तत्पुरुष समास (Tatpurush Samas)- ऐसे तो हिंदी व्याकरण बहुत ही सरल है। परंतु दूसरी ही ओर यह कठिन भी है। हिंदी व्याकरण में अनेक तरह के स्वरूप होते हैं और इन सभी स्वरूपों को चार भागों में विभाजित किया जाता है। अगर हम यह सोचते हैं कि हिंदी व्याकरण अंग्रेजी ग्रामर के मुकाबले बहुत आसान है, तो हमारा ऐसा सोचना गलत है। सभी तरह की भाषाओं को बोलने और लिखने के लिए हमारे लिए यह अति आवश्यक होता है कि हम उस भाषा की व्याकरण पर अपनी पकड़ तेज करें। हिंदी व्याकरण पर अपनी पकड़ मजबूत बनाने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती है।
तत्पुरुष समास (Tatpurush Samas)
हिंदी व्याकरण को अच्छे से समझने के लिए हमें व्याकरण के खंडों के बारे में बहुत अच्छे से जानकारी प्राप्त करना आवश्यक है। अगर हम हिंदी के खंडों की बात करें तो हमें यह ज्ञात होता है कि यह चार प्रकार के होते हैं। इन्हीं खंडों का हिस्सा होते हैं क्रिया, विशेषण, संज्ञा, समास आदि। तो आज की हमारी इस पोस्ट में हम बात करेंगे तत्पुरुष समास (Tatpurush Samas) के बारे में। तत्पुरुष समास भी हिंदी व्याकरण का एक महत्वपूर्ण अंग होता है। तत्पुरूष समास समास का वह रूप होता है जिसमें उसका पहला पद अप्रधान होता है और दूसरा पद ज्यादा शक्तिशाली होता है। तत्पुरूष समास के भेद छह प्रकार के होते हैं।
तत्पुरुष समास किसे कहते हैं?
जिस सामासिक शब्द का उत्तर पद प्रधान होता है उसे तत्पुरुष समास कहते हैं। इसमें दोनों पदों के मध्य आने वाले परसर्गों (के लिए, को, से, के द्वारा, का, के, की, में, पर) का लोप हो जाता है। जिस समस्त पद का उत्तरपद प्रधान होता है अर्थात दूसरा शब्द प्रधान होता है वहां तत्पुरुष समास माना जाता है।
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तत्पुरुष समास की परिभाषा
तत्पुरुष समास हिंदी व्याकरण का एक महत्वपूर्ण अंग है। तत्पुरुष समास का अर्थ एक ऐसे समास से होता है जिसमें सारे पद का अंतिम वाला पद मुख्य होता है और इसका पहला पद गौण होता है। इसमें बहुत से ऐसे शब्द होते हैं जिनमें विभक्ति का लोप होता है। तत्पुरुष समास में जिन कारक चिन्हों वाले शब्दों में लोप होता है वह हैं- का/के/की, से, को, के लिए, से, में और पर।
तत्पुरुष समास के भेद
तत्पुरुष समास के छह प्रकार के भेद होते हैं-
1) कर्म तत्पुरुष समास
2) करण तत्पुरूष समास
3) सम्प्रदान तत्पुरुष समास
4) अपादान तत्पुरुष समास
5) सम्बन्ध तत्पुरूष समास
6) अधिकरण तत्पुरूष समास
कर्म तत्पुरुष समास- जिस समास में कारक चिन्ह ‘को’ का लोप होता है, तो ऐसे में वह कर्म तत्पुरुष समास कहलाता है।
कर्म तत्पुरुष समास के उदाहरण
| समस्त पद | समास विग्रह |
| जेबकतरा | जेब को कतरने वाला |
| जगसुहाता | जग को सुहाने वाला |
| सर्वज्ञ | सब चीजों को जानने वाला |
| ग्रामगत | गांव को गया हुआ |
| दु:खद | दु:ख को देने वाला |
| देशगत | देश को गया हुआ |
| मनोहर | मन को हरने वाला |
| यशप्राप्त | यश को प्राप्त कर लिया है जिसने |
| स्वर्गवासी | स्वर्ग को जा चुका है जो |
| गृहागत | गृह को आगत |
| पाॅकेटमार | पाॅकेट को मारने वाला |
| मूर्तिकार | मूर्ति को बनाने वाला |
