बारिश का मौसम मुझे बहुत ज्यादा पसंद है। इस मौसम के आने की प्रतीक्षा में दिन और रात एक हो जाते हैं। सावन का मौसम वैसे भी बहुत खास होता है। यह मौसम सबका प्रिय मौसम होता है। हर साल मैं सावन का इंतजार बेसब्री से करती हूं। लेकिन अगर यही मौसम समय से ही पहले आ जाए तो? आज के समय में कोई दो राय नहीं है कि हर साल हमारे जलवायु में बड़ी ही तेज़ी से परिवर्तन आ रहा है। अभी पिछले ही महीने की बात है जब फरवरी महीने में बेमौसम ही बारिश हो गई थी। आइये नीचे jalvayu parivartan par nibandh पर विस्तार से चर्चा करते हैं।
बाढ़, सूखा, झुलसाने वाली लू, जंगल में आग और क्षेत्रीय चक्रवातों का बेमौसम ही और अधिक मात्रा में आना आखिर क्या दर्शाता है? यह मौसम में होने वाले बड़े बदलावों की ओर इशारा करते हैं। हमने अपने स्कूल और काॅलेज में इस विषय पर काफी पढ़ा और सुना है। लेकिन हर किसी को शायद इसकी असली समझ नहीं है। और यही एक बड़ा कारण है कि हमारे वातावरण में उथल-पुथल मची हुई है। ऐसा नहीं है कि हमारे जलवायु में परिवर्तन हाल के ही दिनों में होना लगा है। यह परिवर्तन तो कई सदियों से चला आ रहा है।
प्रस्तावना
हमारी धरती करोड़ो साल पुरानी है। धरती के अस्तित्व में आते ही मानव और जीव जंतुओं का भी धीरे-धीरे विकास होने लगा। पहले के आदिमानव प्रकृति के बीच ही रहते थे। उस समय मानव के बुद्धि का विकास नहीं हुआ था। वातावरण में जो कुछ भी हलचल या उथल-पुथल हुआ करती थी वह सब प्राकृतिक थी। पहले मानव सभ्यता इतनी विकसित नहीं हुई थी। पहले प्राकृतिक घटनाओं के चलते जलवायु परिवर्तन होता था जैसे कि सौर परिवर्तन, ज्वालामुखी विस्फोट, सुनामी और पृथ्वी की कक्षीय परिवर्तन आदि।
लेकिन जब से मानव सभ्यता का विकास होना शुरू हुआ धरती पर बहुत कुछ बदल गया। बड़ी बड़ी इंडस्ट्रीज का निर्माण होने लगा। 21वीं शताब्दी के मनुष्यों को लालच के कीड़े ने काट लिया। इसी लालच के ही चलते ही हम मनुष्यों ने वनों की कटाई और जीवाश्म ईंधन का अत्यधिक उपयोग करना शुरू कर दिया। हमारी वजह से ही धरती और जल के प्रदूषण का विस्तार हुआ।
जलवायु परिवर्तन क्या है?
जलवायु को हम अंग्रेजी में क्या कहते हैं? अंग्रेजी में जलवायु का अर्थ है क्लाइमेट (climate)। हम अक्सर क्लाइमेट चेंज के विषय पर अक्सर बात करते हैं। पर आखिर यह क्लाइमेट है क्या? जब किसी स्थान के मौसम की दशा औसत रहती है तब वह जलवायु कहलाता है। अब हमने यह तो समझ लिया कि हम जलवायु किसे कहते हैं। तो आइए अब हम यह जानते हैं कि आखिर जलवायु परिवर्तन होता क्या है? हम इसे सरल भाषा में समझते हैं।
हर देश की जलवायु अलग होती है। जैसे अगर हम बात करें अमेरिका के जलवायु की तो वह ज्यादा ठंडा देश। मतलब वहां पर सर्दी गर्मी के मुकाबले ज्यादा तेजी से पड़ती है। और अगर हम अपने देश की बात करें तो हम यह पाते हैं कि यहां पर सभी राज्यों की अलग-अलग प्रकार की जलवायु है। पर सबसे अधिक समय तक इस देश में गर्मी पड़ती है। पर जबसे जलवायु में परिवर्तन आने लगा है तब से इन देशों की जलवायु में बहुत बड़ा बदलाव देखने को मिला है।
जलवायु परिवर्तन के कारण क्या है?
