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एनसीईआरटी समाधान कक्षा 9 हिंदी स्पर्श अध्याय 5 धर्म की आड़

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PP Team

छात्र इस आर्टिकल के माध्यम से कक्षा 9 हिंदी स्पर्श अध्याय 5 एवरेस्ट: मेरी शिखर यात्रा के एनसीईआरटी समाधान प्राप्त कर सकते हैं। छात्रों के लिए इस आर्टिकल पर सरल भाषा में एनसीईआरटी समाधान कक्षा 9 हिंदी स्पर्श अध्याय 5 धर्म की आड़ बनाये गए हैं। आपको हमारी वेबसाइट parikshapoint.com पर कक्षा 9 हिंदी के सभी पुस्तकों के एनसीईआरटी समाधान मिल भी जायेंगे। छात्र कक्षा 9 हिंदी स्पर्श अध्याय 5 धर्म की आड़ के प्रश्न उत्तर (hindi sparsh class 9 chapter 5 question answers) नीचे से प्राप्त कर सकते हैं। स्पर्श भाग 1 कक्षा 9 के प्रश्न उत्तर प्राप्त करने के लिए आपको किसी भी प्रकार का शुल्क नहीं देना होगा।

Ncert Solutions for class 9 Hindi Sparsh chapter 5

कक्षा 9 हिंदी स्पर्श के प्रश्न उत्तर (hindi sparsh class 9 chapter 5 question answers) को सीबीएसई सिलेबस को ध्यान में रखकर बनाया गया है। ताकि छात्र परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त कर सके। देखा गया है कि छात्र class 9 hindi sparsh solutions के लिए बाजार में मिलने वाली गाइड पर काफी पैसा खर्च कर देते हैं। फिर उन गाइड को संभाल कर रखने में भी दिक्कत होती हैं। लेकिन आप हमारे इस पेज से class 9 hindi chapter 5 question answer sparsh पूरी तरह से ऑनलाइन प्राप्त कर सकते हैं। हमने एनसीईआरटी समाधान कक्षा 9 हिंदी स्पर्श अध्याय 5 धर्म की आड़ (ncert solutions for class 9 hindi sparsh) को राष्ट्रीय शैशिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की सहायता से बनाया है।

प्रश्न-अभ्यास

मौखिक

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए:-

प्रश्न 1 – आज धर्म के नाम पर क्या-क्या हो रहा है?

उत्तर :- देश में धर्म की धूम मची हुई है। लोग धर्म के नाम पर उत्पात मचा रहे हैं, ज़िद कर रहे हैं, एक दूसरे को मारने पर उतारू हो रहे हैं।

प्रश्न 2 – धर्म के व्यापार को रोकने के लिए क्या उद्योग होने चाहिए?

उत्तर :- धर्म के व्यापार को तभी रोका जा सकता है जब हम अपनी सूझ-बूझ से काम ले। किसी के बहकावे में न आए। जाहिलों की तरह किसी के कहने पर उसके पीछे-पीछे नहीं चलना चाहिए। कोई मुश्किल हो तो भी अपनी राह खुद बनानी चाहिए।

प्रश्न 3 – लेखक के अनुसार, स्वाधीनता आंदोलन का कौन-सा दिन सबसे बुरा था?

उत्तर :- देश की स्वाधीनता के लिए वह दिन निःसंदेह, अत्यंत बुरा था, जिस दिन स्वाधीनता के क्षेत्र में खिलाफ़त, मुल्ला मौलवियों और धर्माचार्यों को स्थान दिया जाना आवश्यक समझा गया। एक प्रकार से उस दिन हमने स्वाधीनता के क्षेत्र में, एक कदम पीछे हटकर रखा था। उसी पाप का फल हमें आज तक भोगना पड़ रहा है।

प्रश्न 4 – साधारण से साधारण आदमी तक के दिल में क्या बात अच्छी तरह घर कर बैठी है?

उत्तर :- साधारण से साधारण आदमी तक के दिल में यह बात अच्छी तरह बैठी हुई है कि धर्म और ईमान की रक्षा के लिए प्राण तक दे देना वाजिब है।

प्रश्न 5 – धर्म के स्पष्ट चिह्न क्या हैं?

