योग पर निबंध (Yoga Essay In Hindi)- आज के समय में यही देखती हूं कि आज मानो जैसे चारों तरफ बीमारियों ने अपनी जड़ें फैला रखी हैं। कैंसर, टीबी, मलेरिया, एड्स, मधुमेह, हार्ट अटैक आदि। और ना जाने क्या-क्या बीमारियां हैं इस दुनिया में। इन बीमारियों को देखकर मन में एकदम से खीझ सी हो उठती है। मन करता है कि कहीं किसी और दुनिया में चली जाऊं। एक ऐसी दुनिया जहां पर कोई बीमारी ही ना हो। लेकिन ऐसा संभव ही नहीं हो सकता है। ना जाने इस दुनिया में इतनी परेशानी क्यों है।
Essay On Yoga In Hindi
भगवान ने यह दुनिया तो बनाई, लेकिन दुनिया बनाते वक्त भगवान ने खुशियां बनाने के साथ-साथ दुख भी बनाए। इस जीवन में सुख और दुख का साथ है। यह एकदम सत्य है कि इस जीवन में सुख कम है और दुख ज्यादा। दुख-सुख का खेल हम हर जगह देख सकते हैं। कभी-कभी यह समझ में नहीं आता है कि चारों तरफ उदासीन माहौल ही देखने क्यों मिलता है। लेकिन किसी ने यह बिल्कुल सच कहा है कि यह हमारे पर निर्भर करता है कि हम अपने ऊपर दुख के बोझ को कितना ढोते हैं। हमारे अंदर इतनी ताकत है कि हम सभी प्रकार के दुखों को हरा सकते हैं। और यह चमत्कार हो सकता है योग के माध्यम से। योग हर बड़ी से बड़ी समस्या को खत्म कर सकता है। तो आज हम योग पर निबंध पढ़ेंगे।
योग पर निबंध
भारत को हर चीज के लिए महान माना जाता है। आज पूरी दुनिया में भारत की देन योग को हर जगह स्वीकारा जा चुका है। आज के समय में योग को बहुत ज्यादा महत्व दिया जाता है। योगाभ्यास इतनी ज्यादा पुरानी कला है कि यह हजारों वर्षों से लगातार चला आ रहा है। योग को दुनिया में लाने का श्रेय महर्षि पतंजलि को जाता है। हमारे देश में कितने ही समय से योग को महत्व दिया जा रहा है। योग और आध्यात्म का आपस में संबंध है। बहुत से लोग यह भी कहते हैं कि योग की असल शुरुआत भगवान शिव ने की थी।
प्रस्तावना
योग हमारे जीवन के लिए एक अति आवश्यक क्रिया है। योग के निरंतर अभ्यास से हम बुरी से बुरी परिस्थितियों से बाहर निकाल सकते हैं। योग को हमें अपने जीवन का हिस्सा बना लेना चाहिए। योग को चार प्रकार में बांटा गया है- मंत्रयोग, राजयोग, लययोग और हठयोग। योगाभ्यास में हर तरह की परेशानी का इलाज है। योग हमारे जीवन में स्फूर्ति लाता है। योग से हमारे व्यक्तित्व में एक अलग प्रकार का निखार आता है। योग हमें जीने की राह सीखाता है। सभी इस बात पर बल देते हैं कि हमें योग करना चाहिए।
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योग क्या है?
