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NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij Chapter 7
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कक्षा: 10
विषय : हिंदी (क्षितिज भाग 2)
पाठ : 7 नेताजी का चश्मा (स्वयं प्रकाश)
प्रश्न-अभ्यास
प्रश्न 1 – सेनानी ना होते हुए भी चश्मेवाले को लोग कैप्टन क्यों कहते थे?
उत्तर :- चश्मेवाले यानि कि ड्राइंग मास्टर मोतीलाल जी असल में तो एक मास्टर थे। लेकिन उनके अंदर एक सच्चे देशभक्त का खून दौड़ता था। जब चश्मेवाले ने नेताजी की मूर्ति तैयार की थी तो वह मूर्ति का चश्मा शायद बनाना भूल गए थे। लेकिन चश्मेवाला नेताजी की मूर्ति को बिना चश्मे के नहीं देख सकता था। इसलिए वह हर दिन नेताजी का चश्मा बदलता रहता था। मास्टर की इसी देशभक्ति को देखकर लोग चश्मेवाले को कैप्टन कहा करते थे।
प्रश्न 2 – हालदार साहब ने ड्राइवर को पहले चौराहे पर गाड़ी रोकने के लिए मना किया था लेकिन बाद में तुरंत रोकने को कहा –
(क) हालदार साहब पहले मायूस क्यों हो गए थे?
(ख) मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा क्या उम्मीद जगाता है?
(ग) हालदार साहब इतनी-सी बात पर भावुक क्यों हो उठे?
उत्तर :- (क) हालदार साहब पहले इसलिए मायूस हो गए थे क्योंकि जिस नेताजी की मूर्ति के पास वह रूकते थे, उस मूर्ति को बनाने वाला देशभक्त मास्टर चल बसा था। वही एक सच्चा देशभक्त था जो नेताजी की मूर्ति को प्रेम के साथ चश्मा पहनाता था। उस मास्टर के दुनिया से जाने के बाद नेताजी के आंखों से चश्मा भी गायब हो गया था।
(ख) मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा यह दर्शाता है कि माना मास्टर मोतीलाल जी (कैप्टन) ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया था। लेकिन कोई ऐसा नन्हा बालक भी था जो हर दिन मास्टर का अनुसरण कर रहा था। शायद उसी बालक ने नेताजी को चश्मा पहनाया था। सरकंडे का चश्भा इस बात का संकेत देता है कि आज भी देशभक्ति का खून युवा पीढ़ी में दौड़ रहा था।
(ग) हालदार साहब ने अपने ड्राइवर को पहले तो चौराहे पर गाड़ी रोकने से मना किया था। क्योंकि वह नेताजी की मूर्ति को बिना चश्मे के देखना नहीं चाहते थे। लेकिन जैसे ही उन्होंने यह देखा कि मास्टर के जाने के बाद भी नेताजी के आंखों पर सरकंडे का चश्मा लगा हुआ था, तो उनकी आंखें नम हो गई। वह इस बात पर भावुक हो उठे कि आने वाली युवा पीढ़ी में कोई तो ऐसा बालक था जिसे देशभक्तों की कद्र थी। अपने राष्ट्र के लिए प्रेम था।
प्रश्न 3 – आशय स्पष्ट कीजिए
“बार-बार सोचते, क्या होगा उस कौम का जो अपने देश की खातिर घर-गृहस्थी-जवानी-जिंदगी सब कुछ होम देनेवालों पर भी हँसती है और अपने लिए बिकने के मौके ढूँढ़ती है।”
उतर :- इस पंक्ति से हमें यह समझ आता है कि इस दुनिया के लोग कितने स्वार्थी हो चले है कि उन्हें अपने देश का मज़ाक उड़ाने में भी बुरा नहीं लगता है। हालदार साहब इस बात को सोचकर दुख जताते हैं कि एक तरफ देशप्रेमी अपने देश को किसी भी हालत में झुकने नहीं देते हैं। तो दूसरी तरफ ऐसे भी लोग होते हैं जो देशप्रेमियों का उपहास उड़ाते हैं। ऐसे स्वार्थी लोग अपने स्वार्थ के लिए देश के खिलाफ भी हो जाते हैं।
