हम इस आर्टिकल के माध्यम से आपके लिए कक्षा 10वीं हिन्दी अध्याय 1 के एनसीईआरटी समाधान लेकर आए हैं। यह कक्षा 10वीं हिन्दी क्षितिज के प्रश्न उत्तर सरल भाषा में बनाए गए हैं ताकि छात्रों को कक्षा 10वीं क्षितिज अध्याय 1 के प्रश्न उत्तर समझने में आसानी हो। यह सभी प्रश्न उत्तर पूरी तरह से मुफ्त हैं। इसके के लिए छात्रों से किसी प्रकार का शुल्क नहीं लिया जायेगा। कक्षा 10वीं हिंदी की परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करने के लिए नीचे दिए हुए एनसीईआरटी समाधान देखें।
कक्षा | 10 |
विषय | हिंदी (क्षितिज भाग 2) |
पाठ | 1 |
पाठ का नाम | सूरदास |
बोर्ड | सीबीएसई |
पुस्तक | एनसीईआरटी |
शैक्षणिक सत्र | 2025-26 |
प्रश्न-अभ्यास
प्रश्न 1 – गोपियों द्वारा उद्धव को भाग्यवान कहने में क्या व्यंग्य निहित है?
उत्तर :- गोपियाँ उद्धव को भाग्यवान कहकर व्यंग्य करती हैं इसका कारण यह है कि उद्धव को श्री कृष्ण के निकट रहने का अवसर मिला पर इसके बाद भी उसे श्री कृष्ण से अनुराग (प्रेम) नहीं हुआ। श्री कृष्ण के निकट रहने के बाद भी उद्धव उनके प्रेम से वंचित रहे। प्रेम सागर में रहने के बाद भी उद्धव श्री कृष्ण के प्रेम को नहीं पहचान सके यह स्थिति उनके लिए दुर्भाग्यपूर्ण है। इसलिए गोपियाँ उद्धव को भाग्यवान कहते हुए व्यंग्य करती हैं कि भला तुमसे बड़ा दुर्भाग्य किसका होगा।
प्रश्न 2 – उद्धव के व्यवहार की तुलना किस किससे की गई है?
उत्तर :- 1. तेल की बूंदों से की गई है। तेल की बूंद जिस तरह पानी में मिलती नहीं है ठीक उसी तरह उद्धव का व्यवहार है जो श्री कृष्ण के निकट रहने के बावजूद भी उनके प्रेम से प्रभावित न हो सका।
2. कमल के पत्तों से की गई है जो जल में रहने के बाद भी जिस पर जल का कोई असर नहीं होता अर्थात् उस पर जल की बूंदे ठहर नहीं पाती यही हाल उद्धव का है जो कृष्ण के निकट रहने पर भी उनके प्रेम से वंचित रहे।
प्रश्न 3 – गोपियों ने किन किन उदाहरणों के माध्यम से उद्धव को उलाहने दिए हैं?
उत्तर :- 1. गोपियाँ उद्धव की बातों को कड़वी ककड़ी के समान कहकर उलाहने दिए हैं।
2. गोपियों ने उद्धव को बड़भागी कहा है।
3. गोपियों ने उद्धव को कमल के पत्ते के समान कहा है जो कृष्ण प्रेम के निकट रहकर भी उससे वंचित रहा।
4. गोपियों ने उद्धव को नीरस कहकर भी उलाहने दिए हैं।
प्रश्न 4 – उद्धव द्वारा दिए गए योग संदेश ने गोपियों की विरहाग्नि में घी का काम कैसे किया?
उत्तर :- गोपियाँ श्री कृष्ण से मिलने की प्रतीक्षा कर रही थी। श्री कृष्ण की केवल एक झलक के लिए गोपियाँ तड़प रहीं थी वह केवल इसी आशा में थी कि श्री कृष्ण उनसे मिलने ज़रूर आएंगे और इसी से वह तृप्त हो जाएंगी। लेकिन प्रतीक्षा की घड़ी उनके विरह में वृद्धि कर रही थी। जैसे ही गोपियों के पास उद्धव योग संदेश लेकर पहुँचे तो उद्धव ने गोपियों को श्री कृष्ण को भूलने के लिए कहा और योग साधना में ध्यान लगाने को कहा इस संदेश ने गोपियों की विरहाग्नि में घी का काम किया।
प्रश्न 5 – “मरजादा न लही” के माध्यम से कौन-सी मर्यादा न रहने की बात की जा रही है?
