Join WhatsApp

Join Now

Join Telegram

Join Now

मेरा गाँव पर निबंध (Essay on my Village in Hindi)

Photo of author
Ekta Ranga

मेरा गाँव पर निबंध (My village essay in Hindi) – क्योंकि मुझे ‘मेरा गाँव’ विषय पर आज एक निबंध तैयार करना था इसलिए मैं अपने कंप्युटर को खंगालने लगी। मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि मैं कहां से इसकी शुरुआत करूं? कि तभी अचानक मेरी नजर एक ब्लॉग पोस्ट पर गई। उस पोस्ट में भारत के गाँवों के बारे में कुछ बताया गया था। मेरी आँखें एक गाँव पर ही अटक गई। उसमें लिखा हुआ था कि धोर्रा माफी गांव पूरे एशिया का सबसे पढ़ा लिखा गाँव है। मैं यह जान कर हैरान हो गई कि वहां के लोग आज इंजीनियर और डॉक्टर बन रहे हैं। आइये फिर नीचे Mera Gaon nibandh in hindi पढ़ना शुरू करें।

मेरा गाँव पर निबंध (Essay on my Village in Hindi)

एशिया का सबसे शिक्षित गाँव धोर्रा माफी गांव है। सुनकर मन एकदम से हर्षित हो उठता है कि हमारे देश का एक गाँव पूरे एशिया में सर्वश्रेष्ठ गाँवों में से एक आता है। यह हमारे लिए बड़े गौरव की बात है। हमारे गाँव भी अब प्रगति कर रहे हैं। तो आज का हमारा विषय गाँव (village) पर आधारित है। तो आइए हम मेरा गाँव (mera gaon essay in hindi) विषय पर निबंध पढ़ना शुरू करते हैं।

प्रस्तावना

गाँव की आँख से बस्ती की नज़र से देखा एक ही रंग है दुनिया को जिधर से देखा

– असअ’द बदायुनी

सही में, शहरों से कितने अलग है हमारे गाँव। गाँव में जो खुशी है वह और दूसरे शहरों में कहां। आज हमारा देश हमारे गाँवों के अस्तित्व में होने के कारण ही प्रगति कर रहा है। हमारा देश हमेशा से ही गाँवों का देश रहा है। गाँव तो हमारे अर्थव्यवस्था की रीड की हड्डी मानी जाती रही है। हमारा देश की अर्थव्यवस्था को प्राचीन काल से ही कृषि आधारित अर्थव्यवस्था मानी जाती रही है।

एशिया का सबसे शिक्षित गाँव

हम धोर्रा माफी गाँव पर थोड़ी और चर्चा करते हैं। हां, तो मैं यह बता रही थी कि धोर्रा माफी गाँव भारत का सबसे शिक्षित गाँव माना जाता है। आपको यकीन नहीं हो रहा होगा ना? मुझे भी नहीं हो रहा है। यहां की जीवनशैली दूसरे गाँवों के मुकाबले काफी अलग है। यहां पर अंग्रेजी मीडियम की स्कूल और कॉलेज भी है। यहां की साक्षरता की हम अगर बात करे तो यह पता चलता है कि यहां की साक्षरता दर 75 प्रतिशत से भी ज्यादा है। कितना अलग है ना यह गाँव। यह सुनकर मन एकदम से हर्षित हो उठता है कि हमारे देश का एक गाँव पूरे एशिया में सर्वश्रेष्ठ गाँवों में से एक आता है।

ये भी पढ़ें :-

गर्मी की छुट्टी पर निबंधयहाँ से पढ़ें
विज्ञान पर निबंधयहाँ से पढ़ें
जल के महत्व पर निबंधयहाँ से पढ़ें
ध्वनि प्रदूषण पर निबंधयहाँ से पढ़ें
पृथ्वी दिवस पर निबंधयहाँ से पढ़ें