उत्तर :- शुद्ध आचरण और सदाचार ही धर्म के स्पष्ट चिह्न है।

लिखित

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए:-

प्रश्न 1 – चलते-पुरज़े लोग धर्म के नाम पर क्या करते हैं?

उत्तर :- चलते-पुरज़े लोग धर्म के नाम पर पढ़े-लिखे, भोले-भाले लोगों का फायदा उठाते हैं। उनकी शक्तियों और उत्साह का दुरुपयोग किया जाता है। उन्हें धर्म के नाम पर लूटा जाता है। लोग इनकी बातों में आकर इनके पीछे-पीछे चलने को भी तैयार हो जाते हैं।

प्रश्न 2 – चालाक लोग साधारण आदमी की किस अवस्था का लाभ उठाते हैं?

उत्तर :- साधारण लोग सोचते हैं कि दुनिया में धर्म के अलावा कुछ नहीं। धर्म के लिए जीना और धर्म के लिए मरना ही उचित है। साधारण आदमी धर्म के तत्वों को क्या जाने? लकीर पीटते रहना ही वह अपना धर्म समझता है। उसकी इस अवस्था से चालाक लोग इस समय बहुत फ़ायदा उठा रहे हैं।

प्रश्न 3 – आनेवाला समय किस प्रकार के धर्म को नहीं टिकने देगा?

उत्तर :- अजाँ देने, शंख बजाने, नाक दाबने और नमाज पढ़ने नाम धर्म नहीं है। दो घंटे तक बैठकर पूजा और पंच वक्ता नमाज़ भी अदा कर रहे हैं और साथ में यदि आप अपने को दिन-भर बेईमानी करने और दूसरों को तकलीफ पहुँचा रहे हैं। फिर आप अपने आप को आजाद समझते हैं तो इस धर्म को अब आगे आने वाला समय कदापि नहीं टिकने देगा।

प्रश्न 4 – कौन-सा कार्य देश की स्वाधीनता के विरुद्ध समझा जाएगा?

उत्तर :- इस क्षेत्र में खिलाफ़त, मुल्ला, मौलवियों और धर्माचार्यों को स्थान देना व यदि किसी धर्म के मानने वाले कहीं ज़बरदस्ती टांग अड़ाते हों, तो उनका इस प्रकार का कार्य देश की स्वाधीनता के विरुद्ध समझा जाएगा।

प्रश्न 5 – पाश्चात्य देशों में धनी और निर्धन लोगों में क्या अंतर है?

उत्तर :-  पाश्चात्य देशों में, धनी लोग गरीब मज़दूरों की झोंपड़ी का मजाक उड़ाते थे। गरीबों की कमाई ही से वे मोटे पड़ते हैं, और उसी के बल से, वे सदा इस बात का प्रयत्न करते हैं कि गरीब सदा चूसे जाते रहें। धनी लोग निर्धन और स्वयं में अंतर दिखाने का कोई मौका नहीं छोडते थे।

प्रश्न 6 – कौन-से लोग धार्मिक लोगों से अधिक अच्छे हैं?

उत्तर :- ऐसे धार्मिक और दीनदार आदमियों से तो वे ला–मज़हब और नास्तिक आदमी कहीं “अधिक अच्छे और ऊँचे हैं, जिनका आचरण अच्छा है, जो दूसरों के सुख-दुःख का खयाल रखते हैं और जो मूर्खों को किसी स्वार्थ सिद्धि के लिए उकसाना बहुत बुरा समझते हैं।

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए:-

प्रश्न 1 – धर्म और ईमान के नाम पर किए जाने वाले भीषण व्यापार को कैसे रोका जा सकता है?