प्रश्न 4 – पानवाले का एक रेखाचित्र प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर :- पानवाला एक मोटा सा व्यक्ति है। उस पानवाले की बड़ी तोंद है। उसकी पान की दुकान है। पान लगाने के अलावा उसका एक और शौक है और वो है बातें करना। वह पान लगाते हुए पान खाता है और बातें भी करता रहता है। उसकी बतीसी का रंग लाल-काला हो गया है। जब उसकी तोंद हिलती है तो पाठकों की हंसी छूट जाती है। वह अच्छे लोगों की कद्र नहीं करता है। उसे अच्छे लोगों पर ताने कसना अच्छा लगता है। जैसे कि वह देशभक्त मास्टर को लंगड़ा कहकर उसका मजाक उड़ाता है।
प्रश्न 5 – वो लँगड़ा क्या जाएगा फ़ौज में। पागल है पागल!”कैप्टन के प्रति पानवाले की इस टिप्पणी पर अपनी प्रतिक्रिया लिखिए।
उत्तर 5 – “वह लँगड़ा क्या जाएगा फ़ौज में। पागल है पागल !” पानवाले की यह टिप्पणी बहुत ही भद्दी है। पानवाले की इस प्रकार की टिप्पणी से यह पता चलता है कि उसे मास्टर मोतीलाल जैसे देशभक्त की कोई कद्र नहीं है। कैप्टन का इस प्रकार से मजाक उड़ाया जाना उचित नहीं है। असल में कैप्टन एक सच्चा देशभक्त है। माना कि वह जेब से अमीर नहीं है। लेकिन वह मन से अमीर है। कैप्टन के पास सीमित में संसाधन है लेकिन वह नेताजी की आंखों पर चश्मा लगाना नहीं भूलता। यह एक सच्चे देशप्रेमी का गुण है।
रचना और अभिव्यक्ति
प्रश्न 6 – निम्नलिखित वाक्य पात्रों की कौन-सी विशेषता की ओर संकेत करते हैं :
(क) हालदार साहब हमेशा चौराहे पर रुकते और नेताजी को निहारते।
(ख) पानवाला उदास हो गया। उसने पीछे मुड़कर मुँह का पान नीचे थूका और सिर झुकाकर अपनी धोती के सिरे से आँखें पोंछता हुआ बोला–साहब! कैप्टन मर गया।
(ग) कैप्टन बार-बार मूर्ति पर चश्मा लगा देता था।
उत्तर :- (क) हालदार साहब बहुत ही कर्तव्यनिष्ठ व्यक्ति हैं। वह अपने काम के प्रति बहुत इमानदार हैं। वह भावुक किस्म के उनको अपने देश से बहुत प्रेम है। वह हर दिन एक पानवाले की दुकान पर रूकते हैं। वह पानवाले से बात करता हैं और पान खाता हैं। वह चौराहे पर लगी नेताजी की मूर्ति के सामने हर दिन रूकते हैं और मूर्ति को देखकर वह बहुत खुश होते हैं। हालदार साहब मास्टर मोतीलाल की बहुत इज्जत करते हैं। हालदार साहब को बहुत अच्छा लगता है कि कैप्टन आदर भाव के साथ मूर्ति को चश्मा पहनाता है। जब कैप्टन मर जाता है तो हालदार साहब अंदर से दुखी हो उठते हैं।
(ख) पानवाला थोड़ा अलग ही किस्म का इंसान था। जब भी हालदार साहब उसकी दुकान पर आता तो वह हर बार हालदार को कैप्टन के बारे में बातें बताता था। वह कैप्टन का मजाक उड़ाता है। वह देशभक्त कैप्टन को लंगड़ा कहकर संबोधित करता है। लेकिन कैप्टन की मृत्यु के बाद उसका ह्रदय अचानक ही परिवर्तित हो जाता। उसको शायद कैप्टन की असल अहमियत समझ आ जाती है। उसको कैप्टन की मृत्यु के पश्चात कैप्टन की देशभक्ति समझ आ जाती है।
(ग) कैप्टन यानि कि मोतीलाल बहुत ही मेहनती किस्म का इंसान था। वह अपने कस्बे के इकलौते स्कूल का इकलौता ड्राइंग मास्टर था। जब लोगों को यह पता चला कि वह अच्छा ड्राइंग मास्टर है तो उसे नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति बनाने का काम सौंप दिया गया। उस मूर्ति में सब बहुत ही बेहतरीन था। लेकिन एक नेताजी का चश्मा बनाना भूल गया था वह। इसलिए कैप्टन हर बार नेताजी को असली चश्मा पहनाता था। वह नेताजी को बिना चश्मे के नहीं देख सकता था। वह एक सच्चा देशभक्त था। उसे अपने देश से अपार प्रेम था।
प्रश्न 7 – जब तक हालदार साहब ने कैप्टन को साक्षात देखा नहीं था तब तक उनके मानस पटल पर उसका कौन-सा चित्र रहा होगा, अपनी कल्पना से लिखिए।
