एनसीईआरटी समाधान कक्षा 8 हिंदी संक्षिप्त बुद्धचरित अध्याय 4 धर्मचक्र प्रवर्तन

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Ncert Solutions Class 10 Hindi Sanshipt Budhcharit Chapter 4

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कक्षा : 8
विषय : हिंदी (संक्षिप्त बुद्धचरित)
पाठ : 4
धर्मचक्र प्रवर्तन

प्रश्न 1 – बुद्धत्व प्राप्त करने के बाद सिद्धार्थ ने प्रथम उपदेश कहाँ और किन्हें दिया ?

उत्तर:-   बुद्धत्व प्राप्त करने के बाद सिद्धार्थ ने अपना प्रथम उपदेश मृगदाव वन के उन पाँच भिक्षुओं को दिया जिन्होंने शाक्यमुनि को तप-भ्रष्ट भिक्षु मानकर उनका साथ छोड़ दिया था।

प्रश्न 2 – अष्टांग योग की प्रमुख बातों का उल्लेख कीजिए।

उत्तर :- आसन पर विराजमान होकर ने तथागत बुद्ध ने बताया- जैसे लकड़ी में स्थित अग्नि को चीर-फाड़ कर नहीं, अपितु युक्‍ति से ही प्राप्‍त किया जा सकता है, वैसे ही शरीर की कष्‍ट देने से नहीं, अपितु योग की युक्‍तियों से ही बोध प्राप्‍त किया जा सकता है। मैंने कष्‍टकर तप और आसक्‍तिमय भोग दोनों को त्‍यागकर मध्‍य मार्ग का आश्रय लिया है और बोधि प्राप्‍त की है। “यही मध्‍य मार्ग है, जो तीनों लोकों में ‘अष्‍टांग योग’ के नाम से विख्‍यात है और जिससे जन्‍म, जरा, व्‍याधि और मृत्‍यु से मुक्‍त हुआ जा सकता है। मेरी दृष्‍टि में मध्‍य मार्ग के जो चार मूलभूत सत्‍य हैं, वे हैं- दु:ख, दु:ख का कारण, दु:ख का निरोध और दु:ख के निरोध के उपाय। मैंने दिव्‍य दृष्‍टि से ये आर्य सत्‍य जान लिए हैं और उनका अनुभव किया। दु:ख है, यह मैंने पहचाना और उसके कारणों को छोड़ा। मैंने इसी ज्ञान के आधार पर निर्वाण प्राप्‍त  किया है। मैं अब बुद्ध हूँ।”

प्रश्न 3 – भगवान बुद्ध काशी से राजगृह क्यों आए ?

उत्तर:- भगवान बुद्ध के उपदेशों को सुनकर जब हज़ारों भिक्षुओं को अतिशय आनंद प्राप्‍त हुआ। तभी भगवान बुद्ध को याद आया कि उन्होंने मगधराज बिंबसार को वचन दिया था कि जब उन्‍हें बुद्धत्‍व प्राप्‍त हो जाएगा तो वे उन्‍हें नए धर्म में दीक्षित करेंगे और उपदेश देंगे। इसलिए उन्‍होंने सभी काश्‍यपों को साथ लिया और मगध की राजधानी राजगृह की ओर प्रस्‍थान किया।

प्रश्न 4 – प्रसेनजित ने भगवान बुद्ध से क्या निवेदन किया ?

उत्तर :- प्रसेनजित ने भगवान बुद्ध से निेवेदन किया- “हे मुने! कोसलवासियों का यह परम सौभाग्‍य है कि आप यहाँ पधारे। जैसे पुष्‍पों की संगति से वायुसुगंधित हो जाती है, वैसे ही आपके निवास से यह वन पवित्र हो गया है। आप यहाँ सुखपूर्वक निवास करें और हम सब पर अनुग्रह करें।”

प्रश्न 5 – तथागत ने कर्म के बारे में शुद्धोदन को क्या समझाया ?

