एनसीईआरटी समाधान कक्षा 8 हिंदी वसंत अध्याय 6 भगवान के डाकिए

Photo of author
PP Team

छात्र इस आर्टिकल के माध्यम से एनसीईआरटी समाधान कक्षा 8 हिंदी वसंत अध्याय 6 भगवान के डाकिए प्राप्त कर सकते हैं। छात्रों के लिए इस आर्टिकल पर कक्षा 8 हिंदी पाठ 6 के प्रश्न उत्तर दिए हुए हैं। छात्र कक्षा 8 हिंदी किताब के प्रश्न उत्तर पाठ 6 भगवान के डाकिए के माध्यम से परीक्षा की तैयारी अच्छे से कर सकते हैं। छात्रों के लिए कक्षा 8 हिंदी अध्याय 6 सवाल जवाब साधारण भाषा में बनाए गए है। जिससे छात्र class 8 hindi chapter 6 question answer सही से समझ सके। छात्रों के लिए वसंत भाग 3 कक्षा 8 पाठ 6 भगवान के डाकिए के प्रश्न उत्तर नीचे दिए हुए हैं।

Ncert Solutions For Class 8 Vasant Chapter 6 भगवान के डाकिए

हिंदी 8 वीं कक्षा अध्याय 6 भगवान के डाकिए के प्रश्न उत्तर को एनसीईआरटी यानि (राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद) के सहायता से बनाया गया है। कक्षा 8 की हिंदी की किताब के प्रश्न उत्तर सीबीएसई सिलेबस को ध्यान में रखकर बनाए गए हैं। देखा गया है कि छात्र कक्षा आठवीं हिंदी गाइड पर काफी पैसा खर्च कर देते हैं। लेकिन यहां से कक्षा आठ के हिंदी के प्रश्न उत्तर पूरी तरह से मुफ्त में प्राप्त कर सकते हैं। छात्र ncert solutions for class 8th hindi chapter 6 भगवान के डाकिए नीचे देखें।

कक्षा : 8
विषय : हिंदी (वसंत भाग -3)
पाठ : 6 भगवान के डाकिए

प्रश्न-अभ्यास

कविता से

प्रश्न 1 – कवि ने पक्षी और बादल को भगवान के डाकिये क्यों बताया हैं ? स्पष्ट कीजिये।

उत्तर :- कवि ने पक्षी और बादल को भगवान के डाकिए इसलिए माना है क्योंकि ये संदेशों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर लाने ले जाने का कार्य करते हैं। प्रकृति के ये दोनों तत्व अपने -अपने कार्य को सुचारू रूप से करते है तथा सभी तक समय पर पहुँचाते भी है, इसलिए कवि दिनकर ने इन्हें भगवान के डाकिए कहा है।

प्रश्न 2 – पक्षी और बादल द्वारा लाई गई चिट्ठियों को कौन-कौन पढ़ पाते हैं? सोचकर लिखिए।

उत्तर :- पक्षी और बादल दोनों ही कवि के अनुसार भगवान के डाकिए हैं। ये हमारे संदेशों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर लाने और ले जाने का कार्य करते हैं। इनके द्वारा लाई गई चिट्ठियों को पेड़–पौधे, पानी और पहाड़ ही पढ़ जाते हैं। वही इनकी भाषा को समझ पाते हैं।

प्रश्न 3 – किन पंक्तियों का भाव है :-

(क) पक्षी और बादल प्रेम, सद्भाव और एकता का संदेश एक देश से दूसरे देश को भेजते हैं।

उत्तर :-  जो एक महादेश से दूसरे महादेश को जाते है।

(ख) प्रकृति देश-देश में भेदभाव नहीं करती। एक देश से उठा बादल दूसरे देश में बरस जाता है।

उत्तर :- और एक देश का भाप दूसरे देश में पानी बनकर गिरता है।

प्रश्न 4 – पक्षी और बादल की चिट्ठियों में पेड़-पौधें, पानी और पहाड़ क्या पढ़ पाते हैं ?

