एनसीईआरटी समाधान कक्षा 8 हिंदी वसंत अध्याय 5 चिट्ठियों की अनूठी दुनिया

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छात्र इस आर्टिकल के माध्यम से एनसीईआरटी समाधान कक्षा 8 हिंदी वसंत अध्याय 5 चिट्ठियों की अनूठी दुनिया प्राप्त कर सकते हैं। छात्रों के लिए इस आर्टिकल पर कक्षा 8 हिंदी पाठ 5 के प्रश्न उत्तर दिए हुए हैं। छात्र कक्षा 8 हिंदी किताब के प्रश्न उत्तर पाठ 5 चिट्ठियों की अनूठी दुनिया के माध्यम से परीक्षा की तैयारी अच्छे से कर सकते हैं। छात्रों के लिए कक्षा 8 हिंदी अध्याय 5 सवाल जवाब साधारण भाषा में बनाए गए है। जिससे छात्र class 8 hindi chapter 5 question answer सही से समझ सके। छात्रों के लिए वसंत भाग 3 कक्षा 8 पाठ 5 चिट्ठियों की अनूठी दुनिया के प्रश्न उत्तर नीचे दिए हुए हैं।

Ncert Solutions For Class 8 Vasant Chapter 5 चिट्ठियों की अनूठी दुनिया

हिंदी 8 वीं कक्षा अध्याय 5 चिट्ठियों की अनूठी दुनिया के प्रश्न उत्तर को एनसीईआरटी यानि (राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद) के सहायता से बनाया गया है। कक्षा 8 की हिंदी की किताब के प्रश्न उत्तर सीबीएसई सिलेबस को ध्यान में रखकर बनाए गए हैं। देखा गया है कि छात्र कक्षा आठवीं हिंदी गाइड पर काफी पैसा खर्च कर देते हैं। लेकिन यहां से कक्षा आठ के हिंदी के प्रश्न उत्तर पूरी तरह से मुफ्त में प्राप्त कर सकते हैं। छात्र ncert solutions for class 8th hindi chapter 5 चिट्ठियों की अनूठी दुनिया नीचे देखें।

कक्षा : 8
विषय : हिंदी (वसंत भाग -3)
पाठ : 5 चिट्ठियों की अनूठी दुनिया

प्रश्न-अभ्यास

पाठ से

प्रश्न 1 – पत्र जैसा संतोष फोन या एसएमएस का संदेश क्यों नहीं दे सकता ?

उत्तर :- ऐसा इसलिए कहा गया है क्योंकि पत्र जो काम कर सकते है, वह संचार के आधुनिकतम साधन नहीं कर सकते। दुनिया का तमाम साहित्य पत्रों पर केंद्रित है। फोन पर की गई बातों या एसएमएस को कोई संजों कर नहीं रख सकता। पत्रों का भाव सब जगह एक–सा है। देश के बहुत से जिले या गाँव ऐसे है जहां दूरभाष सेवा उपलब्ध नहीं है, जबकि डाकघर प्रत्येक गाँव और कस्बे में स्थापित है। पत्र यादों को सहेजकर रखते है, इसमें किसी को कोई संदेह नहीं है।

प्रश्न 2 – पत्र को खत, कागद, उत्तरम्, जाबू, लेख, कडिद, पाती, चिट्ठी इत्यादि कहा जाता है। इन शब्दों से संबंधित भाषाओं के नाम बताइए।

उत्तर :- इन शब्दों से सम्बन्धित भाषा है :- पत्र को उर्दू में ख़त, कन्नड़ में कागद, तेलुगु में उत्तरम, जाबू और लेख, तमिल में कडिद तथा हिंदी में चिट्ठी कहा जाता है।

