इस दुनिया में विभिन्न प्रकार की भाषाएं बोली जाती है। कोई फ्रेंच भाषा बोलता है तो कोई अंग्रेजी भाषी होता है। दुनिया की इतनी सारी भाषाओं में एक हिंदी भाषा भी होती है जो पूरे विश्व भर में प्रसिद्ध है। हमें अपनी राष्ट्रभाषा पर गर्व होना चाहिए। दुनिया के तमाम देश अपनी भाषा बोलने में बिल्कुल भी नहीं हिचकिचाते हैं। और यही अगर हम अपने देश की बात करें तो यह पाते हैं कि यहां बहुत से लोग अपनी राष्ट्रभाषा बोलने में शर्म महसूस करते हैं। जबकि होना यह चाहिए कि हमें हिंदी भाषा को सम्मान देना चाहिए। हिंदी भाषा को अधिक से अधिक लोगों में विस्तार करने का दायित्व होना चाहिए।
हिंदी हमारे देश की पहचान है। यह हर एक भारतीयों के रग रग में बस्ती है। इस भाषा की बोली में एक अलग प्रकार का मिठास है। एक अपनापन सा लगता है जब हम विदेश में हो और हमें हिंदी बोलने वाले कोई साथी मिल जाए। हमारे पूरे शरीर में उमंग की एक तरंग सी दौड़ जाती है अपनी भाषा सुनकर।
पाठकों को इस बारे से अवगत करवाना जरूरी है कि हिंदी दिवस और अंतरराष्ट्रीय हिंदी दिवस अलग तारीखों पर मनाया जाता है। हिंदी दिवस 14 सितंबर को मनाया जाता है और विश्व हिंदी दिवस 10 जनवरी को मनाया जाता है। हालांकि दोनों दिवस का उद्देश्य और मक़सद एक ही रहता है कि कैसे हिंदी भाषा को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सम्मान दिया जाना चाहिए।
प्रस्तावना
भारतीयों के दिल में बसती है हिंदी। यह भाषा हमारी जान है पहचान है। आज हम भारतीय गर्व से सिर ऊंचा करके कह सकते हैं कि हम भारतवासी हैं। हमारे भारत में सबसे ज्यादा बोले जानी वाली भाषा हिंदी ही है। हिंदी भाषा दिनों दिन लोगों के बीच फैलती जा रही है। हिंदी की लोकप्रियता का अनुमान हम भारत में बनने वाली हिंदी फिल्मों और वेब सीरीज से लगा सकते हैं। इसी के ही चलते विदेशों में भी हिंदी भाषा में फिल्में देखी जाती है। हिंदी के गाने भी बड़े ही चाव के साथ सुने जाते हैं। आज के समय में 26 करोड़ हिंदी बोलने वाले हमारे देश का नाम रोशन कर रहे हैं। हिंदी को मान-सम्मान मिल रहा है। हिंदी हमारे देश को नए मुकाम पर पहुंचा रही है।
हिंदी भाषा का इतिहास
इस दुनिया की उत्पत्ति होते ही आज के दौर की भाषाएं अस्तित्व में नहीं आई थी। पहले के समय में आदिमानवों की अपनी अलग भाषा हुआ करती थी। फिर जैसे युग आगे बढ़ता गया तब नई-नई भाषाओं का निर्माण होने लगा। उन्हीं भाषाओं में से एक थी हमारी राष्ट्रभाषा हिंदी। ऐसे देखा जाए तो संस्कृत भाषा जिसे हम आर्य भाषा भी बोल सकते हैं, को सबसे पुरानी भाषा का दर्जा दिया जाता है। यह भाषा ईसा से 5000 वर्ष पहले ही अस्तित्व में आ गई थी। और इसी भाषा से जन्म हुआ हिंदी भाषा का। बहुत से लोगों का यह मत है कि हिंदी भाषा को लगातार 1000 वर्षों से लिखा और बोला जा रहा।
साल दर साल बीतने पर इस भाषा के बोलने और लिखने की शैली में और निखार आता गया। भारत में एक समय ऐसा भी था जब हिंदी भाषा से पूरे विश्व में भारत देश का संदेश गया। यह समय था स्वतंत्रता संग्राम का। इस दौर में अनेक कवियों और लेखकों ने स्वतंत्रता की इस लडाई में अपने कृतियों के माध्यम से बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। गांधीजी ने तो यह तक बोल दिया था कि भारत बिना हिंदी के सुना है। फिर एक दिन भारत के लिए एक सुनहरा अवसर आया जब भारत देश हमेशा के लिए ब्रिटिश गुलामी से आजाद हो गया। आखिरकार हिंदी भाषा को अपना मुकाम हासिल हो गया। 14 सितंबर 1949 को सरकार के आदेश पर हमने इस भाषा को हमारी राष्ट्रभाषा के रूप में सहर्ष स्वीकार कर लिया।
विश्व हिंदी दिवस की शुरुआत कैसे हुई?
