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Ncert Solutions for class 9 Hindi Sparsh chapter 4
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पाठ : 4 वैज्ञानिक चेतना के वाहक चंद्रशेखर वेंकट रामन
प्रश्न-अभ्यास
मौखिक
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए :-
प्रश्न 1 – रामन भावुक प्रकृति प्रेमी के अलावा और क्या थे?
उत्तर :- रामन भावुक प्रकृति प्रेमी के अलावा अंदर एक वैज्ञानिक की जिज्ञासा भी रखते थे जो कि सशक्त थी।
प्रश्न 2 – समुंद्र को देखकर रामन के मन में कौन-सी जिज्ञासाएँ उठीं?
उत्तर :- समुंद्र को देखकर उनके मन में जिज्ञासाएँ उठी कि आखिर समुंद्र का रंग नीला क्यूँ होता है कुछ और क्यों नहीं।
प्रश्न 3 – रामन के पिता ने उनमें किन विषयों की सशक्त नींव डाली?
उत्तर :- रामन के पिता ने उनमें गणित और भौतिकी के विषयों की सशक्त नींव डाली।
प्रश्न 4 – वाद्ययंत्रों की ध्वनियों के अध्ययन के द्वारा रामन क्या करना चाहते थे?
उत्तर :- रामन वाद्ययंत्रों की ओर आकृष्ट होते हुए वाद्ययंत्रों की ध्वनियों के पीछे छिपे वैज्ञानिक रहस्यों की परतें खोलने का प्रयास कर रहे थे। वे अनेक वाद्ययंत्रों के अध्ययन द्वारा देखना चाहते थे जिनमें देशी और विदेशी दोनों प्रकार के वाद्ययंत्र थे। अपने शोधकार्यों के दौरान उनके अध्ययन के दायरे में जहाँ वायलिन, चैलो या पियानो जैसे विदेशी वाद्य आए, वहीं वीणा, तानपूरा पर भी उन्होंने काम किया। उन्होंने वैज्ञानिक सिद्धांतों के आधार पर पश्चिमी देशों की इस भ्रांति को तोड़ने की कोशिश की कि भारतीय वाद्ययंत्र विदेशी वाद्यों की तुलना में घटिया हैं।
प्रश्न 5 – सरकारी नौकरी छोड़ने के पीछे रामन की क्या भावना थी?
उत्तर :- सरकारी नौकरी छोड़कर वे विश्वविद्यालय में आकर नौकरी करना चाहते थे। उनके लिए सरस्वती की साधना सरकारी सुख-सुविधओं से अधिक महत्वपूर्ण थी। वे कलकत्ता विश्वविद्यालय के शैक्षणिक माहौल में अपना पूरा समय अध्ययन, अध्यापन और शोध में बिताना चाहते थे।
प्रश्न 6 – रामन प्रभाव’ की खोज के पीछे कौन-सा सवाल हिलोरें ले रहा था?
उत्तर :- इस खोज के पीछे उनके मस्तिष्क में समुंद्र के नीले रंग की वजह का सवाल हिलोरें ले रहा था।
प्रश्न 7 – प्रकाश तरंगों के बारे में आइंस्टाइन ने क्या बताया?
उत्तर :- आइंस्टाइन ने बताया कि प्रकाश अति सूक्ष्म कणों की तीव्र धारा के समान है। इन अति सूक्ष्म कणों की तुलना आइंस्टाइन ने बुलेट से की और इन्हें ‘फोटॉन’ नाम दिया।
प्रश्न 8 – रामन की खोज ने किन अध्ययनों को सहज बनाया?
उतर :- रामन की खोज ने पदार्थों के अणुओं और परमाणुओं की आंतरिक संरचना के अध्ययनों को सहज बनाया।
लिखित
(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए:-
प्रश्न 1 – कॉलेज के दिनों में रामन की दिली इच्छा क्या थी?
उत्तर :- रामन का मस्तिष्क विज्ञान के रहस्यों को सुलझाने के लिए बचपन से ही बेचैन रहता था। उनकी दिली इच्छा तो यही थी कि वे अपना सारा जीवन शोधकार्यों को ही समर्पित कर दें, मगर उन दिनों शोधकार्य को पूरे समय के कैरियर के रूप में अपनाने की कोई खास व्यवस्था नहीं थी।
प्रश्न 2 – वाद्ययंत्रों पर की गई खोजों से रामन् ने कौन-सी भ्रांति तोड़ने की कोशिश की?
