Class 11 History Ch-6 “मूल निवासियों का विस्थापन” Notes In Hindi
Mamta Kumari
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Class 11 History Chapter-6 Notes In Hindi
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कक्षा- 11वीं विषय- इतिहास पुस्तक- विश्व इतिहास के कुछ विषय अध्याय- 6 “मूल निवासियों का विस्थापन”
अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया का इतिहास
20वीं सदी के मध्य तक अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के इतिहास की पाठ्य-पुस्तकों में सिर्फ यह बताया गया था कि यूरोपवासियों द्वारा ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका की खोज कैसे की गई थी।
1840 के दशक से अमेरिका मानवविज्ञानियों ने मूल निवासियों पर अध्ययन करना आरंभ कर दिया।
1960 के दशक से मूल निवासियों को अपना इतिहास लिखने और उसे बताने के लिए प्रोत्साहित किया गया।
अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में देशी कला और आदिवासियों की जीवन-शैली को दर्शाने के लिए विशेष संग्रहालय भी उपलब्ध है।
अमेरिकी इंडियन राष्ट्रीय संग्रहलयों का निर्माण अमेरिकी इंडियनों द्वारा किया गया।
यूरोपीय साम्राज्यवाद
17वीं सदी के बाद स्पेन और पुर्तगाल के अमेरिकी साम्राज्य का विस्तार नहीं हुआ था।
विस्तार न होने के कारण दूसरे देशों ने अपनी व्यापारिक गतिविधियों का विस्तार करना और अमेरिका, अफ्रीका तथा एशिया में अपने उपनिवेश को स्थापित करना शुरू कर दिया था।
आयरलैंड भी इंग्लैंड का ही उपनिवेश था क्योंकि वहाँ बसे हुए अधिकतर भूस्वामी अंग्रेज थे।
18वीं सदी में यह साफ हो गया कि अधिक मुनाफा कमाने की इच्छा ने ही लोगों को यहाँ उपनिवेश बसाने के लिए प्रेरित किया।
दक्षिणी एशिया में व्यापारिक कंपनियों ने राजनीतिक शक्ति प्राप्त करने के लिए स्थानीय शासकों को हराकर शासन अपने हाथ में ले लिया।
व्यापारिक कंपनियों ने व्यापार प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए रेलवे का निर्माण किया, खदाने खुदवाईं साथ ही साथ बड़े-बड़े बागान स्थापित किए।
यूरोपीय लोग दक्षिण अफ्रीका को छोड़कर पूरे अफ्रीका में समुद्र तटों से ही व्यापार करते थे।
यूरोपीय मुल्कों ने अफ्रीका का बँटवारा अपने उपनिवेशों के रूप में एक समझौते द्वारा कर लिया।
सेटलर या आबादकार दक्षिण अफ्रीका के डचों, आयरलैंड, न्यूजीलैंड तथा ऑस्ट्रेलिया के अंग्रेजों को कहा जाता था।
सभी उपनिवेशों की राजभाषा अंग्रेजी थी लेकिन कनाडा में फ्रांसीसी को भी राजभाषा के रूप स्वीकृति प्राप्त थी।
उत्तरी अमेरिका और उसके मूल निवासी
उत्तरी अमेरिका का विस्तार उत्तरध्रुवीय व्रत से कर्क रेखा तक और प्रशांत महासागर से अटलांटिक महासागर तक है।
कनाडा का 40% भाग जंगलों से ढका हुआ है।