प्रश्न 3 – पत्र लेखन की कला के विकास के लिए क्या – क्या प्रयास हुए ? लिखिए।

उत्तर :- डाक व्यवस्था के सुधार के साथ पत्रों को सही दिशा देने के लिए विशेष प्रयास किए गए। पत्र संस्कृति विकसित करने के लिए स्कूली पाठयक्रमों में पत्र लेखन का विषय भी शामिल किया गया। भारत ही नहीं दुनिया के कई देशों में ये प्रयास चले और विश्व डाक संघ ने अपनी ओर से भी काफी प्रयास किए। विश्व डाक संघ की और से 16 वर्ष से कम आयु वर्ग के बच्चों के लिए पत्र लेखन प्रतियोगिताएं आयोजित करने का सिलसिला 1972 से शुरु किया गया। महानगरों में संचार साधनों के तेज विकास के कारण तथा अन्य कारणों से पत्रों की आवाजाही प्रभावित हुई।

प्रश्न 4 – पत्र धरोहर हो सकते हैं लेकिन एसएमएस क्यों नहीं ? तर्क सहित अपना विचार लिखिए।

उत्तर :- यह पूरी तरह सत्य है कि पत्र धरोहर हैं। पत्र किसी दस्तावेज से कम नहीं हैं। आज पत्र अनेक संकलनों के रूप में देखे जा सकते हैं। इनमें प्रमुख रूप से हैं – ‘पंत के दो सौ पत्र बच्चन के नाम’ और निराला के ‘पत्र हमको लिख्यौ है कहा’ तथा ‘पत्रों के आईने में दयानंद सरस्वती‘ सहित कई पुस्तकें हमें धरोहर के रूप में देखने को मिल जाती हैं। पत्रों का यह दिलचस्प संकलन धरोहर है, लेकिन एस० एम० एस० धरोहर नहीं हो सकते। इन्हें संभाल कर रखना कठिन है। एस० एम० एस० को लंबे समय तक सुरक्षित रखना कोई आसान कार्य नहीं है।

एक गलत बटन दबने से एस० एम० एस० पूरी तरह से नष्ट हो सकते हैं। अतः एस० एम० एस० की अपेक्षा पत्र धरोहर हो सकते हैं।

प्रश्न 5 – क्या चिट्ठियों की जगह कभी फैक्स, ई-मेल, टेलीफोन तथा मोबाइल ले सकते हैं ?

उत्तर :- बड़े शहरों और महानगरों में संचार साधनों के तेज विकास तथा अन्य कारणों से पत्रों की आवाजाही पूरी तरह से प्रभावित हुई है , पर देहाती दुनिया आज भी पत्रों पर चल रही है। फैक्स, ई – मेल, टेलीफोन तथा मोबाइल ने चिठ्ठियों की तेजी को रोका है पर व्यापारिक डाक की संख्या लगातार बढ़ रही है। अभी भी कुछ गांव या कुछ जगहें ऐसी है जो पत्रों पर ही आश्रित है लेकिन आने वाले समय में चिठ्ठियों की जगह फैक्स, ई – मेल, टेलीफोन तथा मोबाइल ले सकते है।

पाठ से आगे:-

प्रश्न 1 – किसी के लिए बिना टिकट सादे लिफ़ाफ़े पर सही पता लिखकर पत्र बैरंग भेजने पर कौन सी कठिनाई आ सकती  है ? पता कीजिए।

उत्तर :- सबसे पहले यह कि प्राप्तकर्ता को पत्र पाने पर टिकट का मूल्य और जुर्माना डाकिए को देना होगा। मूल्य के अभाव में डाकिया उसे पत्र नहीं देगा। पत्र के न मिलने की स्थिति में आवश्यक सूचना प्राप्तकर्ता को नहीं मिल पाएगी। और दूसरी तरफ बिना टिकट जल्दी पत्र को आगे के लिए भेजा नहीं जाता है।

प्रश्न 2 – पिन कोड भी संख्याओं में लिखा गया एक पता है, कैसे ?

उत्तर:-   क्रिया सहाय,

      185, सैक्टर 21 – बी,

              चंड़ीगढ़,

      पिन कोड :- 160022

पिन कोड जिले को प्रदर्शित करता है, जिससे पता ढूंढ़ने में आसानी होती है।

प्रश्न 3 – ऐसा क्यों होता था कि महात्मा गांधी को दुनिया भर से पत्र ‘महात्मा गांधी’ – इंडिया’ पता लिखकर आते थे ?