उत्तर :- “मरजादा न लही” के ज़रिए प्रेम की मर्यादा न रहने की बात कही जा रही है। गोपियों को पूर्ण विश्वास था कि श्री कृष्ण उनसे मिलने ज़रूर आएंगे उन्हें लगा था कि श्री कृष्ण भी उनके प्रति वैसा ही प्रेम निर्वाह रखेंगे जैसा वह उनके प्रति रखती हैं। लेकिन श्री कृष्ण ने उद्धव के हाथ जब योग संदेश भिजवाया तो इससे स्पष्ट हो गया कि कृष्ण ने प्रेम की मर्यादा नहीं रखी।
प्रश्न 6 – कृष्ण के प्रति अपने अनन्य प्रेम को गोपियों ने किस प्रकार अभिव्यक्त किया है?
उत्तर :- गोपियाँ प्रतिदिन कृष्ण को याद करती हैं। गोपियों ने अपनी तुलना हारिल पक्षी से की है। यह एक ऐसा पक्षी होता है जो अपने पंजे में लकड़ी या तिनके को पकड़े रहता है और छोड़ता नहीं है। ठीक इसी तरह गोपियों ने कृष्ण प्रेम रूपी लकड़ी को पकड़ा हुआ है। गोपियों ने मन, क्रम, वचन से कृष्ण को धारण किया हुआ है। गोपियों ने अपनी तुलना चींटी से की है और कृष्ण की तुलना गुड़ से की है कृष्ण उस गुड़ की तरह है जिस पर चींटियाँ चिपकी रहती है। गोपियाँ दिन रात कृष्ण को याद करती हैं कृष्ण के बिछड़ने मात्र संदेश से वह व्यथित हो उठती हैं।
प्रश्न 7 – गोपियों ने उद्धव से योग की शिक्षा कैसे लोगों को देने की बात कही है?
उत्तर :- गोपियों के अनुसार उद्धव को योग शिक्षा ऐसे लोगों को देनी चाहिए जिनका मन चंचल होता है। जिनका मन स्थिर नहीं है जबकि गोपियों का मन तो कृष्ण प्रेम में लगा हुआ है। गोपियों का मन कृष्ण प्रेम के प्रति स्थिर है वह बदलने वाला नहीं है इसलिए उन्हें योग शिक्षा की ज़रूरत नहीं है।
प्रश्न 8 – प्रस्तुत पद के आधार पर गोपियों का योग साधना के प्रति दृष्टिकोण स्पष्ट करें।
उत्तर :- गोपियों ने योग को व्यर्थ और नीरस माना है उनके अनुसार योग साधना प्रेम का स्थान नहीं ले सकती। क्योंकि योग साधना से ईश्वर को प्राप्त नहीं किया जा सकता केवल प्रेम से ही ईश्वर को प्राप्त करना संभव है। योग साधना तो केवल उन लोगों के लिए है जिनका मन स्थिर नहीं है जिनका मन इधर उधर भटकता है। जबकि गोपियों को तो योग साधना की ज़रुरत नहीं है उनका मन तो कृष्ण साधना में लगा हुआ है।
प्रश्न 9 – गोपियों के अनुसार राजा का धर्म क्या होना चाहिए?
उत्तर :- गोपियों के अनुसार एक राजा का धर्म होता है अपनी प्रजा को अन्याय से बचाना और निस्वार्थ अपने राजधर्म का पालन करना है।
प्रश्न 10 – गोपियों को कृष्ण में ऐसे कौन-से परिवर्तन दिखाई दिए जिनके कारण वे अपना मन वापस पा लेने की बात कहती हैं ?
उत्तर :- गोपियों को लगता है कृष्ण मथुरा जाकर काफी बदल गए हैं वह उनसे प्रेम नहीं करते इसलिए वह स्वयं उनसे मिलने नहीं आए । दूसरा, कृष्ण में राजा बनने के बाद उनमें छल उत्पन्न हो गया है इसलिए प्रेम संदेश के स्थान पर योग संदेश भेज रहे हैं। श्री कृष्ण के इस कदम से गोपियों का हृदय काफी दुखा है इसलिए वह अपना मन वापस लेने की बात कहती हैं।
प्रश्न 11 – गोपियों ने अपने वाक्चातुर्य के आधार पर ज्ञानी उद्धव को परास्त कर दिया, उनके वाक्चातुर्य की विशेषताएँ लिखिए?
