Join WhatsApp

Join Now

Join Telegram

Join Now

एनसीईआरटी समाधान कक्षा 10 हिन्दी स्पर्श अध्याय 4 पर्वत प्रदेश में पावस

Photo of author
Ekta Ranga
Last Updated on

हम इस आर्टिकल के माध्यम से आपके लिए कक्षा 10वीं हिन्दी स्पर्श अध्याय 4 के एनसीईआरटी समाधान लेकर आए हैं। यह कक्षा 10वीं हिन्दी स्पर्श के प्रश्न उत्तर सरल भाषा में बनाए गए हैं ताकि छात्रों को कक्षा 10वीं स्पर्श अध्याय 4 के प्रश्न उत्तर समझने में आसानी हो। यह सभी प्रश्न उत्तर पूरी तरह से मुफ्त हैं। इसके के लिए छात्रों से किसी प्रकार का शुल्क नहीं लिया जायेगा। कक्षा 10वीं हिंदी की परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करने के लिए नीचे दिए हुए एनसीईआरटी समाधान देखें।

Ncert Solutions For Class 10 Hindi Sparsh Chapter 4

कक्षा 10 हिन्दी के एनसीईआरटी समाधान को सीबीएसई सिलेबस को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। यह एनसीईआरटी समाधान छात्रों की परीक्षा में मदद करेगा साथ ही उनके असाइनमेंट कार्यों में भी मदद करेगा। आइये फिर कक्षा 10 हिन्दी स्पर्श अध्याय 4 पर्वत प्रदेश में पावस पंत के प्रश्न उत्तर (Class 10 Hindi Sparsh Chapter 4 Question Answer) देखते हैं।

कक्षा : 10
विषय : हिंदी (स्पर्श भाग 2)
पाठ : 4 पर्वत प्रदेश में पावस (सुमित्रानंदन पंत)

प्रश्न-अभ्यास

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए –

1. पावस ऋतु में प्रकृति में कौन -कौन से परिवर्तन आते हैं ? कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए। 

उत्तर :- कविता के आधार पर प्रकृति में अनेकों परिवर्तन आते हैं। इस कविता में सुमित्रानंदन पंत ने वर्षा ऋतु का गुणगान किया है। वर्षा ऋतु जब आती है तो मौसम का मिजाज़ देखने लायक हो जाता है। इस मौसम कभी भीषण बारिश होती है तो कभी धूप मेहरबान हो जाती है। प्रकृति में पल-पल बदलाव होता रहता है। पहाड़ी इलाका वर्षा ऋतु में और भी अनोखा लगता है। पहाड़ों पर जब अनेकों फूल खिल जाते हैं तो वह पर्वत की आंख के समान नजर आते हैं। कल-कल बहते झरने ऐसे लगते हैं मानो जैसे वह अपने मुंह से पहाड़ों की तारीफ करना चाहते हो। पर्वत पर जो ऊंचाई लिए हुए पेड़ खड़े हैं उनको देखकर ऐसा लगता है जैसे कि मानो वह किसी गहरे विचार में डूबे हैं। पर्वत मानवों की ही तरह अपना चेहरा तालाब रूपी दर्पण में देख रहा है। थोड़ी देर तक धूप निकलने के बाद माहौल में चारों तरफ काले बादल छा जाते हैं। फिर से मूसलाधार बारिश होती है। बारिश के चलते हर ओर कोहरे की चादर बिछ जाती है। ऐसा प्रतीत होता है जैसे कि मानो इंद्रदेवता बादलों के यान पर निकलेंगे और पर्वत प्रदेश का अवलोकन करेंगे।

2. ‘मेखलाकार ‘ शब्द का क्या अर्थ है ? कवि ने इस शब्द का प्रयोग यहाँ क्यों किया है?

उत्तर :- मेखलाकार शब्द का अर्थ होता है कमरबंद। कमर में बांधने वाले आभूषण को कमरबंद कहते हैं। कवि ने इस शब्द का प्रयोग कविता में इसलिए किया है क्योंकि कवि जितनी बार भी पहाड़ों को देखता है उतनी बार ही उसे दूरी तक फैले हुए गोल गोल पर्वत मेखलाकार जैसे दिखते हैं। कवि ने पहाड़ों को आभूषण के साथ जोड़ा है।

3 . ‘सहस्र दृग-सुमन’ से क्या तात्पर्य है? कवि ने इस पद का प्रयोग किसके लिए किया होगा?

