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कक्षा | 10 |
विषय | हिंदी (क्षितिज भाग 2) |
पाठ | 12 |
पाठ का नाम | संस्कृति (भदंत आनंद कौसल्यायन) |
बोर्ड | सीबीएसई |
पुस्तक | एनसीईआरटी |
शैक्षणिक सत्र | 2025-26 |
प्रश्न अभ्यास
प्रश्न 1. लेखक की दृष्टि में ‘सभ्यता’ और ‘संस्कृति’ की सही समझ अब तक क्यों नहीं बन पाई है?
उत्तर :- ‘सभ्यता और संस्कृति’ यह दो ऐसे शब्द हैं जिनका सबसे ज्यादा उपयोग लिया जाता है। दुनियाभर के लोग अपनी आम जिंदगी में इन दो शब्दों का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं। इन दोनों ही शब्दों में अनेक विशेषणों का भी प्रयोग हो जाता है। उदाहरण के लिए हम कह सकते हैं भौतिक सभ्यता और आध्यात्मिक सभ्यता। लोगों को आज तक इन शब्दों की असली समझ ही नहीं आई है। लोग अपने ही हिसाब से शब्दों का अर्थ निकाल लेते हैं।
प्रश्न 2. आग की खोज एक बहुत बड़ी खोज क्यों मानी जाती है? इस खोज के पीछे रही प्रेरणा के मुख्य स्रोत क्या रहे होंगे?
उत्तर :- आग की खोज को दुनिया की सबसे बड़ी खोज में से एक माना जाता है। इस खोज के पीछे सबसे बड़ी प्रेरणा रही होगी मानव की भूख। मनुष्य भूख के पीछे ही सारा काम करता है। मनुष्य को आग की अहमियत का पता चल गया था। मनुष्य को पता चला कि आग से खाना पकाया जा सकता है, सर्दी मिटाई जा सकती है और आग से ही अंधेरे में भी पर्याप्त रोशनी मिल सकती है। आग की खोज से मनुष्य की बुद्धि में और अधिक विकास हुआ। मनुष्य को समझ आ गया होगा कि इस प्रकार के अविष्कार करने से वह जानवर की श्रेणी से बाहर निकलकर मनुष्य की श्रेणी में आ सकता है। आग की खोज ने मनुष्य के जीवन को कई हद तक आसान बना दिया था।
प्रश्न 3 – वास्तविक आधारों में ‘संस्कृत व्यक्ति’ किसे कहा जाता है?
उत्तर :- वास्तविक आधारों में एक संस्कृत व्यक्ति वही है जो कि एक पल भी खाली नहीं बैठ सकता। जिस किसी भी व्यक्ति ने विवेक और बुधि से किसी नए तथ्य का दर्शन किया है वह हमेशा से संस्कृत व्यक्ति ही कहलाया है। ऐसा व्यक्ति अपनी बुद्धि तथा योग्यता से सब कुछ हासिल करने की क्षमता रखता है। संस्कृत व्यक्ति के दिल में समाज के लिए कुछ नया करने की ज्वाला भड़कती रहती है। संस्कृत व्यक्ति समाज का भला चाहता है। ऐसे में भले ही संस्कृत व्यक्ति का पेट भरा हो या तन ढका हो। लेकिन वह हर पल नए तथ्य की खोज में लगा रहता है। उदाहरण के लिए- कार्ल मार्क्स ने अपना सारा जीवन दुखों के बीच काटा क्योंकि वह गरीब मजदूरों को सुखी देखना चाहता था।
प्रश्न 4 – न्यूटन को संस्कृत मानव कहने के पीछे कौन से तर्क दिए गए हैं? न्यूटन द्वारा प्रतिपादित सिद्धांतों एवं ज्ञान की कई दूसरी बारीकियों को जानने वाले लोग भी न्यूटन की तरह संस्कृत नहीं कहला सकते, क्यों?
उत्तर :- न्यूटन को संस्कृत व्यक्ति इसलिए कहा जाता है क्योंकि न्यूटन ही वह व्यक्ति था जिसने गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत से पूरी दुनिया को अवगत करवाया। जिस व्यक्ति की बुद्धि ने अथवा उसके विवेक ने किसी भी नए तथ्य का दर्शन किया, वह व्यक्ति ही वास्तविक संस्कृत व्यक्ति कहे जाने योग्य है। पर क्या आपको पता है कि न्यूटन द्वारा प्रतिपादित सिद्धांतों एवं ज्ञान की कई दूसरी बारीकियों को जानने वाले लोग भी न्यूटन की तरह संस्कृत नहीं कहला सकते हैं। ऐसा इसलिए कहा जाना सही है क्योंकि संस्कृत व्यक्ति किसी नयी चीज की खोज करता है; किंतु उसकी संतान को वह अपने पूर्वज से अनायास ही प्राप्त हो जाती है। संस्कृत व्यक्ति में कुछ नया और अलग करने की अपार शक्ति होती है। माना कि आज के समय में लोग न्यूटन से ज्यादा जानकारी रखते हैं। लेकिन फिर भी वह लोग न्यूटन जितने संस्कृत नहीं कहला सकते हैं। ऐसे लोगों को हम सभ्य व्यक्ति की श्रेणी में जरूर डाल सकते हैं।
प्रश्न 5 – किन महत्त्वपूर्ण आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए सुई-धागे का आविष्कार हुआ होगा?
