एनसीईआरटी समाधान कक्षा 8 हिंदी संक्षिप्त बुद्धचरित अध्याय 1 आरंभिक जीवन

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Ncert Solutions Class 10 Hindi Sanshipt Budhcharit Chapter 1

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कक्षा : 8
विषय : हिंदी (संक्षिप्त बुद्धचरित)
पाठ : 1 आरंभिक जीवन

प्रश्न 1 – सिद्धार्थ के बारे में महर्षि असित की क्या भविष्यवाणी थी ? संक्षेप में बताइए।

उत्तर:- महर्षि अस‍ित ने राजा को कहते हुए यह भविष्यवाणी की थी कि तुम्‍हारा पुत्र बुद्ध होगा, शाक्‍य-कुलभूषण बनेगा। यह निश्चित है। यह कुमार विषयों से विरक्‍त होकर, राज्‍य को त्‍यागकर, अपने तप से तत्‍वज्ञान प्राप्‍त करेगा। यह ज्ञानमय सूर्य सांसारिक मोह के अंधकार को अवश्‍य नष्‍ट करेगा। तुम्हारा पुत्र दुख रूपी समुंद्र में डूबते हुए संसार को‌‌ ज्ञान की विशाल नौका से उस पार ले जाएगा। यह धर्म की ऐसी नदी प्रवाहित करेगा, जिसमें प्रज्ञा का जल होगा, शील का तट होगा और समाधि की शीतलता होगी। इसी धर्म-नदी के जल को पीकर तष्‍णा की पिपासा से व्‍याकुल यह संसार शांति लाभ करेगा। जैसे भटके हुए राही को कोई राह बताता है, वैसे ही संसार रूपी जंगल में भटके मनुष्‍यों को यह मोक्ष का सीधा मार्ग बताएगा।

प्रश्न 2 – आप कैसे कह सकते हैं कि बालक सिद्धार्थ विशेष मेधावी था ?

उत्तर:-  बालक सिद्धार्थ अत्‍यंत मेधावी था ऐसा इसलिए कहा गया था क्योंकि जिन विद्याओं को सामान्‍य बालक वर्षों में सीखते हैं, उनको उसने कुछ ही समय में सीख लिया। साथ में महाराज शुद्धोदन के पुत्र के मेधावी होने का प्रभाव ऐसा हुआ कि उनका घर धन-धान्‍य और हाथी-घोड़ों से संपन्‍न हो गया। उनके सभी मनोरथ सफल हो गए। उनके जो शत्रु थे, वे मध्‍यस्‍थ हो गए, जो मध्‍यस्‍थ थे, वे मित्र हो गए और जो मित्र थे वे और भी अधिक प्रिय हो गए। इंद्र ने उचित समय पर वर्षा की और खेत लहलहाने लगे।

प्रश्न 3 – महाराज शुद्धोदन सिद्धार्थ की सुख–सुविधाओं की व्यवस्था के लिए क्यों विशेष प्रयत्नशील रहते थे ?

उत्तर:- महाराज शुद्धोदन सिद्धार्थ की सुख–सुविधाओं की व्यवस्था के लिए विशेष प्रयत्नशील इसलिए रहते थे क्योंकि महाराज शुद्धोदन को महर्षि असित द्वारा की गई भविष्‍यवाणी याद थी कि यह बालक बड़ा होकर मोक्ष-प्राप्ति के लिए वन की ओर प्रस्‍थान कर सकता है। इसीलिए उन्‍होंने अंत:पुर में ऐसी व्‍यवस्‍था करवाई जिससे सिद्धार्थ की आस‍क्‍त‍ि सांसारिक विषयों में बढ़े और वह भोग-विलास में इतना खो जाए कि उन्हें किसी प्रकार का वैराग्‍य न हो और वह राजमहलों में रहकर भोग-विलास में डूबा रहें। महाराज शुद्धोदन ने राजमहल में ऐसी व्‍यवस्‍था की थी कि राजकुमार राजमहल में ही रहे, भोग-विलास में तल्‍लीन रहे और ऐसा कोई दृश्‍य उसके सामने न आए जिससे उसके मन में वैराग्‍य उत्‍पन्‍न हो।

प्रश्न 4 – राजकुमार सिद्धार्थ के मन में संवेग की उत्पत्ति के क्या कारण थे ?

उत्तर :- एक बार राजकुमार सिद्धार्थ ने सुना कि राजमहल से बाहर एक सुंदर उद्यान है। वहाँ घने वृक्ष हैं, जिन पर कोयलें कूकती हैं तथा कमलों से भरे सुंदर सरोवर हैं। राजकुमार सिद्धार्थ को वह उद्यान देखने की इच्‍छा हुई। राजा ने आज्ञा दे दी। वे चाहते थे कि राजकुमार के मन में किसी प्रकार का वैराग्‍य-भाव उत्‍पन्‍न न हो, इसलिए अनुचरों को ऐसी व्‍यवस्‍था करने की आज्ञा दी कि जिधर से राजकुमार निकलें उस मार्ग पर कोई रोगी या पीड़‍ित व्यक्ति दिखाई न दे। राज कर्मचारियों ने राजमार्ग से उन सभी व्‍यक्‍तियों को शांतिपूर्वक हटा दिया। लेकिन फिर भी सिद्धार्थ को राजपथ पर एक वृद्ध पुरुष दिखाई दिया, रोगों से ग्रस्त बूढ़े व्यक्ति को देखा, एक सजी हुई शव यात्रा और रोते हुए लोगों को देखा तो उसका मन झुंजर कर रह गया। वह विचलित हो गए। सारथी की सभी बातें सुनकर कि हर किसी को वृद्धावस्था का कालक्रम झेलना है, हर व्यक्ति को किसी न किसी प्रकार के रोग से ग्रस्त होना है ये पता होते हुए भी किसी को परवाह नहीं, हर किसी को मौत आनी ही है चाहे अमीर हो, गरीब हो, या कैसी भी सम्पदा हो कोई इससे नहीं बच सकता। यह सुनकर उन्होंने सोचा कि फिर किस चीज़ की मोह – माया कैसा घर-बार। इसी तरह के दृश्यों और बातों से सिद्धार्थ के मन में संवेग की उत्पत्ति हुई।

कक्षा 8 हिंदी संक्षिप्त बुद्धचरित के सभी अध्यायों के एनसीईआरटी समाधान नीचे देखें

अध्यायअध्याय के नाम
1आरंभिक जीवन
2अभिनिष्क्रमण
3ज्ञान-प्राप्ति
4धर्मचक्र प्रवर्तन
5महापरिनिर्वाण

हम आशा करते हैं कि छात्रों को ncert solutions for class 8 hindi sanshipt budhcharit chapter 1 आरंभिक जीवन प्राप्त करके काफी खुशी हुई होगी। हमारा उद्देश्य केवल बेहतर ज्ञान देना है। इसके अलावा आप हमारे एनसीईआरटी के पेज से सभी विषयों के एनसीईआरटी समाधान (NCERT Solutions in hindi) और हिंदी में एनसीईआरटी की पुस्तकें (NCERT Books In Hindi) भी प्राप्त कर सकते हैं।

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