उत्तर :- कवि के अनुसार सहस्र दृग-सुमन’ का मतलब उन पर्वतों से है जिनके ऊपर अनगिनत फूल खिल आए हो। जब पहाड़ों पर अनेकों फूल खिल उठते हैं तो मानो ऐसा प्रतीत होता है जैसे कि वह पुष्प पर्वत की आंखें हो। कवि कहना चाह रहा है कि पहाड़ अपने नेत्रों से अपने नीचे बह रही नदी में अपना प्रतिबिंब देखकर खुश होते हैं। नदी का पानी एकदम साफ है। इसलिए जब पर्वत अपना चेहरा नदी रूपी दर्पण में देखता है तो उसको बहुत अच्छा लगता है। कवि ने इस पद का प्रयोग दर्पण के लिए किया है। कवि को तालाब का पानी साफ सुथरे कांच की तरह नजर आ रहा है।

4. कवि ने तालाब की समानता किसके साथ दिखाई है और क्यों ? 

उत्तर :- कवि ने तालाब की तुलना आईने के साथ की है। कवि जब भी तालाब को देखता है तो वह तालाब उसे एक निर्मल आईने की याद दिलाती है। कविता के अनुसार जब विशाल पर्वत तालाब में निहारते हैं तो ऐसा लगता है जैसे कि मानो वह तालाब में नहीं बल्कि किसी दर्पण में निहार रहे हैं।

5. पर्वत के ह्रदय से उठ कर ऊँचे-ऊँचे वृक्ष आकाश की ओर क्यों देख रहे थे और वे किस बात को प्रतिबिंबित करते हैं ?

उत्तर :- पर्वत के ह्रदय से उठ कर ऊँचे-ऊँचे वृक्ष व्याकुल नजरों से आकाश की ओर इसलिए देख रहे थे क्योंकि वह भी आकाश में बहते हुए बादलों की तरह उड़ना चाहते हैं। वह आकाश से हवा में तैरते हुए बातें करना चाहते हैं। पेड़ों का भी मन होता है कि वह एक सफल और ऊंची उड़ान भरे। इस पंक्ति के माध्यम से कवि मनुष्य के जीवन को भी दर्शाना चाहता है। कवि के विचारों के अनुसार एक असफल व्यक्ति भी हमेशा आकाश में उड़ने की आकांक्षा रखता है। वह कड़ी से कड़ी मेहनत करके सुनहरे आसमान को छूना चाहता है। वह प्रतिदिन सफल होने के सपना लेता है।

6. शाल के वृक्ष भयभीत हो कर धरती में क्यों धस गए हैं ? 

उत्तर :- शाल के वृक्ष भयभीत हो कर धरती में इसलिए धस गए क्योंकि वह मूसलाधार बारिश के चलते डर गए हैं। उन्हें प्रकृति सुंदर लगने की बजाय एक भयानक दानव की तरह लग रही है। आकाश में चारों ओर बादलों की गर्जना हो रही। पेड़-पौधे बिजली के गरजने से कांप रहे हैं। वातावरण में चारों ओर धुएं जैसी धुंध छा गई है। ऐसा प्रतीत हो रहा है जैसे कि मानो बादल फटकर धरती पर जोर से गिर पड़ेंगे।

7 . झरने किसके गौरव का गान कर रहे हैं? बहते हुए झरने की तुलना किससे की गई है?

उत्तर :- झरने ऊंचे ऊंचे पर्वतों के गौरव का गान कर रहे हैं। कवि के अनुसार जब झरने ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों से गिरते हैं तो बहुत ही सुंदर लगते हैं। पहाड़ों से गिरने वाले विशाल झरने पर्वत की महिमा गाते हैं। कवि के अनुसार बहते हुए झरने सुंदर मोती की माला के समान लगते हैं।

ख) निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए :-

1. है टूट पड़ा भू पर अम्बर!

उत्तर- इस पंक्ति के माध्यम से कवि यह समझाने की कोशिश कर रहा है कि हमारी प्रकृति कितनी अनोखी है। कवि ने पर्वत प्रदेश का खूबसूरती के साथ वर्णन किया है। वह कहना चाह रहा है कि जब वर्षा ऋतु आती है तो उस समय पहाड़ों का मिजाज देखने लायक होता है। पर्वत प्रदेश में जब मूसलाधार बारिश होती है तो ऐसा लगता है जैसे कि आकाश धरती पर टूट पड़ेगा। उस समय चारों ओर घना कोहरा छा जाता है।

