हम इस आर्टिकल के माध्यम से आपके लिए कक्षा 10वीं हिन्दी अध्याय 9 के एनसीईआरटी समाधान लेकर आए हैं। यह कक्षा 10वीं हिन्दी क्षितिज पाठ 9 के प्रश्न उत्तर सरल भाषा में बनाए गए हैं ताकि छात्रों को प्रश्न उत्तर समझने में आसानी हो। कक्षा 10वीं हिंदी की परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करने के लिए नीचे दिए हुए एनसीईआरटी समाधान देखें।
कक्षा | 10 |
विषय | हिंदी (क्षितिज भाग 2) |
पाठ | 1 सूरदास |
बोर्ड | सीबीएसई |
पुस्तक | एनसीईआरटी |
शैक्षणिक सत्र | 2025-26 |
प्रश्न-अभ्यास
प्रश्न 1 – लेखक को नवाब साहब के किन हाव – भावों से महसूस हुआ की वें उनसे बातचीत करने के लिए तनिक भी उत्सुक नहीं है ?
उत्तर – लेखक को अपना समय कुछ देर के लिए एकांत में बिताना था, इसलिए वह पैसेंजर ट्रेन की सेकंड क्लास में फूर्ती से चढ़ गया। जब वह ट्रेन के छोटे डिब्बे में चढ़ा तो उसने देखा कि बर्थ पूर्ण रूप से खाली होने की बजाय रिजर्व्ड थी। उस बर्थ पर एक सफेदपोश आदम बैठा था। लेखक को वह कोई लखनऊ के नवाबी किस्म का व्यक्ति लगा। लेखक को लगा कि वह अनजान व्यक्ति उसमें दिलचस्पी दिखाएगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। वह व्यक्ति लेखक पर गौर करने की बजाय ट्रेन के बाहर की ओर देखने लगा। उस आदमी के हाव भाव से ऐसा प्रतीत हुआ जैसे कि लेखक ने उस आदमी के अकेलेपन में हस्तक्षेप कर दिया हो। वह लेखक को देखकर खुश नहीं हुआ। लेखक को यह भी महसूस हुआ कि उस व्यक्ति ने उससे गुफ्तगू करने में कोई दिलचस्पी जाहिर नहीं की।
प्रश्न 2 – नवाब साहब ने बहुत ही यत्ने से खीरा काटा, नमक-मिर्च बुरका, अंततः सँधकर ही खिड़की से बाहर फेंक दिया। उन्होंने ऐसा क्यों किया होगा? उनका ऐसा करना उनके कैसे स्वभाव को इंगित करता है?
उत्तर – लेखक जब ट्रेन में चढ़ा तो उसकी नज़र बर्थ पर बैठे एक आदमी पर गई। वह आदमी नवाबी किस्म का व्यक्ति लग रहा था। जब उस आदमी को भनक पड़ी कि उस ट्रेन में उसके अलावा लेखक भी चढ़ गया था तो उसे थोड़ा अजीब लगा। उस आदमी की सीट के सामने ही दो ताजे खीरे भी पड़े थे। उस व्यक्ति ने सोचा कि अगर लेखक ने उसे खीरे जैसी अपदार्थ चीज खाते हुए देखा तो उसकी इज्जत क्या रहेगी। उस आदमी ने सोचा कि वह तो रईस है। और रईस ऐसी अपदार्थ चीज खाने में दिलचस्पी नहीं रखते। माना कि नवाब साहब ने बहुत ही यत्ने से खीरा काटा और उसपर नमक-मिर्च बुरका। नवाब साहब ने लेखक को खीरा खाने के लिए आमंत्रित किया। लेकिन जब लेखक ने खाने से मना कर दिया तो नवाब ने खीरा बिना खाए ही ट्रेन की खिड़की से बाहर फेंक दिया। ऐसा करके नवाब अपने आप को रईस खानदान का व्यक्ति दर्शाना चाहता था।
प्रश्न 3 – बिना विचार, घटना और पात्रों के भी क्या कहानी लिखी जा सकती है। यशपाल के इस विचार से आप कहाँ तक सहमत हैं?
उत्तर – लेखक के विचार एकदम सही है कि बिना विचार, घटना और पात्रों के कोई भी कहानी नहीं लिखी जा सकती है। जब भी कोई लेखक कहानी लिखने के लिए सोचता है तो उसके लिए चाहिए होता है कहानी के लिए आवश्यक तत्व, कथावस्तु। इसके अलावा चाहिए होता है कहानी के लिए आवश्यक माहौल और कहानी के पात्र। किसी भी कहानी को सफल बनाने के लिए उसका मजबूत ढांचा तैयार करना अति आवश्यक है। कहानी की शुरूआत बहुत शानदार तरीके से शुरू होनी चाहिए। और कहानी का अंत भी ऐसा होने चाहिए कि कहानी पढ़ने के बाद वह पाठकों के दिल को गहराई से छू जाए। कहानी की सारी घटनाएं और दमदार पात्र से ही कहानी बनती है।
प्रश्न 4 – आप इस निबंध को और क्या नाम देना चाहेंगे?