उत्तरी अमेरिका महाद्वीप में बहुत से क्षेत्रों में तेल, गैस और खनिजों के विशाल भंडार होने के कारण संयुक्त राज्य अमेरिका एवं कनाडा में बड़े-बड़े उद्योग स्थापित किए गए हैं।
मत्स्य उद्योग को कनाडा का एक महत्वपूर्ण उद्योग माना जाता है।
मौजूद निवास स्थान पर जन्म लेने वाले व्यक्तियों के लिए मूल निवासी शब्द का प्रयोग किया जाता है।
20वीं शताब्दी तक मूल निवासी का प्रयोग यूरोपीय लोगों द्वारा अपने उपनिवेशों के बाशिंदों के लिए किया जाता था।
उत्तरी अमेरिका के सबसे पहले निवासी 30000 साल पहले बेरिंग स्ट्रेट्स के आर-पार फैले भूमि-सेतु के रास्ते एशिया से आए थे।
जब 5000 वर्ष पहले उत्तरी अमेरिका की जलवायु में स्थिरता आने लगी, तो यहाँ की जनसंख्या बढ़ने लगी।
उत्तरी अमेरिका के मूल निवासी नदी घाटी के पास गाँवों में समूह बनाकर रहते थे।
मूल निवासियों का मुख्य भोजन मछली और मांस था। ये लोग मकई और सब्जियाँ भी उगाते थे।
ये लोग जंगली भैंसों (बाइसन) का शिकार मांस प्राप्त करने के लिए करते थे।
17वीं सदी में जब मूल निवासियों ने घुड़सवारी शुरू की तब शिकार करना उनके लिए और भी आसान हो गया।
ये लोग आवश्यकता से अधिक न तो शिकार करते थे और न ही खेती, इसलिए ये राजशाही विकास नहीं कर पाए।
ये लोग जमीन पर मिल्कियत अर्थात् अपना अधिकार जमाए बिना ही उससे मिलने वाले भोजन तथा आश्रय से ही संतुष्ट रहते थे।
औपचारिक संबंधों और मित्रता को बनाए रखना, उपहारों का आदान-प्रदान करना मूल निवासियों की परंपरा की प्रमुख विशेषताएँ थीं।
अमेरिकावासी कई भाषाएँ बोलते थे लेकिन उन्हें लिखना कठिन था।
उस समय प्रत्येक कबीले के पास अपनी उत्पत्ति और इतिहास से जुड़े ब्यौरे थे, जिसे आने वाली पीढ़ियाँ अपनाती थीं।
ये लोग कुशल कारीगर व बुनकर होने के साथ-साथ भूमि, प्रकृति और जलवायु संबंधित ज्ञान के धनी भी थे।
यूरोपियनों का उत्तरी अमेरिका से मुकाबला
17वीं सदी में यूरोपीय व्यापरियों को यह देखकर अच्छा लगा कि वहाँ के स्थानीय लोगों का व्यवहार दोस्ताना और गर्मजोशी भरा है।
यूरोपीय व्यापारी मछली और रोंएदार खाल के व्यापार के लिए आए थे।
फ्रांसीसियों ने देखा कि दक्षिण में मिसीसिप के किनारे देशी लोग नियमित रूप से इकट्ठा होते थे।
यूरोपीय लोग मूल निवासियों से प्राप्त स्थानीय उत्पाद के बदले में उन्हें कंबल, लोहे के बर्तन, बंदूक और शराब दिया करते थे।
मूल निवासियों को लगी शराब की लत, यूरोपीय लोगों के लिए व्यापार की दृष्टि से लाभकारी साबित हुआ।
पारस्परिक धारणाएँ तथा कनाडा और अमेरिका
18वीं सदी में पश्चिमी यूरोप विभिन्न क्षेत्रों में पहले से अधिक उन्नति कर चुका था।
साक्षरता, शहरीपन और संगठित धर्म यूरोपीय लोगों का आधार बन चुका था।
यूरोपीय लोगों को अपने मुख्य आधारों के कारण ही अमेरिका के मूल निवासी ‘असभ्य’ लगते थे।