उत्तर :- उन्होंने वैज्ञानिक सिद्धांतों के आधार पर पश्चिमी देशों की इस भ्रांति को तोड़ने की कोशिश की कि भारतीय वाद्ययंत्र विदेशी वाद्यों की तुलना में घटिया हैं।
प्रश्न 3 – रामन के लिए नौकरी संबंधी कौन-सा निर्णय कठिन था?
उत्तर :- जब मुखर्जी महोदय ने रामन् के समक्ष प्रस्ताव रखा कि वे सरकारी नौकरी छोड़कर कलकत्ता विश्वविद्यालय में प्रोफ़ेसर का पद स्वीकार कर लें। उस जमाने के हिसाब से वे एक अत्यंत प्रतिष्ठित सरकारी पद पर थे, जिसके साथ मोटी तनख्वाह और अनेक सुविधाएँ जुड़ी हुई थीं। उन्हें नौकरी करते हुए दस वर्ष बीत चुके थे। ऐसी हालत में सरकारी नौकरी छोड़कर कम वेतन और कम सुविधाओं वाली नौकरी करना एक कठिन काम था।
प्रश्न 4 – सर चंद्रशेखर वेंकट रामन को समय-समय पर किन-किन पुरस्कारों से सम्मानित किया गया?
उत्तर :- उन्हें सन् 1924 में रॉयल सोसाइटी की सदस्यता से सम्मानित किया गया। सन् 1929 में उन्हें ‘सर’ की उपाधि प्रदान की गई। ठीक अगले ही साल उन्हें विश्व के सर्वोच्च पुरस्कार- भौतिकी में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उन्हें और भी कई पुरस्कार मिले, जैसे रोम का मंत्यूसी पदक, रॉयल सोसाइटी का ह्यूज़ पदक, फिलोडेल्फिया इंस्टीट्यूट का फ्रैंकलिन पदक, सोवियत रूस का अंतर्राष्ट्रीय लेनिन पुरस्कार आदि। सन् 1954 में रामन् को देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया। वे नोबेल पुरस्कार पानेवाले पहले भारतीय वैज्ञानिक थे।
प्रश्न 5 – रामन को मिलने वाले पुरस्कारों ने भारतीय-चेतना को जाग्रत किया। ऐसा क्यों कहा गया है?
उत्तर :- ऐसा इसलिए कहा गया है क्योंकि उन्हें मिलने वाले सम्मानों ने भारत को एक नया आत्म-सम्मान और आत्मविश्वास दिया। सभी का ध्यान विज्ञान कि तरफ आकर्षित होने से अर्थात् विज्ञान के क्षेत्र में आगे बढ़ने से नई भारतीय चेतना जाग्रत हुई।
(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए:-
प्रश्न 1 – रामन के प्रारंभिक शोधकार्यों को आधुनिक हठयोग क्यों कहा गया है?
उत्तर :- अपने महान उद्देश्यों के बावजूद रामन् और उनकी संस्था के पास साधनों का नितांत अभाव था। रामन् इस संस्था की प्रयोगशाला में कामचलाऊ उपकरणों का इस्तेमाल करते हुए शोधकार्य करते। यह अपने आपमें एक आधुनिक हठयोग का उदाहरण था, जिसमें एक साधक दफ़्तर में कड़ी मेहनत के बाद बहू बाजार की इस मामूली सी प्रयोगशाला में पहुँचता और अपनी इच्छाशक्ति के जोर से भौतिक विज्ञान को समृद्ध बनाने के प्रयास करता।
प्रश्न 2 – रामन की खोज ‘रामन प्रभाव’ क्या है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :- रामन द्वारा इतनी खोज की गई कि उनकी खोजों को ‘रामन प्रभाव’ खोज नाम दिया गया। उन्होंने बताया कि जब एकवर्णीय प्रकाश की किरण किसी तरल या ठोस रवेदार पदार्थ से गुजरती है तो गुज़रने के बाद उसके वर्ण में परिवर्तन आता है। वजह यह होती है कि एकवर्णीय प्रकाश की किरण के फोटॉन जब तरल या ठोस रखे से गुज़रते हुए इनके अणुओं से टकराते हैं तो इस टकराव के परिणामस्वरूप वे या तो ऊर्जा का कुछ अंश खो देते हैं या पा जाते हैं। दोनों ही स्थितियाँ प्रकाश के वर्ण (रंग) में बदलाव लाती हैं।
प्रश्न 3 – रामन् प्रभाव’ की खोज से विज्ञान के क्षेत्र में कौन-कौन से कार्य संभव हो सके?
