इस लेख में छात्रों को एनसीईआरटी 11वीं कक्षा की राजनीति विज्ञान की पुस्तक-1 यानी “राजनीतिक सिद्धांत” के अध्याय- 1 “राजनीतिक सिद्धांत: एक परिचय” के नोट्स दिए गए हैं। विद्यार्थी इन नोट्स के आधार पर अपनी परीक्षा की तैयारी को सुदृढ़ रूप प्रदान कर सकेंगे। छात्रों के लिए नोट्स बनाना सरल काम नहीं है, इसलिए विद्यार्थियों का काम थोड़ा सरल करने के लिए हमने इस अध्याय के क्रमानुसार नोट्स तैयार कर दिए हैं। छात्र अध्याय 1 राजनीति विज्ञान के नोट्स यहां से प्राप्त कर सकते हैं।
Class 11 Political Science Book-1 Chapter-1 Notes In Hindi
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अध्याय- 1 “राजनीतिक सिद्धांत: एक परिचय”
बोर्ड | सीबीएसई (CBSE) |
पुस्तक स्रोत | एनसीईआरटी (NCERT) |
कक्षा | ग्यारहवीं (11वीं) |
विषय | राजनीति विज्ञान |
पाठ्यपुस्तक | राजनीतिक सिद्धांत |
अध्याय नंबर | एक (1) |
अध्याय का नाम | राजनीतिक सिद्धांत: एक परिचय |
केटेगरी | नोट्स |
भाषा | हिंदी |
माध्यम व प्रारूप | ऑनलाइन (लेख) ऑफलाइन (पीडीएफ) |
कक्षा- 11वीं
विषय- राजनीति विज्ञान
पुस्तक- राजनीतिक सिद्धांत
अध्याय-1 “राजनीतिक सिद्धांत: एक परिचय”
- समाज का संगठन, सरकार की आवश्यकता, इसके सर्वश्रेष्ठ रूप की पहचान, कानून क्या नागरिकों की आजादी को सीमित करता है?, नागरिकों के प्रति राजसत्ता की देनदारी, नागरिकों की आपस में देनदारी, इस तरह से सवालों का विश्लेषण राजनीतिक सिद्धांत में किया जाता है।
- इसका उद्देश्य नागरिकों को सही राजनीतिक समझ देना और घटनाओं का विश्लेषण कर एक तर्क प्रदान करने की शिक्षा देना है।
राजनीति का अर्थ
- राजनीति के अर्थों को आज के समय में विभिन्न परिस्थितियों में भिन्न प्रकार से देखा जाता है।
- राजनेताओं के अनुसार राजनीति जन सेवा है, कुछ के अनुसार यह दावपेंच का जरिया है, कुछ के अनुसार स्वयं के विषय में सोच रहे नेताओं के अनुसार राजनीति का संबंध ‘घोटालों’ से है।
- राजनीति समाज का जरूरी और अखंडनीय भाग है। राजनीतिक संगठन या राजनीतिक दल की अनुपस्थिति में किसी भी समाज का कल्याण नहीं किया जा सकता।
- समाज की विभिन्न जरूरतों और हितों को पूरा करने के लिए आर्थिक, जनजाति जैसी समाजिक संस्थाओं का होना आवश्यकता होता है।
- संस्थाओं के साथ सरकार भी इन सभी क्रियाओं में बराबर की भागीदार होती है।
- सरकार आम नागरिकों के जीवन को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करती है। सरकार देश की आर्थिक, शिक्षा, विदेश नीति में बदलाव निर्धारित करती है।
- नागरिकों के पक्ष में लिए गए निर्णय, उसकी स्थिति को अच्छा बना सकते हैं, लेकिन भ्रष्ट सरकार द्वारा लिए गए निर्णयों से नगरिकों की स्वतंत्रता और सुरक्षा पर प्रश्न चिन्ह लग जाता है।
- सरकार के निर्णयों से ही देश का माहौल सकारात्मक या नकारात्मक हो सकता है।