उस समय मूल निवासियों को ‘उदत्त उत्तम जंगली’ नाम से संबोधित किया जाता था।
17वीं सदी में यूरोपीय लोगों के कुछ समूहों ने उत्पीड़न के शिकार होने के कारण यूरोप को छोड़ दिया और अमेरिका में रहने लगे।
मूल निवासियों द्वारा उन रास्तों की पहचान की गई, जो यूरोपीय लोगों की नजर में नहीं आए थे।
18वीं सदी के अंत तक कनाडा और संयुक्त राज्य अमेरिका अस्तित्व में आ गए।
उस समय मूल निवासियों को उनके स्थान हटाने के लिए विवश किया गया।
19वीं शताब्दी में अमेरिका के भूदृश्य में पूर्ण रूप से बदलाव आ गया क्योंकि यूरोपीय लोगों का दृष्टिकोण मूल निवासियों से भिन्न था।
ब्रिटेन एवं फ्रांस के संपन्न लोगों ने अमेरिका में जमीनें खरीदनी शुरू कर दी।
अमेरिका में आए प्रवासियों ने खरीदी हुई जमीनों पर कपास और धान जैसी फसलों की खेती की ताकि यूरोप के बाजारों में उसे ऊँची कीमतों पर बेचा जा सके।
दास बनाए गए मूल निवासी बहुत बड़ी संख्या में मौत के शिकार बने।
दास-प्रथा विरोधी समूह की वजह से दास-प्रथा पर रोक तो लग गई लेकिन अफ्रीका और संयुक्त राज्य अमेरिका में रहने वाले दासों के बच्चे दास बने रहे।
दास प्रथा को एक अमानवीय प्रथा बताकर उसे पूर्ण रूप से समाप्त करने के पक्ष में कई दलीलें पेश की गईं।
1865 ई. में दास प्रथा को संयुक्त राज्य अमेरिका में पूर्ण रूप से समाप्त कर दिया गया।
1763 ई. में कनाडा पर ब्रिटिश का राज था। उस समय कनाडा में रहने वाले फ्रांसीसी अप्रवासी ब्रिटिश राज से आजादी तथा राजनीतिक स्वतंत्रता की माँग कर रहे थे।
1867 ई. में कनाडा को स्वायत्त राज्यों के एक महासंघ के रूप में विकसित कर दिया गया।
अपनी ही जमीन से मूल बाशिंदों/निवासियों की बेदखली
संयुक्त राज्य अमेरिका के विस्तार होते ही मूल निवासियों को उनके स्थान से हटाया जाने लगा।
कम कीमत देकर मूल निवासियों से अधिक जमीनें ली गईं।
चिरोकी उन मूल निवासियों को कहा जाता था, जिन्होंने अंग्रेजी भाषा सीखने तथा अमेरिकी जीवन-शैली को समझने की सबसे अधिक कोशिश की थी।
1832 ई. में अमेरिका के मुख्य न्यायधीश जॉन मार्शल ने चिरोकियों के पक्ष में एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया था।
मार्शल ने अपने निर्णय में कहा था कि “यह कबीला एक विशिष्ट समुदाय है और उसके स्वत्वाधिकार वाले इलाके में जॉर्जिया का कानून लागू नहीं होता और वे कुछ मामलों में संप्रभुतासंपन्न हैं।”
लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति एंड्रिक जैक्सन ने चिरोकियों को उनकी जमीन से बेदखल करने के लिए अमेरिकी सेना भेजने का आदेश दे दिया।
चिरोकियों द्वारा अपनी भूमि को छोड़कर विस्तृत अमेरिकी मरुभूमि की तरफ जाना पड़ा। इस प्रवास को ‘आँसुओं की राह’ के नाम से जाना गया।
