एनसीईआरटी समाधान कक्षा 8 हिंदी संक्षिप्त बुद्धचरित अध्याय 2 अभिनिष्क्रमण

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Ncert Solutions Class 10 Hindi Sanshipt Budhcharit Chapter 2

देखा गया है कि छात्र Class 8 Hindi sanshipt budhcharit Solutions के लिए बाजार मिलनी वाली गाइड पर काफी पैसा खर्च कर देते हैं। लेकिन यहां से समाधान मुफ्त और ऑनलाइन माध्यम से प्राप्त कर सकते हैं। ncert solutions for class 8 hindi sanshipt budhcharit chapter 2 अभिनिष्क्रमण को राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद की सहायता से बनाया है। साथ ही कक्षा 8 हिंदी संक्षिप्त बुद्धचरित अध्याय 2 अभिनिष्क्रमण के प्रश्न उत्तर को सीबीएसई सिलेबस को ध्यान में रख कर भी बनाया गया है।

कक्षा : 8
विषय : हिंदी (संक्षिप्त बुद्धचरित)
पाठ : 2 अभिनिष्क्रमण

प्रश्न 1 – सिद्धार्थ को निर्वाण के विषय में पहली प्रेरणा किस प्रकार मिली ?

उत्तर:-  सिद्धार्थ को निर्वाण के विषय में पहली प्रेरणा तब मिली जब उसे भिक्षु वेश में एक पुरुष दिखाई दिया। वह और किसी को नहीं दिखाई पड़ रहा था। सिद्धार्थ ने उस पुरुष से पूछा कि आप कौन हैं? तो उसने बताया— “मैं जन्‍म-मृत्‍यु से डरा हुआ एक संन्‍यासी हूँ; मैं मोक्ष की खोज मे हूँ; अपने-पराए के प्रति समान भाव रखते हुए, अब मैं राग-द्वेष से मुक्‍त हो गया हूँ; अत: अब विचरण ही करता रहता हूँ; कभी किसी वन-प्रांतर में रहता हूँ; सभी आशाओं से मुक्‍त; संग्रहशीलता से मुक्‍त; अनायास जो कुछ मिल जाए उसे ही खाकर मैं मोक्ष की खोज में घूमता रहता हूँ।” कभी किसी पेड़ के नीचे; कभी किसी निर्जन देवालय में; कभी किसी पर्वत पर यह कहकर वह संन्‍यासी राजकुमार के देखते-देखते अंतर्धान हो गया। संन्‍यासी के अदृश्‍य हो जाने के बाद राजकुमार सिद्धार्थ को बहुत ही प्रसन्‍नता हुई। उसे विस्‍मय भी हुआ, उसे धर्म का ज्ञान प्राप्‍त हो गया था।

प्रश्न 2 – राजकुमार ने तपोवन न जाने के लिए राजा के समक्ष क्या–क्या शर्तें रखीं ?

उत्तर :- राजा ने तरह-तरह के तर्क देकर राजकुमार को समझाया, परंतु राजकुमार ने उनके सभी तर्कों को निरस्त कर दिया। अंत में कहा – “यदि आप मेरी चार बातों को पूरा कर दें तो मैं आपको वचन देता हूँ कि मैं तपोवन नहीं जाऊँगा। वे चार बातें हैं –

मेरी मृत्‍यु न हो।

मैं सदा रोगमुक्‍त रहूँ।

मुझे कभी बुढ़ापा न आए।

मेरी संपत्‍त‍ि सदा बनी रहे।”

प्रश्न 3 – छंदक कौन था ? सिद्धार्थ ने उसे नींद से क्यों जगाया ?

उत्तर :- छंदक अश्‍व-रक्षक था। राजकुमार ने छंदक को जगाया और कहा – “हे छंदक! तुम शीघ्र कंथक (घोड़े) को ले आओ। मैं अभी अमृत-प्राप्‍त‍ि के लिए जाना चाहता हूँ। आज मेरे हृदय में संतोष है, बुद्धि‍ में दृढ़ निश्‍चय है और मेरा लक्ष्‍य मेरे सामने है। लगता है, मेरे जाने का समय आ गया है।” अश्‍व-रक्षक छंदक राजा की इच्‍छा तो जानता था, लेकिन उसने चुपचाप राजकुमार की आज्ञा का पालन किया। वह शीघ्र ही अश्‍वशाला में गया और वहाँ से वेगवान अश्‍व कंथक को ले आया।

प्रश्न 4 – सिद्धार्थ से अलग होने पर छंदक और कंथक की दशा का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।

उत्तर:- सिद्धार्थ से अलग होने पर छंदक और कंथक बहुत व्याकुल थे। वे बहुत दुःखी थे, उनके अश्रु थम नहीं रहे थे। जाते समय जिस मार्ग को उसने केवल एक रात में पूरा किया था, उसी मार्ग को अब पूरा करने में उसे आठ दिन लगे। यद्यपि घोड़ा कंथक चल रहा था, पूर्ववत अलंकृत भी था, फिर भी शोक भाव के कारण वह अत्‍यंत मलिन और निस्‍तेज लग रहा था। जब से उसके स्‍वामी तपोवन गए, तब से घोड़े ने न घास खाई, न हीं पानी पिया।

प्रश्न 5 – तपोवन में सिद्धार्थ ने तपस्वियों को क्या करने के लिए कहा ?

