मेरे स्कूल पर निबंध (My School Essay in Hindi)

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Ekta Ranga
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बचपन के दिन इतने जल्दी क्यों बीत जाते हैं। हम अक्सर यही सोचते हैं कि काश हम बचपन के दिनों में ही रहते तो ज्यादा अच्छा होता। एक अलग ही एहसास होता है बचपन के दिनों में। हमें ज्यादा टेंशन नहीं लेनी पड़ती किसी भी बात की। हां, बस उस समय स्कूल हमारे जीवन के लिए एक अहम पड़ाव होती है। स्कूल के दिन भी अपने आप में बहुत खास होते हैं। स्कूल में हमें हर चीज का अनुभव होता है। स्कूल में हमें अपना कौशल विकसित करने का अच्छा मौका मिलता है।

स्कूल यानि कि विद्यालय। स्कूल एक प्रकार की संस्थान है जहां पर बच्चे पढ़ने के लिए आते हैं। स्कूल बच्चों का भविष्य तैयार करने में मदद करता है। विद्यालय को विद्यार्थियों का मंदिर कहना गलत नहीं होगा। यह इस प्रकार का मंदिर है जहां पर बच्चों को पूर्ण रूप से तराशा जाता है। बिना विद्या के हमारे जीवन का ना तो कोई लक्ष्य हो सकता है और ना ही कोई महत्व। स्कूल हमें हर तरह की चुनौतियों के लिए तैयार करती है। हम शिक्षा को हासिल स्कूल जाकर ही कर सकते हैं। स्कूल की दुनिया एकदम अलग होती है। तो आज का हमारा विषय स्कूल पर आधारित है। इस पोस्ट में मेरे स्कूल पर निबंध पढ़ेंगे।

प्रस्तावना

विद्यालय हमेशा से एक बच्चे को विद्यार्थी के रूप में ढालने में अग्रसर रहा है। हमारी स्कूल हमारे लिए ज्ञान के सागर की तरह होती है। यह हमें ज्ञान को हासिल करने में मदद करती है। स्कूल तो हमेशा से ही प्रचलन में थे। चाहे हम नालंदा विश्वविद्यालय की बात करें या तक्षशिला विश्वविद्यालय की। हमारे जीवन की असली शुरुआत स्कूल तो स्कूल के दिनों से ही होती है। वहां पर हमें अलग अलग चीजें सीखने को मिलती है। हमारा कौशल निखरता है। हम हरफनमौला बनते हैं।

स्कूल का अर्थ

जीवन में आगे बढ़ने के लिए हमें ज्ञान की बहुत जरूरत होती है। बिना ज्ञान के हमें कुछ हासिल नहीं हो सकता है। यह ज्ञान हमें या तो हमारे माँ बाप देते हैं या फिर स्कूल देती है। स्कूल का अर्थ एक ऐसे शिक्षण संस्थान से है जहां पर एक बालक शिक्षा हासिल करने के लिए जाता है। स्कूल सभी तरह के कौशल को निखारने में बहुत बड़ा योगदान देता है। फिर चाहे वह कोई भी कौशल हो जैसे शारीरिक, मानसिक या फिर बौद्धिक कौशल। स्कूल शब्द ग्रीक भाषा के Skohla या Skhole से पूरी दुनिया में प्रचलन में आया। स्कूल को संस्कृत में विद्यालयः कहते हैं।

स्कूल का महत्व

स्कूल का महत्व हमारे जीवन में हमेशा से ही रहा है। बिना स्कूल के हम अपने जीवन के कोई तरह के लक्ष्य हासिल नहीं कर सकते हैं। आज स्कूल की वजह से ही हमारा सुनहरा भविष्य तैयार होता है। आप एक बात खुद सोच कर देखो कि क्या हम घर पर बैठकर ही अपना भविष्य तैयार कर सकते हैं? नहीं, हम ऐसा बिल्कुल भी नहीं कर सकते हैं। जब हम बच्चे के रूप से निकलकर एक किशोर की अवस्था में पहुंचते हैं तो हम केवल घर पर सारे संसार का ज्ञान हासिल नहीं कर सकते हैं।