2. यों जलद -यान में विचर -विचरथा इंद्र खेलता इंद्रजाल।

उत्तर- इस पंक्ति में कवि कहना चाहता है कि पर्वत प्रदेश में जब बारिश का मौसम आता है तो यह प्रदेश अलग ही प्रकार का नजर आता है। इस मौसम में कभी मूसलाधार बारिश हो जाती है। तो कभी अचानक ही चमकता हुआ सूरज निकल आता है। यह सब किसी जादूई खेल की तरह लगता है। ऐसा प्रतीत होता है जैसे कि मानो इंद्र देव कोई मायावी खेल रहे हो। कि जैसे कोई जादुई दुनिया में उतर आया हो।

3. गिरिवर के उर से उठ -उठ कर

उच्चाकांक्षाओं से तरुवर
है झाँक रहे नीरव नभ पर
अनिमेष ,अटल कुछ चिंतापर।

उत्तर :- इन पंक्तियों में कवि बताना चाहिए रहा है कि पर्वत प्रदेश बहुत ही खूबसूरत प्रदेश है। इसी प्रदेश के जो पर्वत हैं, उनपर अनेकों पेड़ उगे हुए हैं। वह पेड़ हर रोज कुछ चिंताभरी नजरों से आकाश में निहारते हैं। उन पेड़ों की भी कुछ महत्वाकांक्षा है। कवि के मुताबिक शायद वह पेड़ सोचते हैं कि काश वह भी आसमान में ऊंची उड़ान भर पाते। बादलों से बात कर पाते। पेड़ चिंता के साथ आसमान में इसलिए निहारते हैं क्योंकि उनके मन में आसमान ना छूने की टीस है।

कविता का सौन्दर्य

1. इस कविता में मानवीकरण अलंकार का प्रयोग किस प्रकार किया गया है? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- इस कविता के माध्यम से मानवीकरण अलंकार का प्रयोग बहुत खूबसूरत तरीके से किया गया है। कविता के हर पहलू में आपको ऐसा लगेगा मानो कि कविता प्रकृति पर ना आधारित होकर मानव पर आधारित है। इस चीज का सबसे अनुपम उदाहरण तब देखने को मिलता है जब कवि पहाड़ों पर उगे हुए पेड़ों के बारे में बखान करता है। पेड़ जब चिंता में डूबे हुए आकाश में उड़ने का सोचते हैं तो ऐसा लगता है जैसे कि मानो मानव आकाश में उड़ान भरने की सोच रहा हो।

2. आपकी दृष्टि में इस कविता का सौन्दर्य इसमें से किस पर निर्भर करता है?

(क) अनेक शब्दों की आवृति पर

(ख) शब्दों की चित्रमयी भाषा पर

(ग) कविता की संगीतात्मकता पर

उत्तर- (ख) कविता का सौन्दर्य शब्दों की चित्रमयी भाषा पर निर्भर करता है। चित्रमयी भाषा से कविता बहुत ही खूबसूरत बन पड़ी है।

3. कवि ने चित्रात्मक शैली का प्रयोग करते हुए पावस ऋतु का सजीव चित्र अंकित किया है ऐसे स्थलों को छाँट कर लिखिए।

उत्तर :-

  • अपने सहस्र दृग- सुमन फाड़, अवलोक रहा है बार-बार|जिसके चरणों में पला ताल, दर्पण सा फैला है विशाल|
  • गिरि का गौरव गाकर झर- झर, मद में नस -नस उत्तेजित करमोती की लड़ियों- से सुन्दर, झरते हैं झाग भरे निर्झर|
  • धँस गए धारा में सभय शाल, उठ रहा धुआँ, जल गया ताल! यों जलद -यान में विचर –विचर, था इंद्र खेलता इंद्रजाल।
  • गिरिवर के उर से उठ -उठ कर, उच्चाकांक्षाओं से तरुवर है झाँक रहे नीरव नभ पर, अनिमेष ,अटल कुछ चिंतापर।

विद्यार्थियों को कक्षा 10वीं हिंदी अध्याय 4 पर्वत प्रदेश में पावस के प्रश्न उत्तर प्राप्त करके कैसा लगा? हमें अपना सुझाव कमेंट करके ज़रूर बताएं। कक्षा 10वीं हिंदी स्पर्श अध्याय 4 के लिए एनसीईआरटी समाधान देने का उद्देश्य विद्यार्थियों को बेहतर ज्ञान देना है। इसके अलावा आप हमारे इस पेज की मदद से सभी विषयों के एनसीईआरटी समाधान और एनसीईआरटी पुस्तकें भी प्राप्त कर सकते हैं।

 कक्षा 10 हिन्दी क्षितिजसंचयनकृतिका के समाधानयहाँ से देखें

Leave a Reply