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Ncert Solutions Class 7 Social Science Civics Chapter 1 in Hindi Medium
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कक्षा : 7
विषय : सामाजिक विज्ञान (नागरिक शास्त्र – सामाजिक एवं राजनीतिक जीवन 2)
अध्याय:-1 (समानता)
पाठ के बीच पूछे जाने वाले प्रश्न
प्रश्न 1 – आपके विचार से समानता के बारे में शंका करने के लिए कांता के पास क्या पर्याप्त कारण है ? उपरोक्त कहानी के आधार पर उसके ऐसा सोचने के तीन कारण बताइए।
उत्तर :-
- कांता एक झोपड़पट्टी में रहती है और उसके घर के पीछे एक नाला है। उसकी बेटी बीमार है परंतु वह अपने काम से एक दिन की भी छुट्टी नहीं ले सकती क्योंकि उसे अपने मालिक से बच्ची को डॉक्टर के पास ले जाने के लिए पैसे उधार लेने हैं।
- घरेलू काम की नौकरी उसे थका देती है और अंतत : उसके दिन की समाप्ति फिर लंबी लाइन में खड़े होकर होती है।
- सरकारी अस्पताल के सामने लगी यह लाइन , उस लाइन से भिन्न है, जिसमें वह सुबह वोट देते समय लगी थी, क्योंकि उसमें अमीर गरीब सब साथ में लाइन में खड़े थे।
प्रश्न 2 – आपके विचार से ओमप्रकाश वाल्मीकि के साथ उसके शिक्षक और सहपाठियों ने असमानता का व्यवहार क्यों किया था ? अपने आपको ओमप्रकाश वाल्मीकि की जगह रखते हुए चार पक्तियाँ लिखिए कि उस स्थिति में आप कैसा अनुभव करते ?
उत्तर :- ओमप्रकाश वाल्मीकि (1950-2013) एक प्रसिद्ध दलित लेखक है। अपनी आत्मकथा जूठन में वे लिखते है- “ स्कूल में दूसरों से दूर बैठना पड़ता था, वह भी जमीन पर। अपने बैठने की जगह तक आते – आते चटाई छोटी पड़ जाती थी। कभी – कभी तो एकदम पीछे दरवाजे के पास बैठना पड़ता था, जहाँ से बोर्ड पर लिखे अक्षर धुंधले दिखते थे। कभी – कभी बिना कारण पिटाई भी कर देते थे। “ जब वे कक्षा चार में थे, प्रधानाध्यापक ने ओमप्रकाश से स्कूल और खेल के मैदान में झाडू लगाने को कहा। वे लिखते हैं- “ लंबा – चौड़ा मैदान मेरे वजूद से कई गुना बड़ा था, जिसे साफ करने से मेरी कमर दर्द करने लगी थी। धूल से चेहरा , सिर अँट गया था। मुंह के भीतर धूल घुस गई थी। मेरी कक्षा में बाकी बच्चें पढ़ रहे थे और मैं झाड़ू लगा रहा था। हेडमास्टर अपने कमरे में बैठे थे लेकिन निगाह मुझ पर टिकी थी, पानी पीने तक की इजाजत नहीं थी। पूरा दिन मैं झाडू लगाता रहा। “ ओमप्रकाश से अगले दो दिनों तक स्कूल और खेल के मैदान में झाडू लगवाई जाती रही और यह क्रम तभी रुका, जब उधर से गुजरते हुए उसके पिता ने अपने बेटे को झाडू लगाते देखा। उन्होंने शिक्षकों का साहसपूर्वक सामना किया और ओमप्रकाश का हाथ पकड़ कर स्कूल से बाहर जाते हुए ऊँचे स्वर में सबको सुनाते हुए कहा …. “ मास्टर हो … इसलिए जा रहा हूँ … पर इतना याद रखिए मास्टर … यो … यहीं पढेगा …. इसी मदरसे में। और यो ही नहीं, इसके बाद और भी आवंगे पढ़ने कू। “ वह दलित समुदाय से था इसलिए उसके साथ ऐसा हुआ। अगर हमारे साथ ऐसा होता तो हम घर पर जाते ही शिकायत करते। अगर परिवार कुछ नहीं करता तो हम अगले दिन स्कूल ही नहीं जाते। क्योंकि ऐसा व्यवहार किसी को पसंद नहीं आता। लेकिन हमें ऐसे घबराना नहीं चाहिए और मुश्किलों का डटकर सामना करना चाहिए।
ओमप्रकाश वाल्मीकि की जगह मैं होता या होती तो निम्न प्रकार के अनुभव होते।
- मैं दूसरे से अपने आपको अलग महसूस करता।
- मेरे मन में समाज के प्रति असंतोष पैदा होता।
- मैं हमेशा यह ही सोचता कि मुझे दलित होने की सजा मिल रही है।
- मैं जाति भेदभाव को गलत मानता।
प्रश्न 3 – आपके विचार से अंसारी दंपति के साथ असमानता का व्यवहार क्यों किया जा रहा था ? यदि आप अंसारी दंपति की जगह होते और आपको रहने के लिए इस कारण जगह न मिलती क्योंकि कुछ पड़ोसी आपके धर्म के कारण आपके पास नहीं रहना चाहते तो आप क्या करते ?