- सरकार की साक्षरता संबंधी नीतियों का प्रभाव देश की युवा पीढ़ी के भविष्य पर सीधा असर होता है।
राजनीति का प्रभाव एवं महत्व
- सरकार के कामों का आम जनता पर पूर्ण असर होता है, संस्थाओं के निर्माण के बाद नागरिक अपनी मांगों के लिए अभियान चलाते हैं।
- सरकार के किसी निर्णय से नाखुश होने की स्थिति में नागरिक विरोध कर अपनी बात को मनवा सकते हैं, वाद-विवाद से मौजूदा सरकार का विश्लेषण किया जाता है।
- इससे देश में फैली अव्यवस्था का निपटारा किया जा सकता है।
- राजनीति का महत्व इस बात के लिए है कि इसके द्वारा समाज के पक्ष में निर्णय लिए जा सकते हैं, इसको लेकर सबकी मानसिकता अलग-अलग होती है।
- जब जनता सामाजिक स्तर पर कोई कार्य या कदम उठाती है, तब ऐसा कहा जाता है कि जनता राजनीति में संलग्न है।
राजनीतिक सिद्धांत की जानकारी
- संवैधानिक दस्तावेजों का निर्माण कई राजनीतिक विशेषज्ञों ने अपनी सूझ-बूझ से किया, जिनमें अरस्तू, कार्ल मार्क्स, ज्यांजॉक रूसो, महात्मा गांधी और अंबेडकर आदि शामिल हैं।
- रुसो ने कई साल पहले यह सिद्ध किया कि स्वतंत्रता मानव का मौलिक अधिकार है, कार्ल मार्क्स ने बताया की समानता स्वतंत्रता के समान ही जरूरी है।
- महात्मा गांधी ने अपनी पुस्तक- हिन्द स्वराज में, स्वराज की महत्वता बताई, और अंबेडकर ने अनुसूचित जातियों के लिए संरक्षण को सही करार दिया, जिससे भारत का संविधान स्वतंत्रता और समानता के आधार पर बना।
- राजनीतिक सिद्धांत के अंतर्गत स्वतंत्रता, समानता और न्याय जैसी अवधारणाओं का अर्थ स्पष्ट होता है। देश में व्याप्त कानून, अधिकारों के सार्थक बंटवारे की जांच करता है।
- यह कार्य विचारकों की युक्तियों का विश्लेषण कर किया जाता है।
स्वतंत्रता एवं समानता
- स्वतंत्रता और समानता से संबंधित प्रश्न आज भी उठने लगते हैं, ऐसा इसलिए क्योंकि समानता आर्थिक और सामाजिक क्षेत्रों में राजनीतिक समानता की तरह विद्यमान नहीं है, क्योंकि राजनीतिक समानता अधिकारों के रूप में है।
- कुछ क्षेत्रों में आज भी नागरिक असमान शिक्षा के कारण रोजगार पाने में असफल हैं, वहीं कुछ आसानी से अपने लक्ष्यों की प्राप्ति कर पा रहे हैं।
- नागरिकों को स्वतंत्रता की प्राप्ति के बाद भी, नई व्याख्याओं का सामना करना होता है, जैसे- मौलिक अधिकारों की बार-बार की जाने वाली पुनर्व्याख्या।
- समाज जब नई समस्याओं से जूझता है, तब ये व्याख्याएं की जाती हैं। संविधान में संशोधन किए जाते हैं, जिनसे आई हुई नई समस्याओं का समाधान किया जा सके।
- बदलता दौर आने वाले उन सभी खतरों के लिए समाधान ढूंढ रहा है, जो किसी भी तरह की स्वतंत्रता के विरुद्ध है।
- तकनीक जहां आज के दौर में छोटे समूहों जैसे आदिवासियों के अधिकारों की रक्षा में काम आई है, वहीं आतंकवादी संगठनों को मजबूत करने में भी सहायक सिद्ध हुई है।
