ईवीएस की फुल फॉर्म (EVS Full Form In Hindi)- आपने बहुत से ऐसे विषयों के बारे में पढ़ा या सुना होगा जिनके नाम ज़्यादातर संक्षेप में इस्तेमाल किए जाते है लेकिन उनका विषय क्षेत्र काफी बड़ा होता है। इन्हीं में से एक ई.वी.एस. यानी पर्यावरण अध्ययन भी है। पर्यावरण का जुड़ाव प्रकृति की हर छोटी से छोटी रचना से है। सभी जीव-जंतु, पेड़-पौधे और सजीव-निर्जीव वस्तुएँ मिलकर पर्यावरण की रचना करते हैं अर्थात् आपके आस-पास जो भी चीजें है उन सब से मिलकर ही पर्यावरण बना है। हर जीवित चीज पर्यावरण में मौजूद रहती है और खुद को जीवित रखने के लिए उसके परिस्थितियों के अनुकूल बनती है।
ईवीएस की फुल फॉर्म
आपने अपने आस-पास कई लोगों को यह कहते हुए सुना होगा कि ‘परिवर्तन ही प्रकृति का नियम है।’ ऐसा इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसकी प्रकृति जटिल होने के साथ-साथ हमेशा बदलवा को स्वीकार करने वाली है। आधुनिक समय में जैसे-जैसे वातावरण परिवर्तन के प्रभाव साफ-साफ समझ आ रहे हैं, वैसे-वैसे पर्यावरण को संपूर्ण रूप से समझना आज बहुत जरूरी हो गया है। इसलिए आज के समय में ई.वी.एस. से जुड़े विषयों की पढ़ाई करने में विद्यार्थियों की रुचि बढ़ने लगी है। अब 12वीं के बाद भी अधिक संख्या में छात्र पर्यावरण अध्ययन से जुड़े कोर्स करने लगे हैं। पर्यावरण के बारे में जानना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि आधुनिकता के प्रभाव के कारण जलवायु प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। अगर समय रहते हुए बढ़ते प्रदूषण को रोका नहीं गया तो शायद एक समय ऐसा भी आएगा जब पृथ्वी पर जीवन संभव नहीं होगा। अगर आप भी ई.वी.एस. के बारे में विस्तार से जानना चाहते हैं, तो यह आर्टिकल आपके लिए सहायक साबित हो सकता है।
ई.वी.एस. क्या है?
ई.वी.एस. पर्यावरण अध्ययन का संक्षिप्त रूप है। इसमें वो सभी तत्व शामिल हैं जो किसी न किसी तरह व्यक्ति के अस्तित्व के लिए सहायक होते हैं। इनमें सभी जैविक और अजैविक घटक शामिल होते हैं। सभी सूक्ष्म जीवाणु, कीड़े-मकौड़े, प्रत्येक जीव-जंतु, पेड़-पौधे साथ ही उनसे जुड़ी सारी जैविक क्रियाएँ एवं प्रक्रियाएँ पर्यावरण के जैविक घटक के अंतर्गत ही आते हैं। वहीं सभी निर्जीव तत्व जैसे- पहाड़, समुद्र, चट्टान और वातावरण से जुड़ी क्रियाएँ अजैविक घटक के अंतर्गत आते हैं। इसके बारे में सिर्फ विद्यालय स्तर पर नहीं बल्कि विश्विद्यालय स्तर पर भी पढ़ाया जाता है। वर्तमान समय में कई विद्यार्थी उच्च शिक्षा ई.वी.एस. में ही प्राप्त कर रहे हैं क्योंकि दिन प्रतिदिन पर्यावरण से जुड़ी समस्याएँ बढ़ती जा रही हैं और जब तक पर्यावरण के बारे में पूरी जानकारी नहीं होगी तब तक इससे जुड़ी समस्याओं का समाधान नहीं किया जा सकता है।