मूल निवासी भूमि का अधिक उपयोग करना नहीं जानते थे और शिल्प उत्पादन नहीं करते थे। ऐसी बातों को आधार बनाकर प्रवासी उन्हें आलसी कहते थे और उनकी आलोचना करते थे।
अंत में मूल निवासियों को पश्चिम में बसा दिया गया लेकिन जैसे ही वहाँ की जमीन पर सोना, खनिज और तेल के होने की जानकारी मिली, उन्हें वहाँ से भी हटा दिया गया।
अब निवासियों को छोटे इलाकों में रहने के लिए बाध्य कर दिया गया, जिसे रिजर्वेशंस (आरक्षण) कहा जाता था।
1869 से 1885 ई. के बीच यूरोप के मूल निवासियों के वंशजों ने सशस्त्र विद्रोह शुरू किया लेकिन इस युद्ध में उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
गोल्ड रश एवं उद्योगों की वृद्धि
1840 ई. में कैलिफोर्निया में जमीन के नीचे सोने के कुछ चिह्न मिले, जिसने ‘गोल्डन रश’ की अवधारणा को जन्म दिया।
1870 ई. में संयुक्त राज्य अमेरिका और 1885 ई. में कनाडा में रेलवे का कार्य पूरा हुआ।
इंग्लैंड में विशेष समय में औद्योगिक क्रांति होने के कारण छोटे किसानों का कारखानों की नौकरी की तरफ मुड़ना था।
1890 ई. में संयुक्त राज्य अमेरिका विश्व का अग्रणी औद्योगिक महाशक्ति बन चुका था।
इस समय कृषि क्षेत्र में विकास हुआ। बड़े-बड़े क्षेत्रों को उपजाऊ भूमि में परिवर्तित करके उस पर खेती की जाने लगी।
1890 ई. में मूल निवासियों की भैंसों के शिकार वाली दिनचर्या भी समाप्त हो गई।
1892 ई. में संयुक्त राज्य अमेरिका का महाद्वीपीय विस्तार पूरा हो चुका था।
मूल निवासियों के संवैधानिक अधिकार
आबादकारों ने आजादी के संघर्ष के लिए 1770 के दशक में ‘लोकतांत्रिक भावना’ के नारे के साथ एकजुटता बनाई।
स्वतंत्रता के बाद अमेरिका में बने संविधान के अंतर्गत व्यक्ति के ‘संपत्ति के अधिकार’ को सम्मिलित किया गया।
लोकतांत्रिक अधिकार और संपत्ति के अधिकार दोनों सिर्फ गोरों के लिए थे।
1920 ई. तक अमेरिका तथा कनाडा के मूल निवासियों की स्थिति में कोई खास परिवर्तन नहीं आया।
1928 ई. में आई बड़ी आर्थिक मंदी ने संयुक्त राज्य की संपूर्ण जनता को प्रभावित किया।
1934 में ‘इंडियन रिऑर्गेनाइजेशन एक्ट’ लागू किया गया, जिसके अंतर्गत रिजर्वेशंस में रहने वाले मूल निवासियों को जमीन खरीदने तथा ऋण लेने का अधिकार प्राप्त हुआ।
साल 1969 में कनाडा की सरकार ने यह घोषणा की थी कि वह आदिवासी अधिकारों को मान्यता नहीं देगी।
साल 1982 में सरकार ने आदिवासी अधिकारों को मान्यता दे दी।
ऑस्ट्रेलिया का इतिहास
ऑस्ट्रेलिया में मानव निवास का इतिहास काफी पुराना है।
ऑस्ट्रेलिया में आदिमानव 40000 वर्ष पहले आने शुरू हुए थे।
18वीं शताब्दी के अंत तक यहाँ मूल निवासियों के लगभग 350 से 750 तक समुदाय रहते थे।
ऑस्ट्रेलिया के उत्तर में ‘टॉरस स्ट्रेट टापूवासी’ नाम से मूल निवासियों का एक विशाल समुदाय रहता था।
साल 2005 में यहाँ की कुल जनसंख्या में से ‘टॉरस स्ट्रेट टापूवासी’ समुदाय की संख्या 2.4% थी।