जब से मानव सभ्यता के विकास ने ऊंचाइयों को छुआ तब से पूरे की जलवायु में परिवर्तन आना शुरू हो गया। ऐसा नहीं है कि यह बदलाव नया है। दुनिया में हमेशा से ही जलवायु में परिवर्तन होते आए है। परंतु जो बदलाव प्राकृतिक रूप से होते आए हैं वह दरअसल लंबे समय के साथ हुए। परंतु मानवों के चलते जलवायु में बड़ी ही तेज़ी के साथ परिवर्तन हुआ है। तो आइए हम सबसे पहले जानते हैं प्राकृतिक रूप से होने वाले जलवायु परिवर्तन के कारण। इसके बाद हम समझेंगे कि मानव ने कैसे हमारी जलवायु को प्रभावित किया।
प्राकृतिक कारण- जलवायु परिवर्तन के प्राकृतिक कारण सौर परिवर्तन, ज्वालामुखी विस्फोट, सुनामी और पृथ्वी की कक्षीय परिवर्तन आदि है। यह सभी बदलाव प्राकृतिक रूप से हमेशा होते आए हैं। इनपर हमारा जोर नहीं चल सकता है।
मनुष्यों के कारण- जलवायु परिवर्तन का सबसे बड़ा और मुख्य कारण खुद मनुष्य ही है। मनुष्यों की लापरवाही के चलते हमारी धरती को बहुत बड़ा नुकसान उठाना पड़ रहा है। मनुष्य को चारों तरफ से लोभ ने घेर रखा है। जलवायु परिवर्तन का सबसे पहला कारण है बेरहमी के साथ पेड़ो का काटे जाना।
लोग अंधाधुंध तरीके से पेड़ काट रहे है। उसे लकड़ी को बेचने पर अच्छा मुनाफा मिलता है। वह लकड़ी को अपने घर के फर्नीचर में भी काम ले रहा है। पेड़ों को काटकर उसे वहां घर बनाने और खेती के लिए अच्छी और पर्याप्त जगह मिल जाती है।
मनुष्य यह बिल्कुल नहीं सोच रहा कि जिन पेड़ों को वह काट रहा है उसी से ही उसे शुद्ध ऑक्सीजन प्राप्त होती है। अगर पेड़ ही नहीं रहेंगे तो मनुष्य के अस्तित्व को ही खतरा है। जलवायु परिवर्तन का दूसरा बड़ा कारण है कारखाने से होने वाले प्रदूषण से। आज के समय में कारखाने की लंबी कतार है।
हर दिन एक नया कारखाना खुल रहा है। कारखानों की वजह से वायु में प्रदुषण फैल रहा है। वायु दिन-ब-दिन दूषित और जहरीली होती जा रही है। कारखानों से निकलने वाली गैस के ही चलते वातावरण में गर्मी बढ़ती जा रही है।
जलवायु परिवर्तन के प्रभाव
जलवायु परिवर्तन के चलते हमें इसके गंभीर प्रभाव देखने को मिलते हैं। इसका प्रभाव मनुष्यों पर, जीव-जंतुओं पर और पेड़-पौधों पर देखने को मिलता है। जलवायु परिवर्तन से होने वाले प्रभाव –
मनुष्यों पर प्रभाव- मनुष्यों को जलवायु परिवर्तन के गंभीर परिणाम देखने को मिल रहे हैं। आज वायु प्रदूषण की वजह से बहुत से लोगों को कैंसर जैसी बीमारी हो रही है। बाढ़ भी आज एक आम समस्या बन गई है जो कई लोगों के जीवन को तबाह कर रही है।
जीव जंतुओं पर प्रभाव- जलवायु परिवर्तन के कारण जीव-जंतुओं को भी भारी नुकसान उठाना पड़ता है। क्योंकि जलवायु परिवर्तन के चलते मौसम में भारी बदलाव देखने को मिलता है। कहीं सूखा पड़ता है तो कहीं भारी बाढ़ आ जाती है। सूखा पड़ने से भी कई जानवर मारे जाते हैं तो बाढ़ भी जानवरों पर कहर बरसाती है।
जलवायु का महत्व क्या है?