उत्तर :- धर्म और ईमान के नाम पर किए जाने वाले इस भीषण व्यापार को रोकने के लिए, साहस और दृढ़ता के साथ उद्योग होना चाहिए। मूर्ख बेचारे धर्म की दुहाइयाँ देते हैं, अपने प्राणों की बाजियाँ खेलते हैं। हमें सबसे पहले तो खुद को भी इस काबिल बनाना होगा कि हम इन लोगों के बहकावे में न आए। हमें उन लोगों को अच्छे ढंग से समझाना होगा जो धर्म के नाम पर दंगा फसाद करने को तैयार रहते हैं और आम लोग उनके पीछे-पीछे चलने को तैयार रहते है। जब तक ऐसा नहीं होगा, तब तक भारतवर्ष में नित्य प्रति बढ़ते जाने वाले झगड़े कम न होंगे।

प्रश्न 2 – ‘बुद्धि पर मार’ के संबंध में लेखक के क्या विचार हैं?

उत्तर :- बुद्धि पर मार के संबंध में लेखक यह कहना चाहता है कि कुछ अधर्मी लोग साधारण लोगों की बुद्धि पर परदा डालकर पहले ईश्वर और आत्मा का स्थान अपने लिए ले लेते हैं, और फिर, धर्म, ईमान, ईश्वर और आत्मा के नाम पर अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए लोगों को लड़ाते-भिड़ाते हैं। ये आम जनता की बुद्धि पर वार करते हैं। उन्हें इस तरह से बहका देते हैं कि लोग धर्म के आगे कुछ सोचते ही नहीं चाहे इसके लिए एक दूसरे को मारना ही क्यों न पड़े।

प्रश्न 3 – लेखक की दृष्टि में धर्म की भावना कैसी होनी चाहिए?

उत्तर :- धर्म की उपासना या धर्म की भावना इस प्रकार होनी चाहिए कि उसके मार्ग में कोई भी रुकावट न हो। जिसका मन जिस प्रकार चाहे, उसी प्रकार धर्म की भावना को अपने मन में जगाए। धर्म और ईमान मन का सौदा हो, ईश्वर और आत्मा के बीच का संबंध हो, आत्मा को शुद्ध करने और ऊँचे उठाने का साधन हो। किसी दशा में भी किसी दूसरे व्यक्ति की स्वाधीनता को छीनने या कुचलने का साधन न बने। आप अपने धर्म को मानने में पूरी तरह से स्वतंत्र हो।

प्रश्न 4 – महात्मा गांधी के धर्म-संबंधी विचारों पर प्रकाश डालिए।

उत्तर :- महात्मा गांधी धर्म को सर्वत्र स्थान देते हैं। वे एक पग भी धर्म के बिना चलने के लिए तैयार नहीं। वे जानते थे कि जब तक हम यह नहीं जानेंगे कि धर्म का स्वरूप क्या है तो धर्म धर्म करने का क्या फ़ायदा। धर्म से महात्मा गांधी का मतलब धर्म ऊँचे और उदार तत्त्वों ही का हुआ करता है।

प्रश्न 5 – सबके कल्याण हेतु अपने आचरण को सुधारना क्यों आवश्यक है?

उत्तर :- सबके कल्याण की दृष्टि से, हमें अपने आचरण को सुधारना पड़ेगा और यदि आप अपने आचरण को नहीं सुधारेंगे तो नमाज़ और रोज़े, पूजा और गायत्री हमें देश के अन्य लोगों की आज़ादी को रौंदने और देशभर में उत्पातों का कीचड़ उछालने के लिए आजाद न छोड़ सकेगी। हम दुनिया को ताने देने उनके बारे में कटुवचन बोले उससे पहले हमें खुद को सुधारने की जरूरत है तभी हम किसी और के बारे में कुछ अच्छा सोच पाएंगे।

(ग) निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए:-

प्रश्न 1 – उबल पड़ने वाले साधारण आदमी का इसमें केवल इतना ही दोष है कि वह कुछ भी नहीं समझता-बूझता, और दूसरे लोग उसे जिधर जोत देते हैं, उधर जुत जाता है।

उत्तर :- इससे आशय यह है कि साधारण आदमी जब किसी संकट में हो तो उस समय उनकी आधी सूझ-बूझ तो वैसे ही खत्म हो जाती है। वह कुछ नहीं सोचता उसे दूसरे लोगों के द्वारा जो बताया जाए कि ये करो यही सही है, वहां जाओ ये काम बन जाएगा उसी में ही चला जाता है।

