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एनसीईआरटी समाधान कक्षा 10 हिन्दी क्षितिज अध्याय 2 राम लक्ष्मण परशुराम संवाद

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Usha Parewa
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हम इस आर्टिकल के माध्यम से आपके लिए कक्षा 10वीं हिन्दी अध्याय 2 के एनसीईआरटी समाधान लेकर आए हैं। यह कक्षा 10वीं हिन्दी क्षितिज के प्रश्न उत्तर सरल भाषा में बनाए गए हैं ताकि छात्रों को कक्षा 10वीं क्षितिज अध्याय 2 के प्रश्न उत्तर समझने में आसानी हो। यह सभी प्रश्न उत्तर पूरी तरह से मुफ्त हैं। इसके के लिए छात्रों से किसी प्रकार का शुल्क नहीं लिया जायेगा। कक्षा 10वीं हिंदी की परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करने के लिए नीचे दिए हुए एनसीईआरटी समाधान देखें।

Ncert Solution for class 10 Hindi kshitij Chapter 2

कक्षा 10 हिन्दी के एनसीईआरटी समाधान को सीबीएसई सिलेबस को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। यह एनसीईआरटी समाधान छात्रों की परीक्षा में मदद करेगा साथ ही उनके असाइनमेंट कार्यों में भी मदद करेगा। आइये फिर कक्षा 10 हिन्दी क्षितिज अध्याय 2 राम लक्ष्मण परशुराम संवाद के प्रश्न उत्तर (Class 10 Hindi Kshitij Chapter 2 Question Answer) देखते हैं।

कक्षा : 10
विषय : हिंदी (क्षितिज भाग 2)
पाठ : 2 राम लक्ष्मण परशुराम संवाद

प्रश्न-अभ्यास

प्रश्न 1- परशुराम के क्रोध करने पर लक्ष्मण ने धनुष के टूट जाने के लिए कौन-कौन से तर्क दिए?

उत्तर :-

1. धनुष पुराना और कमज़ोर था।
2. राम को लगा धनुष नया है पर धनुष कमजोर था जो हाथ लगाने पर टूट गया।
3. ऐसे पुराने धनुष के टूटने पर चिंता करना व्यर्थ है।
4. लक्ष्मण की दृष्टि में सभी धनुष समान है।
5. लक्ष्मण ने कहा कि बचपन में भी हमने धनुष तोड़े हैं पर इतना क्रोध आपने नहीं किया, लेकिन इस धनुष में ऐसी क्या विशेष बात है कि जिसके टूटने पर आप इतना क्रोध कर रहे हैं इस धनुष से आपको इतना लगाव क्यों है?

प्रश्न 2- परशुराम के क्रोध करने पर राम लक्ष्मण की जो प्रतिक्रियाएं हुई उनके आधार पर दोनों के स्वभाव की विशेषताएँ अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर :- रामजी का स्वभाव विनम्र और सरल था जबकि परशुराम क्रोधित स्वभाव के थे। परशुराम के क्रोध करने पर राम जी ने धैर्य से काम लिया और उन्होंने परशुराम के क्रोध को शांत करने का प्रयास किया। राम जी ने खुद को परशुराम जी का दास तक कह दिया और परशुराम से शांत होने का निवेदन किया। राम और लक्ष्मण दोनों स्वभाव से एक दूसरे से विपरित थे राम स्वभाव से विनम्र थे जबकि लक्ष्मण स्वभाव से तर्कशील थे। लक्ष्मण व्यंग्य तरीके से अपनी बात परशुराम के सामने रखते थे उन्हें इस बात की भी फिक्र नहीं थी कि उनके इस स्वभाव की वजह से परशुराम और भी क्रोधित हो सकते हैं। राम बुद्धिमान, विनम्र, सरल स्वभाव के हैं जबकि लक्ष्मण साहसी, निडर और उग्र स्वभाव के हैं।

प्रश्न 3- लक्ष्मण और परशुराम के संवाद का जो अंश आपको अच्छा लगा उसे अपने शब्दों में संवाद शैली में लिखिए।

उत्तर :- लक्ष्मण- हे मुनि, बचपन में भी तो हमने धनुष तोड़े हैं पर आपने काभी क्रोध नहीं किया। परंतु इस धनुष के टूटने पर इतना क्रोध क्यों? इस धनुष में ऐसी क्या खास बात है आपको इस धनुष से इतना लगाव क्यों है?