मेरी गाँव की सैर

दो साल पहले मैं अपने ताऊजी से मिलने उनके गाँव पहुंची। वहां पर पहुंचकर एक अलग ही तरह का एहसास हो रहा था। मैं देख सकती थी कि यहां का वातावरण और नजारा काफी खूबसूरत था। यहां पर चारों तरफ खूबसूरती का नजारा बिखरा पड़ा था। जैसा शोर बड़े शहरों में होता है वैसा शोर यहां बिल्कुल भी नहीं था। यहां पर प्रदूषण देखने में ना के बराबर था। हर तरफ हरी भरे खेत देखने को मिल रहे थे। गाँव की मिट्टी की खुशबू में कुछ अलग ही बात थी। ताज़ी हवा बह रही थी गाँव में। पेड़- पौधें और नदी- झरनों को देखकर मन खुश हो उठा मेरा। मैंने अपने ताऊजी को भी हर काम में चुस्त-दुरुस्त देखा। वह बेहद सक्रिय रूप से खेती का काम संभाल रहे थे। वह रोज सुबह 4 बजे उठ जाते थे।

गाँवों का महत्व

गाँव का नाम सुनते ही दिमाग में बैल, खेत और किसानों का चेहरा घूम जाता है। गाँव सही में हमारे लिए एक सर्वश्रेष्ठ तोहफ़े की तरह रहे हैं। शहरों की तुलना में गाँवों ने हमें बहुत कुछ दिया है। हमारे गाँव हमारे जीवन में एक मित्र की तरह रहे हैं। तो आइए हम गाँवों के महत्व को अच्छे से समझते हैं –

1) आधी से ज्यादा आबादी आज भी गाँवों में निवास करती है– आज के समय में भी भारतीयों का दिल गांव में ही बसता है। इसका सबसे बड़ा प्रमाण यह है कि हमारे देश की 60% आबादी आज भी गाँव में ही निवास करती है। भले ही लोग आज कितने ही आधुनिक हो गए हो, पर फिर भी आज गाँव के लोग अपनी संस्कृति से जुड़े हुए हैं।

2) गाँव हमारे लिए भोजन की व्यवस्था करवाते हैं- यह बात हम सभी को अच्छी तरह से पता है कि हमारे देश की जनसंख्या आज चीन से भी आगे निकल गई है। ऐसे में हमारे लिए भोजन की व्यवस्था का समाधान निकालना बहुत ही जरूरी हो जाता है। हमारे गाँव हम सभी के लिए खाद्य सामग्री की व्यवस्था करवाते हैं।

3) यहां का वातावरण शांत है- हमारे देश के गाँवों का जो वातावरण है वह शहरों के मुकाबले बेहद शांत है। यहां पर शहरों की तरह आपाधापी नहीं है। गाँव के लोग भौतिकवाद से थोड़ी सी दूरी ही बनाए रखते हैं। वह जीवन में हर एक मिली चीज से संतुष्टि रखते हैं।

4) गाँव के लोग मिलजुलकर रहते हैं- आज के समय में लोग जब शहरों में एक दूसरे से प्रतिस्पर्धा करने में लगे हैं तब गाँव के लोग अलग ही दिशा में चल रहे हैं। शहर के लोग तो आपस में प्रेम से बैठना और रहना एकदम भूल गए हैं। पर गाँव के लोग आज भी साथ मिलजुलकर रहते हैं।

5) गाँव में शहर के मुकाबले शुद्ध हवा है- आज के समय में हर जगह प्रदूषण फैल रहा है। शहरों और महानगरों में तो यह समस्या बड़ी गंभीर रूप से फैल रही है। आज शहरों में साँस लेना भी मुश्किल है। पर हमारे गाँव आज भी अत्यधिक प्रदूषण से बचे हुए हैं। वहां के लोग पैदल चलने में और साइकिल के इस्तेमाल पर ज्यादा जोर देते हैं।

6) गाँव के लोग में ज्यादा श्रमिक शक्ति है- आप जो बड़ी बड़ी फैक्ट्रियों और कारखानों में मजदूरों को काम करते देखते हो वह सब कहां से आते हैं यह मालूम है? यह जो सारे मजदूर वर्ग को आप काम करते हुए देखते हो वह अधिकांश लोग गाँव से ही आते हैं। यह हमारी भारतीय अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान देते हैं।

गाँव के लोगों का क्या व्यवसाय होता है?