उत्तर :- जब तक हालदार साहब ने कैप्टन को साक्षात नहीं देखा था तब तक तो वह कैप्टन को नेताजी का साथी या फिर आजाद हिंद फौज का भूतपूर्व सिपाही मानता था। हालदार सोचता था कि कैप्टन फौजियों की ही तरह शरीर में हष्ट-पुष होगा। एक फौजी की ही तरह उठता- बैठता होगा। वह एक फौजी की ही तरह मूंछो पर ताव देते हुए बोलता होगा।
प्रश्न 8 – कस्बों, शहरों, महानगरों के चौराहों पर किसी ना किसी क्षेत्र के प्रसिद्ध व्यक्ति की मूर्ति लगाने का प्रचलन-सा हो गया है
(क) इस तरह की मूर्ति लगाने के क्या उद्देश्य हो सकते हैं?
(ख) आप अपने इलाके के चौराहे पर किस व्यक्ति की मूर्ति स्थापित करवाना चाहेंगे और क्यों?
(ग) उस मूर्ति के प्रति आपके एवं दूसरे लोगों के क्या उत्तरदायित्व होने चाहिए?
उतर :- (क) कस्बों, शहरों, महानगरों के चौराहों पर किसी ना किसी क्षेत्र के प्रसिद्ध व्यक्ति की मूर्ति लगाने का उद्देश्य कई प्रकार के हो सकते हैं। सबसे बड़ा उद्देश्य यह हो सकता है कि महान हस्तियों की मूर्ति को चौराहे पर लगा देख लोग उन हस्तियों से प्रेरित हो। जब मूर्ति को लोग बार बार देखते हैं तो वह विशिष्ट व्यक्ति लोगों के दिल में घर कर जाता है। लोग मूर्ति को देखकर महान हस्तियों के द्वारा किए गए कार्यों को हर पल याद रखते हैं। कुलमिलाकर ऐसी मूर्ति आम लोगों को भी देश के हित में काम करने के लिए प्रेरित करती है।
(ख) हम अपने इलाके के चौराहे पर झांसी की रानी की मूर्ति स्थापित करवाना चाहेंगे। रानी लक्ष्मीबाई सभी महिलाओं के लिए एक आदर्श स्त्री थी। उन्होंने अपनी वीरता का परचम हर जगह फैलाया था।
(ग) उस मूर्ति के प्रति हम सभी का उत्तरदायित्व यह होना कि हम उस मूर्ति का अच्छे से ध्यान रखें। हम उस मूर्ति का आदर-सम्मान करें। हम सभी उस मूर्ति को स्वच्छ रखने का बीड़ा उठाए।
प्रश्न 9 – सीमा पर तैनात फ़ौजी ही देश-प्रेम का परिचय नहीं देते। हम सभी अपने दैनिक कार्यों में किसी न किसी रूप में देश-प्रेम प्रकट करते हैं; जैसे-सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान न पहुँचाना, पर्यावरण संरक्षण आदि। अपने जीवन जगत से जुड़े ऐसे और कार्यों का उल्लेख कीजिए और उन पर अमल भी कीजिए।
उत्तर 9 :- हम सभी अपने दैनिक कार्यों में किसी न किसी रूप में देश-प्रेम प्रकट करते हैं; जैसे-सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान न पहुँचाना, पर्यावरण संरक्षण आदि। इसके अलावा हम अपने प्रकृति को स्वच्छ रख सकते हैं। पानी को प्रदूषित होने से बचाएं। बिजली की खपत कम से कम करें। जानवरों का ख्याल रखें। अपने बड़ों का आदर-सम्मान करें। अपनी संस्कृति को सहेजकर रख सकते हैं।
प्रश्न 10 – निम्नलिखित पंक्तियों में स्थानीय बोली का प्रभाव स्पष्ट दिखाई देता है, आप इन पंक्तियों को मानक हिंदी में लिखिए-
कोई गिराक आ गया समझो। उसको चौड़े चौखट चाहिए। तो कैप्टन किदर से लाएगा? तो उसको मूर्तिवाला दे दिया। उदर दूसरा बिठा दिया।
उत्तर:- यह समझ लो कि कोई ग्राहक आ गया। उसे चौड़ा फ्रेम चाहिए। तो कैप्टन कहाँ से लाएगा? तो उस ग्राहक को मूर्तिवाला फ्रेम दे देता है और मूर्ति पर दूसरा फ्रेम लगा देता है।
प्रश्न 11 – भई खूब! क्या आइडिया है। इस वाक्य को ध्यान में रखते हुए बताइए कि एक भाषा में दूसरी भाषा के शब्दों के आने से क्या लाभ होते हैं?