हमें इसके लिए शैक्षणिक संस्थान का दामन थामना ही पड़ता है। जो कोई भी विद्यार्थी अपने जीवन में सामाजिक उन्नति, आर्थिक उन्नति, या व्यक्तिगत उन्नति करता है तो वह सब स्कूल के योगदान की वजह से ही संभव हो पाता है। स्कूल आपको बहुत अच्छी शिक्षा देती है। वह आपको एक सच्चे हीरे की तरह तराशती है। एक बेहतरीन और उम्दा स्कूल बच्चों को बड़े से बड़े पदों पर पहुंचा देती है। स्कूली शिक्षा पाना ज्ञान की गंगा को पाने के समान है। हम सभी इसको पाने की लालसा रखते हैं।

स्कूली शिक्षा क्यों महत्वपूर्ण है?

स्कूल की शिक्षा हमारे जीवन में बहुत ही महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह बचपन में ही तय हो जाता है कि हम बड़े होकर क्या बनेंगे? और इस चीज में अहम भूमिका निभाती है स्कूल में मिलने वाली शिक्षा। आज दुनिया में जितने भी उन्नत देश हैं वह सभी उन्नत इसलिए हुए क्योंकि उन्होंने शिक्षा का इस्तेमाल सही ढंग से किया था। आज का समय शिक्षा और ज्ञान को महत्व देता है। उचित प्रकार का ज्ञान हमें हर मुश्किल रास्तों को भी पार करना सिखाता है।

हम जब छोटे बालक होते हैं तो हमें हमारे अभिभावक स्कूल भेजने की तैयारी करते हैं। वह हमें स्कूल इसलिए भेजते हैं ताकि हम पढ़ लिखकर समाज में कुछ ऐसा मुकाम हासिल करे ताकि आने वाली पीढ़ी के लिए हम आदर्श बन जाए। स्कूल में दाखिला मिलने के बाद बच्चे को हर तरह गुण सीखने को मिलता है। वह केवल किताबी ज्ञान को ही हासिल नहीं करता बल्कि व्यावहारिक ज्ञान को भी अच्छे से सीख जाता है।

आज के समय में गरीब छात्रों के माँ बाप भी उन्हें अच्छा पढ़ाना लिखाना चाहते हैं। क्योंकि वह इस बात को अच्छे से समझते हैं कि उनको स्कूल की शिक्षा प्राप्त नहीं होने पर वह अनपढ़ रह गए। अनपढ़ लोगों की समाज में कोई कद्र नहीं होती। प्रगति वही इंसान करता है जिसको बुनियादी शिक्षा प्राप्त हो गई हो। पढ़े लिखे लोग समाज का उत्थान करते हैं। उनको अच्छे और बुरे की अच्छे से समझ होती है।

स्कूल में अच्छे टीचर कितना मायने रखते हैं?

यह एक साधारण सी बात है कि एक बच्चे को उसके जीवन में अगर कुछ बड़ा हासिल करना होता है तो वह अपने माता-पिता से ज्ञान हासिल करता है। उसके माता-पिता उसके जीवन के पहले गुरु होते हैं। लेकिन एक बच्चे के माँ बाप यही चाहते हैं कि उनका बच्चा सर्वश्रेष्ठ हो। इसलिए वह अपने बच्चे को स्कूल भेजने का मन बनाते हैं।

स्कूल में बच्चे को अभिभावक के रूप में शिक्षक मिल जाते हैं। स्कूल में पहुंचकर विद्यार्थी बहुत अच्छा महसूस करते हैं। उनको स्कूल पहुंचकर एक नई दिशा मिलती है। शिक्षक अपने छात्र के भविष्य को लेकर बहुत सजग रहते हैं। वह अपने विद्यार्थियों के सपनों में पंख लगाते हैं। वह उन्हें उड़ना सीखाते हैं। शिक्षक जो अपने विद्यार्थियों को पढ़ाते हैं उसी शिक्षा को वह अपने मन और दिमाग में पूरी तरह से अवशोषित कर लेते हैं।

स्कूल और शिक्षकों का यह बड़ा कर्त्तव्य बनता है कि वह बच्चों को उचित शिक्षा दे ताकि बच्चों को आगे चलकर कोई तरह की परेशानी नहीं उठानी पड़े। शिक्षकों की पढ़ाने की शैली ऐसी ना हो जिसके चलते बच्चे एक रोबोट के समान काम करने लग जाए। शिक्षक अपने विद्यार्थियों को कुछ इस प्रकार तैयार करे कि बच्चा आने वाले भविष्य में पढ़ाई के साथ-साथ व्यावहारिक तौर पर अच्छा बने।

स्कूल के दिन जीवन के सबसे अच्छे दिन क्यों होते हैं?