उत्तर :- अंसारी दंपति जो शहर में किराए पर एक मकान लेना चाहते थे। वे पैसे वाले थे इसलिए किराए की कोई समस्या नहीं थी। वे मकान ढूँढ़ने में मदद लेने एक प्रॉपर्टी डीलर के पास गए। डीलर ने उन्हें बताया कि वह कई खाली मकानों के बारे में जानता है, जो किराए पर मिल सकते हैं। वे पहला मकान देखने गए। अंसारी दंपति को मकान बहुत अच्छा लगा और उन्होंने मकान लेने का निर्णय कर लिया। फिर जब मकान – मालकिन ने उनके नाम सुना, तो वे बहाने बनाने लगी कि वो मांसाहारी लोगों को मकान नहीं दे सकती, क्योंकि उस बिल्डिंग में कोई भी मांसाहारी व्यक्ति निवास नहीं करता। प्रॉपर्टी डीलर और अंसारी दंपति, दोनों ही यह सुनकर आश्चर्यचकित रह गए , क्योंकि पड़ोस से मछली पकाने की गंध आ रही थी। उनके सामने उन्हें दूसरे और तीसरे मकानों में भी जो उन्हें पसंद आए थे, वही बहाना दुहराया गया। अंत में प्रॉपर्टी डीलर ने सुझाव दिया कि क्या वे अपना नाम बदल कर श्री और श्रीमती कुमार रखना चाहेंगे। अंसारी दंपति ऐसा करने के इच्छुक नहीं थे, इसलिए उन्होंने कुछ और मकान देखने का निश्चय किया। अंत में लगभग एक महीने के बाद उन्हें एक मकान – मालकिन मिली, जो उन्हें किराए पर मकान देने को तैयार थीं।
मैं निम्न प्रकार से उनको समझाने की कोशिश करता :-
- अगर हम उनकी जगह होते तो हम उन्हें पहके समझाने का प्रयास करते और उन्हें विश्वास दिलाते की उनकी वजह से आपको या किसी और को कोई परेशानी नहीं होगी।
- मैं उनके बीच धर्म भेदभाव को कम करने का प्रयास करता।
- मैं उनको विश्वास दिलाता कि मेरे धर्म के कारण उनको को किसी भी प्रकार का कष्ट नहीं होगा।
प्रश्न 4 – यदि आप अंसारी परिवार के एक सदस्य होते, तो प्रॉपर्टी डीलर के नाम बदलने के सुझाव का उत्तर किस प्रकार देते ?
उत्तर :- हम उन्हें कहते की नाम तो हम बदल लेंगे लेकिन हमारे द्वारा अपनाई गई संस्कृतियां, यहाँ सबके सामने मनाए जाने वाले त्यौहार कैसे बदलेंगे। क्या हमारी रिश्तेदारी में से हमसे मिलने यहाँ कभी कोई नहीं आएगा। और हमेशा हमारे बारे में सब पता चलने का डर भी हमारे मन में रहेगा।
प्रश्न 5 – क्या आपको अपने जीवन की कोई ऐसी घटना याद है, जब आपकी गरिमा को चोट पहुँची हो ? आपको उस समय कैसा महसूस हुआ था ?
उत्तर :- हां मुझे अभी वह समय याद है जब मैंने एक नौकरी में अपने पूरा ध्यान केंद्रित किया हुआ था। मुझे उस नौकरी से जुड़ा काम पहले से ही आता था। लेकिन मेरी जगह किसी और को लिया गया क्योंकि वह पहले से ही मैनेजर की जान पहचान का था। उस समय मुझे बहुत बुरा लगा था जितना अपमानित महसूस हुआ ऐसा दिन कभी मेरे जीवन में नहीं आया था।
प्रश्न 6 – मध्याह्न भोजन कार्यक्रम क्या है ? क्या आप इस कार्यक्रम के तीन लाभ बता सकते है ? आपके विचार से यह भोजन कार्यक्रम किस प्रकार समानता की दलित भावना बढ़ा सकता है ?
