व्यंजन (Vyanjan)- हमारी हिंदी भाषा को दुनियाभर के कई हिस्सों में लिखा और पढ़ा जाता है। किसी भी भाषा को सीखने के लिए हमें सबसे पहले उस भाषा के वर्णमाला की अच्छी समझ होनी जरूरी है। अ, आ, इ, ई से लेकर ह तक को हम वर्णमाला के रूप में पहचानते हैं। यह ठीक वैसे ही है जैसे हम अंग्रेजी में A,B,C,D,E जैसे alphabets को सीखते हैं। वर्णमाला में 52 वर्ण होते हैं। इसी को दो भागों में विभाजित भी किया गया है- एक है स्वर और दूसरा है व्यंजन। वर्णमाला का पहला भाग स्वर है और दूसरा भाग व्यंजन है।
व्यंजन (Vyanjan)
हिंदी वर्णमाला का दूसरा भाग कहलाता है व्यंजन और पहला भाग होता है स्वर। हम सभी स्वर के बगैर व्यंजन की कल्पना नहीं कर सकते हैं। व्याकरण में 39 तरह के व्यंजन होते हैं। व्यंजन वह शब्द या वर्ण होते हैं जिसको बोलने के लिए हमें स्वर की सहायता लेनी पड़ती है। व्यंजन के जितने भी शब्द है उन सभी शब्दों का उच्चारण कभी भी स्वतंत्र रूप से नहीं किया जाता है। यह सभी शब्द प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से स्वर पर निर्भर होते हैं। आज का हमारा विषय है व्यंजन। आज के इस पोस्ट में हम जानेंगे कि व्यंजन की परिभाषा क्या होती है, व्यंजन के कितने भेद होते हैं आदि। तो चलिए व्यंजन को अच्छे से समझने के लिए पढ़ते है आज की यह पोस्ट।
व्यंजन किसे कहते हैं?
जब भी हम किसी शब्द का उच्चारण करते हैं और उच्चारण के वक्त जब वह शब्द स्वर की सहायता के बिना नहीं निकलते उन्हें हम व्यंजन के नाम से पुकारते हैं। आप जब कभी भी व्यंजन के वर्णों को बोलने का प्रयास करोगे तब आपको यह महसूस होगा कि वह लगातार गति से निकल रहे हैं। इन शब्दों के उच्चारण में कहीं ना कहीं रूकावट पैदा होगी। उदाहरण के लिए- छ = छ्+अ।
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वर्णमाला के 45 व्यंजन
क | ख |
ग | घ |
ङ | च |
छ | ज |
झ | ञ |
ट | ठ |
ड | ढ |
ण | त |
थ | द |
ध | न |
प | फ |
ब | भ |
म | य |
र | ल |
व | श |
श़ | ष |
स | ह |
क्ष | त्र |
ज्ञ | श्र |
स्पर्श व्यंजन की परिभाषा
स्पर्श व्यंजन ऐसे व्यंजन होते हैं जिसमें शब्दों का उच्चारण करते वक्त हमारी जीभ हमारे मुंह के किसी ना किसी भाग को स्पर्श करे। स्पर्श व्यंजनों की संख्या 25 होती है।
क वर्ग में – क, ख, ग, घ, ङ
च वर्ग में – च, छ, ज, झ, ञ
ट वर्ग में – ट, ठ, ढ, ण
त वर्ग में – त, थ, द, ध, न
प वर्ग में – प, फ, ब, भ, म
व्यंजन के भेद
व्यंजन के भेद आठ प्रकार के होते हैं –
- स्पर्श व्यंजन
- संघर्षी व्यंजन
- स्पर्श संघर्षी व्यंजन
- नासिक्य व्यंजन
- पार्श्विक व्यंजन
- प्रकम्पित व्यंजन
- उत्क्षिप्त व्यंजन
- संघर्षहीन व्यंजन
संघर्षी व्यंजन
संघर्षी व्यंजन ऐसे व्यंजन होते हैं जिसमें हमारी सांस संघर्ष करके हमारे मुंह से बाहर निकलती हो उसे संघर्षी व्यंजन कहते हैं। संघर्षी व्यंजनों का उदाहरण होता है- स, ष, श, ह। यह ऐसे व्यंजन होते हैं जिसमें कोई भी शब्द बोलते वक्त सांस बड़ी ही मुश्किल से हमारे मुंह से निकलती है।
स्पर्श संघर्षी व्यंजन
