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Ncert Solutions For Class 10 Hindi Sparsh Chapter 11
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कक्षा : 10
विषय : हिंदी (स्पर्श भाग 2)
पाठ : 11 तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र (प्रहलाद अग्रवाल)
प्रश्न-अभ्यास
मौखिक
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए:
1. ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म को कौन-कौन से पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है?
उत्तर :- स्वर्णपदक, मास्को फिल्म फेस्टिवल में पुरस्कार, बंगाल फ़िल्म जर्नलिस्ट एसोसिएशन के द्वारा सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म का अवार्ड और मास्को फ़िल्म फेस्टिवल में पुरस्कार हासिल कर चुकी है यह फिल्म।
2. शैलेंद्र ने कितनी फ़िल्में बनाई?
उत्तर :- शैलेंद्र ने केवल एक ही फिल्म बनाई और उसका नाम था तीसरी कसम।
3. राजकपूर द्वारा निर्देशित कुछ फ़िल्मों के नाम बताइए।
उत्तर :- बाबी, मेरा नाम जोकर, संगम , श्री 420, सत्यम् शिवम् सुन्दरम् आदि फिल्मों के निर्माता और निर्देशक राजकपूर ही थे।
4. ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म के नायक व नायिकाओं के नाम बताइए और फ़िल्म में इन्होंने किन पात्रों का अभिनय किया है?
उत्तर :- राजकपूर ने ‘हीरामन’ और ‘वहीदा रहमान’ ने नायिका हीराबाई की भूमिका निभाई है।
5. फ़िल्म ‘तीसरी कसम’ का निर्माण किसने किया था?
उत्तर :- शैलेंद्र ने फिल्म तीसरी कसम’ का निर्माण किया है।
6. राजकपूर ने ‘मेरा नाम जोकर’ के निर्माण के समय किस बात की कल्पना भी नहीं की थी?
उत्तर :- राजकपूर ने यह कल्पना तक नहीं की थी कि मेरे नाम जोकर फिल्म का पहला भाग बनात समय उनको छह साल लगेंगे।
7. राजकपूर की किस बात पर शैलेंद्र का चेहरा मुरझा गया?
उत्तर :- राजकपूर ने पहले फिल्म की कहानी सुनी। कहानी सुनने के बाद राजकपूर ने शैलेंद्र से सीधा ही मेहनताना मांगा। शैलेंद्र को इस बात की उम्मीद नहीं थी कि राजकपूर उससे मेहनताना मांगेंगे। इसी वजह से शैलेंद्र का चेहरा मुरझा गया।
8. फ़िल्म समीक्षक राजकपूर को किस तरह का कलाकार मानते थे?
उत्तर :- फ़िल्म समीक्षक राजकपूर को कला-मर्मज्ञ एवं आँखों से बात करनेवाला कुशल अभिनेता मानते थे।
लिखित
(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में ) लिखिए:
1. ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म को सेल्यूलाइट पर लिखी कविता क्यों कहा गया है ?
उत्तर :- इस फिल्म की कहानी को फणीश्वरनाथ रेणु ने लिखा था। इस कहानी के माध्यम से लेखक ने भावुकता, संवेदना और मार्मिकता को दर्शाया है। यह फिल्म वाकई में सेल्यूलाइट पर लिखी कविता के समान ही है। अर्थात कहानी के जरिए दृश्यों को कैमरे पर उतारा गया है। यह फिल्म वाकई में शानदार है।
2. ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म को खरीददार क्यों नहीं मिल रहे थे?
उत्तर :- दरअसल इस फ़िल्म की संवेदना किसी दो से चार बनाने का गणित जानने वाले की समझ से परे थी। उसमें रची-बसी करुणा तराजू पर तौली जा सकने वाली चीज नहीं थी। इसीलिए बमुश्किल जब ‘तीसरी कसम’ रिलीज़ हुई तो इसका कोई प्रचार नहीं हुआ। फ़िल्म कब आई, कब चली गई, मालूम ही नहीं पड़ा।
3. शैलेंद्र के अनुसार कलाकार का कर्तव्य क्या है?
उत्तर :- शैलेंद्र के अनुसार कलाकार का कर्तव्य है कि वह उपभोक्ताओं की रुचियों को परिष्कार करने का प्रयत्न करें। कलाकार को यह सोचना चाहिए कि जो कहानी वह दर्शकों को परोस रहा है वह उन्हें ऊबाऊ ना लगने लग जाए। कहानी कोई भी हो, उसमें दम होना आवश्यक है।
4. फ़िल्मों में त्रासद स्थितियों का चित्रांकन ग्लोरिफाई क्यों कर दिया जाता है?