बहुत से लोग यह सोचते हैं कि गाँव में रहकर तो केवल खेतीबाड़ी ही हो सकती है। इसके अलावा और वहां कुछ नहीं हो सकता। अगर कोई ऐसा सोचता है तो यह गलत है। पहले का वो ज़माना गया जब हम गाँव शब्द से यही समझते थे कि गाँव एक ऐसा स्थान होता है जहां पर एक किसान खेती करता है।

अब चीजें काफी बदल रही है। गाँव के लोग अब पढ़ाई करके आगे बढ़ रहे हैं। आज के समय में गाँव के कई लोग इंजीनियर और डॉक्टर बन रहे हैं। वह प्रगति की ओर निरंतर बढ़ रहे हैं। आज गाँव से ही कई लोग आईएएस अधिकारी बनकर निकल रहे हैं। ऐसा नहीं है कि गाँव के लोग अपनी जड़ों को भूल गए हैं। वह आज भी खेतीबाड़ी से जुड़े हैं। वह पशुपालन का काम भी बड़े ही अच्छे से कर रहे हैं।

लेकिन अब थोड़ा समय बदला है। वहां के लोग अब लघु उद्योग की ओर भी रुख कर रहे हैं। किसान लोग अब खेतीबाड़ी में उन्नत तकनीक का प्रयोग कर रहे हैं। वह समय की मांग को समझ रहे हैं। उनको जैविक खेती का महत्व अच्छे से समझ आ गया है। किराना दुकान, चाय की दुकान, पान सेंटर, आटा चक्की, मछली पालन, मुर्गी फार्म, फूल की खेती, फर्टीलाईजर की दुकान, कपडे की दुकान, टेलर की दुकान आदि व्यवसाय वह आसानी से चला रहे हैं।

गाँवों में आज भी क्या अभाव है?

हमारे भारतीय गाँव और उनकी संस्कृति हमेशा से ही अलग रही है। बहुत पुराने समय से ही हमारे देश की आत्मा गाँवों में ही बसती आई है। आज गाँव भी शहर के अनुरूप ही तरक्की कर रहे हैं। वहां के लोग भी अब पढ़ने लिखने लगे हैं। गाँव में भी हमें पहले के मुकाबले कई नए बदलाव देखने को मिल रहे हैं। लेकिन क्या सब कुछ पूरी तरह से बदल गया है? मैं नहीं में ही जवाब दूंगी। आज भी गाँवों की स्तिथि पूर्ण रूप से बदली नहीं है। तो आइए हम नजर डालते हैं गाँवों के नकारात्मक पक्ष पर –

1) अच्छी चिकित्सा सुविधाओं का अभाव- विज्ञान ने तो बहुत तरक्की कर ली है। वह तो अभी और आगे बढ़ने की राह पर है। शहरों में तो चिकित्सकीय सुविधाएं बहुत अच्छे से चल रही है। वहां खूब सारे क्लिनिक खुल चुके हैं। डॉक्टर भी शहरों में ज्यादा अच्छे हो चले हैं। लेकिन गाँव में आज भी चिकित्सीय सुविधाएं सुचारू रूप से नहीं चल रही है। वहां पर आज भी अच्छे डॉक्टर और क्लिनिक ना होने पर लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। यह अभाव उनको बहुत महंगा पड़ता है।

2) लोग आज भी पढ़ाई को लेकर पूर्ण रूप से जागरूक नहीं है- शहरों में पढ़ाई को लेकर जितनी भागदौड़ है उतनी कहीं और देखने को नहीं मिलती है। शहरों में आज लाखों की संख्या में कोचिंग सेंटर खुल चुके हैं। वहां पर बच्चों में एक दूसरे से प्रतिस्पर्धा लगी रहती है। लेकिन गाँवों में अब भी पढ़ाई को लेकर लोग पूर्ण रूप से जागरूक नहीं है। वहां पर उचित कोचिंग सेंटर की कमी है। इसी कारण के चलते गाँव के होनहार बच्चों को शहरों की ओर पलायन करना पड़ता है।

3) गाँव में पानी और बिजली की आपूर्ति आज भी सुचारू रूप से नहीं हो पा रही- हम मनुष्यों का जीवन तब सफल माना जाता है जब हमारे जीवन में मूलभूत सुविधाओं की कोई कमी ना हो। लेकिन इन्हीं सुविधाओं की कमी होते ही हमारा जीवन व्यर्थ ही हो जाता है। ऐसा ही कुछ हाल हमारे भारत के गाँवों में भी है। वहां पर आज भी बिजली और पानी की आपूर्ति का सामना करना पड़ता है। बहुत से गाँव ऐसे भी हैं जहां आज भी लोग अंधेरे में रहने को मजबूर है। वह पानी के संकट से भी जुझ रहे हैं।

