एनसीईआरटी समाधान कक्षा 8 हिंदी वसंत अध्याय 7 क्या निराश हुआ जाए

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छात्र इस आर्टिकल के माध्यम से एनसीईआरटी समाधान कक्षा 8 हिंदी वसंत अध्याय 7 क्या निराश हुआ जाए प्राप्त कर सकते हैं। छात्रों के लिए इस आर्टिकल पर कक्षा 8 हिंदी पाठ 7 के प्रश्न उत्तर दिए हुए हैं। छात्र कक्षा 8 हिंदी किताब के प्रश्न उत्तर पाठ 7 क्या निराश हुआ जाए के माध्यम से परीक्षा की तैयारी अच्छे से कर सकते हैं। छात्रों के लिए कक्षा 8 हिंदी अध्याय 7 सवाल जवाब साधारण भाषा में बनाए गए है। जिससे छात्र class 8 hindi chapter 7 question answer सही से समझ सके। छात्रों के लिए वसंत भाग 3 कक्षा 8 पाठ 7 क्या निराश हुआ जाए के प्रश्न उत्तर नीचे दिए हुए हैं।

Ncert Solutions For Class 8 Vasant Chapter 7 क्या निराश हुआ जाए

हिंदी 8 वीं कक्षा अध्याय 7 क्या निराश हुआ जाए के प्रश्न उत्तर को एनसीईआरटी यानि (राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद) के सहायता से बनाया गया है। कक्षा 8 की हिंदी की किताब के प्रश्न उत्तर सीबीएसई सिलेबस को ध्यान में रखकर बनाए गए हैं। देखा गया है कि छात्र कक्षा आठवीं हिंदी गाइड पर काफी पैसा खर्च कर देते हैं। लेकिन यहां से कक्षा आठ के हिंदी के प्रश्न उत्तर पूरी तरह से मुफ्त में प्राप्त कर सकते हैं। छात्र ncert solutions for class 8th hindi chapter 7 क्या निराश हुआ जाए नीचे देखें।

कक्षा : 8
विषय : हिंदी (वसंत भाग -3)
पाठ : 7 क्या निराश हुआ जाए

प्रश्न अभ्यास

आपके विचार से

प्रश्न 1 – लेखक ने स्वीकार किया कि लोगों ने उन्हें भी धोखा दिया है, फिर भी वह निराश नहीं है। आपके विचार से इस बात का क्या कारण हो सकता है ?

उत्तर :- लेखक का कहना है कि आज भी भारतवर्ष में सेवा, ईमानदारी, सच्चाई और आध्यात्मिकता के मूल्य बसे हुए हैं। वे दब अवश्य गए हैं; नष्ट नहीं हुए हैं। आज भी सामान्य व्यक्ति भारतीय महिलाओं का सम्मान करता है, झूठ बोलना और चोरी करना पाप समझता है, सेवा करना अपना धर्म समझता है। रेलवे स्टेशन पर लेखक के साथ घटना और बस खराब होने की घटना इसी का प्रमाण है। रेलवे स्टेशन पर टिकट बाबू द्वारा लेखक को ढूँढ़ कर नब्बे रुपए वापस करना तथा बस कंडक्टर द्वारा लेखक के बच्चों के लिए दूध और पानी लाना इसी बात के प्रमाण हैं। आज भी सेवा भावना, ईमानदारी विद्यमान है। अतः धोखा दिए जाने पर भी लेखक निराश नहीं है।

प्रश्न 2 – समाचार पत्रों, पत्रिकाओं और टेलीविज़न पर आपने ऐसी अनेक घटनाएँ देखी – सुनी होंगी जिनमें लोगों ने बिना किसी लालच के दूसरों की सहायता की हो या ईमानदारी से काम किया हो। ऐसे समाचार तथा लेख एकत्रित करें और अपनी टिप्पणी लिखें।