सन् 1975 में भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व में विश्व हिंदी सम्मेलन आयोजित किया गया था। इस सम्मेलन में कई देशों ने भाग लिया था। यह सम्मेलन आयोजित करके इंदिरा गांधी दुनिया के लोगों के बीच हिंदी का मान बढ़ाना चाहती थी। क्योंकि यह सम्मेलन 10 जनवरी को आयोजित किया गया था इसलिए यह फैसला लिया गया कि इसी दिन को विश्व हिंदी दिवस रूप मेें मनाया जाना चाहिए। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आखिरकार साल 2006 में 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस मनाने की हरी झंडी दिखा दी। तो ऐसे शुरू हुआ था विश्व हिंदी दिवस का सुनहरा सफर जो आज भी नई उंचाई को छू रहा है।
विश्व हिंदी दिवस का महत्व
भारत को आज़ादी मिलने से पहले और मिलने के तुरंत बाद में लोगों के मन में हिंदी भाषा के प्रति प्रेम का सैलाब उमड़ पड़ा। चाहे सिनेमा जगत हो या पत्रिका, हर कोई हिंदी को सर्वश्रेष्ठ भाषा मानने लगा। लेकिन फिर धीरे-धीरे बदलते समय के साथ हमारे देश में अंग्रेजी भाषा की पकड़ तेज होने लगी। हमारे देश के नागरिक खासकर युवा अंग्रेजी भाषा से बहुत ज्यादा प्रभावित होते गए। इसका असर यह हुआ कि अंग्रेजी मीडियम स्कूलों में बड़ी तेजी से बच्चों के दाखिलें होते गए और हिंदी मीडियम के बच्चों को कमजोर माना जाने लगा।
आप खुद सोचकर देखिए कि एक गरीब घर का बच्चा जो भंयकर जद्दोजहद के साथ अपना जीवन चलाता है वह कैसे अंग्रेजी मीडियम की स्कूल मेें दाखिला ले सकता है? दुनिया के सभी देशों में अपनी अपनी राष्ट्रभाषा बोली जाती है। आज एक अमरीकी को अंग्रेजी बोलने में शर्म नहीं आएगी। तो फिर हम क्यों करें अपनी ही भाषा का अनादर? विश्व हिंदी दिवस की शुरुआत करने के पीछे एक ही कारण था कि कैसे हम सभी अपनी भाषा को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विख्यात करें। आज हिंदी पूरे विश्व में बोली जाने वाली भाषाओं में चौथे स्थान पर है। यह इसी दिवस का ही प्रभाव है जो कि हमारी राष्ट्रभाषा को आज इतना बड़ा स्थान मिल पाया है।
हिंदी के कुछ सुप्रसिद्ध कवि और लेखकों के नाम
माखनलाल चतुर्वेदी | जयशंकर प्रसाद |
मैथिलीशरण गुप्त | सूर्य कांत त्रिपाठी निराला |
हरिवंश राय बच्चन | रामधारी सिंह दिनकर |
महादेवी वर्मा | कबीर |
सुमित्रानंदन पंत | भारतेंदु |
मोहन राणा |
निष्कर्ष
इस निबंध से हमें यह सीख मिलती है कि हमें अपनी जड़ो से सदा जुड़ा रहना चाहिए। माना कि दुनिया बहुत आगे बढ़ रही है और समय की मांग के साथ अंग्रेजी भी बहुत जरूरी भाषा हो गई है। परंतु फिर भी हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि हिंदी ही हमारी असल राष्ट्रीय भाषा है। जो लोग अपने देश के मूल्यों और परंपराओं से जुड़े रहते हैं वही लोग हर जगह सम्मान पाते हैं।
विश्व हिंदी दिवस पर 10 लाइनें
- विश्व हिंदी दिवस हर साल 10 जनवरी को मनाया जाता है।
- हिंदी हमारी राष्ट्रीय भाषा कहलाई जाती है।
- इस दिवस से यह कोशिश की जाती है कि हमारे देश के युवा हिंदी भाषा के उपर अपनी अच्छी पकड़ रखें।
- इस दिवस की शुरुआत भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने की थी।
- हिंदी हजारों साल से चली आ रही एक पुरानी भाषा है।
- विश्व हिंदी दिवस की ही तरह 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है।
- दोनों दिवस का उद्देश्य एक ही है। एक अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जागरूकता फैलाना है तो दूसरा राष्ट्रीय स्तर पर।
- यह दिवस हमें याद दिलाता है कि अंग्रेजी से ज्यादा अहमियत हमें अपनी राष्ट्रीय भाषा को देना चाहिए।
- हिंदी के कई ऐसे प्रसिद्ध कवि और लेखक रहे हैं जिन्होंने हिंदी का परचम पूरे विश्व में फैलाया है।
- हमें अपनी भाषा को बोलने में बिल्कुल भी शर्म महसूस नहीं करनी चाहिए।
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विश्व हिंदी दिवस सम्बंधित FAQs
प्रश्न- विश्व हिंदी दिवस कब मनाया जाता है?
उतर- विश्व हिंदी दिवस हर साल 10 जनवरी को मनाया जाता है।
प्रश्न- विश्व हिंदी सम्मेलन की शुरुआत किसने की थी?
उतर- विश्व हिंदी सम्मेलन की शुरुआत भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने की थी।