एनसीईआरटी समाधान कक्षा 8 हिंदी वसंत अध्याय 18 टोपी

Photo of author
PP Team

छात्र इस आर्टिकल के माध्यम से एनसीईआरटी समाधान कक्षा 8 हिंदी वसंत अध्याय 18 टोपी प्राप्त कर सकते हैं। छात्रों के लिए इस आर्टिकल पर कक्षा 8 हिंदी पाठ 18 के प्रश्न उत्तर दिए हुए हैं। छात्र कक्षा 8 हिंदी किताब के प्रश्न उत्तर पाठ 18 टोपी के माध्यम से परीक्षा की तैयारी अच्छे से कर सकते हैं। छात्रों के लिए कक्षा 8 हिंदी अध्याय 18 सवाल जवाब साधारण भाषा में बनाए गए है। जिससे छात्र class 8 hindi chapter 18 question answer सही से समझ सके। छात्रों के लिए वसंत भाग 3 कक्षा 8 पाठ 18 टोपी के प्रश्न उत्तर नीचे दिए हुए हैं।

Ncert Solutions For Class 8 Vasant Chapter 18

हिंदी 8 वीं कक्षा अध्याय 18 टोपी के प्रश्न उत्तर को एनसीईआरटी यानि (राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद) के सहायता से बनाया गया है। कक्षा 8 की हिंदी की किताब के प्रश्न उत्तर सीबीएसई सिलेबस को ध्यान में रखकर बनाए गए हैं। देखा गया है कि छात्र कक्षा आठवीं हिंदी गाइड पर काफी पैसा खर्च कर देते हैं। लेकिन यहां से कक्षा आठ के हिंदी के प्रश्न उत्तर पूरी तरह से मुफ्त में प्राप्त कर सकते हैं। छात्र ncert solutions for class 8th hindi chapter 18 टोपी नीचे देखें।

कक्षा : 8
विषय : हिंदी (वसंत भाग -3)
पाठ : 18 टोपी

अभ्यास

कहानी से

प्रश्न 1 – गवरइया और गवरा के बीच किस बात पर बहस हुई और गवरइया को अपनी इच्छा पूरी करने का अवसर कैसे मिला ?

उत्तर :– गवरइया और गवरा के बीच आदमी के कपड़े को लेकर बहस हुई। दोनों इस बारे में अपने-अपने विचार प्रकट कर रहे थे। गवरा कहता कि कपड़े पहनने से आदमी और बदसूरत लगने लगता है। गवरिया कहती कि मौसम की मार से बचने के लिए आदमी कपड़े पहनता है। एक दिन दोनों दाना चुगने के लिए निकले,  वहां दाना चुगते–चुगते गवरिया को रुई का एक फाहा मिला। “मिल गया ……मिल गया …. मिल गया।’’ कहकर गवरिया बहुत खुश हुई जो अंततः गवरिया की इच्छा पूरी करने का कारण बना।

प्रश्न 2 –  गवरइया और गवरे की बहस के तर्कों को एकत्र करें और उन्हें संवाद के रूप में लिखें।

उत्तर:-   

  • गवरइया :- “आदमी को देखते हो? कैसे रंग – बिरंगे कपड़े पहनते हैं। कितना फ़बता है उन पर कपड़ा।”
  • गवरा :- “खाक फबता है”। कपड़ा पहनने के बाद आदमी और बदसूरत लगने लगता है।
  • गवडया :-  “लगता है आज लटजीरा चुग गए हो”?
  • गवरा :- “कपड़े पहन लेने के बाद आदमों की कुदरती खूबसूरती ढक जो जाती है”।
  • “गवरइया :- “कपड़े केवल अच्छा लगने के लिए नहीं मौसम की मार से बचने के लिए भी पहनता है आदमी”।
  • गवरा :-  (हँसकर) “तू समझती नहीं”।

 “कपड़े पहन – पहनकर जाड़ा गर्मी बरसात सहने की उनकी सकत भी जाती रही है और इस कपड़े में बड़ा लफड़ा भी है। कपड़ा पहनते ही कपड़ा पहनने वाले की औकात पता चल जाती है… आदमी – आदमी की हैसियत में भेद पैदा हो जाता है”।

  • गवरइया :-  “नित नए – नए लिबास सिलवाता रहता है”।
  • गवरा :- “यह निरा पोंगापन है”।
  • गवरइया :-  “उनके सिर पर टोपी कितनी अच्छी लगती है। मेरा मन भी टोपी पहनने को करता है”।
  • गवरा :-  “टोपी तू पाएगी कहाँ से”?

