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अमीर खुसरो का जीवन परिचय (Amir Khusro Biography in Hindi)

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Ekta Ranga
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अमीर खुसरो का जीवन परिचय (Amir Khusro Biography in Hindi)– फारसी में एक कवि ने कहा था, ‘गर फिरदौस बर रुए ज़मीं अस्त, हमीं अस्तो, हमीं अस्तो, हमीं अस्त’। क्या आपको इसका अर्थ समझ आया। इसका अर्थ है अगर धरती पर कहीं स्वर्ग है तो यहीं है, यहीं पर है और सिर्फ यहीं पर है। वाकई में इस धरती का स्वर्ग तो कश्मीर में ही है। कश्मीर में चारों तरफ खूबसूरती है। यहां की डल झील की सुंदरता देखने को बनती है। कश्मीर इतना सुंदर है कि यहां पर फिल्मी जगत के लोग भी फ़िल्मों की शूटिंग करना पसंद करते हैं। कश्मीर को अस्तित्व में लाने का श्रेय राजा कश्यप को जाता है।

अमीर खुसरो की जीवनी (Biography of Aamir Khusro in Hindi)

गर फिरदौस बर रुए ज़मीं अस्त, हमीं अस्तो, हमीं अस्तो, हमीं अस्त। इस कथन को लिखने वाले महान कवि (poet) अमीर खुसरो थे। अमीर खुसरो के नाम से हम सभी अच्छे से परिचित हैं। उर्दू की भाषा में अमीर खुसरो एक अच्छे शायर थे। शायर का अर्थ होता है शेर की रचना करनेवाला। मिर्जा गालिब, बशीर बद्र, राहत इंदौरी, गुलजार जैसे तमाम भारत के शायर रहे हैं जिन्होंने अपनी शायरी से सभी का दिल जीता। पर अमीर खुसरो की बात ही कुछ अलग थी। अमीर खुसरो की शायरी बहुत शानदार हुआ करती थी। वह अपने बेहतरीन शेर से सभी का दिल जीत लेते थे। तो आज का हमारा विषय अमीर खुसरो पर आधारित है। तो आइए हम जानते हैं अमीर खुसरो की जीवनी (Amir Khusro ka Jivan Parichay) हिंदी में। तो आइए जानते हैं अमीर खुसरो के जीवन के बारे में।

अमीर खुसरो का जीवन परिचय

चंगेज खाँ को दुनिया का खूंखार और बर्बर शासक माना जाता है। चंगेज खाँ ने अपना साम्राज्य विस्तार करने के लिए खूब लोगों की हत्या की। जब उसने लाचन जाति के तुर्क लोगों पर आक्रमण करना शुरू किया तो बहुत से लोगों ने इसका विरोध किया। इनमें में से कुछ लोग तो वहां से भागकर भारत में शरणार्थी के रूप में रहने लगे। इन्हीं शरणार्थी में एक लाचन जाति के तुर्क सैफुद्दीन भी थे।

वह अपनी पत्नी दौलत नाज़ के साथ भारत के एटा उत्तर प्रदेश के पटियाली नामक कस्बे में रहने लगे थे। फिर एक सुनहरा दिन आया। 1253 ई. में एटा उत्तर प्रदेश में दौलत नाज़ ने एक सुंदर पुत्र को जन्म दिया। सभी इस बात से बहुत खुश थे। सभी लोगों ने सैफुद्दीन खुसरो और दौलत नाज़ को बेटे पैदा होने की बधाई दी। उस बच्चे का नाम रखा गया अबुल हसन यमीनुद्दीन अमीर ख़ुसरो। सैफुद्दीन खुसरो को यह पता नहीं था कि उनका बेटा आगे चलकर महान शायर बनेंगे।

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अमीर खुसरो का प्रारंभिक जीवन

सैफुद्दीन खुसरो और दौलत नाज़ अपने बेटे को पाकर बहुत खुश थे। अबुल हसन यमीनुद्दीन अमीर ख़ुसरो अब धीरे-धीरे बड़ा हो रहा था। वह कुशाग्र बुद्धि वाला बच्चा था। दौलत नाज़ नवाब एमादुल्मुल्क की बेटी थी। अमीर खुसरो ने चार साल की उम्र में अपनी शिक्षा प्राप्त करनी शुरू कर दी थी।