उत्तर :- मध्याहन भोजन की व्यवस्था – इस देश में सरकार द्वारा उठाया गया एक कदम है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत सभी सरकारी प्राथमिक स्कूलों के बच्चों को दोपहर का भोजन स्कूल द्वारा दिया जाता है। यह योजना भारत में सर्वप्रथम तमिलनाडु राज्य में प्रारंभ की गई और 2001 में उच्चतम न्यायालय ने सभी राज्य सरकारों को इसे अपने स्कूलों में छह माह के अंदर आरंभ करने के निर्देश दिए। इस कार्यक्रम के काफ़ी सकारात्मक प्रभाव हुए ।
तीन लाभ निम्न प्रकार है :-
1 – दोपहर का भोजन मिलने के कारण गरीब बच्चों ने अधिक संख्या में स्कूल में प्रवेश लेना और नियमित रूप से स्कूल जाना शुरू कर दिया।
2 – शिक्षक बताते हैं कि पहले बच्चे खाना खाने पर जाते थे और फिर वापस स्कूल लौटते ही नहीं थे। परंतु अब से स्कूल में मध्याह्न भोजन मिलने लगने से उनकी उपस्थिति में सुधार आया।
3 – वे माताएं जिन्हें पहले अपना काम छोड़कर दोपहर को बच्चों को खाना खिलाने घर आना पड़ता था, अब उन्हें ऐसा नहीं करना पड़ता है।
दलित जातिगत भावना का पढ़ना
इस कार्यक्रम से जातिगत पूर्वाग्रहों को काम करने में भी सहायता मिली है। क्योंकि स्कूल में सभी जातियों के बच्चे साथ – साथ भोजन करते हैं और कुछ स्थानों पर तो भोजन पकाने के लिए दलित महिलाओं को काम पर रखा गया है ताकि सभी बच्चों और परिवारों में समानता बनी रहे।
प्रश्न 7 – अपने क्षेत्र में लागू की गई किसी एक सरकारी योजना के बारे में पता लगाइए। इस योजना में क्या किया जाता है ? यह किस के लाभ के लिए बनाई गई है ।
उत्तर :- हमारे क्षेत्र में सरकार द्वारा लड़कियों के लिए सुकन्या समृद्धि योजना चलाई गई। सरकार ने बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान के अंतर्गत सुकन्या समृद्धि योजना को शुरू किया था। यह एक बचत योजना है। यह योजना माता-पिता को बेटियों की शिक्षा और उनके शादी के खर्च के लिए पैसे जमा करने के लिए प्रोत्साहित करती हैं।
इस योजना के लाभ :-
- यह योजना मां-बाप पर बेटियों की शिक्षा और शादी के आर्थिक बोझ को कम करती है।
- खाता मात्र 250 रुपये की न्यूनतम राशि से खोला जा सकता है।
- एक वित्तीय वर्ष में न्यूनतम 250 रुपये व अधिकतम 1,50,000 रुपये जमा किए जा सकते हैं।
- जमा की जा रही राशि पर ब्याज भी मिलता है, जिसके बारे में सरकार बीच-बीच में नोटिफिकेशन जारी करती रहती है।
- लड़की के 18 वर्ष के होने पर शिक्षा के खर्च के लिए जमा राशि में से 50 प्रतिशत निकाला जा सकता है।
अभ्यास:- प्रश्न उत्तर
प्रश्न 1 – लोकतंत्र में सार्वभौमिक व्यस्क मताधिकार क्यों महत्त्वपूर्ण है ?
उत्तर :- सार्वभौमिक व्यस्क मताधिकार का अर्थ है – देश के सभी नागरिकों को एक निश्चित आयु प्राप्त करने के बाद, बिना किसी भेदभाव के मत देने का अधिकार देना।
लोकतंत्र में सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार निम्नलिखित कारणों से महत्त्वपूर्ण है:-
- यह देश के वयस्क नागरिक को अपनी पसंद के उम्मीदवार को मत देने का अधिकार प्रदान करता है।
- यह संविधान में निहित समानता के सिद्धान्त पर आधारित है।
- इससे एक सच्चे व वास्तविक लोकतंत्र की स्थापना होती है ।
प्रश्न 2 – बॉक्स में दिए गए संविधान के अनुच्छेद 15 के अंश को पुनः पढ़िए और दो ऐसे तरीके बताइए , जिनमे यह अनुच्छेद असमानता को दूर करता है ?