स्कूल के दिन जीवन के सबसे अलग दिनों में से एक होते हैं। हमें सबसे पहले स्कूल में ही डाला जाता है। स्कूल बहुत खास होता है हमारे लिए। हम जब छोटे होते हैं तो हमें लगता है कि हम कब जल्दी से बड़े हो रहे हैं। हम समय बीतने का इंतजार करते रहते हैं। स्कूल की उस सुबह वाली प्रार्थना लाइन में लगना, सुबह सुबह जल्दी उठकर स्कूल जाना, होमवर्क करना, और क्लास पीरियड बोरिंग लगना बचपन के दिनों में आम बात है।

लेकिन हम जैसे जैसे बड़े होते जाते हैं हमें बचपन के दिनों की बहुत याद आने लगती है। स्कूल के बीते दिन बुरे भी होते हैं तो कोई अच्छे भी होते हैं। स्कूल के दिनों में जो सीख हमें मिलती है वह हमारे साथ ताउम्र रहती है। हमें स्कूल में नए शिक्षकों से शिक्षा मिलती है। हम स्कूल में नए दोस्त भी बनाते हैं। हम स्कूल में अनेक प्रकार की गतिविधियों में सक्रियता से भाग लेते हैं। हमारी शारीरिक और बौद्धिक क्षमता स्कूल में बहुत ज्यादा निखरती है।

स्कूल के दिनों में आपको केवल अपनी पढ़ाई पर ही ध्यान देना होता है। आपके ऊपर जॉब करने का किसी भी तरह से प्रेशर नहीं होता। आप खुलकर अपने जीवन का आनंद उठाते हैं। आप जब बड़े हो जाते हैं तब आपको आपके बचपन के दिन बहुत ज्यादा याद आते हैं। बहुत से लोग ऐसे भी होते हैं जो सोचते हैं कि वह स्कूल के बीते हुए दिन काश वापिस से उनके पास लौट आए।

भारत में पहला स्कूल कब खुला था?

विद्या देने में हमारा देश हमेशा से अव्वल रहा है। लेकिन क्या आपको यह बात पता है कि हमारे देश का पहला मॉडर्न स्कूल कब खुला था? शायद आपको इस बात का अंदाजा नहीं होगा। दरअसल भारत का पहला स्कूल खोलने का श्रेय सावित्री बाई फुले और फातमा शेख को जाता है। यह बात उस समय की है जब भारत को उसकी आजादी भी नहीं मिली थी।

सावित्री बाई फुले और फातमा शेख ने यह तय किया कि वह पुणे के भिडेवाड़ा में केवल ल़डकियों के लिए एक स्कूल खोलेंगे। सावित्रीबाई फुले ज्योतिराव फुले की पत्नी थी। ज्योतिराव फुले ने उन्हें पूरा समर्थन दिया था। सावित्रीबाई फुले और फातमा शेख एक अच्छी सामाजिक कार्यकर्ता थी। 5 सितंबर, 1848 को अखिरकार देश की पहली अपनी स्कूल खुल गई थी। हालांकि शुरुआत में उन्हें बहुत ज्यादा दिक्कत का सामना करना पड़ा था। पर अंत में उनकी ही जीत हुई।

मेरा स्कूल में पहला दिन

सभी को अपने स्कूल का पहला दिन अक्सर याद रहता है। हालांकि कोई लोग ऐसे भी होते हैं जिन्हें अपना पहला दिन याद ही नहीं रहता। मुझे आज भी याद है कि मेरे स्कूल का पहला दिन। मेरे स्कूल का पहला दिन ना ज्यादा अच्छा था और ना ही बुरा। मुझे आज भी याद है कि कैसे मेरे पापा मुझे ननिहाल से स्कूल लेकर गए थे।

