दोस्ती शब्द में एक अलग ही जादू है। दुनिया के खुशकिस्मत लोगों को ही सच्ची दोस्ती का साथ मिलता है। दोस्ती का सफर बहुत ही रोमांचक और खुशनुमा होता है। जैसे एक रेलगाड़ी अलग-अलग पड़ाव से गुजरती है ठीक वैसे ही दोस्ती का सुहाना सफर अलग रास्तों और परिस्थितियों से गुजरता है। हर कोई दोस्ती के इस खुबसूरत रिश्ते को सहेजकर रखना चाहता है। दोस्ती को ताउम्र कायम रखने के लिए अलग प्रकार के प्रयास करता रहता है। मेरे प्रिय दोस्त पर निबंध हिंदी में पढ़कर आपको दोस्ती का अच्छा महत्व समझ आएगा। तो आइये नीचे मित्रता पर निबंध (Mitrata Essay in Hindi) पढ़ें।
प्रस्तावना
“एक अच्छी पुस्तक हजार दोस्तों के बराबर होती है जबकि एक अच्छा दोस्त एक लाइब्रेरी (पुस्तकालय) के बराबर होता है।” यह मशहूर कथन था डाॅक्टर एपीजे अब्दुल कलाम सर का। वाकई में, मतलब की इस दुनिया में एक सच्चा दोस्त खोजना बहुत ही मुश्किल का काम है। और जिसको यह अनमोल उपहार मिल जाए तो समझो कि वह किसी भाग्यशाली इंसान से कम नहीं। दोस्ती कभी भी अमीरी या गरीबी देखकर नहीं की जाती है। दोस्ती तो दो समान विचारों के लोगों के बीच होती है। दोस्ती सदियों से चली आ रही एक पुरानी परंपरा है। सच्चा दोस्त मिलने पर मुश्किल राहें भी आसान हो जाती है। माना कि आज की यह दुनिया सिर्फ मतलब पर टिकी है, पर इसी महफिल में अगर हम सच्चे दिल से एक दोस्त की खोज करें तो यह जरूर प्राप्त हो सकती है।
दोस्ती का अर्थ
दो दोस्त की पहचान सोशल मीडिया से हुई। वह यूं जताते थे मानो उनकी सालो की पहचान हो और कोई बिछड़े हुए भाई हो। परंतु उनके सच्ची मित्रता की परख तब हुई जब पहले लड़के ने दूसरे लड़के से कुछ आर्थिक सहायता की मांग की। दूसरे लड़के ने ऐसी कोई सहायता नही की। उसे अपने हाल में अकेला छोड़ दिया। किसी ने सही कहा है कि वह दोस्ती ही क्या जो बुरे वक्त में काम ना आ सके? जी हां, यह शत प्रतिशत सच्ची बात है।
बुरे समय में ही मित्रता की असली परख होती है। एक सच्चा मित्र ही आपके लिए सच्चे हीरे के समान होता है। आपका धन-दौलत देखकर कोई भी आपका मित्र बनने को तैयार हो जाता है। परंतु असली हीरे की परख तब ही होती है जब आप पर मुसीबत टूट पड़े। रिश्ता दुनिया की सबसे अनमोल चीज होती है। मित्रता के इस प्यारे रिश्ते को भी मजबूत धागे की तरह बांधे रखने की परम आवश्यकता होती है।
दोस्ती का महत्व
‘मित्रता’ एक ऐसा अनोखा रिश्ता, जो बहुत ही सुंदर और प्यारा होता है। पता नहीं क्यों पर एक तरह का अपनापन है इस शब्द में। दोस्ती की भावना अंदर से ही जागृत होती है। इस प्रकार का रिश्ता कभी भी जबरदस्ती नहीं निभाया जा सकता है। यह दो लोगों के बीच एक तरह के पारस्परिक संबध को दर्शाता है। सच्चे दोस्तों के हृदय में एक दूसरे के प्रति आत्मीयता का सागर छलकता है। जीवन में सच्चा मित्र होने पर बुरे वक्त मेें समय कब निकल जाता है इसका अंदाजा ही नहीं लगता।
