सोती है।

4 ) वह जल्दी नहाता है।

5 ) निधि नाच रही है।

6 ) शिवम स्टेज पर गा रहा है।

7 ) वह तेज-तेज रो रहा है।

8 ) विमान ऊंची उड़ान भरता है।

9 ) कलाकार नृत्य दिखा रहे हैं।

अपूर्ण अकर्मक क्रिया

जो संज्ञा या विशेषण शब्द कर्ता का पूर्ण आशय पूरा करने के लिए प्रयुक्त होते हैं उन्हें हम अपूर्ण अकर्मक क्रिया के नाम से जानते हैं। अपूर्ण अकर्मक क्रिया में कर्ता के बारे में ढंग से बताने के लिए किसी संज्ञा या फिर विशेषण शब्द की जरूरत रहती है। जैसे- दिखाना, निकलना, ठहरना, बनना, रहना, होता आदि अपूर्ण अकर्मक क्रिया के उदाहरण है।

अपूर्ण अकर्मक क्रिया के उदाहरण

1 ) वह नया मुख्यमंत्री बन गया।

2 ) कड़ाके की ठंड ठहर गई।

3 ) रमेश तो बुद्धिमान निकला।

4 ) तुम तो मेरे रिश्तेदार ठहरे।

5 ) सीमा एक होशियार लड़की है।

6 ) दूकानदार तो बड़ा चालाक निकला।

अकर्मक क्रिया के उदाहरण

1 ) मोहन गाता है।

2 ) वह जाता है।

3 ) वृद्ध सोता है।

4 ) बच्चों का मन ललचाता है।

5 ) शशि बहुत शर्मा रही है।

6 ) वह नाच रही है।

7 ) पापा पीठ खुजला रहे हैं।

8 ) मंत्री लिख रहा है।

9 ) तोता उड़ता है।

10 ) नरेश पी रहा है।

11 ) तारें चमकते हैं।

12 ) वह मर रहा है।

13 ) सांप डसता है।

14 ) कुत्ते भौंकते हैं।

15 ) गाय डरती है।

16 ) वह पेड़ पर बैठ गया।

17 ) दिनेश रो रहा था।

18 ) मम्मी ने पकाया।

सकर्मक क्रिया और अकर्मक क्रिया में अंतर

सकर्मक क्रियाअकर्मक क्रिया
एक क्रिया जिसके अर्थ को स्पष्ट करने के लिए कर्म की जरूरत पड़ती है, उसे सकर्मक क्रिया कहते हैं।एक क्रिया जिसके अर्थ को स्पष्ट करने के लिए कर्म की आवश्यकता नहीं पड़ती, उसे अकर्मक क्रिया कहते हैं।
सकर्मक क्रिया में कर्म, क्रिया और कर्ता तीनों मौजूद रहते हैं।अकर्मक क्रिया में क्रिया और कर्ता तो मौजूद रहते हैं परंतु इसमें कर्म मौजूद नहीं रहता।
इस तरह की क्रिया में जब वाक्यों से प्रश्न पूछा जाता है तो जवाब में उत्तर मिलता है।इस तरह की क्रिया में वाक्यों से प्रश्न पूछने पर जवाब में उत्तर नहीं मिलता है।
इसके उदाहरण- महेश बाहर जा रहा है। शक्ति फूर्ती से भागती है। इसके उदाहरण- मीरा तेज चलती है। वह जोर से हँसता है।

निष्कर्ष

तो आज की हमारी इस पोस्ट के माध्यम से आपने जाना कि अकर्मक क्रिया का अर्थ क्या होता है। आपने इसी पोस्ट में यह भी समझा की अकर्मक क्रिया के भेद कितने प्रकार के होते हैं और अकर्मक क्रिया और सकर्मक क्रिया के बीच क्या अंतर होता है। अकर्मक क्रिया (जिसे हम अंग्रेजी में Intransitive Verb कहते हैं) को समझना इतना भी मुश्किल नहीं है जितना हम सोचते हैं। बस थोड़े से अभ्यास के साथ हम इस विषय को अच्छे से समझ सकते हैं। यही आशा करते हैं कि आपको हमारी यह पोस्ट पसंद आई होगी।

FAQ’S

Q1. अकर्मक क्रिया की परिभाषा क्या है?

A1. वाक्य में जिस क्रिया के प्रयोग में कर्म की अपेक्षा नहीं होती, उसे अकर्मक क्रिया कहते हैं।

Q2. अकर्मक क्रिया के उदाहरण क्या हैं?

A2. इसके उदाहरण हैं- डोलना, शर्माना ललचाना, घबराना, भूलना, खुजलाना, घटना, बरसना, कूदना, उछलना, मरना, जीना, रोना, लिखना, उगना, चलना आदि।

Q3. नीता गाती है- इस वाक्य में कौन सी क्रिया है?

A3. यह अकर्मक क्रिया का उदाहरण है। इस वाक्य में गाने (कर्म) का प्रभाव नीता (कर्ता) पर पड़ रहा है।

Q4. अकर्मक क्रिया कितनी प्रकार की होती है?

A4. अकर्मक क्रिया दो प्रकार की होती है- पूर्ण अकर्मक क्रिया और अपूर्ण अकर्मक क्रिया।

हिंदी व्याकरण से जुड़ी अन्य जानकारी के लिएयहां क्लिक करें

Leave a Reply