| शिल्पकार | शिल्प को बनाने वाला |
| शरणागत | शरण को आया हुआ |
| सिरतोड़ | सिर को तोड़ने वाला |
| रथचालक | रथ को चलाने वाला |
| जनप्रिय | जनता को प्रिय है जो |
| मुंहतोड़ | मुंह को तोड़ने वाला |
| मरणासन्न | मरने को आसन्न |
| दिल तोड़ | दिल को तोड़ने वाला |
| कठफोड़ा | कठ को फोड़ने वाला |
| गगनचुम्बी | गगन को चूमने वाला |
| माखनचोर | माखन को चुराने वाला |
| इतिहासकार | इतिहास को रचने वाला |
| कलाकार | कला को निभाने/दिखाने वाला |
| शत्रुघ्न | शत्रु को मारने वाला |
| कुंभकार | कुंभ को बनाने वाला |
| गीतकार | गीत को रचने वाला |
| संगीतप्रेमी | संगीत को पसंद करने वाला |
| कलाप्रेमी | कला को पसंद करनेवाला |
करण तत्पुरुष समास- इस तरह के समास में दो कारक चिन्हों ‘से और के द्वारा में लोप होता है।
करण तत्पुरुष समास के उदाहरण
| समस्त पद | समास विग्रह |
| गुणयुक्त | गुण से युक्त |
| सितारोंभरी | सितारों से भरी |
| तर्कसंगत | तर्क से संगत |
| दस्तकारी | हाथ से किया गया काम |
| श्रमजीवी | श्रम से जीने वाला |
| सूररचित | सूर द्वारा रचित |
| तुलसीदास कृत | तुलसीदास द्वारा रचित |
| शोकग्रस्त | शोक से ग्रसित |
| हस्तलिखित | हाथ से लिखा हुआ |
| कष्टसाध्य | कष्ट से साध्य |
| गुणरहित | गुण से रहित |
| अकालपीड़ित | अकाल से पीड़ित |
| जलजात | जल से जात |
| जातिभ्रष्ट | जाति से भ्रष्ट |
| बन्धनमुक्त | बन्धन से मुक्त |
| धर्मविमुख | धर्म से विमुख |
| ऋणमुक्त | ऋण से मुक्त |
| शोकाकुल | शोक से आकुल |
| ईश्वरदत्त | ईश्वर के द्वारा दिया हुआ |
| ज्वरग्रस्त | ज्वर से ग्रस्त |
| दयार्द्र | दया से आर्द्र |
| देहचोर | देह से चोर |
| नेत्रहीन | नेत्र से हीन |
| पर्णकुटीर | पर्ण से बनी कुटीर |
| भुखमरा | भूख से मरा |
| मुंहमांगा | मुंह से मांगा गया |
| रत्नजड़ित | रत्नों से जड़ित |
| वाग्युद्ध | वाणी के द्वारा युद्ध |
| बाणाहत | बाण से आहत |
| प्रेमातुर | प्रेम से आतुर |
सम्प्रदान तत्पुरुष समास- इस तरह के समास में कारक चिन्हों में ‘के लिए’ का लोप होता है। और यही सम्प्रदान तत्पुरूष समास कहलाता है।
सम्प्रदान तत्पुरुष समास के उदाहरण
| समस्त पद | समास विग्रह |
| विश्रामगृह | विश्राम के लिए गृह |
| समाचार पत्र | समाचार के लिए पत्र |
| स्नानगृह | स्नान के लिए स्थान |
| कारावास | कारा के लिए आवास |
| पाठशाला | पाठ के लिए शाला |
| गौशाला | गायों के लिए शाला |
| राहखर्च | राह के लिए खर्च |
| जेबखर्च | जेब के लिए खर्च |
| देवबली | देव के लिए बली |
| मालगाड़ी | माल के लिए गाड़ी |
| मालगोदाम | माल के लिए गोदाम |
| यज्ञाहुति | यज्ञा के लिए आहुति |
| रणभूमि | रण के लिए भूमि |
| प्रयोगशाला | प्रयोग के लिए शाला |
| लोकहितकारी | लोक के लिए हितकारी |
| रसोईघर | रसोई के लिए स्थान |
अपादान तत्पुरुष समास- ऐसे समास के शब्द जिनके अपादान कारक चिन्हों में ‘से’ का लोप हो तो उन्हें अपादान तत्पुरूष समास कहते हैं।
अपादान तत्पुरूष समास के उदाहरण
| समस्त पद | समास विग्रह |
| जलहीन | जल से हीन |
| बंधनमुक्त | बंधन से मुक्त |
| गुणहीन | गुण से हीन |
| कर्महीन | कर्म से रहित |