उत्तर :- फ़िल्मों में त्रासद स्थितियों का चित्रांकन इसलिए ग्लोरिफाई कर दिया जाता है ताकि दर्शक उस फिल्म से भावनात्मक रूप से जुड़ जाए। फ़िल्म निर्माता दर्शकों का भावनात्मक शोषण कर फिल्मों के जरिए कमाई करते हैं। इस तरह की फिल्मों में दृश्यों को महिमामंडित करके परोसा जाता है। जब दर्शक ऐसे दृश्य देखते हैं तो वह भावुक हो उठते हैं। दर्शकों को इन दृश्यों को अपने दिल के बहुत करीब मानते हैं।
5. शैलेंद्र ने राजकपूर की भावनाओं को शब्द दिए हैं’ – इस कथन से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :- यह एकदम सच है कि शैलेंद्र ने राजकपूर की भावनाओं को शब्द दिए हैं। राजकपूर को अपनी भावनाओं को शब्दों में बयां करना नहीं आता था। उनकी भावनाओं को तो दर्शक आंखों के माध्यम से समझते थे। लेकिन शैलेंद्र को भावनाओं को शब्दों के माध्यम से समझाने की कला थी। शैलेंद्र ने बेखूबी से राजकपूर के आंखों की भावनाओं को समझा और उसे शब्दों के माध्यम से दर्शकों तक पहुंचाया।
6. लेखक ने राजकपूर को एशिया का सबसे बड़ा शोमैन कहा है। शोमैन से आप क्या समझते हैं?
उत्तर :- लेखक का कहना एकदम सही है कि राजकपूर को एशिया का सबसे बड़ा शोमैन कहा जाता है। शोमैन का मतलब ऐसे इंसान से होता है जो कि महान अदाकार होता है। राजकपूर ऐसे नायक थे जो अपनी आंखों के माध्यम से बोलते थे। उनकी कला के सब मुरीद थे। जब वह अभिनय करते थे तो उसी में ही डूब जाते थे। अपनी कला के माध्यम से वह दर्शकों को सिनेमा हॉल तक खींच लाने का दम रखते थे।
7. फ़िल्म ‘श्री 420’ के गीत ‘रातों दसों दिशाओं से कहेंगी अपनी कहानियाँ पर संगीतकार जयकिशन ने आपत्ति क्यों की?
उत्तर :- फ़िल्म ‘श्री 420’ के गीत ‘रातों दसों दिशाओं से कहेंगी अपनी कहानियाँ पर संगीतकार जयकिशन ने आपत्ति इसलिए की क्योंकि दर्शक ‘चार दिशाएं’ शब्द तो समझ सकते हैं पर दस दिशाएं दर्शक नहीं समझ सकते हैं।
(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में ) लिखिए:
1. राजकपूर द्वारा फ़िल्म की असफलता के खतरों के आगाह करने पर भी शैलेंद्र ने यह फ़िल्म क्यों बनाई?
उत्तर :- राजकपूर द्वारा फ़िल्म की असफलता के खतरों के आगाह करने पर भी शैलेंद्र ने यह फ़िल्म इसलिए बनाई क्योंकि यह यह फिल्म उनके दिल के बेहद करीब थी। एक कवि होने के नाते उनको फ़िल्म जगत के बारे में खास जानकारी नहीं थी। वह फणीश्वर नाथ रेणु के बड़े प्रशंसक थे। तीसरी कसम फणीश्वर नाथ रेणु की ही उपज थी। फणीश्वर की इसी रचना को शैलेंद्र ने पर्दे पर उतारने की सोची। शैलेंद्र ऐसी कहानी को पर्दे पर लाना चाहते थे जो कि लोगों के दिल में उतर जाए।
2. ‘तीसरी कसम’ में राजकपूर का महिमामय व्यक्तित्व किस तरह हीरामन की आत्मा में उतर गया। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :- हीरामन का किरदार निभाते वक्त राजकपूर ने उस किरदार में अपनी पूरी जान डाल दी थी। राजकपूर ने हीरामन किरदार के साथ न्याय किया। एक सरल हृदय ग्रामीण गाड़ीवान हीरामन का किरदार लोगों के दिल को छू जाता है। इस किरदार के जरिए हीरामन अपना दुख आंखों के माध्यम से प्रकट करता है। एक गाड़ीवान के रूप में राजकपूर बहुत सरल और सहज लग रहे हैं। फिल्म में उनका हर एक दृश्य दिल को अंदर तक छू जाता है।
3. लेखक ने ऐसा क्यों लिखा है कि तीसरी कसम ने साहित्य-रचना के साथ शत-प्रतिशत न्याय किया है?