4) रूढ़िवादी सोच- माना कि गाँव अब बदल रहे हैं। पर ऐसा नहीं है कि वहां पर पूरी तरह से बदलाव आ गया है। गाँव के लोग आज भी अंधविश्वास की डोर में जकड़े पड़े हैं। वहां के लोग आज भी टोने टोटके में विश्वास करते हैं। वह दूसरों को भी इस चीज पर विश्वास करने को बाध्य करते हैं।

गाँव पर शायरी

नैनों में था रास्ता, हृदय में था गांवहुई न पूरी यात्रा, छलनी हो गए पांव

-निदा फ़ाज़ली

मां ने अपने दर्द भरे खत में लिखा सड़कें पक्की हैं अब तो गांव आया कर

– अज्ञात 

ख़ोल चेहरों पे चढ़ाने नहीं आतेख़ोल चेहरों पे चढ़ाने नहीं आते हमकोगांव के लोग हैं हम शहर में कम आते हैं

-बेदिल हैदरी

उसने खरीद लिया है करोड़ों का घरसुना है उसने खरीद लिया है करोड़ों का घर शहर में मगर आंगन दिखाने आज भी वो बच्चों को गांव लाता है 

-अज्ञात

शहर की इस भीड़ में चल तो रहा हूंज़ेहन में पर गांव का नक़्शा रखा है

– ताहिर अज़ीम

खींच लाता है गांव में बड़े बूढ़ों का आशीर्वाद,लस्सी, गुड़ के साथ बाजरे की रोटी का स्वाद

– डॉ सुलक्षणा अहलावत

ऐ शहर के वाशिंदों !आप आएं तो कभी गांव की चौपालों में मैं रहूं या न रहूं, भूख मेजबां होगी

-अदम गोंडवी 

मेरा गाँव पर निबंध 200 शब्दों में

आज भले ही समय कितना ही बदल गया हो पर आज भी हमारे देश में गाँव को मान्यता दी जाती है। गाँव का जीवन शहर के जीवन से काफी अलग होता है। वहां पर पहुंचकर लोग शांति की अनुभूति करते हैं। गाँव में हर जगह हरियाली देखने को मिलती है। गाँव में हवा भी प्रदुषित नहीं होती है क्योंकि वहां पर हर तरह का प्रदूषण कम है।

हमारे गाँव प्राचीनकाल से ही लोगों को प्रिय लगते आए हैं। गाँवों का अस्तित्व उस समय भी बना हुआ था और आज भी वह अच्छे से फल फूल रहे हैं। गाँव के लोग आपस में मिलजुलकर रहते हैं। उन लोगों में आपसी सौहार्द है। वहां के लोगों में एक दूसरे से प्रतिस्पर्धा नहीं चलती है। गाँव के लोगों के आय का साधन खेतीबाड़ी से होता है।

आज शहर के लोगों के भोजन का सामान भी गाँव के लोगों द्वारा ही पहुंचाया जाता है। वहां के लोग एक दूसरे से भेदभाव नहीं करते हैं। वहाँ के लोग सौहार्दपूर्ण तरीके से रहते हैं। गाँवों में लोगों की दिनचर्या शहरों के लोगों की दिनचर्या से बहुत अच्छी होती है। गाँव में जल्दी खाना खाने का रिवाज है। वहां पर लोग जल्दी सोते हैं और उठते भी जल्दी भोर में है। गाँव के लोग बहुत ज्यादा मेहनती होते हैं। वह हर काम को बिना कोई शिकायत के पूरा कर लेते हैं।

