हम इस आर्टिकल के माध्यम से आपके लिए कक्षा 10वीं हिन्दी अध्याय 3 आत्मकथ्य के एनसीईआरटी समाधान लेकर आए हैं। कक्षा 10 आत्मकथ्य के प्रश्न उत्तर सरल भाषा में बनाए गए हैं ताकि छात्रों को प्रश्न उत्तर समझने में आसानी हो। यह सभी कक्षा 10 हिंदी क्षितिज पाठ 3 प्रश्न उत्तर पूरी तरह से मुफ्त हैं। इसके के लिए छात्रों से किसी प्रकार का शुल्क नहीं लिया जायेगा। कक्षा 10वीं हिंदी की परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करने के लिए नीचे दिए हुए एनसीईआरटी समाधान देखें।
कक्षा | 10 |
विषय | हिंदी (क्षितिज भाग 2) |
पाठ | 3 आत्मकथ्य (जयशंकर प्रसाद) |
बोर्ड | सीबीएसई |
पुस्तक | एनसीईआरटी |
शैक्षणिक सत्र | 2025-26 |
प्रश्न-अभ्यास
प्रश्न 1- कवि आत्मकथा लिखने से क्यों बचना चाहता है?
उत्तर :- कवि आत्मकथा लिखने से इसलिए बचना चाहता है क्योंकि वह जानता है उसके जीवन की ऐसी कोई उपलब्धि नहीं है जिसका उल्लेख वह आत्मकथा में करें। उसका जीवन अभावों और दुर्बलता से भरा हुआ है उसका बखान करके वह अपने व्यक्तिगत जीवन का उपहास नहीं करना चाहता। कवि का कहना है बीती बातों को फिर से आत्मकथा के ज़रिए याद करना अपने दुखों को फिर से हरा करना है इसलिए कवि आत्मकथा लिखने से बचना चाहता है।
प्रश्न 2- आत्मकथा सुनाने के संदर्भ में ‘अभी समय भी नहीं’ कवि ऐसा क्यों कहता है?
उत्तर :- कवि का जीवन पीड़ा से भरा रहा है मुश्किल से उसे अपने दुखों से मुक्ति मिली है। आत्मकथा लिखकर वह फिर से बीती बातों को याद करके दुखी नहीं होना चाहता और अपने जीवन को उपहास का पात्र नहीं बनाना चाहता। वह अपने जीवन के बीते उन पलों को याद करके फिर से दुखी नहीं होना चाहता। कवि को ऐसा भी लगता है उसे अपने जीवन में अभी कोई खास उपलब्धि नहीं मिली है जिसके बारे में लिखकर वह लोगों को प्रेरित कर सके इसलिए कवि आत्मकथा सुनाने के संदर्भ में “अभी समय भी नहीं” वाली बात कहता है।
प्रश्न 3- स्मृति को ‘पाथेय’ बनाने से कवि का क्या आशय है?
उत्तर :- पाथेय का शाब्दिक अर्थ “रास्ते का भोजन” या सहारा होता है जो यात्रा के दौरान यात्री का सहारा होता है। लेकिन कवि ने बीती यादों (स्मृति) को अपनी जीवन यात्रा का सहारा बना लिया है। कवि की प्रेयसी उनके पास नहीं है वह उनसे दूर हो गई है कवि हर पल उसकी याद में जीते हैं अब केवल प्रेयसी की स्मृतियाँ उनके जीवन का सहारा है।
प्रश्न 4 – भाव स्पष्ट कीजिए –
(क) मिला कहाँ वह सुख जिसका मैं स्वप्न देखकर जाग गया।
आलिंगन में आते-आते मुसक्या कर जो भाग गया।
(ख) जिसके अरुण कपोलों की मतवाली सुंदर छाया में।
अनुरागिनी उषा लेती थी निज सुहाग मधुमाया में।
उत्तर :- (क) कवि कह रहा है कि जिस सुख अर्थात प्रेम का सपना कवि ने देखा था वह उसका पूरा नहीं हुआ है। उसने जिस सुख की कल्पना की थी उससे वह वंचित रहा है। इन पंक्तियों में सुख को छलावा मात्र कहा गया है सुख केवल कुछ समय के लिए रहता है ये सपने की तरह जल्दी समाप्त हो जाता है।
(ख) इन पंक्तियों में कवि ने अपनी प्रेयसी की सुंदरता का वर्णन किया है उन्होंने अपनी प्रिय की सुंदरता की तुलना उषा (भोर) से की है वह कहते हैं भोर की बेला भी लालिमा रूप उसके गालों से लेती थी उसके मुख की सुंदरता भोर की लालिमा से भी बढ़कर थी।
प्रश्न 5-‘उज्ज्वल गाथा कैसे गाऊँ, मधुर चाँदनी रातों की’ – कथन के माध्यम से कवि क्या कहना चाहता है?