उत्तर :– एक बार माधव अपने घर से बाजार जा रहा था, कि रास्ते में उसे नोटों से भरा एक पर्स मिला। रूपए देखकर उसकी आँखें चमक उठीं। किंतु सहसा उसके अंतर्मन से आवाज़ आई कि यह क्या कर रहा है ? उसका मन झंकृत हो उठा। उसने सोचा यह बटुआ जिस किसी का है उसे कितनी कठिनाई हो रही होगी। अतः उसने उस बटुए को उसके वास्तविक स्वामी को पहुँचाने की ठानी। बटुए को टटोलने पर उसमें बटुए के स्वामी का पता मिला। माधव ने निश्चित पते पर पहुँच कर दरवाजे को घंटी बजाई। नौकर ने दरवाजा खोला और माधव से आने का कारण पूछा। माधव ने पते पर लिखे नाम वाले व्यक्ति से मिलने की इच्छा प्रकट की। माधव ने बटुए के स्वामी से बटुए के बारे में यथासंभव जानकारी प्राप्त कर उन्हें वह नोटों से भरा बटुआ लौटा दिया। बटुए के मालिक ने इनाम के रूप में माधव को ₹400 देने चाहे लेकिन माधव ने विनम्रता के साथ मना कर दिया। 

प्रश्न 3 – लेखक ने अपने जीवन की दो घटनाओं में रेलवे टिकट और बस कंडक्टर की अच्छाई और ईमानदारी की बात बताई है। आप भी अपने किसी परिचित के साथ हुई किसी घटना के बारे में किसी ने बिना किसी स्वार्थ, भलाई, ईमानदारी और अच्छाई के कार्य किए हो।

उत्तर:- एक बार मेरा मित्र दिल्ली गया। उसके पास पाँच हजार रुपये थे जिन्हें वह अपनी माँ के इलाज के लिए लेकर जा रहा था। अस्पताल में पहुंचने पर उसने जब अपनी जेब टटोली तो उसमें पर्स नहीं था। उसके चेहरे की हवाइयां उड़ने लगीं। इतने में एक व्यक्ति वहां पहुंचा और उसने पूछताछ करके मेरे मित्र को उसके पांच हजार रुपये वाला पर्स देते हुए कहा कि यह उसे बस में पड़ा मिला था। मेरे मित्र  के यह पूछने पर उसे कि यहां का पता किसने दिया तो उसने बताया कि पर्स में अस्पताल का नाम तथा डॉक्टर द्वारा लिखी दवाइयों की पर्ची को पढ़कर वहां तक पहुंचा है। मेरा मित्र उस अनजान व्यक्ति द्वारा दी गई सहायता और उसकी ईमानदारी को आज भी याद करता है।

पर्दाफाश :-

प्रश्न 1 – दोषों का पर्दाफाश करना कब बुरा रूप ले सकता है ?

उत्तर:-  ‘दोषों का पर्दाफाश’ करना तब बुरा रूप ले सकता है जब वह समाज, संस्कृति एवं सभ्यता के विरुद्ध हो। वैसे तो किसी भी अवगुण या दोष को उजागर करना गलत कार्य नहीं है, लेकिन समाज में उसके उजागर होने पर लोगों पर उसका क्या प्रभाव पड़ेगा ये बात महत्त्वपूर्ण हो जाती है। अश्लीलता एवं नग्नता जैसे दोषों को उजागर करने पर कुछ लोग इसमें गुम भी होना चाहेंगे, जो समाज के हित में नहीं है। अतः उक्त विषयों में दोषों का पर्दाफाश करना बुरा रूप ले लेता है।

प्रश्न 2 – आजकल के बहुत से समाचार पत्र या समाचार चैनल ‘दोषों का पर्दाफाश’ कर रहे हैं। इस प्रकार समाचारों और कार्यक्रमों की सार्थकता पर तर्क सहित विचार लिखिए ?

उत्तर :- समाचार पत्रों और समाचार चैनलों के द्वारा दोषों का पर्दाफाश करने का मुख्य कारण समाज को जागृत करना है। जब व्यक्ति विशेष जागृत हो जाएगा, तो वह गुण – दोष की परिभाषा को स्वयं जान और समझ सकेगा। सभी समाचार पत्र लोगों को एकजुट करने का काम करते हैं। वे भाईचारे और बंधुत्व की भावना का विकास करते हैं। नित्य नए – नए दोषों एवं अप्रिय घटनाओं को छापकर हमें सचेत करने का काम करते हैं। जिससे एक असर यह भी होता है कि कुछ हद तक बुरा काम करने वाले लोगों की संख्या कम होती है।

कारण बताइए :-

निम्नलिखित्त के संभावित परिणाम क्या – क्या हो सकते हैं ? आपस में चर्चा कीजिए- जैसे- ईमानदारी को मूर्खता का पर्याय समझा जाने लगा है’। परिणाम- भ्रष्टाचार बढ़ेगा।