प्रश्न 3 – टोपी बनवाने के लिए गवरइया किस-किस के पास गई ? टोपी बनने तक के एक एक कार्य को लिखें।

उत्तर :- गवरिया टोपी बनवाने के लिए सबसे पहले एक धुनिया के पास चली गई और बड़े मुनहार से रुई के फाहे को धुनने को कहा। गवरइया द्वारा आधा बांटने के आश्वाशन पर धुनिया ने रुई धुन दी। इसके बाद कोरी के पास गई। आधे–आधे की पेशकश से कोरी ने रुई से सूत बना दिया। इसके बाद गवरइया सूत लेकर बुनकर के पास पहुंची और बुनकर द्वारा आनाकानी के बाद आधा–आधा करने के बाद उसने कपड़ा तैयार करके दे दिया। कपड़ा लेकर वह एक दर्जी के पास पहुंची। वहा भी प्यार से निवेदन के बाद दर्जी ने दो टोपी बनाई , एक उसे दी और एक स्वयं रखी। दर्जी ने अपनी ओर से एक टोपी पर पांच फुंदे लगा दिए। इस तरह से गवरइया ने टोपी प्राप्त की।

प्रश्न 4 – गवरइया की टोपी पर दर्जी ने पाँच फुंदने क्यों जड़ दिए ?

उत्तर:-  दर्जी राजा की संतान के लिए झब्बे सिल रहा था। जिसका उसे कोई मेहनताना नहीं मिलना था। दूसरी तरफ गवरइया ने दर्जी को कहा कि दो टोपी बना देना; एक आप रख लेना और एक मुझे दे देना। जिससे वह बहुत खुश हुआ था। इसी खुशी और हर्षोल्लास से गवरइया की टोपी पर दर्जी ने पाँच फुंदने जड़ दिए।

कहानी से आगे :-

प्रश्न 1 – किसी कारीगर से बातचीत कीजिए और परिश्रम का उचित मूल्य नहीं मिलने पर उसकी प्रतिक्रिया क्या होगी ? ज्ञात कीजिए और लिखिए।

उत्तर :- एक बार मैंने रेडी पर खाना बनाने वाले से बात की, उससे पता लगा कि यूँ तो सभी ग्राहक हमारे पैसे उसी समय दे देते है। लेकिन कई ग्राहक ऐसे आते है जो खाना खाते भी है और कहते है कि हमें पसंद नहीं आया और बिना पैसे दिए चले जाते है। उस समय मुझे बहुत बुरा लगता है। मुझे अपना मन मारकर रहना पड़ता है। फिर भी गरीबी को देखते हुए ऐसे ही जीवन व्यतीत करना पड़ता है।

प्रश्न 2 – गवरइया की इच्छा पूर्ति का क्रम घूरे पर रुई के मिल जाने से प्रारंभ होता है। उसके बाद वह क्रमश: एक-एक कर कई कारीगरों के पास जाती है और उसकी टोपी तैयार होती है। आप भी अपनी कोई इच्छा चुन लीजिए। उसकी पूर्ति के लिए योजना और कार्य विवरण तैयार कीजिए।

