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एनसीईआरटी समाधान कक्षा 8 हिंदी वसंत अध्याय 16 पानी की कहानी
हिंदी 8 वीं कक्षा अध्याय 16 पानी की कहानी के प्रश्न उत्तर को एनसीईआरटी यानि (राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद) के सहायता से बनाया गया है। कक्षा 8 की हिंदी की किताब के प्रश्न उत्तर सीबीएसई सिलेबस को ध्यान में रखकर बनाए गए हैं। देखा गया है कि छात्र कक्षा आठवीं हिंदी गाइड पर काफी पैसा खर्च कर देते हैं। लेकिन यहां से कक्षा आठ के हिंदी के प्रश्न उत्तर पूरी तरह से मुफ्त में प्राप्त कर सकते हैं। छात्र ncert solutions for class 8th hindi chapter 16 पानी की कहानी नीचे देखें।
कक्षा : 8
विषय : हिंदी (वसंत भाग -3)
पाठ : 16 पानी की कहानी
प्रश्न – अभ्यास
पाठ से:-
प्रश्न 1 – लेखक को ओस की बूँद कहाँ मिली ?
उत्तर :- बेर की झाड़ी पर से मोती-सी एक बूँद लेखक के हाथ पर आ पड़ी।
प्रश्न 2 – ओस की बूँद क्रोध और घृणा से क्यों काँप उठी ?
उत्तर :- ओस की बूँद क्रोध और घृणा से इसलिए काँप उठी क्योंकि पेड़ ओर बड़ी जड़े, छोटी जड़े और जड़ों के रोएँ है। वे रोएँ बड़े निर्दयी होते है। वे ऐसे ही असंख्य जल – कणों को बलपूर्वक पृथ्वी में से खींच लेते है। कुछ को तो पेड़ एकदम खा जाते है और अधिकांश का सब कुछ छीनकर उन्हें बाहर निकाल देते है।
प्रश्न 3 – हाईड्रोजन और ऑक्सीजन को पानी ने अपना पूर्वज / पुरखा क्यों कहा ?
उत्तर :- हजारों वर्ष पहले हाइड्रोजन और ऑक्सीजन नामक दो गैसें सूर्यमंडल में लपटों के रूप में विद्यमान थीं। सूर्यमंडल अपने निश्चित मार्ग पर चककर काट रहा था। वे दिन थे जब हमारे ब्रह्मांड में उथल–पुथल हो रही थी। अनेक ग्रह और उपग्रह बने रहे थे। एक दिन प्रचंड प्रकाश- पिंड दिखाई पड़ा। यह पिंड बड़ी तेजी से सूर्य की ओर बढ़ रहा था। जैसे–जैसे पास आ रहा था, उसका आकार बढ़ता जा रहा था। यह सूर्य से लाखों गुणा बड़ा था। ऐसा ज्ञात हुआ कि उस ग्रहराज से टकराकर हमारा सूर्य खत्म हो जाएगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ। वह सूर्य से सहस्त्रों मील दूर से ही घूम चला, लेकिन उसकी भीषण आकर्षण शक्ति के कारण सूर्य का एक भाग टूटकर उसके पीछे चला। सूर्य से टूटा हुआ भाग इतना भारी खिंचाव संभाल न सका और कई टुकड़ों में टूट गया। उन्हीं में से एक टुकड़ा हमारी पृथ्वी थी जो शुरु में एक बड़ा आग का गोला थी। धीरे–धीरे पृथ्वी ठंडी होती चली गई। अरबों वर्ष पहले हाइड्रोजन और ऑक्सीजन की रासायनिक क्रिया के फलस्वरूप मेरा जन्म हुआ था। इसीलिए हाइड्रोजन और ऑक्सीजन को पानी ने अपना पूर्वज कहा है।
प्रश्न 4 – ‘पानी की कहानी’ के आधार पर पानी के जन्म और जीवन-यात्रा का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर:- ‘पानी’ का जन्म हाइड्रोजन और ऑक्सीजन नामक दो गैसों के रासायनिक मेल से हुआ। उन दिनों पानी भाप के रूप में पृथ्वी के चारों ओर घूमता रहता था। इसके बाद पानी को बर्फ के ठोस रूप में पाया गया। पानी का शरीर पहले भाप रूप में था वह अब अत्यंत छोटा हो गया था। वह पहले से कोई सतरहवां भाग रह गया था। इसके चारों ओर असंख्य साथी बर्फ बने पड़े थे। जिस समय सूर्य की किरणें पड़ती चारों ओर सौंदर्य बिखर पड़ता था। एक बार अचानक ही सूर्य ताप आया और ठोस बर्फ रूप वाले पानी की सुंदरता बदल दी। सारी बर्फ ने पिघल कर पानी का रूप धारण किया। कुछ पानी नदियों में मिल गया, कुछ समुद्र में जाकर मिल गया और कुछ जलकण आँधी के साथ उड़कर वायुमंडल में पहुँच गए।
प्रश्न 5 – कहानी के अंत और आरंभ के हिस्से को स्वंय पढ़कर देखिए और बताइए कि ओस की बूँद लेखक को आपबीती सुनाते हुए किसकी प्रतीक्षा कर रही थी ?