उत्तर :- सुई धागे का अविष्कार इसलिए हुआ था क्योंकि उस समय मनुष्य को यह जरूरत रही होगी कि उनके शरीर को सर्दी से बचाने के लिए भी कुछ होना चाहिए। उनको सर्दी से कपड़े ही बचा सकते थे। सुई धागे का अविष्कार करके उन्होंने कपड़े सिलने का अविष्कार भी कर डाला। इस अविष्कार से मानवजाति का कल्याण हुआ।
प्रश्न 6 – मानव संस्कृति एक अभिवाज्य वस्तु है।” किन्हीं दो प्रसंगों का उल्लेख कीजिए जब-
(क) मानव संस्कृति को विभाजित करने की चेष्टाएँ की गईं।
उत्तर :- मानव संस्कृति को विभाजित करने की चेष्टा तब की गई जब भारत का दो टुकडों में हिस्सा हुआ। एक बना भारत और दूसरा बना पाकिस्तान। इस विभाजन से मानव जाति को बहुत नुकसान हुआ। दूसरा प्रसंग हम ले सकते हैं मानव जाति की जातिवाद को लेकर लड़ाई को। आज के समय में मनुष्य जाति और धर्म को लेकर आपस में मनमुटाव और टकराव पैदा कर रहे हैं। ऐसा होना संस्कृति को विभाजित करने के समान ही है।
(ख) जब मानव संस्कृति ने अपने एक होने का प्रमाण दिया।
उत्तर :-
- गांधीजी ने सभी को साथ मिलकर प्रेम से रहना सिखाया।
- रूस का भाग्यविधाता लेनिन अपनी डैस्क में रखे हुए डबल रोटी के सूखे टुकड़े स्वयं न खाकर दूसरों को खिला दिया करता था।
- संसार के मज़दूरों को सुखी देखने का स्वप्न देखते हुए कार्ल मार्क्स ने अपना सारा जीवन दुख में बिता दिया।
- आज से ढाई हजार वर्ष पूर्व सिद्धार्थ ने अपना घर केवल इसलिए त्याग दिया कि किसी तरह तृष्णा के वशीभूत लड़ती- कटती मानवता सुख से रह सके।
आशय स्पष्ट कीजिए–
(क) मानव की जो योग्यता उससे आत्म-विनाश के साधनों का आविष्कार कराती हैं, हम उसे उसकी संस्कृति कहे या और असंस्कृति?
उत्तर- मानव की जो योग्यता उससे आत्म-विनाश के साधनों का आविष्कार कराती हैं, हम उसे असंस्कृति कहते हैं। जब जब मानव को कोई चीजों की जरूरत पड़ी तब तब उसने अनेकों प्रकार के ऐसे अविष्कार किए जिससे मानव-जाति का कल्याण हुआ है। लेकिन भले ही जाने अनजाने में ही करो, मानव ने अपने इतिहास में एक सबसे बड़ा गलत अविष्कार किया था। और वह था एटम बम का अविष्कार। एक एटम बम से हिरोशिमा में भंयकर तबाही मची थी। ऐसे अविष्कार जो उत्थान की जगह विनाश करे ऐसे आविष्कारों को हम असंस्कृति ही कहेंगे।
रचना और अभिव्यक्ति
प्रश्न 7 – लेखक ने अपने दृष्टिकोण से सभ्यता और संस्कृति की एक परिभाषा दी है। आप सभ्यता और संस्कृति के बारे में क्या सोचते हैं, लिखिए।
उत्तर :- लेखक के अनुसार सभ्यता और संस्कृति ही दो ऐसे शब्द है जिनके बारें में लोग कम ही जानते हैं। अनेक प्रकार के विशेषण लगने के बाद यह दोनों ही शब्द अदल बदल से जाते हैं। मेरे अनुसार जो चीज आत्मा से निकलकर बाहर आती है वह संस्कृति है। और जो चीज मनुष्य के शरीर के हाव भाव से प्रकट होती है वह सभ्यता है। एक मनुष्य जिस प्रकार से पेश आता है वह उसकी सभ्यता है। वही एक व्यक्ति जिस प्रकार से सोचता है या चिंतन करता है वह उसकी संस्कृति है।
भाषा-अध्ययन
प्रश्न 9.निम्लिखित सामासिक पदों का विग्रह करके समास का भेद भी लिखिए-
1. गलत-सलत
2. आत्म-विनाश
3. महामानव
4. पददलित
5. हिंदू-मुस्लिम
6. यथोचित
7. सप्तर्षि
8. सुलोचना
उत्तर :-
1. गलत-सलत : गलत और सलत (द्वंद समास)
2. आत्म-विनाश : आत्मा का विनाश (तत्पुरुष समास)
3. महामानव : महान है जो मानव (कर्मधारय समास)
4. पददलित : पद से दलित (तत्पुरुष समास)
5. हिंदू-मुस्लिम : हिंदू और मुस्लिम (द्वंद समास)
6. यथोचित : जो उचित हो (अव्ययीभाव समास)
7. सप्तर्षि : सात ऋषियों का समूह (द्विगु समास)
8. सुलोचना : सुंदर लोचन है जिसके (कर्मधारय समास)
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