उत्तर :- लेखक का एकदम सही मानना है कि तीसरी कसम ने साहित्य-रचना के साथ शत-प्रतिशत न्याय किया है। ऐसा कहना सही इसलिए है क्योंकि शैलेंद्र ने फणीश्वर नाथ रेणू के किरदारों को सुनहरे पर्दे पर उतारकर कहानी में जान डाल दी। फिल्म में सभी कलाकारों ने दमदार भूमिका निभाई। शैलेंद्र को पैसों का कोई लोभ नहीं था। वह बस इतना चाहता था कि अपने पसंदीदा कवि फणीश्वर नाथ की प्रसिद्ध कहानी ‘मारे गए गुलफाम’ को भारतीय जनता तक पहुंचाए। माना कि इस फिल्म को बनाते वक्त शैलेंद्र को बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ा। लेकिन अंत में शैलेंद्र की मेहनत रंग लाई। हालांकि फिल्म को शानदार प्रतिक्रिया नहीं मिली। लेकिन शैलेंद्र को इस फिल्म ने आत्म संतुष्टि प्रदान की।
4. शैलेंद्र के गीतों की क्या विशेषताएँ हैं। अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर :- शैलेंद्र के गीत अपने आप में बहुत अनोखे हुआ करते थे। वह जो कुछ भी अपने कलम के माध्यम से कागज पर उतारते थे वह शब्द पूरे दिल से निकलकर आते थे। उनको कभी भी पैसा कमाने का लोभ नहीं रहा। वह तो अपने मन की भावनाओं को दर्शकों तक पहुंचाने में ही अपने आप को संतुष्ट मानते थे। उनको अपने काम से बहुत प्यार था। लोग उनके द्वारा लिखे गए गीतों को मन से स्वीकार करते थे। शैलेंद्र बनावटीपन और दिखावे से कोसों दूर थे। गीत उनके मन से निकलकर आते थे।
5. फ़िल्म निर्माता के रूप में शैलेंद्र की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए?
उत्तर :- शैलेंद्र एक बहुत अच्छ कवि थे यह हम सभी जानते हैं। लेकिन साथ ही साथ वह अच्छे निर्माता भी थे। उनको धन का इतना लालच नहीं था। उनको अपनी आत्म- संतुष्टि से ज्यादा प्यार था। वह अपने किरदारों के साथ न्याय करते थे। इसका सबसे बेहतरीन उदाहरण है तीसरी कसम। इस फिल्म में शैलेंद्र ने नायक हीरामन और हीराबाई के किरदार पर इतनी मेहनत की है कि यह दोनों ही किरदार दिल को छू जाते हैं। हालांकि इस फिल्म को इतने दर्शक नहीं मिल पाए जितने की उम्मीद शैलेंद्र ने की थी। लेकिन तब भी शैलेंद्र ने हार नहीं मानी। उनको आत्म- संतुष्टि मिल गई थी। इस शानदार फिल्म ने अनेकों पुरस्कार बटोरे।
6. शैलेंद्र के निजी जीवन की छाप उनकी फ़िल्म में झलकती है कैसे? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :- शैलेंद्र के निजी जीवन की छाप उनकी फिल्म में अच्छे से झलकती है। जैसे तीसरी कसम फिल्म में हीरामन ने सरल और सहज स्वभाव से सभी को लुभाया, ठीक उसी प्रकार शैलेंद्र का स्वभाव भी सरल था। शैलेंद्र को दिखावे की दुनिया पसंद नहीं थी। शैलेंद्र आदर्शवादी भावुक कवि थे। वह ऐसे गीत लिखा करते थे जिसमें शांत नदी का प्रवाह और समुद्र की गहराई विद्यमान थी।