प्रश्न 1 – ‘सच्चाई केवल भीरु और बेबस लोगों के हिस्से पड़ी है’।

उत्तर :- लेखक कहता है कि आज इस छल – कपट की दुनिया में ईमानदारों का कोई स्थान नहीं रह गया है। ईमानदार व्यक्ति को मूर्ख समझा जाने लगा है। छल – कपट करने वाले समझते हैं कि वही व्यक्ति सच्चाई का पल्ला पकड़े बैठे है जो डरपोक है, जो बेबस है।  

परिणाम :– झूठ का बोलबाला बढ़ेगा और सच्चे लोग पीछे रह जाएंगे।

प्रश्न:-2. ‘झूठ और फरेब करने वाले फल – फूल रहे हैं’।

उत्तर:-  ‘झूठ और फरेब का रोजगार करने वाले फल – फूल रहे है’ इसका परिणाम यह निकल रहा है कि झूठे, धोखेबाज मनुष्य जीवन में गति कर रहे है, सच्चे लोगों को कोई पूछता भी नही है। जीवन की हर सुख सुविधा, परम गति सिर्फ लालची, झूठ बोलने वाले को ही मिल रही है। जबकि सच बोलने वाले लोग अंधकार में जीवन बिता रहे है। गरीबी को झेल रहे है। जिसकी वजह से कई बार सच बोलने वाले लोग भी अपने रास्ते से भटक जाने की सोचने लग जाता है और कुछ गलत रास्ते की ओर चले भी जाते है।

परिणाम :- ईमानदारी तो दुनिया से मिटती चली जाएगी।

प्रश्न 3 – ‘हर आदमी दोषी अधिक दिख रहा है, गुणी कम “।

उत्तर :- आज प्रत्येक आदमी एक – दूसरे पर आरोप लगा रहा है। व्यक्ति के गुणों को भुला दिया गया है और दोषों को बढ़ा- चढ़ाकर दिखाया जाता है। इसी कारण आज हर आदमी में गुण कम और दोष अधिक दिखाई देते है। इसका जीता – जागता उदाहरण बस ड्राइवर और कंडक्टर के रूप में हमें देखने को मिलता है। मनुष्य अपनी मानसिकता का विपरीत लाभ लेते हुए गुणों की उपेक्षा कर दोषों को अधिक देखने लगता है। इसी कारण मानव दोषी अधिक और गुणी कम दिखाई पड़ता है।

परिणाम :- हम दोषों का उल्लेख ज्यादा करते हैं और गुणों को मन में छिपा जाते हैं।

दो लेखक और बस यात्रा :-

प्रश्न 1 – आपने इस लेख में एक बस की यात्रा के बारे में पढ़ा। इससे पहले भी आप एक बस यात्रा के बारे में पढ़ चुके है। यदि दोनों बस – यात्राओं के लेखक आपस में मिलते, तो एक – दूसरे को कौन – कौन सी बातें बताते ? अपनी कल्पना से उनकी बातचीत लिखिए।

उत्तर:-  

पहला लेखक :– कहिए, कैसे हैं। कहाँ थे ?

दूसरा लेखक :- ऐसे ही बाहर चला गया था।

पहला लेखक :- गया तो मैं भी था, पर….

दूसरा लेखक :-  पर क्या हुआ ?

पहला लेखक :- एक खटारा बस की सवारी ने सारा मजा किरकिरा कर दिया।

दूसरा लेखक :-  कैसे ?

पहला लेखक :- कभी पेट्रोल लीक, तो कभी टायर फटा दो घंटे की यात्रा में पाँच घंटे लग गए।

दूसरा लेखक :- मैं भी जिस बस में गया था, वह भी रास्ते में ही खराब हो गई थी। दूसरी बस आई तो घर पहुंचे।

सार्थक शीर्षक:-

प्रश्न 1 – लेखक ने लेख का शीर्षक ‘क्या निराश हुआ जाए’ क्यों रखा होगा ? क्या आप इससे भी बेहता शीर्षक सुझा सकते हैं ?