| कामचोर | काम से जी चुराने वाला |
| जन्मांध | जन्म से अंधा |
| भयभीत | भय से भीत |
| वनरहित | वन से रहित |
| स्थानभ्रष्ट | स्थान से भ्रष्ट |
| जीवनमुक्त | जीवन से मुक्त |
| पापमुक्त | पाप से मुक्त |
| धनहीन | धन से हीन |
| मायारिक्त | माया से रिक्त |
| बुद्धिहीन | बुद्धि से हीन |
सम्बन्ध तत्पुरुष समास- इस तरह के समास में अपादान कारक चिन्हों में ‘का,के,की’ का लोप होता है।
सम्बन्ध तत्पुरुष समास के उदाहरण
| समस्त पद | समास विग्रह |
| अमृतधारा | अमृत की धारा |
| गंगाजल | गंगा का जल |
| कन्यादान | कन्या का दान |
| दीपदान | दीपक का दान |
| अमरस | आम का रस |
| गृहस्वामी | गृह का स्वामी |
| आज्ञानुसार | आज्ञा के अनुसार |
| देशरक्षा | देश की रक्षा |
| राजदरबार | राजा का दरबार |
| भारतरत्न | भारत का रत्न |
| राष्ट्रगौरव | राष्ट्र का गौरव |
| चन्द्रोदय | चंद्रमा का उदय |
| जीवनसाथी | जीवन का साथी |
| देवदास | देव का दास |
अधिकरण तत्पुरुष समास- समास शब्द जिनमें अपादान कारक चिन्ह “में ,पर ” का लोप हो वह अधिकरण तत्पुरूष समास कहलाते हैं।
अधिकरण तत्पुरुष समास के उदाहरण
| समस्त पद | समास विग्रह |
| तीर्थाटन | तीर्थ में यात्रा |
| ध्यानमग्न | ध्यान में मग्न |
| पर्वतारोहण | पर्वत पर आरोहण |
| मुनिश्रेष्ठ | मुनियों में श्रेष्ठ |
| विचारमग्न | विचार में मग्न |
| व्यवहारकुशल | व्यवहार में कुशल |
| गृहप्रवेश | गृह में प्रवेश |
| नरोत्तम | नारों में उत्तम |
| आपबीती | आप पर बीती |
| जलसमाधि | जल में समाधि |
| शास्त्रप्रवीण | शास्त्र में प्रवीण |
| स्नेहमग्न | प्यार में मग्न |
| सिरदर्द | सिर में दर्द |
| दहीबड़ा | दही में डूबा हुआ बड़ा |
| घुड़सवार | घोड़े पर सवार |
| कविश्रेष्ठ | कवियों में श्रेष्ठ |
| आत्मनिर्भर | खुद पर निर्भर |
तत्पुरुष समास के उदाहरण
1) मांस को खाने वाला = मांसाहारी
2 स्वर्ग का वासी = स्वर्गवासी
3) आंसुओं की धारा = अश्रुधारा
4) सोने को बनाने वाला = सोनार
5) राज का दूत = राजदूत
6) इतिहास को लिखने वाला = इतिहासकार
7) चित्र को बनाने वाला = चित्रकार
8) मूर्ति को बनाने वाला = मूर्तिकार
निष्कर्ष
तो आज की इस पोस्ट से हमने समझा कि तत्पुरुष समास का अर्थ क्या होता है? हमनें आसान भाषा में यह भी समझा कि तत्पुरुष समास के भेद कितने प्रकार के होते हैं, वह ही उदाहरण के साथ। हम उम्मीद करते हैं कि आप सभी को यह पोस्ट पसंद आई होगी।
FAQ’S
Q1. तत्पुरुष समास की परिभाषा समझाइए?
A1. तत्पुरुष समास हिंदी व्याकरण का एक महत्वपूर्ण अंग है। तत्पुरुष समास का अर्थ एक ऐसे समास से होता है जिसमें सारे पद का अंतिम वाला पद मुख्य होता है और इसका पहला पद गौण होता है। इसमें बहुत से ऐसे शब्द होते हैं जिनमें विभक्ति का लोप होता है। तत्पुरुष समास में जिन कारक चिन्हों वाले शब्दों में लोप होता है वह हैं- का/के/की, से, को, के लिए, से, में और पर।
Q2. तत्पुरुष समास के उदाहरण बताइए?
A2. तुलसीकृत = तुलसीदास द्वारा लिखा हुआ, गुणरहित = गुण से रहित, चर्मरोग = चर्म का रोग, सिरदर्द = सिरदर्द में दर्द, सभामंडप = सभा के लिए मंडप।
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