जीवन में दोस्ती का बहुत ज्यादा महत्व है। सच्चे दोस्त के बिना हम अपने जीवन की कल्पना तक नहीं कर सकते हैं। हम जैसे ही इस धरती पर जन्म लेते हैं ठीक वैसे ही हमारे जीवन में अनेक रिश्ते जुड़ जाते हैं। एक रिश्ता ऐसा भी होता है जिसका चयन हम खुद कर सकते हैं। यह रिश्ता होता है दोस्ती का। एक दोस्त को यह खबर रहती है कि उसके दोस्त को क्या चाहिए और क्या नहीं? वही एक शख्स होता है जो आपके जीवन से नकारात्मकता का कोहरा हटाता है और जीवन को सकारात्मकता से रंग देता है। एक दोस्त आपको कभी भी गलत रास्ते पर नहीं जाने देता है।
दोस्त के प्रकार
दोस्ती कभी भी एक प्रकार की नहीं होती है। दोस्ती के भी कई प्रकार होते हैं। वैसे मुख्य रूप से दोस्त चार प्रकार के होते हैं-
- करीबी मित्र- करीबी मित्र वह होते हैं जो ताउम्र आपका साथ निभाते हैं। वह आपके अच्छे से लेकर बुरे समय में भी आपके साथ खड़े रहते हैं। इस प्रकार के मित्र हमें जीवन में कभी भी डगमगाने नहीं देते हैं। वह हमारा हौसला बढ़ाने का हरसंभव प्रयास करते हैं। आम मित्रों के अलावा हमारे करीबी मित्र हमारे मां-बाप हो सकते हैं, भाई-बहन हो सकते हैं आदि।
- सुविधा के अनुरूप दोस्त – इस तरह के दोस्त सुविधा के अनुसार तय किए जाते हैं। इनको सुविधा के हिसाब से इसलिए दोस्त बनाया जाता हैं क्योंकि इनका शौक या रूचि हमसे काफी मेल खाती है। यह जीवनभर हमारे साथ नहीं रहते हैं पर जरूरत पड़ने पर यह हमारे साथ खड़े रहते हैं।
- काम के साथी – यह वह दोस्त होते हैं जो हमारे साथ काम करते हैं जिस संगठन में हम काम करते हैं। इन दोस्तों के साथ हमारा संबंध ज्यादातर ऑफिस तक ही सीमित रहता है परंतु फिर भी इस तरह के दोस्त हमारे लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
दोस्ती का इतिहास
दोस्ती कब और कहां से शुरू हुई इसका कोई अनुमान नहीं लगा सकता। दोस्ती जैसी अनमोल चीज तो सदियों से चली आ रही है। इसका उदाहरण हमें इतिहास में भी मिलता है। श्री कृष्ण और सुदामा का मित्र प्रेम कौन भूल सकता है। भगवान राम और हनुमान जी की अनमोल, अवर्णनीय भ्राता रूपी दोस्ती को कोई कैसे भूल सकता है। महाराणा प्रताप और उनके घोड़े चेतक, ने दोस्ती की अलग ही मिसाल पेश की।
पुराने समय में जो रिश्तों में मधुरता और प्रगाढ़ता होती थी वह अब आज के दौर में कहीं खो चुकी है। पहले के जमाने में लोग ओहदे से ज्यादा आपके व्यवहार के हिसाब से आपको इज्जत देते थे। अगर पहले के दौर में लोग आपके गुण और व्यवहार के मुताबिक दोस्ती ना करके केवल धन दौलत पर ही जाते तो इतिहास की वह सुंदर दोस्ती कभी भी देखने को नहीं मिलती। आज के इस दौर में सिर्फ वही आपका दोस्त हो सकता है जिसे यह पता हो कि आपके पास उसे देने के लिए कितना धन है? आज समाज में प्रतिष्ठित वही है जिसके पास शोहरत है।
दोस्ती पर 200 शब्दों में निबंध
सच्ची दोस्ती, एक ऐसा एहसास जो बहुत ही कम लोगों को प्राप्त होता है। दूसरे अन्य रिश्तों की ही तरह दोस्ती भी एक प्रकार से इश्वर द्वारा प्राप्त अनमोल वरदान है जो हर किसी की झोली में आ गिरे यह मुमकिन नहीं। इस दुनिया में भगवान हमें अनेक रिश्तों की गांठ में बांधकर धरती पर भेजते हैं। जब भगवान हमारी रचना कर रहे होते हैं तो हम आत्मा के भेष में एकदम अलग होते हैं। हमारा कोई अस्तित्व नहीं होता है। परंतु जैसे हमारा इस धरती पर अवतरण हो जाता है तो चीजें बहुत बदल जाती है।