- तकनीकि युग में ऑनलाइन साझा की जा रही जानकारियों का भी सुरक्षित रहना जरूरी है। इसके लिए नागरिक सरकार द्वारा ऐसे नियमों की मांग करते हैं जो उनकी गोपनीयता को बनाए रखें।
राजनीतिक सिद्धांतों के अनुसार व्यवहार करना
- किसी भी अन्य विषय जैसे गणित की एक निश्चित व्याख्या प्रस्तुत की जा सकती है, लेकिन राजनीतिक सिद्धांत के अंतर्गत समानता, न्याय या स्वतंत्रता की कोई एक परिभाषा नहीं दी जा सकती।
- इसका सबंध मनुष्य के साथ बनाए गए संबंधों से होता है, जिसपर हर किसी की अपनी राय होती है।
- जब नागरिक किसी प्रकार के अधिकार का वहन समान भुगतान करके करता है, तो वह ऐसी स्थिति में समान बर्ताव की अपेक्षा करता है।
- ऐसी स्थिति में अपने से अस्वस्थ या विकलांग/वृद्ध वर्ग के साथ होने वाला विशेष बर्ताव किसी भी स्वस्थ व्यक्ति को न्यायोचित ही लगेगा।
- कभी-कभी परिस्थिति यह भी होती है कि निम्न वर्ग जो अपनी बुनियादी जरूरतें पूरी करने में भी सक्षम नहीं है, के लिए समानता में निष्पक्षता का होना भी जरूरी है।
- देश में कई अधिकार मात्र औपचारिक बनकर रह गए हैं, जैसे प्राथमिक शिक्षा का अधिकार, क्योंकि असंख्य बच्चे विद्यालय जाकर बुनियादी शिक्षा नहीं ले पा रहे हैं।
- नागरिक पंक्तिबद्ध होने पर समान अधिकारों की मांग करते हैं, कोई अक्षमता होने पर विशेष प्रावधान की, लेकिन जब बुनियादी जरूरतों की ही कमी हो जाए तब समान अवसरों की बात का कोई मतलब नहीं रह जाता।
- ऐसी परिस्थति में नागरिकों का सभी सुविधाओं को पाने के लिए समर्थ होना आवश्यक हो जाता है, जिसके लिए किसी संस्थान को जिम्मेदारी लेनी होती है।
- समानता प्रसंग से संबंधित होने के कारण अनेक परिभाषाएं लिए हुए है।
राजनीतिक सिद्धांत की आवश्यकता
- राजनीतिक सिद्धांत को किसी भी वर्ग के लिए जानना आवश्यक है, इस तरह के विषय शिक्षकों, छात्रों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, पत्रकार, न्यायधीशों और वकीलों के लिए महत्वपूर्ण होते हैं।
- इसकी जानकारी होना इसलिए भी आवश्यक है, क्योंकि यह आगे जाकर इससे मत सम्पन्न नागरिक बना जा सकता है।
- सूचनापरक युग में, राय पेश करने से पूर्व संबंधित विषय का जानकार होना बेहद आवश्यक है, यह विचारों को परिपक्व बनाने में सहायक है।
- स्वतंत्रता, समानता से संबंधित मुद्दे नागरिकों के प्रत्यक्ष मुद्दे हैं, जिनसे उन्हें रोजमर्रा के जीवन में दो चार होना पड़ता है, इसका निवारण शीघ्र होना हमारे लिए जरूरी हो जाता है, जिसके विलंब के कारण हम विरोधी स्वर भी अपना लेते हैं।
- राजनीतिक सिद्धांत हमें अपने राजनीतिक अधिकारों के प्रति जानकार बनाता है, जिससे हम सजग नागरिक बन सकें।
- समानता और न्याय से संबंधित सुव्यवस्थित सोच हमें राजनीतिक सिद्धांत से मिलती है, जिससे नागरिक अपने तर्क-वितर्क को स्पष्ट तौर पर रख सकें।
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