उत्तर :- इसका मुख्य कारण यह था कि गांधी जी के रहने की कोई निश्चित जगह नहीं थी। वे आंदोलन के लिए , देश की सेवा के लिए , किसी के एक बार बुलाने पर दुनिया के किसी भी कोने में चले जाते थे। उनका कभी कही कभी कही घूमना रहता ही था। इसलिए उन्हें इंडिया का पता लिखकर पत्र भेजे जाते जहां वे कही भी होते पत्र उन्हें मिल जाते थे।

अनुमान और कल्पना :-

प्रश्न 1 – रामधारी सिंह दिनकर की कविता ‘भगवान के डाकिए’ आपकी पाठ्य पुस्तक में है, उसके आधार पर पक्षी और बादल को डाकिए की भांति मानकर, अपनी कल्पना से लेख लिखिए।

उत्तर :- रामधारी सिंह दिनकर को हिंदी – साहित्य का प्रतिष्ठित साहित्यकार माना जाता है। बादल और पक्षी दो अलग शब्द हैं लेकिन दोनों में बहुत सी समानताएँ हैं। पक्षी और बादल दोनों ही भगवान के बनाए हुए डाकिए हैं। ये दोनों ही एक देश से दूसरे देश तक आने-जाने और प्राकृतिक संदेशों को लाने और ले जाने का काम करते हैं। यह उनके द्वारा लाई चिट्टियों को पेड़ – पौधे पानी और पहाड़ अपने – अपने तरीके से हमें सुनाते हैं जैसे झरना और नदियाँ कल – कल करके अपने मधुर स्वर को चारों ओर गुंजन कर देती हैं। हम लोग मात्र यही सोचते हैं कि एक देश की भूमि अन्य देश को अपनी सुगंध ही भेजती है। एक देश के पानी के वाष्प दूसरे अन्य देश में पानी बनकर बरस पड़ते हैं।

प्रश्न 2 – संस्कृत साहित्य के महाकवि कालिदास ने बादल को संदेश वाहक बनाकर मेघदूत नाम का काव्य लिखा है। मेघदूत के विषय में जानकारी प्राप्त कीजिए।

उत्तर :- संस्कृत साहित्य के महान कवि कालिदास ने ‘मेघदूत’ नामक कृति की रचना की थी जिसमें यक्ष ने अपनी प्रिय को अपने हृदय की पीड़ा समझाने के लिए बादलों को संदेश वाहक बनाकर भेजा था। उन्हें अपनी प्रिय से अलग होना पड़ा क्योंकि धन के देवता कुबेर ने उसे निर्वासन का दंड दिया था।

प्रश्न 3 – पक्षी को संदेशवाहक बनाकर अनेक कविताएं एवं गीत लिखे गए हैं। एक गीत है :- जा – जा रे कागा विदेशवा, मेरे पिया से कहियो संदेशवा। इस तरह के तीन गीतों का संग्रह कीजिए। प्रशिक्षित पक्षी के गले में पत्र बांधकर निर्धारित स्थान तक भेजने का उल्लेख मिलता है। मान लीजिए आपको एक पक्षी को संदेशवाहक बना कर पत्र भेजना है तो आप वह पत्र किसे भेजना चाहेंगे और उसमें क्या लिखना चाहोंगे ?