उस दिन मैं ननिहाल आ रखी थी। मेरे पापा ने मेरी नानी को कहा कि वह मुझे जल्दी से तैयार कर दे। मैं तैयार हो गई। और पापा मुझे वहां से ले गए। आखिरकार मैं स्कूल पहुंची। स्कूल बहुत बड़ी थी। स्कूल में बहुत ज्यादा हरियाली थी। स्कूल का खेल का मैदान भी बहुत बड़ा था। वहां पर खूब सारे बच्चे खेल रहे थे।

मेरी स्कूल का नाम सोफिया स्कूल था। वहां पर पहुंचते ही मेरी मुठभेड़ मेरी क्लास टीचर से हो गई। पापा ने बताया कि वह मेरी क्लास टीचर है। मेरी क्लास टीचर का नाम ममता मेम था। अब मेरे पापा जब स्कूल से जाने लगे तो ना जाने क्यों मैं जोरों से रोने लगी। मेरी टीचर ने मुझे चॉकलेट देकर मुझे मुझे चुप करवाया। और फिर मुझे क्लास में ले गई। सच में, मेरा स्कूल का पहला दिन बहुत मुश्किल से बीता था। मैं बहुत ज्यादा भावुक हो गई थी।

मेरे स्कूल पर निबंध 150 शब्दों में

स्कूल दुनिया की सबसे खूबसूरत चीज होती है। स्कूल ही एक ऐसी जगह होती है जहां पर एक बच्चा पहली बार कदम रखता है। स्कूल जाना सबसे यादगार पल होता है एक बच्चे के लिए। वहां पर उसको हर चीज का अनुभव होता है। स्कूल में पहुंचकर वह अपने कौशल को और भी अधिक निखारता है।

स्कूल के दिनों को हम बहुत बेफिक्री के साथ जीते हैं। वहां पर हमारे अनेकों दोस्त बनते हैं। हम वहां पर पहुंचकर खूब मस्ती करते हैं। हमें स्कूल के दिनों में पैसा कमाने की कोई चिंता नहीं होती। हमें केवल पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करके अपना भविष्य उज्जवल करना होता है। स्कूल हमें यह अच्छे से सिखाता है कि हमारे लिए कौन सा मार्ग सही है और कौन सा मार्ग गलत। जब बच्चे स्कूल में दाखिला लेते हैं तो उन बच्चों के माता-पिता चैन की साँस लेते हैं। स्कूल में जाकर बच्चों के तौर-तरीकों में भी एक बड़ा अंतर देखने को मिलता है। स्कूल में झूले होते हैं, खेल के मैदान होते हैं, लाइब्रेरी होती है।

मेरा स्कूल पर 10 लाइनें

  1. स्कूल एक बच्चे के लिए बहुत जरूरी संस्थान होता है।
  2. स्कूल में दाखिला लेने के बाद एक बच्चे को स्कूल में कई गतिविधियों को सीखने का मौका मिलता है।
  3. हमारे जीवन की असली शुरुआत स्कूल से ही होती है।
  4. स्कूल के शिक्षकों का काम बच्चों को पढ़ाना लिखाना होता है।
  5. स्कूल जाने पर बच्चा बहुत ज्यादा होशियार हो जाता है। वहां पर उसके ज्ञान का दायरा बढ़ता है।
  6. शिक्षकों का यह फर्ज होता है कि वह बच्चों को ऐसी शिक्षा दे कि जिससे बच्चों का भविष्य सुनहरा हो सके।
  7. स्कूल में पहुंचकर एक बच्चा पढ़ाई के साथ-साथ व्यावहारिक ज्ञान भी सीखता है।
  8. स्कूल की यादों को हमें हमेशा के लिए संजोकर रखना चाहिए।
  9. स्कूल का पहला दिन सभी के लिए बहुत यादगार होता है।
  10. स्कूल एक बच्चे को अनुशासन में रहना सिखाती है।
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विश्व का सबसे पुराना स्कूल किसे माना जाता है?

विश्व का सबसे पुराना स्कूल तक्षशिला को माना जाता है। इसकी स्थापना 700 वर्ष ईसा पूर्व हुई थी।

बच्चों को स्कूल जाना क्यों जरूरी होता है?

बच्चों को स्कूल जाना इसलिए जरूरी होता है क्योंकि स्कूल जाने पर उसको ढेरों सारी चीजें देखने को मिलती है। स्कूल जाने पर उसके शारीरिक और मानसिक क्षमता का विकास होता है।

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