होली क्यों मनाई जाती है? (Holi Kyun Manayi Jati Hai?)- हमारा भारत देश पूरे साल भर में अनेकों त्यौहार मनाता है। इस देश के सभी त्यौहार अपने आप में बहुत खास होते हैं। कोई रंगों का त्यौहार होता है तो कोई रोशनी का त्यौहार होता है। भारत के दो प्रमुख त्यौहार जैसे कि दिवाली और होली बहुत ही सुंदर त्यौहार होते हैं। अब जैसे-जैसे मार्च नजदीक आता जा रहा है होली का परवान लोगों पर चढ़ता जा रहा है। इस देश में होली को लेकर लोगों में उत्सुकता का माहौल बना रहता है। होली में लोग एक दूसरे को गुलाल लगाते हैं और एक दूसरे के साथ जमकर खेलते हैं।
होली का महत्व
होली भारत का सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक माना जाता है। होली खेलते हुए बच्चे बहुत ही सुंदर लगते हैं। होली का यह खूबसूरत पर्व हर साल मार्च महीने में मनाया जाता है। जैसे ही बसंत ऋतु का आगमन होता है वैसे ही वातावरण में होली का रंग देखने को मिलने लगता है। बच्चे हाथों में पिचकारी और गुब्बारे लिए हर गली में दिख जाते हैं। होली को दो नाम से जाना जाता है एक होलिका दहन और दूसरा धुलंडी। होली का यह पवित्र और प्यारा त्यौहार हजारों वर्षों से मनाया जाता आ रहा है। भगवान श्री कृष्ण को भी होली का उत्सव बहुत अधिक प्रिय था।
होली मनाने के पीछे का बहुत बड़ा महत्व है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कहते हैं कि इसी दिन ही एक ऐसी बड़ी घटना घटी जिसके चलते होली मनाई जाने लगी। कहते हैं कि हिरण्यकशिपु नामक एक राक्षस था। वह राक्षस अपने बेटे से इसलिए परेशान था क्योंकि उसका बेटा प्रहलाद भगवान विष्णु का भक्त था। उसने अपने बेटे को मारने के लिए अपनी बहन होलिका और बेटे को आग की चिता में बैठा दिया। चूंकि होलिका को यह वरदान था कि वह आग में नहीं जलेगी इसलिए वह बेफिक्री से आग में बैठी रही। परंतु प्रहलाद के जलने के बजाय होलिका जल गई। और ऐसे शुरुआत हुई होली मनाने की परंपरा। आज भी लोग होली को बड़े ही धूमधाम से मनाते हैं।
होली किस महीने में मनाई जाती है?
जैसे ही नया साल लगता है ठीक उसी समय से त्यौहारों की बौछार शुरू हो जाती है। सबसे पहले मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। फिर आगमन होता है बसंत ऋतु का। फाल्गुन मास की पूर्णिमा का जो अगला दिन होता है बस उसी दिन ही होली मनाई जाती है। इस बार होली का त्यौहार 08 मार्च को मनाया जाएगा। धुलंडी से पहले होलिका दहन मनाई जाती है। होली का त्यौहार हमेशा मार्च के महीने में ही मनाया जाता है। यह त्यौहार पूरे हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है।
होली का आध्यात्मिक महत्व
होली का आध्यात्मिक महत्त्व भी खास है। होली को हम अध्यात्मिकता से भी जोड़कर देख सकते हैं। जब सर्दी खत्म होने के बाद बसंत ऋतु आती है तब वातावरण में सकारात्मक माहौल बन जाता है। उस समय गुलाबी ठंडक देखने को मिलती है। होली के समय भी यह ठंडी मीठी ठंडक बनी रहती है। होली का आध्यात्मिक महत्व हमें यह समझाता है कि हमें हमेशा सही मार्ग की ओर चलना चाहिए। जैसे होलिका के दहन के साथ बुराई भी साथ जल गई थी और अच्छाई जीत गई थी। ठीक इसी प्रकार हमें बुराई के दामन को छोड़कर अच्छाई का दामन थामना चाहिए। होली के रंग भी हमें यह सीखाते हैं कि हमें जीवन में हर प्रकार के रंगों का अनुभव और आनंद लेना चाहिए। ऐसा करने से हमारे जीवन में मधुरता बनी रहती है।