मेरा गाँव पर 10 लाइन

1) हमारे देश के गाँव बहुत ही अच्छे होते हैं।

2) गाँव के लोग अपने जीवन को शांति और सकारात्मक तरीके से जीते हैं।

3) हमारे देश की अर्थव्यवस्था कृषि आधारित अर्थव्यवस्था होती है।

4) गाँव का जीवन शहर के जीवन के मुकाबले बहुत अच्छा होता है।

5) हमारे देश के गाँवों में प्रदूषण महानगरों के मुकाबले बहुत कम होता है।

6) भारत के गाँवों में आज भी कहीं कहीं पर मूलभूत सुविधाओं की कमी है।

7) गाँव के लोग भौतिकवाद के ऊपर विश्वास नहीं करते हैं।

8) हमारे देश के 70% लोग आज भी गाँवों में ही रहते हैं।

9) आज के दौर में हमारे गाँव खूब प्रगति कर रहे हैं।

10) गाँव में खूब सारे पेड़ होते हैं। और वहां पर हरियाली भी बहुत होती है।

निष्कर्ष

तो आज के इस निबंध के माध्यम से हमने मेरा गाँव पर निबंध लिखना सीखा। हम यह आशा करते कि आपको हमारे द्वारा लिखा गया यह निबंध जरूर पसंद आया होगा। हमने इस निबंध को सरल शब्दों में लिखने की कोशिश की है।

FAQ’S

Q1. गाँव की विशेषता के बारे में बताइए?

A1. आज के समय में भी भारतीयों का दिल गांव में ही बसता है। हमारे देश की 60% आबादी आज भी गाँव में ही निवास करती है। हमारे देश के गाँवों का जो वातावरण है वह शहरों के मुकाबले बेहद शांत है। यहां पर शहरों की तरह आपाधापी नहीं है

Q2. गाँव पर निबंध कैसे लिखें?

A2. गाँव बहुत ही सुंदर जगह होती है। गाँव को हम अंग्रेज़ी में विलेज (village) कहते हैं। हमारे गाँव रहने के लिए बहुत उपयुक्त होते हैं। गाँव में पहुंचकर हम मानसिक शांति का अनुभव करते हैं। गाँव हमारे लिए भोजन की भी व्यवस्था करते हैं। आज गाँव की वजह से हमारा देश फल फूल रहा है।

Q3. गाँव में रहना बेहतर क्यों है?

A3. गाँव में रहना बेहतर इसलिए है क्योंकि वहां का जीवन शहर के जीवन से कई गुना अच्छा है। गाँव में रहने पर हमें तनाव की अनुभूति नहीं होती है। गाँव में ताजी और ठंडी हवा चलती है। गाँव में हमें खूब सारे पेड़ पौधे देखने को मिलते हैं।

Q4. गाँव की संस्कृति क्या है?

A4. भले ही पूरी दुनिया बहुत आगे बढ़ गई हो परंतु फिर भी एक ऐसी जगह है जो आज भी अपनी जड़ों से ही जुड़ी हुई है। हम बात कर रहे हैं गाँव की। गाँव वाले आज भी अपनी संस्कृति और रीति रिवाजों से जुड़े हुए हैं।

Q5. गाँव में सबसे ज्यादा समस्या कहां देखनी पड़ती है?

A5. माना कि गाँव बहुत सुंदर होते हैं पर आज भी वहां कई चीजों का अभाव है। गाँव में सबसे अधिक परेशानी शिक्षा को लेकर देखी जाती है। वहां पर आज भी पूर्ण रूप से शिक्षा को लेकर लोग जागरुक नहीं है। वहां पर बिजली और पानी को लेकर भी कमी देखी जाती है। गाँवों में मूलभूत सुविधाओं का अभाव है।

Q6. भारत में सबसे पहला गाँव कौन सा था?

A6. हालांकि यह किसी को भी नहीं पता कि भारत का पहला गाँव कब तैयार हुआ था। लेकिन कहा यही जाता है कि हमारे देश का पहला गाँव सिंधु घाटी सभ्यता के समय हुआ करता था। सिंधु घाटी की सभ्यता का उदय आज से 5000 वर्ष पहले हुआ करता था।

Q7. भारत का सबसे शिक्षित गाँव कौन सा है?

A7. भारत का सबसे शिक्षित गाँव उत्तर प्रदेश का धोर्रा माफी गाँव है। यह गांव पूरे एशिया का सबसे पढ़ा लिखा गाँव है। वहां के लोग आज इंजीनियर और डॉक्टर बन रहे हैं।

Leave a Reply