7. लेखक के इस कथन से कि ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म कोई सच्चा कवि हृदय ही बना सकता था, आप कहाँ तक सहमत हैं? स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर :- यह बिल्कुल सच है कि तीसरी कसम’ फ़िल्म कोई सच्चा कवि हृदय ही बना सकता था। ऐसी फिल्में बनाने के लिए विशाल हृदय चाहिए। शैलेंद्र में वह बात थी। शैलेंद्र जो शब्द कागज के पन्नों पर उतारते थे वह सीधे ही उनके दिल से निकलकर आते थे। उनके जैसा भावुक और सच्चा कवि कम ही देखने को मिलता है। आमतौर पर एक फिल्मी दुनिया में काम करने वाला इंसान थोड़ा घमंडी स्वभाव का होता है। लेकिन शैलेंद्र बनावटीपन और घमंड से बहुत दूर थे।
(ग) निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए –
1. वह तो एक आदर्शवादी भावुक कवि था, जिसे अपार संपत्ति और यश तक की इतनी कामना नहीं थी जितनी आत्म संतुष्टि के सुख की अभिलाषा थी।
उत्तर :- इस लाइन के अनुसार लेखक कहना चाह रहा है कि शैलेंद्र एक आदर्शवादी भावुक कवि था। उसे अपार संपत्ति और यश की इतनी कामना नहीं थी। वह तो हर पल आत्म संतुष्टि के सुख की कामना किया करता था। वह दर्शकों से आत्मीय और भावनात्मक रिश्ता जोड़ना चाहते थे। उनको पैसों से ज्यादा अपने काम से प्यार था।
2. उनका यह दृढ़ मतंव्य था कि दर्शकों की रूचि की आड़ में हमें उथलेपन को उन पर नहीं थोपना चाहिए। कलाकार का यह कर्त्तव्य भी है कि वह उपभोक्ता की रूचियों का परिष्कार करने का प्रयत्न करे।
उत्तर :- इस लाइन के अनुसार लेखक यह कहना चाह रहा है कि शैलेंद्र को दर्शकों पर उथलेपन थोपना अच्छा नहीं लगता था। शैलेंद्र हमेशा यह कहते थे कि एक कलाकार का यह कर्त्तव्य होना चाहिए की वह उपभोक्ता की रूचियों का परिष्कार करने का प्रयत्न करे। उन्हें लगता था कि केवल पैसों के चक्कर में हमें लोगों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ नहीं करना चाहिए।
3. व्यथा आदमी को पराजित नहीं करती, उसे आगे बढ़ने का संदेश देती है।
उत्तर :- शैलेंद्र द्वारा लिखे गए गीतों में सच्चाई झलकती थी। उनके हर गानों में शिक्षा छूपी थी। शैलेंद्र अपने गीतों के माध्यम से लोगों को यह समझाना चाहते थे कि हमे कभी भी विपरीत स्थिति में घबराना नहीं चाहिए। शैलेंद्र एकदम सही कहते हैं कि व्यथा आदमी को पराजित नहीं करती, बल्कि उसे आगे बढ़ने का संदेश देती है। परेशानियों से घबराने की बजाय उनका डटकर मुकाबला करना चाहिए।
4. दरअसल इस फ़िल्म की संवेदना किसी दो से चार बनाने वाले की समझ से परे है।
उत्तर :- यह बिल्कुल सही है कि दरअसल इस फ़िल्म की संवेदना किसी दो से चार बनाने वाले की समझ से परे है। ज्यादातर निर्माता और निर्देशक धन कमाने के चक्कर में अपनी असलियत को खो देते हैं। धन के लालच में वह दर्शकों को कुछ भी परोस देते हैं। वह दर्शकों को लुटना चाहते हैं। लेकिन शैलेंद्र ने तीसरी कसम फिल्म बनाते वक्त हर चीज का ख्याल रखा। उनकी फिल्म में संवेदना अच्छे से झलकती है।
5. उनके गीत भाव-प्रवण थे- दुरूह नहीं।
उत्तर :- शैलेंद्र द्वारा लिखे गए गीतों में कुछ तो खास था कि वह गीत दर्शकों के दिल को अंदर तक छू जाते थे। उनके गीतों में ऐसी जान डाल दी जाती थी कि सुनने वाला हर मुश्किलों को पार कर जाता था।