उत्तर:- मैं पक्षी को संदेश्वाहक बनाकर अपने भाई को पत्र देना चाहूंगा। वह हमारे साथ घर नहीं रहता बल्कि कुछ झगड़ा होने की वजह से बाहर रहना शुरु कर दिया। मैंने उसे कई फोन भी किए लेकिन वह नहीं उठाता। इसलिए मै चाहता हूँ ये पक्षी मेरे संदेश को उस तक पहुंचाए और वह वापिस आ जाए।

प्रश्न 4 – केवल पढ़ने के लिए दी गई राम दरश मिश्र की ‘कविता चिट्ठियों’ को ध्यानपूर्वक पढ़िए और विचार कीजिए क्या यह कविता केवल लेटर बॉक्स में पड़ी निर्धारित पते पर जाने के लिए तैयार चिट्ठियों’ के बारे में है ? या रेल के डिब्बे में बैठी सवारी भी उन्हीं चिट्ठियों की तरह हैं जिनके पास उनके गंतव्य तक का टिकट है ? पत्र के पते की तरह और क्या विद्यालय भी एक लेटर – बाक्स की भांति नहीं है जहाँ से उत्तीर्ण होकर विद्यार्थी अनेक क्षेत्रों में चले जाते हैं ? अपनी कल्पना को पंख लगाइए और मुक्त मन से इस विषय में विचार – विमर्श लिखिए।

उत्तर- रामदरश मिश्र द्वारा रचित कविता ‘चिट्ठियाँ’ आज के भौतिकवादी युग में मानव पर कटाक्ष है। कवि के द्वारा रचित कविता का आकार छोटा अवश्य है , लेकिन यह अपने संग अत्यंत गुढ़ार्थ लिए हुए है। कवि ने प्रत्यक्ष रूप से न कहकर आज के युग में लोगों के मन के भाव को स्पष्ट करने का प्रयास किया है। इसीलिए कवि ने पत्रों की तुलना मानव से की है। लेटर बॉक्स में पत्र सबके साथ पड़े रहते हैं। भिन्न – भिन्न प्रकार के पत्र अपने अंतर में सुख – दुःख के भाव लिए अपनी बारी और लक्ष्य को ताकते रहते हैं, लेकिन कोई भी पत्र किसी अन्य पत्र से किसी प्रकार की कोई बात नहीं करता। ठीक इसी प्रकार आज का मानव भी मात्र अपनी ही सोचता है। उसे अन्य किसी से और कुछ लेना – देना नहीं है। वह नितांत स्वार्थ और लोभी बनता जा रहा है। आज का मानव तो मात्र अपने लक्ष्य को देखता है चाहे उसे प्राप्त करने का पथ कोई भी क्यों न हो।

भाषा की बात:-  

प्रश्न 1 -किसी प्रयोजन विशेष से संबंधित शब्दों के साथ पत्र शब्द जोड़ने से कुछ शब्द बनते हैं, जैसे प्रशस्ति पत्र, समाचार पत्र। आप भी पत्र के योग से बनने वाले दस शब्द लिखिए।

उत्तर:-  स्नेह पत्र, त्याग पत्र, आवेदन पत्र, प्रेम पत्र, पारिवारिक पत्र, सूचना पत्र, प्रार्थना पत्र।

प्रश्न 2 – ‘व्यापारिक’ शब्द व्यापार शब्द के साथ ‘इक’ प्रत्यय के योग से बना है। ‘इक’ प्रत्यय के योग से बनने वाले शब्दों को अपनी पाठ्य पुस्तक से खोज कर लिखिए।

उत्तर:- 

सामजिक :-  सामाज + इक

स्वाभाविक :-  स्वभाव + इक

ऐतिहासिक :- इतिहास + इक

पारिश्रमिक :- परिश्रम  + इक

पौराणिक :-  पुराण + इक

प्रश्न 3 – दो स्वरों के मेल से होने वाले परिवर्तन को स्वर संधि कहते हैं; जैसे- रवीन्द्र :- रवि + इन्द्र। इस संधि में इ + इ = ई हुई है। इसे दीर्घ संधि कहते हैं। दीर्घ स्वर संधि के और उदाहरण खोजकर लिखिए। मुख्य रूप से स्वरसंधियाँ चार प्रकार की मानी गई हैं – दीर्घ, गुण, वृद्धि और यण।

ह्रस्व या दीर्घ अ, इ, उ के बाद ह्रस्व या दीर्घ अ, इ, उ, आ आए तो ये आपस में मिलकर क्रमशः दीर्घ आ, ई, ऊ हो जाते हैं, इसी कारण इस संधि को दीर्घ संधि कहते हैं, जैसे संग्रह + आलय संग्रहालय, महा + आत्मा = महात्मा।