फिर बाद में इनके पिता और भाई इनको पढ़ाने लगे। फिर एक दिन उनके परिवार पर कहर बरस गया। जब अमीर खुसरो 10 साल के ही थे तब उनके पिता सैफुद्दीन खुसरो का 85 वर्ष में निधन हो गया। अमीर खुसरो के नाना नवाब एमादुलमुल्क को अपने नाती अमीर खुसरो के भविष्य की बड़ी चिंता थी इसलिए वह अपने नाती को अपने साथ लेकर चले गए। अब वह अपने नाना की छत्र छाया में पलने लग गए। वह 12 साल की उम्र में ही शायरी लिखना शुरू हो गए थे। और फिर धीरे-धीरे वह शायरी लिखने में माहिर हो गए।

अमीर खुसरो के गुरु

अमीर खुसरो के सबसे पहले गुरु शम्शुद्दीन ख़्वारिज्मी थे। कहते हैं कि शम्शुद्दीन ख़्वारिज्मी का ग्रंथ पंजगंज को शुद्ध करने का श्रेय अमीर खुसरो को जाता है। अमीर खुसरो ने जब पंजगंज को अच्छे से पढ़ा तो उनके अंदर धर्म के प्रति सम्मान बढ़ गया। शम्शुद्दीन ख़्वारिज्मी ने ही अमीर खुसरो को निज़ामुद्दीन मुहम्मद बदायूनी सुल्तानुलमशायख़ औलिया के बारे में बताया। जैसे ही अमीर खुसरो ने निज़ामुद्दीन औलिया के बारे में सुना वह जैसे उनके मुरीद हो गए। अमीर खुसरो उनके पास गए और हमेशा के लिए उनके शिष्य बन गए। निज़ामुद्दीन औलिया ने उनको एक अच्छे गुरु के समान शिक्षा दी। उनकी शिक्षा से अमीर खुसरो और भी आध्यात्मिक बन गए। वह सूफ़ी संत की तरह रहने लगे थे।

अमीर खुसरो का अविष्कार

अमीर खुसरो को भारत का एक महान कवि और शायर माना जाता है। क्या आपको पता है कि अमीर खुसरो को ही सितार और तबले का अविष्कार करने का श्रेय जाता है? हां, अमीर खुसरो ने सबसे पहले मृदंग से तबला बनाया। फिर जब तबला बन गया था तो फिर सितार को एक नया रूप दिया।

अमीर खुसरो की विशेषता

अमीर खुसरो बहुत ही नेकदिल और उदार व्यक्ति था। उसने कभी भी कोई गलत कार्य नहीं किए। वह हर शायरी बनाने में ही मशगूल रहता। उसको दुनियादारी से कोई लेना-देना नहीं था। वह धार्मिक किस्म का व्यक्ति था। अक्सर यह देखने में आता है कि लोग ऐशो आराम की जिंदगी पाकर अपनी वास्तविकता भूल जाते हैं।

लेकिन अमीर खुसरो ने ऐसा बिल्कुल भी नहीं किया। उन्होंने बहुत से राजाओं के यहां पर नौकरी की जैसे कि ग़ुलाम, ख़िलजी और तुग़लक़-तीन। परंतु उनको इस बात का कभी भी अभिमान नहीं आया। वह नेकदिल होकर अपना काम करते रहे। राजदरबार में खूब उतार – चढ़ाव होते थे और अनेक प्रकार के चक्रव्यूह और षडयंत्र रचे जाते थे। लेकिन अमीर खुसरो कभी भी गलत चीजों का हिस्सा नहीं बने।

वह कहते थे कि गलत काम में हिस्सा लेने से आपके हर काम गलत ही होते हैं। हो सकता है गलत काम करने पर आप खुश हो जाओ पर वह ईश्वर आपके हर कामों को देखता है। अमीर खुसरो को कभी भी सत्ता का लालच नहीं आया। वह राजदरबार में एक कवि और शायर से ज्यादा और कुछ नहीं रहे।

अमीर खुसरो का विवाह

अमीर खुसरो बड़े ही धार्मिक किस्म के व्यक्ति थे। वह कभी भी किसी का बुरा नहीं चाहते थे। कहते हैं कि अमीर खुसरो ने ताउम्र शादी नहीं की। उनको आध्यात्मिकता से गहरा लगाव हो गया था। अमीर खुसरो ने निज़ामुद्दीन मुहम्मद बदायूनी सुल्तानुलमशायख़ औलिया को अपना गुरु मान लिया था। वह हर पल अपने गुरु के स्मरण में रहते थे। क्योंकि उनके गुरु भी एक प्रकार के संत थे इसलिए उन्होंने भी यही सोचा कि आध्यात्मिक बनने में ही सार है। वह सांसारिक मोह माया में लिप्त नहीं रहना चाहते थे। वह खुद को सांसारिक बंधनों से मुक्त करना चाहते थे। उनको कोई भी प्रकार की लालसा नहीं थी। उनको कई बार विवाह के लिए प्रस्ताव भेजे गए। किंतु उन्होंने हर बार विवाह के प्रस्ताव को ठुकरा दिया। वह ताउम्र कुंवारे ही रहे।