भाषा अध्ययन
प्रश्न 1. पाठ में आए ‘से’ के विभिन्न प्रयोगों से वाक्य की संरचना को समझिए।
(1) राजकपूर ने एक अच्छे और सच्चे मित्र की हैसियत से शैलेंद्र को फ़िल्म की असफलता के खतरों से आगाह भी किया।
(2) रातें दसों दिशाओं से कहेंगी अपनी कहानियाँ।
(3) फ़िल्म इंडस्ट्री में रहते हुए भी वहाँ के तौर-तरीकों से नावाकिफ़ थे।
(4) दरअसल इस फ़िल्म की संवेदना किसी दो से चार बनाने के गणित जानने वाले की समझ से परे थी।
(5) शैलेंद्र राजकपूर की इस याराना दोस्ती से परिचित तो थे।
उत्तर :- छात्र स्वयं समझें।
प्रश्न 2. इस पाठ में आए निम्नलिखित वाक्यों की संरचना पर ध्यान दीजिए
- तीसरी कसम’ फ़िल्म नहीं, सैल्यूलाइड पर लिखी कविता थी।
- उन्होंने ऐसी फ़िल्म बनाई थी जिसे सच्चा कवि-हृदय ही बना सकता था।
- फ़िल्म कब आई, कब चली गई, मालूम ही नहीं पड़ा।
- खालिस देहाती भुच्चे गाड़ीवान जो सिर्फ दिल की जुबान समझता है, दिमाग की नहीं।
उत्तर :- छात्र वाक्यों की संरचना पर स्वयं ध्यान दें।
प्रश्न 3. पाठ में आए निम्नलिखित मुहावरों से वाक्य बनाइए-
चेहरा मुरझाना, चक्कर खा जाना, दो से चार बनाना, आँखों से बोलना।
उत्तर :-
(1) उसका चेहरा ना जाने क्यों मुरझा गया।
(2) उसके पास इतना धन देख मेरा सिर चक्कर गया।
(3) दो से चार बनाने वाले बहुत मिलते हैं। लेकिन असलियत के साथ जीने वाले बहुत कम मिलते हैं।
(4) राजकपूर का अभिनय इतना दमदार था कि वह आंखों से बोलते थे।
4. निम्नलिखित शब्दों के हिन्दी पर्याय दीजिए-
(क) शिद्दत
(ख) याराना
(ग) बमुश्किल
(घ) खालिस
(ङ) नावाकिफ़।
(च) यकीन
(छ) हावी
(ज) रेशा
उत्तर :-
(क) शिद्दत – प्रयास
(ख) याराना-दोस्ती, मित्रता
(ग) बमुश्किल – कठिन
(घ) खालिस – मात्र
(ङ) नावाकिफ़ – अनभिज्ञ
(च) यकीन – विश्वास
(छ) हावी – भारी पड़ना
(ज) रेशा – तंतु
5. निम्नलिखित का संधिविच्छेद कीजिए:
(क) चित्रांकन –
(ख) सर्वोत्कृष्ट
(ग) चर्मोत्कर्ष –
(घ) रूपांतरण
(ङ) घनानंद
उत्तर :-
(क) चित्रांकन = चित्र + अंकन
सर्वोत्कृष्ट = सर्व + उत्कृष्ट
चर्मोत्कर्ष = चरम + उत्कर्ष
रूपांतरण = रूप + अंतरण
घनानंद = घन+आनंद
6. निम्नलिखित का समास विग्रह कीजिए और समास का नाम लिखिए
(क) कला मर्मज्ञ
(ख) लोकप्रिय
(ग) राष्ट्रपति
उत्तर :-
(क) कला-मर्मज्ञ – कला का मर्मज्ञ (तत्पुरूष समास)
(ख) लोकप्रिय – लोक में प्रिय (तत्पुरूष समास)
(ग) राष्ट्रपति – राष्ट्र का पति (तत्पुरुष समास)
विद्यार्थियों को कक्षा 10वीं हिंदी अध्याय 11 तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र के प्रश्न उत्तर प्राप्त करके कैसा लगा? हमें अपना सुझाव कमेंट करके ज़रूर बताएं। कक्षा 10वीं हिंदी स्पर्श अध्याय 11 के लिए एनसीईआरटी समाधान देने का उद्देश्य विद्यार्थियों को बेहतर ज्ञान देना है। इसके अलावा आप हमारे इस पेज की मदद से सभी विषयों के एनसीईआरटी समाधान और एनसीईआरटी पुस्तकें भी प्राप्त कर सकते हैं।
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