उत्तर:- पक्षी और बादल की चिट्ठियों में पेड़ – पौधे, पानी और पहाड़ बहुत – सी बातों को पढ़ पाते हैं। पक्षी और बादल प्रेम, सद्भाव और एकता का संदेश एक देश से दूसरे देश को भेजते हैं। वे यह भी पढ़ते हैं कि देश-देश में भेदभाव नहीं करती।

प्रश्न 5 – “एक देश की धरती दूसरे देश को सुगंध भेजती है”-कथन का भाव स्पष्ट कीजिए।

उत्तर :- कवि दिनकर ने “एक देश की धरती दूसरे देश को सुगंध भेजती है पंक्ति के माध्यम से कहा है कि एक धरती दूसरी धरती को प्यार एवं सत्कार भेजती है। सुगंध यहाँ प्रेम और भाईचारे का प्रतीक है। यह गंध एक देश की धरती दूसरे देश को भेजती है। गंध ‘प्यार‘ का अन्य रूप बनकर एक से दूसरे देश में जाकर प्यार और उत्पाद का वातावरण बनाते हैं। कोई भी देश ऐसा वातावरण प्राप्त कर उन्नति के शिखर पर बड़े ही आराम से पहुँच सकता है।

पाठ से आगे :-

प्रश्न 1 – पक्षी और बादल की चिट्ठियों के आदान-प्रदान को आप किस दृष्टि से देख सकते हैं ?

उत्तर :- पक्षी और बादल की चिट्ठियों को हम प्रेरणा के रूप में देखते और समझते हैं। यह हमें विश्व में एकता बनाए रखने की बात बताते हैं। एक देश को दूसरे देश से जोड़ने का काम करते हैं। सभी में प्रेम की भावना जागृत करते हैं। ये हवा के माध्यम से लोगों के जीवन को सुगंधित और आनंद जीवन में खुशी के क्षणों और प्यार भरी मुस्कान को हम तक पहुंचाने का काम करते हैं।

प्रश्न 2 – आज विश्व में कहीं भी संवाद भेजने और पाने का एक बड़ा साधन इंटरनेट है। पक्षी और बादल की चिट्ठियों की तुलना इंटरनेट से करते हुए दस पंक्तियाँ लिखिए।

उत्तर :- पक्षी और बादल संचार के परंपरागत साधन है। इंटरनेट वर्तमान जीवन की आवश्यकता के साधन है। पक्षी और बादल अपने संदेशों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर लाने ले जाने के लिए हैं। इंटरनेट कुछ ही क्षणों में सभी संदेशों को हजारों मील दूर तक पहुंचा देता है। इंटरनेट विश्व को एक साथ जोड़ता है। व्यक्ति इंटरनेट के उपयोग से क्षणभर में विश्व से जुड़ जाता है। पक्षी और बादल यह कार्य नहीं कर पाते हैं। इनकी भाषा को समझना भी मुश्किल है।  इंटरनेट पर सभी भाषा के ज्ञान के संचार साधन का लाभ उठा सकते है।

प्रश्न 3 – ‘हमारे जीवन में डाकिए की भूमिका क्या हैं ? इस विषय पर दस वाक्य लिखिए।

उत्तर:-   

  • डाकिया अब डाक विभाग के साथ हमारे जीवन का भी एक अंग बन चुका है।
  • डाकिया हमारे जीवन में सुख – दुःख के क्षणों को निरंतर बनाए रखता है।
  • वह हमें हमारे मित्रों, सगे – संबंधियों से जोड़ने का काम करता है।
  • डाकिया हमें स्वार्थ से ऊपर उठकर परमार्थ करने की प्रेरणा देता है।
  • उसकी दिनचर्या हमें समय पर काम करना सिखाती है।
  • वह हमें अपने दुःखों को भुलाकर दूसरों को प्रसन्न करने और प्यार बाँटने को कहता है।
  • उसके द्वारा लाए गए अच्छे संदेश हमें परिपक्व बनाते हैं।
  • उसके द्वारा किया जाने वाले परिश्रम हमें आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है।
  • व्यक्तिगत भिन्नताओं को भुलाकर वह हमें सूचनाएं संदेश प्रदान करता है।
  • उसकी यह अच्छाई हमारे जीवन का मार्ग दर्शन करती है।

अनुमान और कल्पना:-

प्रश्न 1 – डाकिया, इंटरनेट के वर्ल्ड वाइड वेब (डब्ल्यू डब्ल्यू डब्ल्यू. www) तथा पक्षी और बादल इन तीनों संवादवाहकों के विषय में अपनी कल्पना से एक लेख तैयार कीजिए। लेख लिखने के लिए आप चिट्ठियों की अनूठी दुनिया’ पाठ का सहयोग ले सकते हैं।