उत्तर :- कवि इस कथन के माध्यम से कहना चाहता है कि उसने अपनी प्रिय के साथ चाँदनी रात में सुख के पलों को बिताया है अब ये पल और उसकी यादें कवि के लिए उज्ज्वल गाथा की तरह है जो उसके अंधकार जीवन में आगे बढ़ने का एकमात्र सहारा बनकर रह गया है। कवि इन पलों को किसी के साथ बाँटना नहीं चाहता वह इन पलों को केवल अपने तक ही सीमित रखना चाहता है।
प्रश्न 6-‘आत्मकथ्य’ कविता की काव्यभाषा की विशेषताएँ उदाहरण सहित लिखिए।
उत्तर :-
- कविता में कवि ने खड़ी बोली हिन्दी भाषा का प्रयोग किया है।
- अलंकारों का सुंदर प्रयोग किया गया है। जैसे खिल-खिलाकर, आते-आते में पुनरुक्ति अलंकार है, अनुरागी उषा में अनुप्रास अलंकार है।
- प्रतीकात्मक शब्दों का प्रयोग किया गया है।
- मनोभावों में सजीवता लाने के लिए बिंबों का प्रयोग किया जैसे- अरुण कपोलों की मतवाली सुंदर छाया में है।
- नवीन शब्दों का भी प्रयोग किया गया है जैसे- विडंबना, प्रवंचना।
- प्रसाद जी की कविताओं में छायावाद की विशेषता भी देखने को मिलती है।
प्रश्न 7- कवि ने जो सुख का स्वप्न देखा था उसे कविता में किस रूप में अभिव्यक्त किया है?
उत्तर :- कवि ने अपने सुख के लम्हों को नायिका के माध्यम से व्यक्त किया है। कवि कहता है नायिका केवल उसके स्वप्न में आती है अर्थात् सुख के पल केवल स्वप्न में आते हैं। वास्तविक जीवन से इसका कोई लेना देना नहीं है कवि कहते हैं जिस सुख की कल्पना उसने की थी वह कभी उन्हें नहीं मिला उनका जीवन हमेशा से सुख से वंचित रहा है। कवि का कहना है कि जीवन में सुख केवल कुछ पल के लिए होता है हम जिसे सुख समझते हैं वह अधिक समय तक नहीं रहता स्वप्न की तरह जल्दी समाप्त हो जाता है।
रचना और अभिव्यक्ति
प्रश्न 8 – इस कविता के माध्यम से प्रसाद जी के व्यक्त्तित्व की जो झलक मिलती है, उसे अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर :- प्रसाद जी का सीधा सादा व्यक्तित्व है वह दिखावा पसंद नहीं करते हैं वह अपने दुखों को केवल अपने तक रखना चाहते हैं। प्रसाद जी के व्यक्तिव में भोलापन भी है वह गंभीर और मर्यादित किस्म के हैं वह अपने जीवन के सुख दुख को लोगों के समक्ष व्यक्त नहीं करना चाहते ऐसा करके वह अपने जीवन को लोगों के समक्ष हँसी का पात्र नहीं बनाना चाहते। प्रसाद जी का खुद को दुर्बल कहना उनके विनम्र स्वभाव को भी प्रकट करता है।
प्रश्न 9 – आप किन व्यक्तियों की आत्मकथा पढ़ना चाहेंगे और क्यों ?
उत्तर :- छात्र स्वयं करें।
प्रश्न 10 – कोई भी अपनी आत्मकथा लिख सकता है। उसके लिए विशिष्ट या बड़ा होना जरूरी नहीं। हरियाणा राज्य के गुड़गाँव में घरेलू सहायिका के रुप में काम करने वाली बेबी हालदार की आत्मकथा बहुतों के द्वारा सराही गई। आत्मकथात्मक शैली में अपने बारे में कुछ लिखिए।
उत्तर :- छात्र स्वयं करें।