उत्तर :- रामन् की खोज की वजह से पदार्थों के अणुओं और परमाणुओं की आंतरिक संरचना का अध्ययन सहज हो गया। पहले इस काम के लिए इंफ्रा रेड स्पेक्ट्रोस्कोपी का सहारा लिया जाता था। यह मुश्किल तकनीक है और गलतियों की संभावना बहुत अधिक रहती है। रामन् की खोज के बाद पदार्थों की आणविक और परमाणविक संरचना के अध्ययन के लिए रामन् स्पेक्ट्रोस्कोपी का सहारा लिया जाने लगा। यह तकनीक एकवर्णीय प्रकाश के वर्ण में परिवर्तन के आधार पर पदार्थों के अणुओं और परमाणुओं की संरचना की सटीक जानकारी देती है। इस जानकारी की वजह से पदार्थों का संश्लेषण प्रयोगशाला में करना तथा अनेक उपयोगी पदार्थों का कृत्रिम रूप से निर्माण संभव हो गया है।
प्रश्न 4 – देश को वैज्ञानिक दृष्टि और चिंतन प्रदान करने में सर चंद्रशेखर वेंकट रामन् के महत्त्वपूर्ण योगदान पर प्रकाश डालिए।
उत्तर :- रामन् का वैज्ञानिक व्यक्तित्व प्रयोगों और शोधपत्र – लेखन तक ही सिमटा हुआ नहीं था। उनके अंदर एक राष्ट्रीय चेतना थी और वे देश में वैज्ञानिक दृष्टि और चिंतन के विकास के प्रति समर्पित थे। उन्हें अपने शुरुआती दिन हमेशा ही याद रहे, जब उन्हें ढंग की प्रयोगशाला और उपकरणों के अभाव में काफ़ी संघर्ष करना पड़ा था। इसीलिए उन्होंने एक अत्यंत उन्नत प्रयोगशाला और शोध संस्थान की स्थापना की। भौतिक शास्त्र में अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने इंडियन जरनल ऑफ़ फ़िज़िक्स नामक शोध पत्रिका प्रारंभ की। अपने जीवनकाल में उन्होंने सैकड़ों शोध छात्रों का मार्गदर्शन किया। जिस प्रकार एक दीपक से अन्य कई दीपक जल उठते हैं, उसी प्रकार उनके शोध छात्रों ने आगे चलकर काफ़ी अच्छा काम किया। विज्ञान के प्रचार-प्रसार के लिए वे करेंट साइंस नामक एक पत्रिका का भी संपादन करते थे। उन्होंने अपने व्यक्तित्व के प्रकाश की किरणों से पूरे देश को आलोकित और प्रभावित किया। रामन् वैज्ञानिक चेतना और दृष्टि की साक्षात प्रतिमूर्ति थे।
प्रश्न 5 – सर चंद्रशेखर वेंकट रामन् के जीवन से प्राप्त होने वाले संदेश को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर :- उन्होंने हमें हमेशा ही यह संदेश दिया कि हम अपने आसपास घट रही विभिन्न प्राकृतिक घटनाओं की छानबीन एक वैज्ञानिक दृष्टि से करें। उन्होंने अपनी सरकारी नौकरी छोडकर पढ़ाना शुरू किया, जिससे लोगों को यह संदेश मिला कि कुछ चीज़े लोगों की सहूलियत के हिसाब से भी करनी चाहिए। उन्होंने जीवन में कष्ट भोगते हुए भी कई शोधकार्य पूरे किए। उन्होंने अपनी भारतीय संस्कृति को सबसे अहम रखा। अंतराष्ट्रीय प्रसिद्धि के बाद भी अपने भारतीय पहनावे को नहीं छोड़ा। लोगों को संदेश दिया कि प्रसिद्धि के बाद भी हमें अहंकार जैसी चीज़ को अपने पास नहीं भटकने देना चाहिए।