इसी धरती पर हमारा अलग अलग लोगों से रिश्ता नाता जुड़ता है। हम इंसानों का रिश्ता अलग-अलग प्रकार का होता है। कोई रिश्ता पति-पत्नी का होता है तो कोई मां-बाप का होता है। हर किसी रिश्ते की अपनी अलग खासियत होती है। इन सभी रिश्तों में एक और ख़ूबसूरत रिश्ता होता है दोस्ती का। सच में, एक सच्चा मित्र अपने दोस्त से बहुत अधिक प्रेम करता है। दोस्त किसी भी परिस्थिति में अपने साथी को मुश्क़िल घड़ी में नहीं छोड़ सकता है। जब भी एक दोस्त दूसरे मित्र को भंयकर परेशानी में देख लेता है तो वह छटपटा उठता है। यही खासियत होती है एक असली मित्र की।
दोस्ती पर 300 शब्दों में निबंध
एक गरीब और दुखियारा सुदामा नंगे पांव चलता चलता द्वारिका नगरी आ पहुंचा। खूब सारे शहरों की यात्रा करते हुए अब उसके पांवों में छाले पड़ गए थे। लेकिन वह करता तो भी क्या करता? अपने बच्चों का मायूस चेहरा उसे यहां खींच लाया था। लेकिन इसी के साथ ही एक प्रकार की शंका भी थी मन में कि क्या कोई राजा उस जैसे गरीब को अपने महल में आश्रय देगा? क्योंकि उसकी पत्नी ने कहा था इसलिए वह चला आया। पत्नी ने कहा था कि कृष्ण उसका मित्र है तो वह इस मुश्किल घड़ी में उसका साथ अवश्य देगा।
इधर श्री कृष्ण को जैसे ही खबर मिली कि उनसे मिलने उनका परम मित्र सुदामा आया है तो उनके खुशी का कोई ठिकाना ही नहीं रहा। वह भागे दौड़े आए अपने सखा से मिलने। श्री कृष्ण ने सुदामा के पांव आंसू से धोए। यही नहीं भगवान श्रीकृष्ण ने सुदामा से वह चावल भी मांगे जो वह अपनी पोटली मेें बांधकर लाया था।
जैसे ही श्री कृष्ण ने पोटली से निकालकर चावल खाना शुरू किया, सुदामा की गरीबी मानो एक चुटकी में गायब हो गई। यह कहानी थी कृष्ण और सुदामा के असीम मित्र प्रेम की। इन दोनों की मित्रता इतनी प्रगाढ़ थी कि कोई गरीब-अमीर वाली बात ही नहीं रही उनके रिश्ते में। इन दोनों की दोस्ती दुनिया के लिए मिसाल बन गई।
आज इस 21वीं शताब्दी में हम इस प्रकार की दोस्ती की खोज में रहते हैं परंतु हमें दोस्ती में ऐसा प्रेम और सम्मान कहीं भी देखने को नहीं मिलता है। आज के रिश्तों ने बनावटीपन का मुखौटा लगा लिया है। उन मुखौटों के हटते ही एक शैतान खड़ा मिलता है। दोस्ती के नाम पर जो धोखाधड़ी हो रही है वह किसी से भी नहीं छूपी है। आज के दौर में एक और चलन चल पड़ा है, सोशल नेटवर्किंग साइट पर दोस्त बनाना। इस तरह के दोस्त असल जीवन के दोस्तों से भी खतरनाक होते हैं।
दोस्ती पर 10 लाइनें
- मित्रता हमारे जीवन का सबसे खूबसूरत रिश्ता होता है।
- हम अपने हर तरह के दुख-सुख के पल अपने दोस्त के साथ बेफ्रिक होकर बांट सकते हैं।
- एक सच्चा मित्र हर वक्त हमारे साथ साये की तरह खड़ा रहता है।
- एक सच्चा मित्र हमारे जीवन में मार्गदर्शक की तरह हो सकता है।
- हम हर किसी से दोस्ती की गांठ नहीं बांध सकते हैं।
- वह हमे हताशा भरे दिनों में उजाला दिखाने की कोशिश करते हैं।
- आज के समय में हर किसी के पास सच्ची मित्रता के लिए समय ही नहीं है।
- श्री कृष्ण और सुदामा की मित्रता सभी के लिए एक मिसाल है।
- सच्चे मित्र हमारी सच्ची परवाह करते हैं। वह हमें कभी भी मुश्किल में नहीं देख सकते हैं।
- हमारे जीवन में दोस्त होने से हमारे अंदर आत्मविश्वास पैदा होता है।
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