उत्तर :- मनुष्य का मन इच्छाओं का भंडार है। मन में इच्छाओं और मनोकामनाओं की कोई सीमा नहीं होती है परंतु हर व्यक्ति के मन में एक ऐसी इच्छा अवश्य होती है जिसे वह अपने जीवन में अवश्य पूरा करना चाहता है। ऐसे ही मेरी इच्छा है समाज सेवा करने की। जिसके लिए मैं शुरु से ही मेहनत करता आ रहा हूँ। लेकिन हमारे शहर में कोई ऐसा समाज सेवा का केंद्र, ऑफिस नहीं है जहां में कुछ उनसे और कुछ उनकी मदद कर सकूं। इसके लिए मैंने खुद ही कुछ योजना शुरु की। मैंने खुद ही कच्चे स्थानों , झोपड़ियों में जाकर लोगों को कपड़े , खाना का दान करना शुरु किया। मैंने अपने कुछ दोस्तों के साथ मिलकर जहा भी किसी भी चीज का मेला लगता वहा गरीब लोगों की मदद करना शुरु किया। इसके बाद मैंने अपना खुद का एक छोटा-सा ऑफिस खोलकर इस योजना की शुरआत की, जिसमें मुझे कुछ डोनेशंस मिलने भी शुरु हुए। इससे कुछ हद तक मैंने अपनी सामाज सेवा की इच्छा पूरी की।

प्रश्न 3 – गवरइया के स्वभाव से यह प्रमाणित होता है कि कार्य की सफलता के लिए उत्साह आवश्यक है। सफलता के लिए उत्साह की आवश्यकता क्यों पड़ती है, तर्क सहित लिखिए।

उत्तर :- ऐसा इसलिए कहा गया है क्योंकि उत्साह से ही हमारे मन में, शरीर में ऊर्जा का संचार होता है। जो हमें वह कार्य पूरे जुनून के साथ करने के लिए प्रेरित करती है। उत्साह व्यक्ति को कार्य में कुशलता दिलाकर सफलता प्राप्त करने के योग्य बनाता है। उत्साह हमारे कार्य पूरा करने की क्षमता को बढ़ाता है।

अनुमान और कल्पना :-

प्रश्न 1 – टोपी पहनकर गवरइया राजा को दिखाने क्यों पहुँची जबकि उसकी बहस गवरा से हुई और वह गवरा के मुँह से  अपनी बढ़ाई सुन चुकी थी। लेकिन राजा से उसकी कोई बहस हुई ही नहीं थी। फिर भी वह राजा को चुनौती देने पहुँची। कारण का अनुमान लगाइए।

उत्तर :- गवरइया अपनी सुंदर टोपी पहनकर राजा को दिखाने पहुंची क्योंकि वह उसे दिखाना चाहती थी कि अगर तुम किसी को उसका मेहनताना दोगे तो वह आपका काम मन लगाकर बढ़िया साफ तरीके से करके देगा।

प्रश्न 2 – यदि राजा के राज्य के सभी कारीगर अपने-अपने श्रम का उचित मूल्य प्राप्त कर रहे होते तब गवरइया के साथ उन कारीगरों का व्यवहार कैसा होता ?

उत्तर :- यदि राजा के राज्य के सभी कारीगरों अपने-अपने श्रम का उचित मूल्य प्राप्त कर रहे होते तो सभी कारीगर गवरइया के साथ प्यार से बात करते। बिना कोई आनाकानी करके उसका काम करते। शायद ऐसा भी होता कि सभी कारीगर उससे कुछ लिए बिना ही काम करके दे देते अर्थात् उससे आधा हिस्सा न लेते। या ऐसे होता कि काम करने की मजदूरी भी लेते तो उचित ही लेते।

प्रश्न 3 – चारों कारीगर राजा के लिए काम कर रहे थे। एक रजाई बना रहा था। दूसरा अचकन के लिए सूत कात रहा था। तीसरा धागा बुन रहा था। चौथा राजा की सातवीं रानी की दसवीं संतान के लिए झब्बे सिल रहा था। उन चारों ने राजा का काम रोककर गवरइया का काम क्यों किया ?