उत्तर :- ‘क्या निराश हुआ जाए’ पाठ शीर्षक से हम पूर्ण रूप से सहमत है। आज के युग में समाचार – पत्रों में भ्रष्टाचार, बेईमानी आदि के समाचारों को पढ़कर हमें निराश नही होना चाहिए। लोभ – मोह आदि को प्रधान शक्ति मान लेना तथा मन और बुद्धि को इनके सहारे छोड़ देना उचित नहीं। समाज में अभी भी सच्चाई और ईमानदारी है तथा मनुष्यता समाप्त नहीं हुई है। रेल टिकट बाबू और कंडक्टर जैसे लोग समाज में अभी भी विद्यमान है। मनुष्य की बनाई नीतियों को बदलकर महान भारत को पुनः पाया जाता है। आाशा की ज्योति बुझी नहीं है, अत: निराश होने की आवश्यकता नही।

अन्य शीर्षक :- आशावादी दृष्टिकोण।

प्रश्न 2 – यदि ‘क्या निराश हुआ जाए’ के बाद कोई विराम चिह्न लगाने के लिए कहा जाए तो आप दिए गए चिह्नों में से कौन–सा चिह्न लगाएंगे ? अपने चुनाव का कारण भी बताइए। – , । , ! , ? , ; , – , ….।

उत्तर :- इसका मुख्य कारण यह है कि ‘क्या निराश हुआ जाए’ में एक प्रश्न उठता है कि जीवन में ऐसा क्या हो गया है कि जीवन में निराश होना पड़े। या यह भी कह सकते है कि ऐसा वातावरण बन गया हो और कोई पूछ रहा हो कि इस समय हमें निराश होना चाहिए। अतः ‘?’ (प्रश्नवाचक) विराम चिह्न यहां उपयुक्त जान पड़ता है।

 प्रश्न 3 –  “आदर्शों की बातें करना तो बहुत आसान है, पर उन पर चलना बहुत कठिन है”। क्या आप इस बात से सहमत है ? तर्क सहित उत्तर दीजिए।

उत्तर :– व्यक्ति चित्त सब समय आदशों द्वारा चालित नहीं होता। भारतीय जीवन – यापन पद्धति में लोभ न करने तथा मोह से दूर रहने को महत्त्व दिया जाता रहा है और लोग सिद्धांत रूप से इन्हें मानते हैं और इन्हें आचरण में लाने का प्रयत्न भी करते हैं। कभी – कभी देश की स्थिति सुधारने के लिए कृषि, वाणिज्य, शिक्षा और स्वास्थ्य की स्थिति और अधिक बढ़िया बनाने के लिए जिन लोगों को नियुक्त किया जाता है, वे मन की अपवित्रता के कारण, लक्ष्य को भूल कर अपनी सुख – सुविधा की ओर ध्यान देने लगते हैं। ऐसा इसलिए होता है कि व्यक्ति का मन सदैव आदर्शो के द्वारा चालित नहीं होता।

सपनों का भारत :-

हमारे महान मनीषियों के सपनों का भारत है और रहेगा”।

प्रश्न 1 – आपके विचार से हमारे महान विद्वानों ने किस तरह के भारत के सपने देखे थे ? लिखिए।

उत्तर :– हमारे महापुरुषों के सपनों के भारत की संस्कृति महान थी। उनके सपनों का भारत सभ्य लोगों का ऐसा समाज था जिसमें किसी प्रकार का छल – कपट, भ्रष्टाचार और लूटपाट नहीं थी। उन्होंने ऐसे भारत का सपना देखा था जिसमें सभी मिल–जुलकर रहें। सभी ईमानदारी और सच्चाई से अपना जीवन यापन करें। उनका सपना था कि भारत में आर्य और द्रविड़, हिंदू और मुसलमान, यूरोपीय और पाश्चात्य समाज के आदर्शों का मिलन होगा। हमारे महापुरुष भारत के रूप में एक महान एवं आदर्श देश का सपना देख रहे थे।

प्रश्न 2 – आपके सपनों का भारत कैसा होना चाहिए ? लिखिए।

उत्तर :- मेरे देश का नाम भारत है। दुष्यंत और शकुंतला के पुत्र भरत के नाम पर इसका यह नाम पड़ा। इसका प्राचीन नाम आर्यावर्त्त भी है। मुस्लिम शासकों ने इसे हिंद , हिंदुस्तान या हिंदोस्तान का नाम दिया। अंग्रेजों ने इसे ‘इंडिया’ के नाम से प्रख्यात किया। स्वतंत्रता के बाद संविधान द्वारा यह देश  ‘भारत’ के नाम से दुनिया के मानचित्र पर चमकने लगा। यह देश हमारी मातृभूमि है। हमारा रोम–रोम इसके प्रति कृतज्ञ है। मैं चाहता हूँ कि मेरा देश संसार का सर्वश्रेष्ठ देश बन जाए। देश का भविष्य देश के बच्चे होते हैं, इसलिए मेरे सपनों के भारत में शिक्षा सबके लिए सुलभ तथा रोजगार प्रदान करने वाली होगी। कृषि प्रधान देश होने के कारण कृषि उत्पादन में वृद्धि मेरा सपना है। मेरे सपनों के भारत में उदयोग और व्यापार देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करेंगे। देश पर्यावरण की दृष्टि से सब प्रकार से सुरक्षित होगा।