उत्तर :- बॉक्स में दिया गया संविधान का अनुच्छेद 15 निम्नलिखित तरीकों से असमानता को दूर करता है। राज्य, किसी नागरिक के विरुद्ध केवल धर्म, मूल वंश, जाति, लिंग, जन्म स्थान या इनमें से किसी के आधार पर कोई विभेद नहीं करेगा। कोई नागरिक केवल धर्म, मूल वंश, जाति, लिंग, जन्म स्थान या इनमें से किसी के आधार पर :-
(क) दुकानों, सार्वजनिक भोजनालयों, होटलों और सार्वजनिक मनोरंजन के स्थानों में प्रवेश
या
(ख) पूर्णतः या अंशतः राज्य – निधि से पोषित या साधारण जनता के प्रयोग के लिए समर्पित कुँओं , तालाबों , स्नान घाटों , सड़कों और सार्वजनिक समागम के उपयोग के संबंध में किसी भी निर्योग्यता , दायित्व या शर्त के अधीन नहीं होगा ।
प्रश्न 3 – ओमप्रकाश वाल्मीकि का अनुभव, अंसारी दंपति के अनुभव से किस प्रकार मिलता था ?
उत्तर :- ओम प्रकाश वाल्मीकि और अंसारी दंपति दोनों के साथ ही जाति को लेकर बुरा व्यवहार हुआ था। ओम प्रकाश वाल्मीकि और अंसारी दंपत्ति की गरिमा को ठेस पहुंचाई गई थी। ओम प्रकाश वाल्मीकि को उसकी छोटी जाति के कारण स्कूल में झाडू लगाना पड़ा था, जबकि अंसारी दंपति को उनके धर्म के कारण मकान देने से मना कर दिया था।
प्रश्न 4 – “ कानून के सामने सब व्यक्ति बराबर है “ – इस कथन से आप क्या समझते हैं ? आपके विचार से यह लोकतंत्र में महत्त्वपूर्ण क्यों है ?
उत्तर :- “ कानून के सामने सब व्यक्ति बराबर हैं “ से अभिप्राय है। क़ानून सबकी सुनेगा, अगर किसी के साथ कुछ बुरा हुआ है तो सामने वाले को सज़ा मिलेगी, चाहे कोई किसी भी जाति का हो। जाति के आधार पर किसी के साथ कोई भेदभाव नहीं होगा। सभी व्यक्तियों को कानून का पालन करना पड़ेगा। कानून लोकतंत्र में बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि बिना कानून कोई भी देश लोकतांत्रित नहीं बन सकता है। उदहारण : कानून नहीं होगा तो कोई भी ट्रैफिक नियम का पालन नहीं करेगा, किसी का भी मन होगा वो शोरूम में जाकर मुफ्त में टीवी लेकर आ जायेगा, लोग बस, ट्रैन और मेट्रो में मुफ्त में सफर करना शुरू कर देंगे। इसलिए किसी भी देश के लिए लोकतंत्र में कानून बहुत ही महत्वपूर्ण है।
प्रश्न 5 – दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016, के अनुसार उनको समान अधिकार प्राप्त हैं और समाज में उनकी पूरी भागीदारी संभव बनाना सरकार का दायित्व है। सरकार को उन्हें नि :शुल्क शिक्षा देनी है और विकलांग बच्चों का स्कूलों को मुख्यधारा में सम्मिलित करना है। कानून का यह भी कहना है कि सभी सार्वजनिक स्थल, जैसे – भवन, स्कूल आदि में ढलान बनाए जाने चाहिए, जिससे वहाँ विकलांगों के लिए पहुँचना सरल हो। चित्र को देखिए और उस बच्चे के बार में सोचिए, जिसे सीढ़ियों से नीच लाया जा रहा है। क्या आपको लगता है कि इस स्थिति में उपयुक्त कानून लागू किया जा रहा है ? वह भवन में आसानी से – आ – जा सके उसके लिए क्या करना आवश्यक है ? उसे उठाकर सीढियों से उतारा जाना, उसके सम्मान और उसकी सुरक्षा को कैसे प्रभावित करता है ?
उत्तर :- चित्र में दिखाए गए बच्चें को, जिसे सीढ़ियों से नीचे लाया जा रहा है उस पर विकलांगता कानून लागू नहीं किया जा सकता। स्कूल, अस्पताल जैसे सार्वजनिक स्थलों पर ढलानों की व्यवस्था की जानी चाहिए, ताकि विकलांगों के लिए चढ़ना – उतरना आसान हो जाए। जिस प्रकार यह विकलांग बच्चा दूसरे लोगों के द्वारा लाया जा रहा है उससे उसकी गरिमा को चोट पहुँच रही होगी। उसे बुरा लग रहा होगा। उसके मन में अवश्य ही हीन भावना पैदा हो रही होगी। वह यह भी सोच रहा होगा कि वह और बच्चों की तरह चल नहीं सकता, भाग नहीं सकता।
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