हमारे जीवन में जलवायु का बड़ा महत्व है। अंग्रेजी में जलवायु को हम क्लाइमेट के नाम से जानते हैं। जलवायु का सरल अर्थ है देश की प्राकृतिक स्थिति से जहां पर गरमी-सर्दी का विशेष प्रभाव जीव-जंतुओं आदि पर पड़ता है तो ऐसे में वह जलवायु कहलाता है। जलवायु के वजह से ही हम सभी का अस्तित्व बना हुआ है।
दुनियाभर में हर जगह उचित समय पर बारिश भी चाहिए होती है तो बहुत सी जगह सर्दी की भी जरूरत महसूस होना शुरू हो जाती है। हमारे जीवन के लिए हर तरह के मौसम का होना बहुत जरूरी है। किसानों की फसल भी जलवायु पर निर्भर करती है। जो भोजन हमें प्राप्त होता है वह भी जलवायु पर ही निर्भर करता है। आज सभी जीव जंतु और मनुष्यों का जीवन जलवायु पर निर्भर करता है।
जलवायु के प्रकार
जलवायु मुख्य रूप से 6 प्रकार की होती है –
- ऊष्ण कटिबन्धीय आर्द्र जलवायु
- शुष्क जलवायु
- सम शीतोष्ण जलवायु
- मध्य अक्षांश जलवायु
- ध्रुवीय जलवायु
- उच्च पर्वतीय जलवायु
1) ऊष्ण कटिबन्धीय आर्द्र जलवायु– उष्ण कटिबंध जलवायु क्षेत्र वह होते हैं जहां औसत प्रतिमास तापमान लगातार ऊपर चढता रहता है और साल भर में 18 डिग्री सेल्सियस से अधिक रहता है। यह जलवायु डूंगरपुर जिले का दक्षिणी भाग एवं बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़ व झालावाड में पाया जाता है।
2) शुष्क जलवायु– इस प्रकार की जलवायु में बारिश बहुत कम होती है। और बारिश की कमी के ही कारण ही फूलों में इतनी बढ़ोतरी नहीं हो पाती जितनी बढ़ोतरी होनी चाहिए। शुष्क जलवायु को हम रेगिस्तानी जलवायु के नाम से भी जानते हैं। इस जगह पर रेत ज्यादा मात्रा में होती है और हवा भी बहुत गर्म बहती है। यहां अधिक बारिश की जगह धूलभरी आंधी चलती है।
3) सम शीतोष्ण जलवायु – सम शीतोष्ण जलवायु में गर्म महीने 10℃ से हमेशा उपर ही रहते हैं। और इस प्रकार के जलवायु का ठंडा महीना -3℃ से थोड़ा ऊपर होता है। इस प्रकार की जलवायु में चार प्रकार के मौसम होते हैं। यहां पर सर्दियों में बारिश होती है। मकई, क्विनोआ, गेहूं, सब्जियां, फल, आदि इस जलवायु के अंतर्गत आते हैं। हिरण, चमगादड़, वोल्ट, प्यूमा, लोमड़ी, कार्डिनल्स और ईगल आदि यहां के मुख्य जानवर।
4) मध्य अक्षांश जलवायु- मध्य अक्षांश जलवायु का विस्तार महाद्वीपों की पूर्वी और पश्चिमी सीमाओं पर 30°50° अक्षांश पर स्थित होता है। एशिया में गोबी रेगिस्तान, टकलामकान रेगिस्तान, ग्रेटर बारसुकी रेगिस्तान, अरल काराकुम रेगिस्तान ऐसी जलवायु के क्षेत्र है।
5) ध्रुवीय जलवायु- इस प्रकार के जलवायु वाले इलाके भंयकर ठंड और बर्फ से ढके रहते है। यहां का तापमान बहुत कम रहता है। ध्रुवीय जलवायु वाले क्षेत्र पृथ्वी के दो हिस्से में बंटे हुए है – उत्तर और दक्षिण। जिसको अंग्रेजी में क्रमशः आर्कटिक एंव अंटार्कटिक कहते है। यहां बहुत कम वर्षा होती है।