(ग) निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए:-
प्रश्न 1 – उनके लिए सरस्वती की साधना सरकारी सुख-सुविधाओं से कहीं अधिक महत्त्वपूर्ण थी।
उत्तर :- इससे अभिप्राय यह है कि रामन् के अंदर वैज्ञानिक की सशक्त जिज्ञासा थी। वे और कामों से समय निकालकर ज्यादा समय शोध करने में लगाते। उन्होंने अपनी सरकारी नौकरी भी छोड़ दी क्योंकि उनके लिए विद्या महत्वपूर्ण थी और विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के पद पर काम किया।
प्रश्न 2 – हमारे पास ऐसी न जाने कितनी ही चीजें बिखरी पड़ी हैं, जो अपने पात्र की तलाश में हैं।
उत्तर :- इससे तात्पर्य यह है कि हमारी इतनी बड़ी दुनिया में ऐसी कई चीज़े है जो इधर-उधर बिखरी हुई है जिनके बारे में किसी को नहीं पता कि यह चीज़ क्या है क्यूँ है कैसे ये पूर्ण होगी और वो इस इंतज़ार में रहती है कि कोई हो जो हमें परिपूर्ण करें। हमें बस उन चीजों का पता लगाना है अर्थात् उन्हें ढूंढ़ने की जरूरत है।
प्रश्न 3 – यह अपने आपमें एक आधुनिक हठयोग का उदाहरण था।
उत्तर :- इस वाक्य से आशय यह है कि रामन् के पास समय और साधन का बहुत अभाव था।फिर भी वे समय निकालकर और कामचलाऊ उपकरणों से अपने शोध के कार्य को पूरा करते जिसे एक आधुनिक हठयोग का उदाहरण माना गया है।
(घ) उपयुक्त शब्द का चयन करते हुए रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए:-
इंफ्रा रेड स्पेक्ट्रोस्कोपी, इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टिवेशन ऑफ साइंस, फिलॉसॉफिकल मैगज़ीन, भौतिकी, रामन् रिसर्च इंस्टीट्यूट।
1. रामन् का पहला शोध पत्र …………में प्रकाशित हुआ था।
2. रामन् की खोज …………के क्षेत्र में एक क्रांति के समान थी।
3. कलकत्ता की मामूली-सी प्रयोगशाला का नाम ………था।
4. रामन् द्वारा स्थापित शोध संस्थान ………नाम से जानी जाती है।
5. पहले पदार्थों के अणुओं और परमाणुओं की आंतरिक संरचना का अध्ययन करने के लिए ……………. का सहारा लिया जाता था।
उतर :- (क) रामन् का पहला शोध पत्र फिलॉसॉफिकल मैगज़ीन में प्रकाशित हुआ था।
(ख) रामन् की खोज भौतिकी के क्षेत्र में एक क्रांति के समान थी।
(ग) कलकत्ता की मामूली-सी प्रयोगशाला का नाम ‘इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टिवेशन ऑफ साइंस’ था।
(घ) रामन् द्वारा स्थापित शोध संस्थान ‘रामन् रिसर्च इंस्टीट्यूट’ के नाम से जाना जाता है।
(ड़) पहले अणुओं और परमाणुओं की आंतरिक संरचना का अध्ययन करने के लिए इंफ्रारेड स्पेक्ट्रोस्कोपी का सहारा लिया जाता था।
भाषा-अध्ययन
प्रश्न 1 – नीचे कुछ समानदर्शी शब्द दिए जा रहे हैं जिनका अपने वाक्य में इस प्रकार प्रयोग करें कि उनके अर्थ का अंतर स्पष्ट हो सके।
(क) प्रमाण ………….
(ख) प्रणाम …………….
(ग) धारणा ……………
(घ) धारण …………..