इस प्रकार के कम-से-कम दस उदाहरण खोजकर लिखिए और अपनी शिक्षिका / शिक्षक को दिखाइए।

उत्तर:- 

              दीर्घ सन्धि :-

  • कार्य + आलय = कार्यालय 
  • दया + आलु  =  दयालु 
  • पर + अधीन  = पराधीन  
  • कवि + ईश्वर = कवीश्वर 
  • रजनी + ईश =  रजनीश  
  • हरि + इच्छा = हरीच्छा
  • भानु + उदय = भानूदय
  • भू + उपरि = भूपरि
  • मनु + उपदेश = मनुपदेश
  • सु + उक्ति = सूक्ति

           यण सन्धि :-

  • अति + आवश्यक = अत्यावश्यक
  • सु + आगत = स्वागत
  • अति + अधिक = अत्यधिक
  • अभि + आगत = अभ्यागत
  • यदि + अपि = यद्यपि
  • प्रति + आशा = प्रत्याशा
  • विधि + अनुकूल = विद्यनुकूल
  • प्रति + उत्तर = प्रत्युत्तर
  • देवी + अर्पण = देव्यर्पण
  • रीति + अनुसार = रीत्यनुसार

          गुण सन्धि :-

  • उमा + ईश = उमेश
  • गण + ईश = गणेश
  • गज + इंद्र = गजेंद्र
  • धर्म + इंद्र = धर्मेंद्र
  • नर + ईश = नरेश
  • महा + इंद्र = महेंद्र
  • हित + उपदेश =  हितोपदेश
  • महा + उत्स्व = महोत्स्व
  • सूर्य + उदय = सूर्योदय
  • पर + उपकार = परोपकार

       वृद्धि सन्धि :-

  • महा + ओज = महोज़
  • तथ + एव = तथैव
  • सदा + एव = सदैव
  • एक + एक = एकैक
  • तदा + एव = तदैव
  • लठ + एत = लठैत
  • दंत + ओष्ठ = दंतोष्ठ
  • अधर + ओष्ठ = अधरोष्ठ
  • कल + ऐश = कलेश
  • नर + ऐश = नरेश

कक्षा 8 हिंदी वसंत के सभी अध्यायों के एनसीईआरटी समाधान नीचे देखें

अध्यायअध्याय के नाम
1ध्वनि (कविता)
2लाख की चूड़ियाँ (कहानी)
3बस की यात्रा (व्यंग्य)
4दीवानों की हस्ती (कविता)
5चिट्ठियों की अनूठी दुनिया (निबंध)
6भगवान के डाकिए (कविता)
7क्या निराश हुआ जाए (निबंध)
8यह सबसे कठिन समय नहीं (कविता)
9कबीर की साखियाँ
10कामचोर (कहानी)
11जब सिनेमा ने बोलना सीखा
12सुदामा चरित (कविता)
13जहाँ पहिया है (रिपोर्ताज)
14अकबरी लोटा (कहानी)
15सूर के पद (कविता)
16पानी की कहानी (निबंध)
17बाज और साँप (कहानी)
18टोपी (कहानी

छात्रों को कक्षा 8 हिंदी अध्याय 5 के प्रश्न उत्तर प्राप्त करके काफी खुशी हुई होगी। कक्षा 8 हिंदी वसंत अध्याय 5 चिट्ठियों की अनूठी दुनिया के लिए एनसीईआरटी समाधान देने का उद्देश्य केवल बेहतर ज्ञान देना हैं। हम आशा करते है कि आपको हमारे यह कक्षा 8 हिंदी के प्रश्न उत्तर पसंद आए होंगे। इसके अलावा आप हमारे एनसीईआरटी के पेज से सभी विषयों के एनसीईआरटी समाधान और हिंदी में एनसीईआरटी की पुस्तकें भी प्राप्त कर सकते हैं।

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