आजकल हर जगह भागदौड़ भरी जिंदगी देखने को मिलती है। जीवन की भागदौड़ इतनी ज्यादा है कि लोगों को खुद के लिए भी समय नहीं मिल पाता है। सारी दुनिया एक दूसरे को पीछे धकेलने में लगी है। मानसिक शांति के साथ शारीरिक शांति भी कहीं छिन सी गई है। लोगों को यह समझ में नहीं आ रहा है कि उनको असल में क्या हो रहा है। यही एक बड़ा कारण है कि आज के समय में लोग जल्दी से डिप्रेशन के शिकार हो रहे हैं।
लोग बहुत सी बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। लेकिन इन सब को जड़ से खत्म किया जा सकता है। इन सबका इलाज योग में छुपा है। योग से हम हर मुश्किल को हरा सकते हैं। योग एक प्रकार की ऐसी क्रिया है जिसमें हम अपने मन को आध्यात्मिकता से जोड़ते हैं। आध्यात्मिकता से जुड़ते ही हम एक अलग प्रकार के व्यक्ति बन जाते हैं। योग में हमें लगातार कड़ा ध्यान लगाना होता है। योगाभ्यास करने से आपका तन और मन दोनों ही स्वस्थ रहते हैं। योग आपको परमात्मा से जुड़ने का मौका देता है।
योग का महत्व
योग का हमारे जीवन में बहुत ज्यादा महत्व है। योग से हमारा जीवन स्वस्थ और तंदुरुस्त बनता है। योग हमें यह जानने में मदद करता है कि आखिर हम कहां से आए हैं और हमारा उद्देश्य क्या है। योग की मदद से हम परमात्मा से जुड़ सकते हैं। महर्षि पतंजलि ने योग की खोज इसलिए की थी ताकि दुनिया के लोगों की चिंता खत्म हो सके। योग से हम हर प्रकार के रोगों पर संयम पा सकते हैं।
आज के समय में लोगों को योग करने की बहुत ज्यादा जरूरत है। योग के माध्यम से हमें आधुनिक दुनिया के मायाजाल से निकलने में मदद मिलती है। पुराने समय में सभी ऋषि मुनि योग इसलिए किया करते थे ताकि वह हर प्रकार से निरोग रह सकें और ईश्वर से गहराई से जुड़ सकें। योग के माध्यम से हम शुगर, बीपी, डायबीटीज जैसी बीमारियों पर काबू पा सकते हैं। आज के समय में योग विदेशों में भी प्रचलित है। विदेशी लोग भी योग के महत्व को मानते हैं।
योग के चार प्रकार
(1) कर्मयोग- इस दुनिया में जो भी आता है उसे कर्म करना ही पड़ता है। जो लोग धरती पर बिना कर्म के रहते हैं वह कर्महीन कहलाते हैं। कर्महीन व्यक्ति का जीवन बेकार कहलाया जाता है। इसलिए कहते हैं कि अगर धरती पर आए हो तो कर्म में लगे रहना चाहिए। स्वामी विवेकानंद ने सभी युवाओं के लिए कर्मयोग को सबसे सही बताया है।
(2) राजयोग- जब हम राजयोग का नाम सुनते हैं तो हमें एक ही बात ध्यान में आती है वह है राजाओं के समान योग। लेकिन ऐसा नहीं है। राजयोग का अर्थ है अपने अंतर्मन को जानना। इस योग के माध्यम से सभी लोग अपने आप को खोज सकते हैं। आजकल भागदौड़ भरी जिंदगी में यह बहुत जरूरी है कि आप स्वयं के लिए भी समय निकालें और स्वयं को खोजें।
(3) भक्तियोग- भक्तियोग एक अलग प्रकार का योग है। इस तरह के योग में इंसान अपने आप को भगवान से जोड़कर देखता है। जब एक व्यक्ति सच्चे मन से खुद को ईश्वर से जोड़ता है तब उसे शांति की अनुभूति होती है। भक्तियोग का सबसे अच्छा उदाहरण हमें मीराबाई और तुलसीदास जैसे महान व्यक्तियों में देखने को मिलता है। इन दोनों ने खुद को भगवान से जोड़कर रखा और सांसारिक बंधनों से मुक्ति पा ली थी।
(4) ज्ञानयोग- ज्ञान को दुनिया की सबसे सर्वोत्तम चीजों में से एक माना जाता है। ज्ञान केवल किताबी ज्ञान या फिर संसारिक ज्ञान को ही हासिल करने से ही नहीं मिलता है। ज्ञान का मतलब है साक्षात ईश्वर को अपने अंतर्मन में उतारना। जिस दिन हमें आध्यात्मिक दर्शन हो जाते हैं उस दिन हम सांसारिक मोह माया से छुटकारा पा लेते हैं।
योग दिवस क्यों मनाया जाता है?
आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में कोई भी शारीरिक व्यायाम को महत्व नहीं देता है। इसलिए ही तो आज लोगों को कोई ना कोई बीमारी घेरे हुए है। इसलिए ऐसी स्तिथि में योग सबसे अच्छा माध्यम है बीमारियों को दूर भगाने का। लोगों के स्वास्थ्य को ही ध्यान में रखते हुए योग दिवस की शुरुआत की गई थी। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की शुरुआत 21 जून 2015 को की गई थी। इसी सुनहरे दिन पर देश-विदेश के सभी लोगों ने योग किया था।
हर साल 21 जून को सभी लोग योग दिवस को बड़ी ही धूमधाम से मनाते हैं। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को योग दिवस की शुरुआत करने का श्रेय जाता है। योग दिवस को शुरू करने का मुख्य उद्देश्य योग को पूरी दुनिया में प्रसिद्ध करना था। योग दिवस से लोगों में यह जागरूकता फैली कि अब लोग योग के प्रति ज्यादा सचेत हो गए हैं। योग साधना से लोग अपने आप को स्वस्थ रखने में सफल भी हुए हैं।
योग’ पर शमशेर बहादुर सिंह की कविता
सूर्य मेरी पुतलियों में स्नान करता
केश-वन में झिलमला कर डूब जाता
स्वप्न-सा निस्तेज गतचेतन कुमार
कमल तल में खिले सर के,
शीर्षासन से।
जागरण की चेतना से मैं नहा उठा
हवा है मेरी असंख्य
दृष्टियाँ अनुक्षण परस्पर देखतीं खुल-मुँद
असंख्य चपल शीतल-दृग
पुलक पल लिए, अपरम्पार।
मैं कमल के नाल पर बैठा हुआ हूँ
एक एड़ी पर टिकाए मौन।
चट-चटककर कमर बोली क्या
“घूमती लचती दिशाओं में
मैं पताका-सी।
योग दिवस पर 200 शब्दों में निबंध
आज की व्यस्त जीवनशैली में खुद को शारीरिक रूप से सक्रिय रखना बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया है। क्योंकि हम जब तक खुद को शारीरिक रूप से सक्रिय नहीं रख सकते, तब तक हम अपने जीवन में असल मायने में सफल नहीं हो सकते हैं। आज के समय में युवा पीढ़ी जिम जाकर कसरत करने पर बल देते हैं। लेकिन वह यह नहीं समझते कि केवल जिम में जाकर पसीना बहाने से आप पूर्ण रूप से फिट नहीं हो सकते हैं।
समाज में इसके कई उदाहरण देखने को मिलते हैं जहां पर लोग जिम भी जाते हैं लेकिन तो भी पता नहीं क्यों वह कार्डियक एट्रोफी के शिकार हो रहे हैं। इसका सबसे बड़ा कारण है मानसिक शांति की कमी। आप जिम जाकर मानसिक शांति को प्राप्त नहीं कर सकते हैं। शारीरिक और मानसिक शांति को पूर्ण रूप से प्राप्त करने के लिए आपको जरूरत होती है योगाभ्यास की। योग हर प्रकार की बीमारियों का अचूक उपाय है। योग करने से हमारा तन और मन प्रफुल्लित और स्वस्थ रहता है। आज की युवा पीढ़ी के लिए योग अति आवश्यक चीज है।
योग दिवस पर 10 लाइनें
(1) अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की शुरुआत 21 जून 2015 को हुई थी।
(2) योग हमारे शरीर को उर्जावान और स्वस्थ रखता है।
(3) नियमित रूप से योगाभ्यास करने से हमारे आत्मविश्वास में निखार आता है।
(4) अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस को शुरू करने का श्रेय भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जाता है।
(5) योग को शुरू करने का श्रेय महर्षि पतंजलि को जाता है।
(6) आज की युवा पीढ़ी के लिए यह अति महत्वपूर्ण है कि वह योग को अपनी नियमित दिनचर्या में शामिल करे।
(7) संयुक्त राष्ट्र ने 2014 में योग दिवस मनाने को मान्यता दी थी।
(8) प्रतिदिन योगाभ्यास करने से हम आध्यात्मिक शांति को प्राप्त कर सकते हैं।
(9) स्वामी विवेकानंद योग को जीवन के लिए बहुत महत्वपूर्ण मानते थे।
(10) योग का उल्लेख हमें ऋग्वेद में भी मिलता है। इसका अर्थ यह है कि योग हजारों वर्षों से अस्तित्व में रहा है।
FAQs
उत्तर- योग को अस्तित्व में लाने का श्रेय महर्षि पतंजलि को जाता है। हालांकि कोई यह भी मानता है कि भगवान शिव ने योग की शुरूआत की थी।
उत्तर- योग का हमारे जीवन में बहुत ज्यादा महत्व है। योग से हमारा जीवन स्वस्थ और तंदुरुस्त बनता है। योग हमें यह जानने में मदद करता है कि आखिर हम कहां से आए हैं। हमारा उद्देश्य क्या है। योग की मदद से हम परमात्मा से जुड़ सकते हैं। महर्षि पतंजलि ने योग की खोज इसलिए की थी ताकि दुनिया के लोगों की चिंता खत्म हो सके। योग से हम हर प्रकार के रोगों पर संयम पा सकते हैं। आज के समय में लोगों को योग करने की बहुत ज्यादा जरूरत है।
उत्तर- योग दिवस हर साल 21 जून को मनाया जाता है।
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