इस प्रकार के व्यंजन वह होते हैं जिसमें शब्दों के उच्चारण के दौरान हमारी जीभ उच्चारण की जगह को छूती हुई बड़ी ही मुश्किल से बाहर निकलती है उसे स्पर्श संघर्षी व्यंजन कहते हैं। स्पर्श संघर्षी व्यंजन के शब्दों को च वर्ग की व्यंजन की श्रेणी में डाला गया है। च वर्ग के व्यंजन के चार शब्द हैं- च, छ, ज, झ।
नासिक्य व्यंजन
नासिक्य का अर्थ होता है नाक द्वारा उत्पन्न। नाम से ही पता चल रहा है कि नासिक्य व्यंजन ऐसे व्यंजन को कहते हैं जहां पर शब्दों का उच्चारण करते वक्त हमारी सांस नाक के माध्यम से निकलती हो। ङ, ञ, ण, न, म नासिक्य व्यंजन के शब्द हैं।
पार्श्विक व्यंजन
यह ऐसे व्यंजन होते हैं जिसमें शब्दों के उच्चारण के दौरान हमारी सांस जीभ के दोनों बगल से निकलती है। ल व्यंजन पार्श्विक व्यंजन का अच्छा उदाहरण है।
प्रकम्पित व्यंजन
उपर दिए गए शब्द से ही मालूम चल रहा है कि प्रकम्पित का अर्थ हिलता हुआ या हिलाया हुआ होता है। हम प्रकम्पित शब्द की परिभाषा से ही पता लगा सकते हैं कि प्रकम्पित व्यंजन क्या होता है? जब हम शब्दों का उच्चारण करते हैं और ऐसा करते वक्त अगर हमारी जीभ में दो-तीन बार कंपन होता है तो उसे हम प्रकम्पित व्यंजन कहते हैं।
उत्क्षिप्त व्यंजन
उत्क्षिप्त व्यंजन ऐसे व्यंजन को कहते है जिसमें शब्दों का उच्चारण करते वक्त हमारी जीभ का आगे का हिस्सा एक झटके में ही नीचे गिरता हो उसे उत्क्षिप्त व्यंजन कहते हैं। ड़ और ढ़ उत्क्षिप्त व्यंजन के उदाहरण हैं।
संघर्षहीन व्यंजन
संघर्षहीन का अर्थ है बिना कोई संघर्ष किए काम का पूरा होना। तो इसी से ही हम समझ सकते हैं कि संघर्षहीन व्यंजन ऐसे व्यंजन को कहते हैं जिसमें हमारी सांस बिना कोई संघर्ष के बाहर निकलती हो। य और व संघर्षहीन व्यंजन के उदाहरण है।
उच्चारण के आधार पर व्यंजनों के भेद
उच्चारण के आधार पर व्यंजनों के दो भेद हैं-
(1) अल्पप्राण
(2) महाप्राण
अल्पप्राण व्यंजन- अल्पप्राण व्यंजन ऐसे व्यंजन होते हैं जिनमें बोलने के लिए बहुत ही कम वायु की जरूरत पड़ती है। अल्पप्राण व्यंजन के शब्दों की संख्या 20 होती है- क, ग, ङ, च, ज, ञ, ट, ड, ण, ड़, त, द, न, प, ब, म, य, र, ल, व।
महाप्राण व्यंजन- महाप्राण व्यंजन ऐसे व्यंजन को कहते हैं जिसमें शब्दों को बोलते वक्त हमें ज्यादा जोर लगाना पड़ता है और उस दौरान हमारे मुंह से हवा भी ज्यादा निकलती है। महाप्राण व्यंजन 15 प्रकार के होते हैं- ख, घ, छ, झ, ठ, ढ, थ, ध, फ, भ, ढ़, श, ष, स, ह।
निष्कर्ष
आज की हमारी इस पोस्ट में आपने जाना कि व्यंजन किसे कहते हैं और यह कितने प्रकार के होते हैं। हम उम्मीद करते हैं कि आज आपको व्यंजन के इस विषय पर पढ़ने में मजा आया होगा। हमने अपनी इस पोस्ट में भाषा को एकदम सरल बनाए रखा ताकि आप विषय को आराम से समझ सको।
FAQ’S
Q1. हिंदी वर्णमाला में संघर्षी व्यंजन कौन-कौन से होते हैं?
A1. श, ष, स, ह संघर्षी व्यंजन कहलाए जाते हैं।
Q2. प्रयत्न के आधार पर ल वर्ण किस प्रकार की ध्वनि है?
A2. ल वर्ण पार्श्विक व्यंजन की ध्वनि है।
Q3. क्या त शब्द अल्पप्राण व्यंजन की ध्वनि है?
A3. हां, त शब्द अल्पप्राण व्यंजन की ध्वनि है।
Q4. हिंदी व्याकरण में व्यंजनों की संख्या कितनी होती है?
A4. हिंदी व्याकरण में व्यंजनों की संख्या 39 होती है।
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