उत्तर :- गोपियों की वाक्चातुर्य की सबसे पहली विशेषता है कि वह बिना किसी संकोच के उद्धव को स्पष्ट कह देती हैं कि उसके द्वारा लाया गया योग संदेश कड़वी ककड़ी के समान है। गोपियाँ व्यंग्य करने में निपुण है वह अपनी तर्कक्षमता के आधार पर उद्धव को बार बार निरुत्तर कर देती हैं।
प्रश्न 12 – संकलित पदों को ध्यान में रखते हुए सूर के भ्रमरगीत की मुख्य विशेषताएँ बताइए?
उत्तर :- इसमें गोपियों का कृष्ण के प्रति निरछल प्रेम प्रकट हुआ है। भ्रमरगीत में व्यंग्य, कटाक्ष, उलाहना, प्रार्थना, गुहार अनेक मनोभावों का वर्णन हुआ है। इसमें प्रेम के समक्ष योग साधना को तुच्छ दिखाया गया है। इसमें ब्रजभाषा की कोमलता और मधुरता के भाव प्रकट होते हैं। भाषा अलंकार युक्त है इसमें योग और प्रेममार्ग का द्वंद्व दिखाया गया है।
रचना और अभिव्यक्ति:-
प्रश्न 13 – गोपियों ने उद्धव के सामने तरह–तरह के तर्क दिए हैं, आप अपनी कल्पना से और तर्क दीजिए।
उत्तर :- 1 उद्धव पर तो कृष्ण का प्रभाव पड़ा नहीं पर लगता है कृष्ण पर उद्धव का असर होने लगा है।
2 हम गोपियाँ योग साधना पर नहीं प्रेम साधना पर विश्वास करती हैं।
3 जिस ब्रह्मा के पास गुण नहीं है उसकी उपासना हम नहीं कर सकते।
4 हम उस साधना को अस्वीकार करते हैं जिसकी वजह से हमें प्रेम साधना को त्यागना पड़े।
प्रश्न 14 – उद्धव ज्ञानी थे, नीति की बातें जानते थे ; गोपियों के पास ऐसी कौन–सी शक्ति थी जो उनके वाक्चातुर्य में मुखिरत हो उठी?
उत्तर :- गोपियाँ व्यंग्य करने में माहिर थी वह अपनी बात को स्पष्ट तरीके से कहना जानती थी। गोपियों ने उद्धव की भी बोलती बंद कर दी थी जब उद्धव कृष्ण के कहने पर योग संदेश लाए थे। गोपियों के हृदय में कृष्ण के लिए सच्चा प्रेम है और इसी प्रेम की वजह से उद्धव ने भी घुटने टेक दिए थे। कृष्ण वियोग में गोपियों का प्रेम चरम सीमा तक पहुंच गया था। गोपियों के पास इसी प्रेम की शक्ति थी जो उनके वाक्चातुर्य में मुखिरत हो उठी।
प्रश्न 15 – गोपियों ने ये क्यूँ कहा कि हरी अब राजनीति पढ़ आए हैं ? क्या आपको गोपियों के इस कथन का विस्तार समकालीन राजनीति में नजर आता है, स्पष्ट करें।
उत्तर :- गोपियों को लगता है कृष्ण मथुरा जाकर काफी बदल गए हैं वह उनसे प्रेम नहीं करते इसलिए वह स्वयं उनसे मिलने नहीं आए । दूसरा, कृष्ण में राजा बनने के बाद उनमें छल उत्पन्न हो गया है इसलिए उन्होंने स्पष्ट बात न करके उद्धव के माध्यम से अपना संदेश उन तक पहुंचाया। गोपियों का यह कथन हरी अब राजनीति पढ़ आए हैं कहीं न कहीं आज की छल कपट राजनीति को परिभाषित करता है। कृष्ण ने गोपियों से मिलने का वादा किया था लेकिन पूरा नहीं किया ठीक वैसे ही राजनीति में भी लोग वादे करके भूल जाते हैं।