परशुराम- हे राजपुत्र, तू क्यों अपनी मृत्यु को बुलावा दे रहा है? अपने माता-पिता को सोचने पर मजबूर कर रहा है। ये कोई साधारण धनुष नहीं था ये शिव जी का धनुष था अब तू चुप हो जा और मेरे इस फरसे को भली प्रकार देख ले। ये फरसा (कुठार) इतना भयानक है कि गर्भ में पल रहे शिशु को भी नष्ट कर देता है।

प्रश्न 4 – परशुराम ने अपने विषय में सभा में क्या-क्या कहा, निम्न पद्यांश के आधार पर लिखिए – 

बाल ब्रह्मचारी अति कोही। बिस्वबिदित क्षत्रियकुल द्रोही ||
भुजबल भूमि भूप बिनु कीन्ही। बिपुल बार महिदेवन्ह दीन्ही ||
सहसबाहुभुज छेदनिहारा। परसु बिलोकु महीपकुमारा ||
मातु पितहि जनि सोचबस करसि महीसकिसोर
गर्भन्ह के अर्भक दलन परसु मोर अति घोर ||

उत्तर :- परशुराम ने कहा कि वह बाल ब्रह्मचारी है और वह क्रोधित स्वभाव के हैं उन्हें ये संसार क्षत्रियकुल के नाशक के रूप में जानता है। उन्होंने अपनी भुजाओं की सहायता से कई बार इस धरती को क्षत्रिय राजाओं से मुक्त किया है। उन्होंने अपने हाथ में फरसा धारण किया हुआ है जिसकी सहायता से उन्होंने सहस्त्रबाहु के बाँहों को काट डाला है। इसलिए हे राजपुत्र मेरे इस फरसे को भली प्रकार देख ले तू क्यों अपने माता पिता को सोचने पर मजबूर कर रहा है। उनका फरसा इतना भयानक है कि गर्भ में पल रहे शिशु को भी नष्ट कर देता है।

प्रश्न 5 – लक्ष्मण ने वीर योद्धा की क्या-क्या विशेषताएँ बताई?

उत्तर :-

1. वीर योद्धा खुद पर अभिमान नहीं करते हैं।
2. वीर योद्धा अपनी वीरता का बखान नहीं करते बल्कि युद्ध भूमि में अपनी वीरता का परिचय देते हैं।
3. वीर योद्धा अपनी ताकत का गलत इस्तेमाल नहीं करते हैं।
4. दूसरों का आदर करते हैं।
5. धैर्यवान होते हैं, बुद्धिमान होते हैं।

प्रश्न 6 – साहस और शक्ति के साथ विनम्रता हो तो बेहतर है इस कथन पर अपने विचार लिखिए।

उत्तर :- साहस और शक्ति के साथ किसी भी काम को किया जा सकता है लेकिन यदि व्यक्ति में विनम्रता भी हो तो ये काफी कारगर साबित होता है। विनम्रता व्यक्ति को धैर्यवान बनाती है। विनम्र व्यक्ति का विपक्षी लोग भी आदर करते हैं।

प्रश्न 7 – भाव स्पष्ट कीजिए –

(क) बिहसि लखनु बोले मृदु बानी। अहो मुनीसु महाभट मानी ||
पुनि पुनि मोहि देखाव कुठारू। चहत उड़ावन फूँकि पहारू ||

(ख) इहाँ कुम्हड़बतिया कोउ नाहीं। जे तरजनी देखि मरि जाहीं ||
देखि कुठारु सरासन बाना। मैं कछु कहा सहित अभिमाना ||

उत्तर :- (क) इन पंक्तियों में लक्ष्मण कोमल वाणी में परशुराम से कह रहे हैं कि आप एक महान योद्धा हैं। मुझे बार बार फरसे का भय दिखाकर डराने का प्रयास कर रहे हैं। ऐसा लग रहा है जैसे आप फूँक मारकर पहाड़ को उड़ाने की कोशिश कर रहे हैं।
(ख) इन पंक्तियों में लक्ष्मण परशुराम को अपनी वीरता का परिचय देते हुए कहते हैं कि हम कुम्हड़े के फल के समान नहीं है जो तर्जनी से मुरझा जाए अर्थात् हम धमकियों से डरने वालों में से नहीं है। लक्ष्मण परशुराम के फरसे को देखकर ये बातें अभिमानपूर्वक बोल रहे हैं।

प्रश्न 8 – पाठ के आधार पर तुलसी के भाषा सौन्दर्य पर दस पंक्तियाँ लिखिए।

उत्तर:

1. तुलसीदास एक रस कवि है उनके द्वारा लिखी हुई रामचरितमानस अवधि भाषा में है।
2. दोहा, छंद, चौपाई का तुलसीदास ने बहुत सुंदर प्रयोग किया है।
3. तुलसीदास की चौपाई में संगीत का भाव मिलता है जिसके कारण काव्य में सुंदरता उत्पन्न होती है।
4. तुलसीदास की भाषा में अनुप्रास, उत्प्रेक्षा, रूपक, पुनरुक्ति अलंकार ज्यादा पाया जाता है।
5. भाषा में लयबद्धता है।
6. मुहावरों का प्रयोग किया है।
7. व्यंग्य का प्रयोग भी हुआ है।
8. शांत रस का भी प्रयोग हुआ है।
9. तत्सम शब्दों का प्रयोग हुआ है।
10. वीर और रौद्र रस का भी प्रयोग हुआ है।