होली का ऐतिहासिक महत्व
होली का ऐतिहासिक महत्व बहुत पुराना है। कहते हैं कि होली का त्यौहार तब शुरू हुआ जब होलिका का दहन हो गया था। होली का अंग्रेजी अर्थ समझाता है कि पूरी तरह से मन का पावन होना। होलिका का मन बिल्कुल भी साफ नहीं था। वह अपने भतीजे की हत्या के षडयंत्र में शामिल थी। परंतु प्रहलाद का दिल एकदम साफ था। होली का उत्सव हमें यह भी सीखाता है कि हमें हमेशा हर एक के साथ घुल मिलकर रहना चाहिए। मुश्किल वक़्त को भी हमें हंसकर काट लेना चाहिए।
होली का साँस्कृतिक महत्व
होली का त्यौहार पूरे देश में धूमधाम के साथ मनाया जाता है। लोग ‘बुरा ना मानो होली है’ कहकर एक दूसरे को होली की बधाई देते हैं। पूरे देश में अलग-अलग तरीके से होली का त्यौहार मनाया जाता है। कोई लोग लट्ठमार होली खेलते हैं तो कोई फूलों की होली खेलते हैं। इस दिन सभी धर्म-जाति के लोग अपने हर प्रकार के गिले-शिकवे भूलकर होली की मस्ती में डूब जाते हैं।
होली कितने देशों में मनाई जाती है?
यह हम सभी अच्छी तरह से जानते हैं कि होली भारत में मनाई जाती है लेकिन क्या आपको यह पता है कि होली भारत के अलावा भी दुनियाभर के कई हिस्सों में मनाई जाती है। होली पाकिस्तान, बंगलादेश, श्रीलंका और मॉरीशस जैसे देशों में भी बड़ी धूमधाम से मनाई जाती है। भारत का यह प्रमुख त्यौहार विदेशों में भी बड़े ही प्यार के साथ मनाया जाता है।
होली मनाने के पीछे क्या कारण है?
लोग होली बहुत पुराने समय से मनाते आ रहे हैं। होली की शुरुआत की कहानी भक्त प्रहलाद से जुड़ी है। बहुत समय पहले की बात है। एक राजा हुआ करता था जिसका नाम था हिरण्यकशिपु। वह राजा राक्षस था। उसकी पत्नी कयाधु ने एक सुंदर पुत्र को जन्म दिया। उस बच्चे का नाम रखा गया प्रहलाद। प्रहलाद भगवान विष्णु का परम भक्त था और यह बात प्रहलाद के पिता को बिल्कुल भी पसंद नहीं आई। उसने अपने ही बेटे को मारने की योजना बनाई। इस योजना के लिए उसे अपनी बहन उपयुक्त लगी। क्योंकि हिरण्यकशिपु की बहन होलिका को आग में ना जलने का वरदान था इसलिए वह खुशी-खुशी आग की चिता में बैठ गई लेकिन हुआ कुछ विपरीत ही। होलिका आग में जल गई लेकिन भक्त प्रहलाद का एक भी बाल बांका नहीं हुआ। आखिरकार बुराई पर अच्छाई की जीत हुई। उस दिन से होली का त्यौहार मनाना शुरू कर दिया।
निष्कर्ष
तो आज के इस लेख को पढ़कर हमने यह समझा कि होली क्यों मनाई मनाई जाती है। हमने होली के साँस्कृतिक, आध्यात्मिक और ऐतिहासिक महत्व को भी जाना। हम यह आशा करते हैं कि आपको यह निबंध पसंद आया होगा।
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FAQs
इस साल होली का त्यौहार 25 मार्च को मनाया जाएगा।
फाल्गुन के महीने में होली मनाई जाती है।
हिरण्यकशिपु की बहन का नाम होलिका था।
भारतीय त्योहार होली मनाने वाला दूसरा देश नेपाल है।
होली के उत्सव का सबसे पुराना लिखित संदर्भ 7वी शताब्दी में मिलता है।