आपने देखा या सुना होगा कि ई.वी.एस. विद्यालय में कक्षा एक से पाँच तक पढ़ाया जाता है। आपको बता दें कि बाद में इसे विज्ञान में शामिल कर दिया जाता है। इस तरह यह आगे कि कक्षाओं में पर्यावरण अध्ययन से पर्यावरण वैज्ञानिक अध्ययन के रूप में पढ़ाया जाने लगता है। इसमें महज भौतिक विशेषताएँ शामिल नहीं हैं सामाजिक, सांस्कृतिक और नैतिकता से जुड़े कुछ कारक भी शामिल हैं। इस प्रकार से पर्यावरण अध्ययन में कई डिग्री, डिप्लोमा; जैसे- स्नातक डिग्री, स्नातकोत्तर डिग्री और पर्यावरण अध्ययन में डिप्लोमा आदि अध्ययन के व्यापक क्षेत्र शामिल हैं।
ई.वी.एस. फुल फॉर्म
ई.वी.एस. का पूरा नाम हिंदी और अंग्रेजी में नीचे टेबल में पढ़ें-
ई.वी.एस. की फुल फॉर्म हिंदी में (EVS Full Form In Hindi) | ई.वी.एस. की फुल फॉर्म अंग्रेजी में (EVS Full Form In English) |
“पर्यावरण अध्ययन” (Paryavaran Adhyayan) | “एनवायरमेंटल स्टडीज” (Environmental Studies) |
ये फुल फॉर्म भी देखें
एमबीए की फुल फॉर्म (MBA Full Form In Hindi) |
इसरो की फुल फॉर्म (ISRO Full Form In Hindi) |
आईटीआई की फुल फॉर्म (ITI Full Form In Hindi) |
एनडीए की फुल फॉर्म (NDA Full Form In Hindi) |
ई.वी.एस. से जुड़े कुछ अन्य फुल फॉर्म
ई.वी.एस. से जुड़े कुछ अन्य फूल फॉर्म निम्नलिखित हैं-
- यूरोपीय स्वैच्छिक सेवा (European Voluntary Service)
- इलेक्ट्रॉनिक परिवर्तनीय गति (Electronic Variable Speed)
- उन्नत दृष्टि प्रणाली (Enhanced Vision System)
ई.वी.एस. के प्रकार
पर्यावरण अध्ययन कई तरह के हैं जिनमें से कुछ महत्वपूर्ण के नाम आप टेबल से देख सकते हैं-
क्रम संख्या | पर्यावरण अध्ययन के नाम |
1. | पर्यावरण प्रबंधन प्रणाली |
2. | पर्यावरण ऑडिट |
3. | जीवन चक्र आकलन |
4. | पर्यावरण प्रभाव आकलन |
ई.वी.एस. के विषय
पर्यावरण अध्ययन (ई.वी.एस.) में शामिल विषय निम्नलिखित हैं-
- नीतिशास्त्र
- प्रदूषण नियंत्रण
- पारिस्थितिक तंत्र
- आपदा प्रबंधन
- कृषि
- प्राकृतिक संसाधन एवं उसका प्रबंधन
- पर्यावरण एवं प्रदूषण
- पर्यावरणीय अर्थशास्त्र
- संसाधन संरक्षण
- अपशिष्ट से ऊर्जा उत्पादन
- पारिस्थितिक सिद्धांत
- सतत विकास
- औद्योगिक और जैव रासायनिक अपशिष्ट
- पर्यावरण शिक्षा
ई.वी.एस. से जुड़े कोर्स
ई.वी.एस. के अंतर्गत बहुत सारे कोर्स आते हैं जिनमें कुछ यहाँ लिखे हुए हैं-
क्रम संख्या | ई.वी.एस. से जुड़े कोर्स |
1. | पर्यावरण विज्ञान में सर्टिफिकेट कोर्स |
2. | पर्यावरण विज्ञान में डिप्लोमा |
3. | एस.सी. पर्यावरण विज्ञान |
4. | एस.सी. पर्यावरण प्रबंधन |
5. | पृथ्वी विज्ञान में डिग्री |
6. | एनवायरनमेंट एंड वाटर मैनेजमेंट |
ई.वी.एस. कोर्स के लिए योग्यता
- अगर आप स्नातक की पढ़ाई ई.वी.एस. से जुड़े कोर्स से करना चाहते हैं, तो आपको एक विषय के रूप में जीव विज्ञान के साथ 10+2 परीक्षा उत्तीर्ण करनी होगी।
- उम्मीदवार के 10+2 में कम से कम 50% अंक होने चाहिए।
- आगे की पढ़ाई के लिए विद्यार्थी के पास पर्यावरण क्षेत्र से जुड़े विषयों में स्नातक डिग्री होनी चाहिए।
- अगर आप इसी क्षेत्र में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त करना चाहते हैं तो स्नातक में आपके कम से कम 55% अंक होने चाहिए।
ई.वी.एस. विषय में क्या पढ़ाया जाता है?