उत्तर :- तथागत ने कर्म के बारे में शुद्धोदन अर्थात् अपने पिता को समझाया कि :- “यह सारा संसार कर्म से बँधा हुआ है, अत: आप कर्म का स्‍वभाव, कर्म का कारण, कर्म का विपाक (फल) और कर्म का आश्रय, इन चारों के रहस्‍यों को समझिए, क्‍योंकि कर्म ही है, जो मृत्‍यु के बाद भी मनुष्‍य का अनुगमन करता है। आप इस सारे जगत को जलता हुआ समझकर उस पथ की खोज कीजिए जो शांत है और ध्रुव है, जहाँ न जन्‍म है, न मृत्‍यु है, न श्रम है और न दु:ख।”

प्रश्न 6 – आम्रपाली कौन थी ? तथागत ने उसे क्या समझाया ?

उत्तर:-  आम्रपाली वैशाली जिले की उस समय की सर्वाधिक सुंदर नगरवधू थी। जब आम्रपाली ने सुना कि भगवान बुद्ध उसके उद्यान में निवास कर रहे हैं तो वह बहुत प्रसन्‍न हुई और उनके दर्शनों के लिए तैयार हुई। उसने अलक्‍तक, अंजन, अंगराग तथा आभूषणों को त्‍याग दिया। अत्‍यंत विनम्र भाव से कुलवधुओं के समान श्‍वेत वस्‍त्र धारण किए और तथागत के दर्शन के लिए चल पड़ी। श्रद्धा तथा शांत भाव से उसने भगवान बुद्ध को प्रणाम किया। फिर मुनि की आज्ञा प्राप्‍त कर हाथ जोड़कर वह उनके सामने बैठ गई। भगवान बुद्ध ने आम्रपाली को उपदेश देते हुए कहा- “हे सुन्दरी, तुम्‍हारा आशय पवित्र है, क्‍योंकि तुम्‍हारा मन शुद्ध है। तुम्‍हारा चित्‍त धर्म की ओर प्रवृत्‍त है। यही तुम्‍हारा सच्‍चा धन है, क्‍योंकि इस अनित्‍य संसार में धर्म ही नित्‍य है। देखो, आयु यौवन का नाश करती है, रोग शरीर का नाश करता है और मृत्‍यु जीवन का नाश करती है परंतु धर्म का नाश कोई नहीं कर सकता।” यद्यपि आम्रपाली नवयुवती थी, फिर भी उसमें बुद्ध‍ि की गंभीरता और आशय की पवित्रता थी, इसीलिए उसने भगवान बुद्ध के उपदेशों को प्रसन्‍नतापूर्वक सुना। इससे उसके मन की समस्‍त वासनाएँ समाप्‍त हो गई और उसे अपनी वृत्ति से घृणा होने लगी। वह तथागत के चरणों में गिर पड़ी और धर्म की भावना से भर उसने भगवान से न‍िवेदन किया- “हे देव, आपने अपने लक्ष्‍य को प्राप्‍त कर लिया है। आपने संसार को पार कर लिया है। हे साधो, आप मुझ पर दया करें और धर्म लाभ के लिए मेरी भिक्षा स्‍वीकार करें, मेरे जीवन को सफल करें।”भगवान बुद्ध ने आम्रपाली की सच्‍ची भक्‍ति-भावना को जानकर उसकी प्रार्थना स्‍वीकार कर ली।

कक्षा 8 हिंदी संक्षिप्त बुद्धचरित के सभी अध्यायों के एनसीईआरटी समाधान नीचे देखें

अध्यायअध्याय के नाम
1आरंभिक जीवन
2अभिनिष्क्रमण
3ज्ञान-प्राप्ति
4धर्मचक्र प्रवर्तन
5महापरिनिर्वाण

हम आशा करते हैं कि छात्रों को ncert solutions for class 8 hindi sanshipt budhcharit chapter 4 धर्मचक्र प्रवर्तन प्राप्त करके काफी खुशी हुई होगी। हमारा उद्देश्य केवल बेहतर ज्ञान देना है। इसके अलावा आप हमारे एनसीईआरटी के पेज से सभी विषयों के एनसीईआरटी समाधान और हिंदी में एनसीईआरटी की पुस्तकें भी प्राप्त कर सकते हैं।

कक्षा 8 हिंदी वसंत और दूर्वा के लिए एनसीआरटी समाधानयहां से देखें

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