उत्तर :- कहानी के अंत और आरंभ के हिस्से को पढ़ने के बाद यह पता चलता है कि ओस की बूँद सूर्य के निकलने की प्रतीक्षा कर रही थी।
पाठ से आगे :-
प्रश्न 1 – जलचक्र के विषय में जानकारी प्राप्त कीजिये और पानी की कहानी से तुलना करके देखिये की लेखक ने पानी की कहानी में कौन कौन सी बातें विस्तार से बताई हैं।
उत्तर :- हम यह जानते है कि हमारी धरती पानी से कितनी जुड़ी हुई है। धरती के चारों ओर प्रकृति में जलचक्र सदा चलता रहता है। धरती पर उपस्थित जल हर समय वाष्प बन कर वायु में मिलता रहता है जिससे बादल बनते है। बादल बरसतें है और वही जल वर्षा के रूप में वापिस धरती पर आ जाता है। इसे जलचक्र कहते है। इसमे लेखक ने वाष्पण से बादल बनने की प्रक्रिया को कुछ कम समझाया है लेकिन जल की पृथ्वी पर उपस्थिति को अधिक विस्तार से समझाया है।
प्रश्न 2 – “पानी की कहानी” पाठ में ओस की बूँद अपनी कहानी स्वयं सुना रही है और लेखक केवल श्रोता है। इस आत्मकथानक शैली में आप भी किसी वस्तु का चुनाव करके कहानी लिखें।
उत्तर:- छात्र स्वयं करें।
पाठ 3 – समुंद्र के तट पर बसे नगरों में अधिक ठण्ड और अधिक गर्मी क्यों नहीं पड़ती ?
उत्तर :- ऐसा इसलिए होता है क्योंकि समुंद्र के किनारे वातावरण में आद्रता अधिक होती है, क्योंकि समुंद्र के पानी में नमक अधिक होता है।
प्रश्न 4 – पेड़ के भीतर फव्वारा नहीं होता, तब पेड़ की जड़ों से पत्ते तक पानी कैसे पहुँचता हैं ? इस क्रिया को वनस्पति शास्त्र में क्या कहते हैं ?
उत्तर :- पेड़ों के भीतर फव्वारा नहीं होता फिर भी पानी पेड़ की जड़ो से पत्ते तक इसलिए पहुँचता है क्योंकि उनमें फ्लोएम और जाइलम ऊतक होते है जो पेड़ की जड़ो से पत्तों तक पानी पहुँचाने की क्रिया करते है और वनस्पति शास्त्र में पानी पहुँचाने की इस क्रिया को संवहन क्रिया कहते है।
अनुमान और कल्पना:-
प्रश्न 1 – पानी की कहानी में लेखक ने कल्पना और वैज्ञानिक तथ्य का आधार लेकर ओस को बूँद की यात्रा का वर्णन किया है। ओस की बूँद अनेक अवस्थाओं में सूर्यमंडल, पृथ्वी, वायु, समुद्र, ज्वालामुखी, बादल, नदीं और नल से होते हुए पेड़ के पत्ते तक की यात्रा करती है। इस कहानी की भांति आप भी लोह अथवा प्लास्टिक की कहानी लिखने का प्रयास कीजिए।
उत्तर :- छात्र स्वयं करें।
प्रश्न 2 – अन्य पदार्थों के समान जल की भी तीन अवस्थाएं होती है। अन्य पढ़ार्थो से जल की इन अवस्थाओं में एक विशेष अंतर यह होता है कि जल की तरल अवस्था में ठोस अवस्था (बर्फ) हलकी होती कि। इसका कारण ज्ञात कीजिए।
उत्तर :- जल की तीन अवस्थाएं होती है:- ठोस, द्रव और भाप। जल की तरल अवस्था में ठोस अवस्था से हल्का होना, पानी के मॉलिक्यूलस के बीच हाइड्रोजन बॉन्डिंग के कारण होता है। बर्फ का आयतन पानी की अपेक्षा बढ़ जाने के कारण उसकी अवस्था कम हो जाती है और वह पानी की मुकाबले हल्की हो जाती है।
प्रश्न 3 – पाठ के साथ केवल पढ़ने के लिए दी गई पठन – सामग्री ‘हम पृथ्वी की संतान’ का सहयोग लेकर पर्यावरण संकट पर एक लेख लिखें।
उत्तर :- छात्र स्वयं करें।
भाषा की बात:-
प्रश्न 1 – किसी भी क्रिया को पूरी करने में जो भी संज्ञा आदि शब्द संलग्न होते हैं, वे अपनी अलग-अलग भूमिकाओं के अनुसार अलग-अलग कारकों में वाक्य में दिखाई पड़ते हैं, जैसे-“ वह हाथों से शिकार को जकड़ लेती थी”। जकड़ना क्रिया तभी संपन्न हो पाएगी जब कोई व्यक्ति (वह) जकड़नेवाला हो, कोई वस्तु (शिकार) हो जिसे जकड़ा जाए। इन भूमिकाओं की प्रकृति अलग-अलग है। व्याकरण में ये भूमिकाएँ कारकों के अलग-अलग भेदों, जैसे कर्ता, कर्म, करण आदि से स्पष्ट होती हैं।
अपनी पाठ्यपुस्तक से इस प्रकार के पाँच और उदाहरण खोजकर लिखिए और उन्हें भलीभाँति परिभाषित कीजिए।
उत्तर:- कर्ता कर्म क्रिया
मेरी उत्सुकता बढ़ चली थी।
मेरी उत्सुकता बढ़ चली
उन लपटों से तुम पानी कैसे बनी।
तुम पानी, लपटें बनी
तुम ज्वालामुखी की बात कह रही हो।
तुम ज्वालामुखी, बात कहना
तुम मुझे छोड़कर नही जा सकते।
तुम छोड़कर जाना
हम बड़ी तेज़ी से बाहर फेंक दिए गए।
हम बाहर तेज़ी से, फेंक दिए
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