ई.वी.एस. का दायरा व्यापक है। इसमें पर्यावरण से जुड़ी हर चीज के बारे में पढ़ाया जाता है। इसमें आपको कीड़ों-मकौड़ों, जीव-जंतु, चट्टान, पर्वत समुद्र, हवा, नदि आदि से जुड़े हर एक बिंदु को बारीकी से पढ़ाया जाता है। ई.वी.एस. के अंतर्गत मुख्य रूप से विज्ञान, सामाजिक अध्ययन, पर्यावरण शिक्षा से जुड़े विशेष विषय क्षेत्रों के बारे में पढ़ाया जाता है जिसमें विद्यार्थी उच्च स्तर की शिक्षा भी प्राप्त करते हैं। आज जिस तरह से देश में शुद्ध पानी की कमी हो रही है और पर्यावरण प्रदूषण के साथ-साथ उसकी क्षति बढ़ती जा रही है, उसे देखते हुए अब अधिकतर युवा पर्यावरण से जुड़े विषयों पर शोध करने की इच्छा प्रकट कर रहे हैं।
ई.वी.एस. पढ़ने का महत्व
- यह जानवरों और मनुष्यों के व्यवहार और उसकी प्रकृति को समझने में एक तरह से सहायता करता है।
- ई.वी.एस. जीवन को सरल और लंबे समय तक जीने के विभिन्न तरीकों को जानने में सहायक बनाता है।
- लोगों को पर्यावरण के बारे में जागरूक करना और उन्हें सही चीजों से जुड़ने की शिक्षा देना।
- आम जनता तक पर्यावरण अध्ययन के महत्व को विद्यार्थियों के माध्यम से पहुँचाना।
- प्रकृति को नुकसान पहुँचाए बिना उससे मिलने वाले लाभ के बारे में अवगत कराना।
- पृथ्वी से जुड़ी हर छोटी-बड़ी चीज के बारे में बताना और विज्ञान से जुड़े विद्यार्थियों की समझ को बढ़ाना।
ई.वी.एस. अध्ययन में नौकरी के विकल्प
पर्यावरण अध्ययन से जुड़े छात्रों के लिए सरकारी और गैर-सरकारी क्षेत्रों में कई नौकरियाँ उपलब्ध होती हैं। उनमें से कुछ प्रसिद्ध पदों के नाम निम्नलिखित हैं-
- व्याख्याता
- पर्यावरण वैज्ञानिक
- पर्यावरण सलाहकार
- वन्यजीव/पर्यावरण फोटोग्राफर
- अपशिष्ट प्रबंधन के निदेशक
- पर्यावरण पत्रकार
- वन्यजीव फिल्म निर्माता
ई.वी.एस. कोर्स पूरा करने के बाद वेतन
ई.वी.एस. कोर्स से पढ़ाई करने के बाद वेतन आपको कितना मिलेगा ये आपके पद पर निर्भर करता है। पद के मुताबिक औसत वेतन आप टेबल से देख सकते हैं-
पद | वेतन (सालाना) |
व्याख्याता | लगभग 2,40,000 से 8,00,000/- रु. |
पर्यावरण पत्रकार | लगभग 2,00,000 से 4,60,000/- रु. |
प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी | लगभग 3,60,000 से 8,00,000/- रु. |
अपशिष्ट प्रबंधन निदेशक | लगभग 4,00,000 से 6,00,000/- रु. |
FAQs
उत्तर: ई.वी.एस. पर्यावरण अध्ययन का संक्षिप्त रूप है। इसमें वो सभी तत्व शामिल हैं जो किसी न किसी तरह व्यक्ति के अस्तित्व के लिए सहायक होते हैं। इनमें सभी जैविक और अजैविक घटक शामिल होते हैं। सभी सूक्ष्म जीवाणु, कीड़े-मकौड़े, प्रत्येक जीव-जंतु, पेड़-पौधे साथ ही उनसे जुड़ी सारी जैविक क्रियाएँ एवं प्रक्रियाएँ पर्यावरण के जैविक घटक के अंतर्गत आते हैं। वहीं सभी निर्जीव तत्व जैसे- पहाड़, समुद्र, चट्टान और वातावरण से जुड़ी क्रियाएँ अजैविक घटक के अंतर्गत आती हैं।
उत्तर: “पर्यावरण अध्ययन”।
उत्तर: अगर आप स्नातक की पढ़ाई ई.वी.एस. से जुड़े कोर्स से करना चाहते हैं तो आपको एक विषय के रूप में जीव विज्ञान के साथ 10+2 परीक्षा उत्तीर्ण करनी होगी। साथ ही आपके 10+2 में कम से कम 50% अंक होने चाहिए।
उत्तर: ई.वी.एस. के अंतर्गत मुख्य रूप से विज्ञान, सामाजिक अध्ययन, पर्यावरण शिक्षा से जुड़े विशेष विषय क्षेत्रों के बारे में पढ़ाया जाता है जिसमें विद्यार्थी उच्च स्तर की शिक्षा भी प्राप्त करते हैं। आज जिस तरह से देश में शुद्ध पानी की कमी हो रही है और पर्यावरण प्रदूषण के साथ-साथ उसकी क्षति बढ़ती जा रही है, उसे देखते हुए अब अधिकतर युवा पर्यावरण से जुड़े विषयों पर शोध करने की इच्छा प्रकट कर रहे हैं।
उत्तर: पर्यावरण अध्ययन से जुड़े छात्रों के लिए सरकारी और गैर-सरकारी क्षेत्रों में कई नौकरियाँ उपलब्ध होती हैं। उनमें से कुछ प्रसिद्ध पदों के नाम निम्नलिखित हैं-
1. व्याख्याता
2. पर्यावरण वैज्ञानिक
3. पर्यावरण सलाहकार
4. वन्यजीव/पर्यावरण फोटोग्राफर
5. अपशिष्ट प्रबंधन के निदेशक
6. पर्यावरण पत्रकार
7. वन्यजीव फिल्म निर्माता
उत्तर: वेतन उम्मीदवार के पद पद पर निर्भर करता है। एक व्याख्याता का वार्षिक वेतन लगभग 2,40,000 से 8,00,000/- रु. तक हो सकता है। वहीं पर्यावरण पत्रकार का वार्षिक वेतन लगभग 2,00,000 से 4,60,000/- रु. होता है। प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी का सालाना वेतन लगभग 3,60,000 से 8,00,000/- रु. तक होता है। यह वेतन अनुभव के मुताबिक कम-ज़्यादा भी हो सकता है।
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