जलवायु परिवर्तन को रोकने के उपाय
आज जलवायु परिवर्तन की वजह से दुनिया को बहुत भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। आज जंगल में आग लग रही, बहुत जगहों पर बाढ़ अपना कहर बरपा रही है। जलवायु परिवर्तन ने दुनिया को उथल-पुथल कर दिया है। पर जलवायु परिवर्तन को रोककर हम दुनिया को तबाही से बचा सकते हैं। जलवायु परिवर्तन को रोकने के बहुत से उपाय होते हैं –
1) पेट्रोल के वाहनों का त्याग करना – क्या आपको पता है कि दुनिया में सबसे ज्यादा अगर प्रदुषण किसी से फैलता है तो वह है वाहनों द्वारा। वाहनों से फैलने वाला प्रदुषण का योगदान 20% रहता है। इसलिए जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए हमें पेट्रोल से चलने वाले वाहनों पर रोक लगाना बहुत जरूरी है। इसका सबसे आसान उपाय यह है कि हम पूर्ण रूप से पेट्रोल के वाहनों की जगह इलेक्ट्रॉनिक वाहनों का इस्तेमाल करें।
2) शाकाहार को अपनाना – इस दुनिया में आधे से ज्यादा लोग मांसाहार आहार को अपनाते हैं। वह बड़े चाव से मांस – मीट खाते हैं। पर मीट का सेवन जलवायु पर गंभीर असर डालता है। इसी के चलते ही पूरे विश्व में ग्रीनहाउस गैस बढ़ रही है।
3) स्विच ऑफ करना – जब आप अपने घर के किसी कोने में बेवजह के लाइट, एसी, पंखे चालू छोड़ देते है या कोई भी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण का स्विच ऑफ नही करते या अनप्लग नही करते तो उर्जा खपत की यह गलत आदत जलवायु परिवर्तन के लिए जिम्मेदार है। इन आदतों में परिवर्तन कर हम अपने तरफ से एक कदम अपनी धरती के लिए ले सकते है।
4) खाने की बर्बादी को रोकना – दुनियाभर में खाने का एक तिहाई हिस्सा बर्बाद हो जाता या सड़ जाता है। इस प्रक्रिया के दौरान बड़ी मात्रा में मीथेन गैस उत्पन्न होती है । जो ग्रीनहाउस गैस का कारण बनती है जो जलवायु परिवर्तन के कारणों में से एक है।
5) पेड़ पौधो की रक्षा – पेड़ हमारे प्राण है। जितने ज्यादा पेड़ हम लगाएंगे और उनकी रक्षा करेंग उतनी ज्यादा प्रदूषण को सोखने की क्षमता होगी। क्योंकि पेड़ कार्बन डाइऑक्साइड को सोखते है और ऑक्सीजन छोड़ते है जो हमारे लिए प्राणवायु की तरह काम करती है। यह जलवायु परिवर्तन को रोकने में बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण है।
जलवायु परिवर्तन पर 100 शब्दों में निबंध
हाल ही में मैं देहरादून घूमने गई थी। वहां पर एक अलग नजारा देखने को मिला। दरअसल मैंने वहां देखा कि एक जगह जंगल में आग लगी हुई थी तो दूसरी तरफ धड़ाधड़ पेड़ काटे जा रहे थे। मुझे अजीब यह लगा कि एक तरफ तो हम जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग का रोना रो रहे हैं तो दूसरी ओर यह सब काम चल रहा है।