अमीर खुसरो के दोहे

खुसरो दरिया प्रेम का,सो उलटी वा की धारजो उबरो सो डूब गया जो डूबा हुवा पार।

सेज वो सूनी देख के रोवुँ मैं दिन रैन,पिया पिया मैं करत हूँ पहरों, पल भर सुख ना चैन।

खुसरो बाजी प्रेम की मैं खेलूँ पी के संग,जीत गयी तो पिया मोरे हारी पी के संग।

रैनी चढ़ी रसूल की सो रंग मौला के हाथ,जिसके कपरे रंग दिए सो धन धन वाके भाग।

खुसरवा दर इश्क बाजी कम जि हिन्दू जन माबाश,कज़ बराए मुर्दा मा सोज़द जान-ए-खेस रा।

पंखा होकर मैं डुली साती तेरा चाव,मुझ जलती का जनम गयो तेरे लेखन भाव।

नदी किनारे मैं खड़ी सो पानी झिलमिल होय,पी गोरी मैं साँवरी अब किस विध मिलना होय।

साजन ये मत जानियो तोहे बिछड़त मोहे को चैन,दिया जलत है रात में और जिया जलत बिन रैन।

अमीर खुसरो की ग़ज़ल

ज़िहाल-ए मिस्कीं मकुन तगाफ़ुल, दुराये नैना बनाये बतियां| कि ताब-ए-हिजरां नदारम ऎ जान, न लेहो काहे लगाये छतियां|| शबां-ए-हिजरां दरज़ चूं ज़ुल्फ़ वा रोज़-ए-वस्लत चो उम्र कोताह, सखि पिया को जो मैं न देखूं तो कैसे काटूं अंधेरी रतियां|| यकायक अज़ दिल, दो चश्म-ए-जादू ब सद फ़रेबम बाबुर्द तस्कीं, किसे पडी है जो जा सुनावे, पियारे पी को हमारी बतियां|| चो शम्मा सोज़ान, चो ज़र्रा हैरान हमेशा गिरयान, बे इश्क आं मेह| न नींद नैना, ना अंग चैना, ना आप आवें, न भेजें पतियां|| बहक्क-ए-रोज़े, विसाल ए-दिलबर कि दाद मारा, गरीब खुसरौ| सपेट मन के, वराये राखूं जो जाये पांव, पिया के खटियां ||

अमीर खुसरो की कह मुखरियाँ

1) अर्ध निशा वह आया भौन
सुंदरता बरने कवि कौन
निरखत ही मन भयो अनंद
ऐ सखि साजन? ना सखि चंद!

2) शोभा सदा बढ़ावन हारा आँखिन से छिन होत न न्यारा आठ पहर मेरो मनरंजनऐ सखि साजन? ना सखि अंजन!

3) जीवन सब जग जासों कहैवा बिनु नेक न धीरज रहै हरै छिनक में हिय की पीरऐ सखि साजन? ना सखि नीर!

4) बिन आये सबहीं सुख भूलेआये ते अँग-अँग सब फूले सीरी भई लगावत छातीऐ सखि साजन? ना सखि पाती!

अमीर खुसरो के गीत

छाप तिलक सब छीनी रे मोसे नैना मिलाइके प्रेम भटी का मदवा पिलाइके मतवारी कर लीन्ही रे मोसे नैना मिलाइके गोरी गोरी बईयाँ, हरी हरी चूड़ियाँ बईयाँ पकड़ धर लीन्ही रे मोसे नैना मिलाइके बल बल जाऊं मैं तोरे रंग रजवा अपनी सी रंग दीन्ही रे मोसे नैना मिलाइके खुसरो निजाम के बल बल जाए मोहे सुहागन कीन्ही रे मोसे नैना मिलाइके छाप तिलक सब छीनी रे मोसे नैना मिलाइके|

अमीर खुसरो के ग्रंथ

किरान-उल-सदामन, मिफताह – उल – फुतुल, खजाइन – उल – फुतुह (तारीख-ए-इलाही), देवल-रानी-खिज्रखाँ (आशिका), नुह- सिपहर, तुगलकनामा, आईने-ए-सिकन्दरी, एजाज-ए-खुसरबी, मजनू-लैला, शीरीन- खुसरो, हश्न- बिहश्त, तारीख-ए-दिल्ली, मतला – उल – अनवर, अफजल वा कवायद यह सभी अमीर खुसरो द्वारा लिखित ग्रंथ है।