उत्तर :- राजकुमार सिद्धार्थ ने तपस्वियों कहा – “हे तपोधन! आप सबने मेरे प्रति ऐसे भाव व्‍यक्‍त करके मुझे जो स्‍नेह और आदर दिया है, उससे मैं अभिभूत‑अभिभूसा हो गया हूँ। आप लोगों को छोड़ने में मुझे भी वैसा ही दुख हो रहा है, जैसे अपने बंधुओं को छोड़ने पर होता है, किंतु आप सबका धर्म स्‍वर्ग के लिए है और मेरी अभिलाषा मोक्ष की है। इसीलिए मैं इस तपोवन को छोड़ना चाहता हूँ। यहाँ के प्रति मेरे मन में न अरुचि है और न ही मैंने यहाँ कोई अपकार‑दुराचार देखा है। आप महर्षि सदृश है। पूर्व युग के अनुरूप धर्म में प्रतिष्‍ठित हैं, आप इसी मार्ग पर चले। परंतु इसमें मेरी कोई रुचि नहीं है। इसीलिए मैं यहाँ से जा हूँ।”

प्रश्न 6 – वन से लौटने के संबंध में राजमंत्री के तर्क सुनकर सिद्धार्थ ने क्या कहा ?

उत्तर:- वन से लौटने के संबंध में राजमंत्री ने सिद्धार्थ को बहुत समझाया, अनेक बातें सामने रखी। वन में गए हुए राजाओं के उदाहरण दिए; कि  राम और शाल्‍व  देश के राजा द्रुम भी वन से घर लौट आए थे। राजमंत्री के तर्कों को सुनकर राजकुमार ने कहा- “मैं इस विषय में दूसरों की बातों पर विश्वास नहीं करता। तपस्‍या और शांति से जो तत्‍वज्ञान मुझे होगा, मैं उसे ही स्‍वीकार करूँगा। राम जैसे पहले के राजाओं के जो उदाहरण आपने दिए हैं, वे मेरे लिए प्रमाण नहीं हैं। इसीलिए यदि सूर्य पृथ्‍वी पर गिर पड़े, हिमालय चलायमान हो जाए, तो भी मैं बिना तत्‍वज्ञान प्राप्‍त किए घर नहीं लौट सकता। मैं जलती हुई आग में प्रवेश कर सकता हूँ, पर असफल होकर घर में प्रवेश नहीं कर सकता।”

प्रश्न 7 – बिंबसार ने सिद्धार्थ की सहायता के लिए क्या प्रस्ताव रखा ?

उत्तर :- बिंबसार ने सिद्धार्थ को कहा कि यदि आप स्‍नेहवश अपने पिता का राज्‍य पराक्रम से प्राप्‍त करना नहीं चाहते, पिता के बाद राज्‍य प्राप्‍त‍ि तक प्रतीक्षा नहीं कर सकते, तो आप मेरा आधा राज्‍य ले लीजिए और भोगिए। आप मेरे साथ मैत्री कीजिए। यदि आपको अपने कुल के अभिमान के कारण मुझ पर विश्वास नहीं है, तो मेरी प्रबल सेना की सहायता से आप शत्रुओं को जीतिए। दोनों विकल्पों में से किसी एक पर अपनी बुद्धि स्थिर कीजिए, धर्म, अर्थ और काम का सेवन कीजिए। यदि संपूर्ण पुरुषार्थ की प्राप्‍त‍ि की इच्‍छा है तो त्रिवर्ग (धर्म, अर्थ, काम) का सेवन कर अपना जन्‍म सफल कीजिए।

कक्षा 8 हिंदी संक्षिप्त बुद्धचरित के सभी अध्यायों के एनसीईआरटी समाधान नीचे देखें

अध्यायअध्याय के नाम
1आरंभिक जीवन
2अभिनिष्क्रमण
3ज्ञान-प्राप्ति
4धर्मचक्र प्रवर्तन
5महापरिनिर्वाण

हम आशा करते हैं कि छात्रों को ncert solutions for class 8 hindi sanshipt budhcharit chapter 2 अभिनिष्क्रमण प्राप्त करके काफी खुशी हुई होगी। हमारा उद्देश्य केवल बेहतर ज्ञान देना है। इसके अलावा आप हमारे एनसीईआरटी के पेज से सभी विषयों के एनसीईआरटी समाधान और हिंदी में एनसीईआरटी की पुस्तकें भी प्राप्त कर सकते हैं।

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