उत्तर – इस निबंध का नाम है लखनवी अंदाज। पर असल में इस कहानी का नाम होना चाहिए बनावटी अंदाज। ऐसा इसलिए है क्योंकि इस कहानी में जो नवाब साहब हैं वह हर चीज में दिखावा करने में बहुत विश्वास रखते हैं। उस नवाब का दिखावा हम सभी को तब देखने को मिलता है जब वह खीरे को काट लेता है और उसपर नमक मिर्च लगा देता है। हालांकि वह खीरा खाने के हिसाब से ही काटता है। लेकिन जब उसे यह लगता है कि लेखक उसके बारे में क्या सोचेगा तो वह खीरे को ट्रेन की खिड़की से फेंक देता है। नवाब साहब को लगता है कि खीरा जैसी अपदार्थ चीज खाने से उसकी शान पर चोट पहुंचेगी।
रचना और अभिव्यक्ति
प्रश्न 5 – (क) नवाब साहब द्वारा खीरा खाने की तैयारी करने का एक चित्र प्रस्तुत किया गया है। इस पूरी प्रक्रिया को अपने शब्दों में व्यक्त कीजिए।
(ख) किन-किन चीज़ों का रसास्वादन करने के लिए आप किस प्रकार की तैयारी करते हैं?
उत्तर – (क) नवाब साहब ने पहले खीरों को उठाया और उन्हें एक किनारे पर रख दिया। फिर खबरों के नीचे पड़े तौलिए को उठाया और उसे अच्छे से साफ किया। बाद में अपने सामने सीट पर तौलिया बिछाया। फिर सीट के नीचे जो पानी का लोटा पड़ा था उसे उठाया। बाद में लोटे से खीरों को धोया और धोने के बाद खीरों को रगड़ कर पोंछा। इसके बाद नवाब ने खीरों के सिर को काटा और खीरों का अच्छे से झाग निकाला। जब झाग निकल गया तो नवाब ने खीरों को काटा। काटकर खीरे की फांकों को तौलिए पर रख दिया। अंत में खीरे की फांकों पर जीरा, नमक और मिर्च का पाउडर छिड़क दिया।
(ख) हम कई प्रकार की चीजों का रसास्वादन करने के लिए अलग अलग तरह का प्रयोग करते हैं। जैसे कि केला खाने के लिए हम केले के छिलके को उतारते हैं और फिर केला खाते हैं। आम के छिलकों को उतारते हैं और आम के छोटे छोटे टुकड़े करके खाते हैं। पपीता खाने के लिए सबसे पहले पपीते को छिलते हैं और बाद में उसके बीज निकालकर उसे छोटे टुकड़ों में करके खाते हैं।
प्रश्न 6 – खीरे के संबंध में नवाब साहब के व्यवहार को उनकी सनक कहा जा सकता है। आपने नवाबों की और भी सनकों और शौक के बारे में पढ़ा- सुना होगा। किसी एक के बारे में लिखिए।
उत्तर – जी, नहीं। हमने नवाबों की सनक के बारे में कहीं नहीं पढ़ा। लेकिन हम इस कहानी को पढ़ने के बाद इतना जरूर कह सकते हैं कि नवाबों का रहन सहन आम लोगो से अलग होता है। वह अपने आप को सबसे श्रेष्ठ मानते हैं। वह आम लोगों की तरह उठना बैठना पसंद नहीं करते। वह गरीब लोगों का उपहास उड़ाते हैं। वह धरातल पर रहना नही जानते। वह हमेशा हर चीज को पैसों से तौलते हैं।
प्रश्न 7 – क्या सनक का कोई सकारात्मक रूप हो सकता है? यदि हाँ तो ऐसी सनकों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर – ऐसे देखें तो सनक का कोई सकारात्मक रूप नहीं हो सकता है। क्योंकि सनक इंसान को खराब ही करती है। लेकिन कहीं कहीं सनक सकारात्मक रूप से प्रभावशाली हो सकती है। जब सनक का काम समाज की भलाई में आए तो सनक सकारात्मक तरीके से काम करती है।
भाषा अध्ययन
प्रश्न 8. निम्नलिखित वाक्यों में से क्रियापद छाँट कर क्रिया भेद भी लिखिए –
(क) एक सफेदपोश सज्जन बहुत ही सुविधा से पालथी मार कर बैठे थे।
(ख) – नवाब साहब ने संगति के लिए कोई उत्साह नहीं दिखाया।
(ग) – ठाली बैठे हुए कल्पना करते रहने की पुरानी आदत है।
(घ) -अकेले सफर का वक़्त काटने के लिए ही खीरे खरीदे होंगे।
(ड) – दोनों खीरे के सिरे काटे उन्हें गोद कर झाग निकाला।
(च) – नवाब साहब ने सतृष्ण आँखों से नमक मिर्च के संयोग से चमकती खीरे की फाँकों की ओर देखा।
(छ) – नवाब साहब खीरे की तैयारी और इस्तेमाल से थककर लेट गए।
(ज) – जेब से चाकू निकाला।
उत्तर –
(क) बैठे थे – अकर्मक क्रिया
(ख) दिखाया – सकर्मक क्रिया
(ग) आदत है – सकर्मक क्रिया
(घ) खरीदे होंगे – सकर्मक क्रिया
(ङ) निकाला – सकर्मक क्रिया
(च) देखा – सकर्मक क्रिया
(छ) लेट गए – अकर्मक क्रिया
(ज) निकाला – सकर्मक क्रिया