उत्तर:- एक भाषा में दूसरी भाषा के शब्दों के आने से अनेकों लाभ होत हैं। सबसे बड़ा प्रभाव शब्दों के भावों पर पड़ता है। इससे भाषा की भावाभिव्यक्ति और प्रवाहमयता बहुत ही शानदार बन पड़ती है। लोगों को नए शब्द जानने को मिलते हैं। हमारे ज्ञान में बढ़ोतरी होती है।
भाषा अध्ययन
प्रश्न 12 – निम्नलिखित वाक्यों से निपात छाँटिए और उनसे नए वाक्य बनाइए-
(क) नगरपालिका थी तो कुछ न कुछ करती भी रहती थी।
(ख) किसी स्थानीय कलाकार को ही अवसर देने का निर्णय किया गया होगा।
(ग) यानी चश्मा तो था लेकिन संगमरमर का नहीं था।
(घ) हालदार साहब अब भी नहीं समझ पाए।
(ङ) दो साल तक हालदार साहब अपने काम के सिलसिले में उस कस्बे से गुजरते रहे।
उत्तर:- (क) तो – मैं करती तो भी क्या करती।
भी – मनोहर भी तुम्हारे साथ चलेगा।
(ख) ही – आज के दिन ही हमारा देश आजाद हुआ था।
(घ) भी – अब भी मुझे उसकी याद आती है।
(ड) तक – कल तक तो वह बिल्कुल स्वस्थ था।
प्रश्न 13 – निम्नलिखित वाक्यों को कर्मवाच्य में बदलिए।
(क) वह अपनी छोटी-सी दुकान में उपलब्ध गिने-चुने फ्रेमों में से नेताजी की मूर्ति पर फिट कर देता है।
उत्तर – उसके द्वारा अपनी छोटी-सी दूकान में उपलब्ध गिने-चुने फ्रेमों में से एक नेताजी की मूर्ति पर फिट कर दिया जाता है।
(ख) पानवाला नया पान खा रहा था।
उत्तर- पानवाले द्वारा नया पान खाया जा रहा था।
(ग) पानवाले ने साफ बता दिया था।
उत्तर- पानवाले द्वारा साफ बता दिया गया था।
(घ) ड्राइवर ने जोर से ब्रेक मारे।
उत्तर- ड्राइवर द्वारा जोर से ब्रेक मारे गए।
(ड़) नेताजी ने देश के लिए अपना सब कुछ त्याग दिया।
उत्तर- नेताजी द्वारा देश के लिए सब कुछ त्याग दिया गया।
(च) हालदार साहब ने चश्मेवाले की देशभक्ति का सम्मान किया।
उत्तर- हालदार साहब द्वारा चश्मे वाले की देशभक्ति का सम्मान किया गया।
प्रश्न 14 – लिखे वाक्यों को भाववाच्च में बदलिए-
(क) माँ बैठ नही सकती।
उत्तर :- माँ से बैठा नहीं जाता।
(ख) मैं देख नहीं सकती।
उत्तर :- मुझसे देखा नहीं जाता।
(ग) चलो, अब सोते हैं।
उतर :- चलो, अब सोया जाए।
(घ) मां रो भी नहीं सकती।
उत्तर :- मां से रोया नहीं जाता।
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