प्रश्न 2 – यहाँ है बुद्धि पर परदा डालकर पहले ईश्वर और आत्मा का स्थान अपने लिए लेना, और फिर धर्म, ईमान, ईश्वर और आत्मा के नाम पर अपनी स्वार्थ-सिधि के लिए लोगों को लड़ाना-भिड़ाना।

उत्तर :- कुछ अधर्मी लोग साधारण लोगों कि बुद्धि पर इस तरह से कब्जा कर लेते हैं कि उन्हें भगवान के रूप में वही अधर्मी लोग दिखते हैं। ये लोग उनकी बुद्धि पर इस तरह से पर्दा डाल देते हैं कि धर्म, ईश्वर आदि के नाम पर वे अपनी तृप्ति के लिए लोगों को आपस में लड़ा-भिड़ा भी देते हैं।

प्रश्न 3 – अब तो, आपका पूजा-पाठ न देखा जाएगा, आपकी भलमनसाहत की कसौटी केवल आपका आचरण होगी।

उत्तर :- इससे तात्पर्य यह है कि अब आने वाले समय में कोई आपकी पाठ- पूजा की तरफ नहीं देखेगा बल्कि पहले यह जरुरी होगा कि आप कितने भले इंसान है और आपका दूसरों के प्रति आचरण कैसा है।

प्रश्न 4 – तुम्हारे मानने ही से मेरा ईश्वरत्व कायम नहीं रहेगा, दया करके, मनुष्यत्व को मानो, पशु बनना छोड़ो और आदमी बनो!

उत्तर :- यह लेखक समझाना चाहते है कि लोग पहले तो एक दूसरे से लड़ते हैं, गलत काम करते हैं और फिर ईश्वर को खुश करने के लिए पूजा कर लेते हैं। उन्हें लगता है कि इससे ईश्वर उनकी गलतियां माफ़ करदेगा। ऐसे में ईश्वर की तरफ से कहा गया है तुम सोचते हो तुम मेरी पूजा करोगे तभी मैं ईश्वर कहलाऊंगा, तुम्हारी पूजा से ही मेरा ईश्वर का रूप बना रहेगा तो ये सोचना बंद करो, मानव बनो, ये पशुओ जैसी हरकते छोड़ो और मानवता का रूप धारण करो।

भाषा अध्ययन :-

प्रश्न 1 – उदाहरण के अनुसार शब्दों के विपरीतार्थक लिखिए-

सुगम – दुर्गम

धर्म – ………..

ईमान – ………..

स्वार्थ – ……….

साधारण – ………….

नियंत्रित – ………

दुरुपयोग – …………

स्वाधीनता – …………

उत्तर :-

धर्म – अधर्म

ईमान – बेईमान

साधारण – असाधारण

स्वार्थ – नि: स्वार्थ

दुरुपयोग – सदुपयोग

नियंत्रित – अनियंत्रित

स्वाधीनता – पराधीनता

प्रश्न 2 – निम्नलिखित उपसर्गों का प्रयोग करके दो-दो शब्द बनाइए:-

ला, बिला, बे, बद, ना, खुश, हर, गैर

उत्तर :- ला :- लालच, लायक

बिला :- बिलासपुर, बिलाल

बे :- बेईमान, बेवकूफ

बद :- बदबू, बदमाश

ना :- नासमझ, नाइंसाफी

खुश :- खुशकिस्मत, ख़ुशी

हर :- हरकते, हरदम

गैर :- गैर-जीवन, गैर-जरूरी

प्रश्न 3 – उदाहरण के अनुसार ‘त्व’ प्रत्यय लगाकर पाँच शब्द बनाइए-

उदाहरण : देव + त्व = देवत्व

उत्तर :- घन + त्व :- घनत्व

लघु + त्व :- लघुत्व

महत् + त्व :- महत्त्व

व्यक्ति + त्व :- व्यक्तित्व

नेतृ + त्व :- नेतृत्व

प्रश्न 4 – निम्नलिखित उदाहरण को पढ़कर पाठ में आए संयुक्त शब्दों को छाँटकर लिखिए-

उदहारण : चलते-पुरजे

उत्तर :- पढ़े-लिखे, इने-गिने, मन-माना, लड़ाना-भिड़ाना, दीन-दीन, नित्य-प्रति, देश-भर, भली-भांति, सुख-दुःख।