आज जलवायु परिवर्तन के चलते दुनिया में बहुत खराबी हो रही है। लोगों को बाढ़ का सामना करना पड़ रहा है। आज हमें उचित रूप से अनाज भी हासिल नहीं हो रहा है। जलवायु परिवर्तन के लिए प्रकृति और मानव दोनों ही जिम्मेदार है। हमें लोगों को इसके लिए जागरूक करना होगा।
जलवायु परिवर्तन पर 10 लाइनें
- जलवायु परिवर्तन का असर हमारी धरती पर ही नही बल्कि इंसान और जीव जंतुओं पर भी समान रूप से पड़ता है।
- जीवाश्म ईंधन का लगातार दोहन, वनों की कटाई और वायु प्रदूषण जलवायु परिवर्तन के प्रमुख कारणों में से एक है।
- अगर हमने जलवायु परिवर्तन पर रोक नहीं लगाई तो बहुत ही जल्द हमारी धरती नष्ट हो जाएगी।
- आज हमारे किसानों को जलवायु परिवर्तन के चलते बहुत भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है।
- जब बार-बार बाढ़ आए, भूस्खलन हो, और जंगलों में लगातार आग लगती जाए तो समझ जाओ कि जलवायु परिवर्तन हो रहा है।
- जलवायु परिवर्तन के पीछे कई घटक मौजूद है।
- जलवायु परिवर्तन के चलते ही दुनिया में ज्यादा बारिश होती है।
- जितना ज्यादा हो सके नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग होना चाहिए। जैसे- इलैक्ट्रानिक वाहनों का उपयोग करके हम जलवायु परिवर्तन को रोक सकते हैं।
- जलवायु परिवर्तन को लेकर हमें दुनियाभर में जागरूकता फैलाना होगी।
- जलवायु परिवर्तन के पीछे मानवों का सबसे बड़ा हाथ है।
निष्कर्ष
तो आज के इस निबंध के माध्यम से हमने जाना कि जलवायु परिवर्तन का अर्थ क्या होता है। हमने यह भी जाना कि जलवायु कितने प्रकार की होती है। हमने जलवायु परिवर्तन के मुख्य कारण भी सीखे। आज जलवायु परिवर्तन एक आम और गंभीर मुद्दा बन गया है। इस परिवर्तन के चलते धरती को बड़ा नुकसान पहुंच रहा है। हम सभी इंसानों को यह प्रयास करना होगा कि कैसे हम ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन को लेकर लोगों को जागरूक करें। हम यह आशा करते हैं कि आपको यह निबंध बहुत पसंद आया होगा।
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जलवायु परिवर्तन पर आधारित FAQs
प्रश्न – जलवायु परिवर्तन क्या है?
उत्तर :- जलवायु को हम अंग्रेजी में क्या कहते हैं? अंग्रेजी में जलवायु का अर्थ है क्लाइमेट (climate)। क्लाइमेट का असल मायने में अर्थ है तापमान और मौसम के पैटर्न में दीर्घकालिक बदलाव का होना।
प्रश्न – जलवायु परिवर्तन के कारण क्या होते हैं?
उत्तर :- जलवायु परिवर्तन के कारण दो प्रकार के होते हैं – प्राकृतिक कारण और दूसरा है मानव द्वारा होने वाली गतिविधियां। प्रकृति द्वारा होने वाले परिवर्तन नेचुरल है लेकिन मानव द्वारा होने वाली गतिविधियां जलवायु को नुकसान पहुंचाती है।
प्रश्न – जलवायु परिवर्तन की स्थापना कब हुई थी?
उत्तर :- जलवायु परिवर्तन की स्थापना नवंबर 1988 में हुई थी।
प्रश्न – जलवायु परिवर्तन दिवस कब मनाया जाता है?
उत्तर :- जलवायु परिवर्तन दिवस 21 मार्च को हर साल को मनाया जाता है।