उत्तर :- डाकिया एक मानव ही है लेकिन वह अन्य मानवों से कुछ भिन्न है। आज का मानव भौतिकता के वातावरण में स्वार्थी बनता जा रहा है, लेकिन डाकिया अपनी भूमिका परंपरागत रूप में निभाए जा रहा है। वह हमारे संदेशों को हम तक पहुंचा कर हमें आनंदित करता है। वह हमें हमारे सगे – संबंधियों से जोड़ने का काम करता है। वह हमारे जीवन का एक अंग बनकर हमें खुशी के क्षण प्रदान करता है।

कंप्यूटर आधुनिक विज्ञान का अद्भुत करिश्मा है, जिसने सारे विश्व को एक बार तो अपने आकर्षण में जकड़ लिया है। कोई वैज्ञानिक प्रतिष्ठान हो या औद्योगिक प्रतिष्ठान, बैंक हो या बीमा निगम, रेलवे स्टेशन हो या बस डिपो सार्वजनिक स्थल हो या सेना का मुख्यालय- सभी जगह कंप्यूटर का बोलबाला है। यही आज के बुद्धिजीवियों के चिंतन का विषय बन रहा है और यही स्कूल – कॉलेजों में विद्यार्थियों की रुचि का केंद्र है। लगता है कि भारत तेजी से इसके माध्यम से इक्कीसवीं शताब्दी की ओर अग्रसर हो रहा है। हमारे नेता भी यह मानने लगे हैं कि बिना कंप्यूटर के देश विकास की ओर अग्रसर नहीं हो सकता।

बादल और पक्षी भी संचार के अद्भुत साधन हैं। ये भी संदेशों को लाने ले जाने का काम करते हैं। ये दोनों भगवान द्वारा निर्मित प्राकृतिक डाकिए हैं। ये दोनों एक देश से दूसरे देश तक आने – जाने और प्राकृतिक संदेशों को लाने – ले जाने का काम करते हैं। यह बात अलग है कि हम इनकी भाषा को नहीं समझ पाते हैं और न ही उनकी लाई चिट्ठियाँ को पढ़ पाते हैं। इनके द्वारा लाई चिट्ठियों को पेड़ – पौधे, पानी और पहाड़ अपने – अपने तरीके से हमें सुनाते हैं।

कक्षा 8 हिंदी वसंत के सभी अध्यायों के एनसीईआरटी समाधान नीचे देखें

अध्यायअध्याय के नाम
1ध्वनि (कविता)
2लाख की चूड़ियाँ (कहानी)
3बस की यात्रा (व्यंग्य)
4दीवानों की हस्ती (कविता)
5चिट्ठियों की अनूठी दुनिया (निबंध)
6भगवान के डाकिए (कविता)
7क्या निराश हुआ जाए (निबंध)
8यह सबसे कठिन समय नहीं (कविता)
9कबीर की साखियाँ
10कामचोर (कहानी)
11जब सिनेमा ने बोलना सीखा
12सुदामा चरित (कविता)
13जहाँ पहिया है (रिपोर्ताज)
14अकबरी लोटा (कहानी)
15सूर के पद (कविता)
16पानी की कहानी (निबंध)
17बाज और साँप (कहानी)
18टोपी (कहानी

छात्रों को कक्षा 8 हिंदी अध्याय 6 के प्रश्न उत्तर प्राप्त करके काफी खुशी हुई होगी। कक्षा 8 हिंदी वसंत अध्याय 6 भगवान के डाकिए के लिए एनसीईआरटी समाधान देने का उद्देश्य केवल बेहतर ज्ञान देना हैं। हम आशा करते है कि आपको हमारे यह कक्षा 8 हिंदी के प्रश्न उत्तर पसंद आए होंगे। इसके अलावा आप हमारे एनसीईआरटी के पेज से सभी विषयों के एनसीईआरटी समाधान और हिंदी में एनसीईआरटी की पुस्तकें भी प्राप्त कर सकते हैं।

एनसीईआरटी समाधान कक्षा 8 हिंदी का मुख्य पेजयहां से देखें

Join WhatsApp

Join Now

Join Telegram

Join Now

Leave a Reply