ऑस्ट्रेलिया में यूरोपियों का आगमन पहले तो मित्रतापूर्ण नजर आया।
लेकिन कैप्टन कुक की हत्या के बाद ब्रिटिशों का व्यवहार मूल निवासियों के प्रति कठोर बन गया।
19वीं और 20वीं सदी में आबादकारों के साथ हुई लड़ाई में 90% मूल निवासियों को अपनी जान गवानी पड़ी।
ऑस्ट्रेलिया के आर्थिक विकास का मुख्य आधार भेड़ों के विशाल फार्म, अंगूर के विशाल बाग और गेहूँ की खेती इत्यादि थे।
1911 में कैनबरा (वूलव्हीटगोल्ड) को ऑस्ट्रेलिया की राजधानी बना दी गई।
ऑस्ट्रेलिया की सरकार ने साल 1974 में गैर-गोरों को देश से बाहर रखने की नीति अपनाई।
मूल निवासियों के जीवन इतिहास को पढ़ने के लिए ऑस्ट्रेलिया के विश्वविद्यालयों में विभिन्न विभागों की स्थापना की गई।
वर्ष 1974 से ‘बहुसंस्कृतिवाद’ ऑस्ट्रेलिया की राजकीय नीति थी।
1970 के दशक में ‘मानवाधिकार’ शब्द के प्रयोग को देखते हुए ऑस्ट्रेलिया की जनता को समझ आया कि भूमि अधिग्रहण को कोई औपचारिक रूप नहीं गया है।
जमीन के अलावा मिश्रित रक्त वाले बच्चों को उनके आदिवासी संबंधियों से छिन लिया गया था।
इन सभी मुद्दों से उत्पन्न आंदोलन के कारण सरकार को निम्नलिखित मुख्य दो निर्णय लेने पड़े-
मूल निवासियों का जमीन के साथ, जोकि उनके लिए ‘पवित्र’ है और मजबूत ऐतिहासिक संबंध रहा है, उसका आदर किया जाना चाहिए।
पिछली गलतियों को ठीक करने के लिए, गोरों और गैर-गोरों को अलग-अलग रखने की कोशिश करके बच्चों के साथ जो अन्याय किया गया है, उसके लिए सार्वजनिक रूप से माफी माँगी जानी चाहिए।
समयावधि अनुसार मुख्य घटनाक्रम
क्रम संख्या
काल (ई. में)
घटनाक्रम
1.
1701
क्यूबेक के मूल निवासियों के साथ फ्रांसीसियों का समझौता
2.
1763
क्यूबेक पर ब्रिटिशों की विजय
3.
1774
क्यूबेक एक्ट
4.
1791
कनाडा संवैधानिक एक्ट
5.
1781
ब्रिटेन ने संयुक्त राज्य अमरीका को एक स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता दी
6.
1783
ब्रिटिश लोगों ने संयुक्त राज्य अमरीका को मध्य-पश्चिम सौंपा
7.
1803
फ्रांस से लुइसियाना की खरीद
8.
1825-58
संयुक्त राज्य अमरीका के मूल निवासी आरक्षित क्षेत्रों में पहुंचाए गए
9.
1832
जस्टिस मार्शल का फैसला
10.
1837
फ्रांसीसी कनाडाई विद्रोह
11.
1840
उच्चतर और निम्नतर कनाडा की कैनेडियन यूनियन
12.
1849
अमरीकी गोल्ड रश
13.
1876
कनाडा इंडियन्स एक्ट
14.
1892
अमरीकी फ्रंटियर का ‘अंत’
15.
1974
‘गोरे ऑस्ट्रेलिया’ की नीति का खात्मा, एशियाई आप्रवासियों को प्रवेश की इजाज़त
16.
1995
आदिवासी और टॉरस स्ट्रेट टापूवासी बच्चों को उनके परिवारों से अलग किए जाने के मामले में राष्ट्रीय जाँच
17.
1999
1820 से 1970 के दशक के बीच ‘गुम हुए’ बच्चों से माफ़ीनामे के तौर पर ‘राष्ट्रीय क्षमायाचना दिवस’ (26 मई)