प्रश्न 9 – इस पूरे प्रसंग में व्यंग्य का अनूठा सौंदर्य है। उदाहरण के साथ स्पष्ट कीजिए।

उत्तर :- पूरे प्रसंग में परशुराम और लक्ष्मण के बीच व्यंग्य का अनूठा सौंदर्य है जैसे-

लक्ष्मण- हे मुनि, बचपन में भी तो हमने धनुष तोड़े हैं पर आपने काभी क्रोध नहीं किया। परंतु इस धनुष के टूटने पर इतना क्रोध क्यों? इस धनुष में ऐसी क्या खास बात है आपको इस धनुष से इतना लगाव क्यों है?

परशुराम- हे राजपुत्र, तू क्यों अपनी मृत्यु को बुलावा दे रहा है? अपने माता पिता को सोचने पर मजबूर कर रहा है। ये कोई साधारण धनुष नहीं था ये शिव जी का धनुष था अब तू चुप हो जा और मेरे इस फरसे को भली प्रकार देख ले। ये फरसा इतना भयानक है कि गर्भ में पल रहे शिशु को भी नष्ट कर देता है।

विश्वमित्र- विश्वमित्र परशुराम की बुद्धि पर मन ही मन व्यंग्य करते हैं कि परशुराम ने राम लक्ष्मण की साधारण बालक समझ रहे हैं। जिस तरह एक सावन के अंधे को चारों ओर हरा ही हरा दिखता है, ठीक वैसे ही परशुराम की स्थिति है तथा उनकी बुद्धि अभी क्रोध और अहंकार के वश में है।

प्रश्न 10- (क) बालकु बोलि बधौं नहि तोही।
(ख) कोटि कुलिस सम बचनु तुम्हारा।

उत्तर:- (क) पहली पंक्ति में “ब” एक से अधिक बार है इसलिए इसमें अनुप्रास अलंकार है।
(ख) दूसरी पंक्ति में “क” भी एक से अधिक बार है इसलिए इसमें अनुप्रास अलंकार है।
कोटि कुलिस सम बचनु में उपमा अलंकार है।

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 11- “सामाजिक जीवन में क्रोध की जरूरत बराबर पड़ती है। यदि क्रोध न हो तो मनुष्य दूसरे के द्वारा पहुँचाए जाने वाले बहुत से कष्टों की चिर-निवृत्ति का उपाय ही न कर सके।”
आचार्य रामचन्द्र जी का यह कथन इस बात की पुष्टि करता है क्रोध हमेशा नकारात्मकत नहीं होता कभी कभी सकारात्मक भी होता है इसके पक्ष या विपक्ष में अपना मत प्रकट करों।

उत्तर :- पक्ष :- यदि क्रोध किसी के भले के लिए हो तो वह सकारात्मक होता है यदि विद्यार्थी पढ़ाई नहीं करता है तो माता पिता या शिक्षक उस पर क्रोध करते हैं तो इस क्रोध में विद्यार्थी का भला है इसलिए ये क्रोध सकारात्मक है।
विपक्ष :- ज़्यादा क्रोध सेहत के लिए अच्छा नहीं होता बेवजह का क्रोध हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए नकरात्मक होता है।

प्रश्न 12- अपने किसी परिचित या मित्र के स्वभाव की विशेषताएँ लिखिए।

उत्तर :- छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 13 – दूसरों की क्षमताओं को कम नहीं समझना चाहिए इस शीर्षक को ध्यान में रखते हुए एक कहानी लिखिए।

उत्तर :- छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 14 – उन घटनाओं को याद करके लिखिए जब आपने अन्याय का प्रतिकार किया हो।

उत्तर :- छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 15- अवधि भाषा आज किन किन क्षेत्रों में बोली जाती है?

उत्तर :- अवधि भाषा अवध में बोली जाती है। गोरखपुर, बलिया, अयोध्या, गोंडा जैसे उत्तरप्रदेश के कुछ क्षेत्रों में भी बोली जाती है।

विद्यार्थियों को कक्षा 10वीं राम लक्ष्मण परशुराम संवाद के प्रश्न उत्तर प्राप्त करके कैसा लगा?, हमें अपने सुझाव कमेंट के माध्यम से जरूर बताएं। कक्षा 10वीं हिंदी क्षितिज अध्याय 2 के लिए एनसीईआरटी समाधान देने का उद्देश्य केवल बेहतर ज्ञान देना हैं। इसके अलावा आप हमारे एनसीईआरटी के पेज से सभी विषयों के एनसीईआरटी समाधान और हिंदी में एनसीईआरटी की पुस्तकें भी प्राप्त कर सकते हैं।

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