प्रश्न 5 – भी’ का प्रयोग करते हुए पाँच वाक्य बनाइए:-

उदाहरण : आज मुझे बाज़ार होते हुए अस्पताल भी जाना है।

उत्तर :- मुझे भी आज नृत्य प्रतियोगिता देखनी है।

आप भी हमारे साथ चलिए।

तुम भी बहुत अच्छे हो।

तुम भी मेरी तरह अच्छे नंबर ला सकते हो।

तुम्हें भी पढ़ाई अच्छे से करनी चाहिए।

योग्यता विस्तार:-

‘धर्म एकता का माध्यम है’- इस विषय पर कक्षा में परिचर्चा कीजिए।

उत्तर :- इस वाक्य से तात्पर्य यह है जहाँ आज कल लोग एक दूसरे से नफ़रत करते हैं, लड़ने को तैयार रहते हैं, वह धर्म ही एकमात्र ऐसा साधन है जहाँ लोग कुछ हद तक इकट्ठा हो सकते हैं। चाहे पहनावा, बोलने का ढंग, खाना अलग हो, लेकिन धर्म तो एक है यह सोचकर लोग कम से एक दूसरे से बात करते हैं, साथ में त्योहार मनाते हैं, एक दूसरे की इज्जत करते हैं। धर्म के कारण थोड़ा ही सही पर लोगों की विचारधारा में बदलाव जरूर आता है। धर्म के कारण लोग आपस में जुड़ते हैं। एकता बनाए रखने से मानवीय जीवन का जन्म होता है। कई बार ऐसा होता है कि किसी अलग अलग धर्म में झगडे हो जाए या कोई बात गलत लग जाए तो एक धर्म के लोग उस अकेले व्यक्ति के साथ आ जाते हैं और धर्म के प्रति एकता की पहचान रखते हैं। वे दिखाते हैं कि हम सब एक है। हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि यह एकता सदैव बनी रहें।

कक्षा 9 हिंदी स्पर्श भाग-1 के सभी पाठ के एनसीईआरटी समाधान नीचे देखें

एनसीईआरटी समाधान :- “स्पर्श भाग-1″

अध्यायविषय के नाम
1 (गद्य खंड)दुःख का अधिकार (यशपाल)
2एवरेस्ट : मेरी शिखर यात्रा (बचेंद्री पाल)
3तुम कब जाओगे, अथिति (शरद जोश)
4वैज्ञानिक चेतना के वाहक चंद्रशेखर वेंकट रामन (धीरंजन मालवे)
5धर्म की आड़ (गणेशशंकर विद्यार्थी)
6शुक्रतारे के समान (स्वामी आनंद)
7 (काव्य खंड)रैदास
8रहीम
9आदमी नामा (नज़ीर अकबराबादी)
10एक फूल की चाह (सियारामशरण गुप्त)
11गीत-अगीत (रामधारी सिंह दिनकर)
12अग्नि पथ (हरिवंशराय बच्चन)
13नए इलाके में (अरुण कमल)

कक्षा 9 हिंदी स्पर्श अध्याय 5 धर्म की आड़ के लिए एनसीईआरटी समाधान प्राप्त करके आपको कैसा लगा?, हमें अपना बहुमूल्य कमेंट जरूर करें। कक्षा 9 हिंदी स्पर्श अध्याय 5 के प्रश्न उत्तर (Class 9 Hindi Sparsh Chapter 5 Question Answer) देने का उद्देश्य केवल बेहतर ज्ञान देना है। इसके अलावा आप कक्षा 9 के अन्य विषयों के एनसीईआरटी समाधान यहां से देख सकते हैं। साथ ही कक्षा 9 हिंदी विषय की एनसीईआरटी पुस्तक भी यहां से प्राप्त कर सकते हैं।

कक्षा 9 हिंदी किताब क्षितिजकृतिकासंचयन के प्रश्न उत्तरयहां से देखें

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