भाषा की बात :-  

प्रश्न 1 – दो शब्दों के मिलने से समास बनता है। समास का एक प्रकार है – द्वंद्व् समास। इसमें दोनों भाग प्रधान होते है। जब दोनों भाग प्रधान होंगे तो एक – दूसरे में द्वंद्व् (स्पर्धा, होड़) की संभावना होती है। कोई किसी से पीछे नहीं रहना चाहता ; जैसे – चरम और परम चरम परम, भीरु और वेबस। दिन और रात :-  दिन–रात। ‘और’ के साथ आए शब्दों के जोड़े को ‘और’ हटाकर (-) योजक चिह्न भी लगाया जाता है। कभी-कभी एक साथ भी लिखा जाता है। द्वंद्व् समास के बारह उदाहरण ढूंढ़कर लिखिए।

उत्तर:-         

समस्त पद         विग्रह           समास का नाम

रुपया – पैसा   रुपया और पैसा      द्वंद्व् समास

अपना – पराया   अपना और पराया    द्वंद्व् समास

 हानि – लाभ    हानि और लाभ        द्वंद्व् समास

नर – नारी         नर और नारी         द्वंद्व् समास

मां – बाप        मां और बाप            द्वंद्व् समास

दाल – रोटी      दाल और रोटी         द्वंद्व् समास

घी – शक़्कर    घी और शक़्कर         द्वंद्व् समास

लोटा – डोरी     लोटा और डोरी        द्वंद्व् समास

लव – कुश       लव और कुश           द्वंद्व् समास

गंगा – यमुना      गंगा और यमुना      द्वंद्व् समास

अन्न – जल        अन्न और जल         द्वंद्व् समास

सुख – दुख       सुख और दुख          द्वंद्व् समास

प्रश्न 2 – पाठ से तीनों प्रकार की संज्ञाओं के उदाहरण खोजकर लिखिए।

उत्तर :- व्यक्तिवाचक संज्ञा :-  धर्मवीर, मोहन

            जातिवाचक संज्ञा :-  मनुष्य, महिला

            भाववाचक संज्ञा :- सच्चाई, अच्छाई

कक्षा 8 हिंदी वसंत के सभी अध्यायों के एनसीईआरटी समाधान नीचे देखें

अध्यायअध्याय के नाम
1ध्वनि (कविता)
2लाख की चूड़ियाँ (कहानी)
3बस की यात्रा (व्यंग्य)
4दीवानों की हस्ती (कविता)
5चिट्ठियों की अनूठी दुनिया (निबंध)
6भगवान के डाकिए (कविता)
7क्या निराश हुआ जाए (निबंध)
8यह सबसे कठिन समय नहीं (कविता)
9कबीर की साखियाँ
10कामचोर (कहानी)
11जब सिनेमा ने बोलना सीखा
12सुदामा चरित (कविता)
13जहाँ पहिया है (रिपोर्ताज)
14अकबरी लोटा (कहानी)
15सूर के पद (कविता)
16पानी की कहानी (निबंध)
17बाज और साँप (कहानी)
18टोपी (कहानी

छात्रों को कक्षा 8 हिंदी अध्याय 7 के प्रश्न उत्तर प्राप्त करके काफी खुशी हुई होगी। कक्षा 8 हिंदी वसंत अध्याय 7 क्या निराश हुआ जाए के लिए एनसीईआरटी समाधान देने का उद्देश्य केवल बेहतर ज्ञान देना हैं। हम आशा करते है कि आपको हमारे यह कक्षा 8 हिंदी के प्रश्न उत्तर पसंद आए होंगे। इसके अलावा आप हमारे एनसीईआरटी के पेज से सभी विषयों के एनसीईआरटी समाधान और हिंदी में एनसीईआरटी की पुस्तकें भी प्राप्त कर सकते हैं।

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