(ङ) पूर्ववर्ती ………….
(छ) परवर्ती …………
(छ) परिवर्तन ………..
(ज) प्रवर्तन …………..
उत्तर :- तुम्हें अपनी बेगुनाही का प्रमाण देना ही होगा।
हमें सदैव प्रातः उठकर माता-पिता को प्रणाम करना चाहिए।
तुम मेरे बारे में गलत धारणा मत रखो।
तुम यह माला धारण करो।
पूर्ववर्ती हुए न्यूटन के अविष्कारों के बारे में पता करो।
हिंदी संस्कृत तथा प्राकृत की परवर्ती भाषा है।
दुनिया में परिवर्तन होते ही रहते है।
स्त्री विमर्श पर मुझे विषय प्रवर्तन करना था।
प्रश्न 2 – रेखांकित शब्द के विलोम शब्द का प्रयोग करते हुए रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए:-
(क) मोहन के पिता मन से सशक्त होते हुए भी तन से …………हैं।
(ख) अस्पताल के अस्थायी कर्मचारियों को ………… रूप से नौकरी दे दी गई है।
(ग) रामन् ने अनेक ठोस रवों और ………पदार्थों पर प्रकाश की किरण के प्रभाव का अध्ययन किया।
(घ) आज बाज़ार में देशी और ………दोनों प्रकार के खिलौने उपलब्ध हैं।
(ङ) सागर की लहरों का आकर्षण उसके विनाशकारी रूप को देखने के बाद ……………. में परिवर्तित हो जाता है।
उत्तर:- (क) मोहन के पिता मन से सशक्त होते हुए भी तन से अशक्त हैं।
(ख) अस्पताल के अस्थायी कर्मचारियों को स्थायी रूप से नौकरी दे दी गई है।
(ग) रामन् ने अनेक ठोस रवों और तरल पदार्थों पर प्रकाश की किरण के प्रभाव का अध्ययन किया।
(घ) आज बाजार में देशी और विदेशी दोनों प्रकार के खिलौने उपलब्ध हैं।
(ड़) सागर की लहरों का आकर्षण उसके विनाशकारी रूप को देखने के बाद विकर्षण में परिवर्तित हो जाता है।
प्रश्न 3 – नीचे दिए उदाहरण में रेखांकित अंश में शब्द-युग्म का प्रयोग हुआ है:-
उदाहरण- चाऊतान को गाने-बजाने में आनंद आता है।
उदाहरण के अनुसार निम्नलिखित शब्द-युग्मों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए-
- सुख-सुविधा ………..
- अच्छा-खासा …………
- प्रचार-प्रसार ………….
- आस-पास ………….
उत्तर :- (क) इस माहौल में तुम्हें यह सुख-सुविधा कैसे प्राप्त हुई?
(ख) इस कंपनी में तो तुम्हें अच्छा-खासा काम मिल गया।
(ग) तुम अपनी घर से जुड़ी बातों का कम प्रचार-प्रसार किया करो।
(घ) तुम्हारे शहर के आस-पास कितने स्कूल है?
प्रश्न 4 – प्रस्तुत पाठ में आए अनुस्वार और अनुनासिक शब्दों को निम्न तालिका में लिखिए:-
(क) अंदर (क) ढूँढ़ते
(ख)…….(ख)
(ग)…… (ग)……
(घ)……… (घ)…….
(ङ)………. (ङ)……….