अमीर खुसरो की भाषा शैली

अमीर खुसरो की भाषा शैली एकदम हटकर थी। वह अपनी भाषा में लचीलापन बनाए रखता था। अगर भारत में किसी कविता में फारसी शब्द का इस्तेमाल किया गया है तो वह अमीर खुसरो ही था। वह अपनी कविताओं में खड़ी बोली का इस्तेमाल किया करता था। वह ही हिन्दवी भाषा को प्रचलन में लाया था। अमीर खुसरो को हिंदी हिन्दवी और फारसी शब्दों में कविताएं लिखने का श्रेय जाता है।

अमीर खुसरो का निधन

अमीर खुसरो ने ताउम्र अपना जीवन एक अच्छा इंसान होकर बिताया। उन्होंने पूरी उम्र कोई भी गलत कार्य नहीं किए। वह हर पल ईश्वर और अपनी कविताओं में ही डूबे रहते। हिंदी साहित्य में इनका भी बड़ा योगदान रहा है। वह हिंदी, हिन्दवी और फारसी में लिखने के लिए जाने जाते हैं। अमीर खुसरो को भारत का तोता की उपाधि दी गई थी। कहते हैं कि वह अपने गुरु निज़ामुद्दीन मुहम्मद बदायूनी सुल्तानुलमशायख़ औलिया से बहुत ज्यादा प्रभावित थे। जब औलिया साहब ने अपना देह त्यागा तो सबसे ज्यादा दुखी कोई हुआ तो वह अमीर खुसरो ही था। अमीर खुसरो को अपने गुरु को खोने से बड़ा सदमा लगा। कहते हैं कि कई दिन तक अमीर खुसरो अपने गुरु की समाधि पर ही सिर टिकाए सोया रहा। फिर एक दिन अक्टूबर 1325 में अमीर खुसरो ने भी अपने प्राण त्याग दिए।

FAQs
Q1. अमीर खुसरो का जन्म कब और कहां हुआ था?

A1. अमीर खुसरो का जन्म भारत के एटा उत्तर प्रदेश के पटियाली नामक कस्बे में हुआ था।

Q2. अमीर खुसरो के माता-पिता का नाम क्या था?

A2. अमीर खुसरो के माता-पिता का नाम सैफुद्दीन खुसरो और दौलत नाज़ था। उनके माता-पिता भी धार्मिक स्वभाव के थे।

Q3. अमीर खुसरो के प्रमुख ग्रंथ के नाम बताइए?

A3. किरान-उल-सदामन, मिफताह – उल – फुतुल, खजाइन – उल – फुतुह (तारीख-ए-इलाही), देवल-रानी-खिज्रखाँ (आशिका), नुह- सिपहर, तुगलकनामा, आईने-ए-सिकन्दरी, एजाज-ए-खुसरबी, मजनू-लैला, शीरीन- खुसरो, हश्न- बिहश्त, तारीख-ए-दिल्ली, मतला – उल – अनवर, अफजल वा कवायद यह सभी अमीर खुसरो द्वारा लिखित ग्रंथ है।

Q4. अमीर खुसरो ने किसका अविष्कार किया था?

A4. अमीर खुसरो को भारत का एक महान कवि और शायर माना जाता है। अमीर खुसरो को ही सितार और तबले का अविष्कार करने का श्रेय जाता है।

Q5. अमीर खुसरो के गुरु कौन थे?

A5. कहते हैं कि शम्शुद्दीन ख़्वारिज्मी एक महान शायर थे और अमीर खुसरो के पहले गुरु भी थे। शम्शुद्दीन ख़्वारिज्मी ने ही अमीर खुसरो को निज़ामुद्दीन मुहम्मद बदायूनी सुल्तानुलमशायख़ औलिया के बारे में बताया। जैसे ही अमीर खुसरो ने निज़ामुद्दीन औलिया के बारे में सुना वह जैसे उनके मुरीद हो गए। अमीर खुसरो उनके पास गए और हमेशा के लिए उनके शिष्य बन गए।

Q6. अमीर खुसरो ने हिंदी साहित्य में क्या योगदान दिया?

A6. अमीर खुसरो को भारत का तोता माना जाता था। अगर भारत में किसी कविता में फारसी शब्द का इस्तेमाल किया गया है तो वह अमीर खुसरो ही था। वह अपनी कविताओं में खड़ी बोली का इस्तेमाल किया करता था।

Q7. अमीर खुसरो का निधन किस कारण हुआ?

A7. अमीर खुसरो का निधन दिल का दौरा पड़ने से हुआ।

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