उत्तर :- चारों कारीगर राजा के लिए काम कर रहे थे। फिर भी उन चारों ने राजा का काम रोककर गवरइया का काम इसलिए किया क्योंकि उन्हें उनके काम का मेहनताना मिल रहा था, सबको गवरइया ने अपना आधा-आधा हिस्सा दिया। दूसरी तरफ राजा उनसे मेहनताना दिए बिना ही काम करवा रहा था।

भाषा की बात :-

प्रश्न 1 – गाँव की बोली में कई शब्दों का उच्चारण अलग होता है। उनकी वर्तनी भी बदल जाती है। जैसे गवरइया गौरेया का ग्रामीण उच्चारण है। उच्चारण के अनुसार इस शब्द की वर्तनी लिखी गई है। फुँदना, फुलगेंदा का बदला हुआ रूप है। कहानी में अनेक शब्द हैं जो ग्रामीण उच्चारण में लिखे गए हैं, जैसे- मुलुक-मुल्क, खमा क्षमा, मजूरी-मजदूरी, मल्लार मल्हार इत्यादि। आप क्षेत्रीय या गाँव की बोली में उपयोग होने वाले कुछ ऐसे शब्दों को खोजिए और उनका मूल रूप लिखिए, जैसे- टेम-टाइम टेसन/टिसन स्टेशन।

उत्तर :-  फबना :- अच्छा लगना, जाड़ा :- सर्दी, मुलुक :- देश, बावरा :-  बावला, मानस :- मनुष्य, पाखी :- पक्षी, लेटन :- लेटने।

प्रश्न 2 – मुहावरों के प्रयोग से भाषा आकर्षक बनती है। मुहावरे वाक्य के अंग होकर प्रयुक्त होते हैं। इनका अक्षरश: अर्थ नहीं बल्कि लाक्षणिक अर्थ लिया जाता है। पाठ में अनेक मुहावरे आए हैं। टोपी को लेकर तीन मुहावरे हैं, जैसे कितनों को टोपी पहनानी पड़ती है। शेष मुहावरों को खोजिए और उनका अर्थ ज्ञात करने का प्रयास कीजिए।

उत्तर :- टोपी उछालना :- अपमानित करना (दीक्षा ने उस आदमी की सबके सामने टोपी उछाल दी।)

टोपी सलामत रहना :- इज्जत बनी रहना (मैं तो बस यही चाहता हूँ कि मेरे माता-पिता की टोपी सलामत रहे।)

कक्षा 8 हिंदी वसंत के सभी अध्यायों के एनसीईआरटी समाधान नीचे देखें

अध्यायअध्याय के नाम
1ध्वनि (कविता)
2लाख की चूड़ियाँ (कहानी)
3बस की यात्रा (व्यंग्य)
4दीवानों की हस्ती (कविता)
5चिट्ठियों की अनूठी दुनिया (निबंध)
6भगवान के डाकिए (कविता)
7क्या निराश हुआ जाए (निबंध)
8यह सबसे कठिन समय नहीं (कविता)
9कबीर की साखियाँ
10कामचोर (कहानी)
11जब सिनेमा ने बोलना सीखा
12सुदामा चरित (कविता)
13जहाँ पहिया है (रिपोर्ताज)
14अकबरी लोटा (कहानी)
15सूर के पद (कविता)
16पानी की कहानी (निबंध)
17बाज और साँप (कहानी)
18टोपी (कहानी

छात्रों को कक्षा 8 हिंदी अध्याय 18 के प्रश्न उत्तर प्राप्त करके काफी खुशी हुई होगी। कक्षा 8 हिंदी वसंत अध्याय 18 टोपी के लिए एनसीईआरटी समाधान देने का उद्देश्य केवल बेहतर ज्ञान देना हैं। हम आशा करते है कि आपको हमारे यह कक्षा 8 हिंदी के प्रश्न उत्तर पसंद आए होंगे। इसके अलावा आप हमारे एनसीईआरटी के पेज से सभी विषयों के एनसीईआरटी समाधान और हिंदी में एनसीईआरटी की पुस्तकें भी प्राप्त कर सकते हैं।

एनसीईआरटी समाधान कक्षा 8 हिंदी का मुख्य पेजयहां से देखें

Join WhatsApp

Join Now

Join Telegram

Join Now

Leave a Reply