उत्तर :- ( ख) असंख्य (ख) गिरते
(ग) रंग (ग) छिपे
(घ) अंक (घ) हटाने
(ङ) साइंस (ङ) ऊंचे
वाद्ययंत्र करते
प्रश्न 5 – पाठ में निम्नलिखित विशिष्ट भाषा प्रयोग आए हैं। सामान्य शब्दों में इनका आशय स्पष्ट कीजिए:-
घंटों खोए रहते, स्वाभाविक रुझान बनाए रखना, अच्छा-खासा काम किया, हिम्मत का काम था, सटीक जानकारी, काफ़ी ऊँचे अंक हासिल किए, कड़ी मेहनत के बाद खड़ा किया था, मोटी तनख्वाह।
उत्तर :- (क) घंटो खोए रहते :- किसी चीज़ में काफी समय तक लीन रहना
(ख) स्वाभाविक रुझान बनाए रखना :- सही रूप से रूचि बनाए रखना
(ग) अच्छा-खासा काम किया :- ज्यादा काम करना
(घ) हिम्मत का काम था :- मुश्किल का काम
(ड़) सटीक जानकारी :- सही और सम्पूर्ण जानकारी
(च) काफी ऊंचे अंक हासिल किए :- अच्छे अंक मिलना
(छ) कड़ी मेहनत के बाद खड़ा किया था :- ज्यादा मेहनत के बाद कुछ हासिल करना
(ज) मोटी तनख्वाह :- अच्छी मोटा वेतन
प्रश्न 6 – पाठ के आधार पर मिलान कीजिए:-
नीला
पिता
तैनाती
उपकरण
घटिया
फोटॉन
भेदन
उत्तर :- नीला समुंद्र
पिता नींव
तैनाती कलकत्ता
उपकरण कामचलाऊ
घटिया भारतीय वाद्ययंत्र
फोटॉन वैज्ञानिक रहस्य
भेदन रव
प्रश्न 7 – पाठ में आए रंगों की सूची बनाइए। इनके अतिरिक्त दस रंगों के नाम और लिखिए।
उत्तर :- नीला, बैंजनी, आसमानी, हरे,पीले, नारंगी,लाल। इसके अतिरिक्त दस रंग:- काला, सफ़ेद,गुलाबी,स्लेटी,संतरी, भूरा, जामुनी, सुनहरा, फिरोजी, चाँदी जैसा रंग।
प्रश्न 8 – नीचे दिए गए उदाहरण के अनुसार ‘ही’ का प्रयोग करते हुए पाँच वाक्य बनाइए।
उदाहरण : उनके ज्ञान की सशक्त नींव उनके पिता ने ही तैयार की थी।
उत्तर:- (क) तुमने ही यह काम पूरा नहीं किया।
(ख) तुम्हारी वजह से ही आज मैं गांव नहीं जा पाई।
(ग) तुम्हारे लिए आज पुस्तकें लानी ही पड़ेगी।
(घ) मैं ही तुम्हारें लिए उपहार लेकर आऊँगा।
(ड़) तुम्हीं ही तो कल मेरे घर आए थे।
योग्यता विस्तार
प्रश्न 1 – विज्ञान को मानव विकास में योगदान’ विषय पर कक्षा में चर्चा कीजिए।
उत्तर :- विज्ञान की दुनिया में मानव ने नए-नए अविष्कार करके जीवन में काफी बदलाव लाया है। जितनी भी चीज़े हम अपने रोजाना जीवन में प्रयोग करते है वो किसी न किसी के द्वारा किया गया अविष्कार ही तो है। जिसने हमारे जीवन को काफी हद तक सरल बना दिया है। नई-नई तकनीकों से चलाई जाने वाली मशीनें आज 10 व्यक्तियों की जगह लेकर खुद अकेली वो काम कर जाती है। आने जाने के लिए जहाँ लोग पहले पैदल चलते थे अब बस, कार, ट्रेन, हवाईजहाज ने काम आसान कर दिया है। पहले एक दूसरे से बात करने के लिए लोग पत्र का सहारा लेते थे जबकि अब बस एक नंबर मिलाने की देर भर लगती है और कुछ सेकंड में हम कितनी भी दूर बैठे लोगों से बात कर लेते है। ऐसी कई चीज़े है जो हमारे लिए उन श्रेष्ठ वैज्ञानिकों की वजह से सरल चल रही है जिन्होंने मानव विकास में योगदान दिया।
प्रश्न 2 – भारत के किन-किन वैज्ञानिकों को नोबेल पुरस्कार मिला है? पता लगाइए और लिखिए।
उत्तर :- सी० वी० रमन , सुब्रह्मण्यम चंद्रशेखर।
प्रश्न 3 – न्यूटन के आविष्कार के विषय में जानकारी प्राप्त कीजिए।
उत्तर :- छात्र इस प्रश्न उत्तर स्वयं करें।
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एनसीईआरटी समाधान :- “स्पर्श भाग-1″
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