एनसीईआरटी समाधान कक्षा 8 हिंदी वसंत अध्याय 15 सूर के पद 

छात्र इस आर्टिकल के माध्यम से एनसीईआरटी समाधान कक्षा 8 हिंदी वसंत अध्याय 15 सूर के पद प्राप्त कर सकते हैं। छात्रों के लिए इस आर्टिकल पर कक्षा 8 हिंदी पाठ 15 के प्रश्न उत्तर दिए हुए हैं। छात्र कक्षा 8 हिंदी किताब के प्रश्न उत्तर पाठ 15 सूर के पद के माध्यम से परीक्षा की तैयारी अच्छे से कर सकते हैं। छात्रों के लिए कक्षा 8 हिंदी अध्याय 15 सवाल जवाब साधारण भाषा में बनाए गए है। जिससे छात्र class 8 hindi chapter 15 question answer सही से समझ सके। छात्रों के लिए वसंत भाग 3 कक्षा 8 पाठ 15 सूर के पद के प्रश्न उत्तर नीचे दिए हुए हैं।

एनसीईआरटी समाधान कक्षा 8 हिंदी वसंत अध्याय 15 सूर के पद 

हिंदी 8 वीं कक्षा अध्याय 15 सूर के पद के प्रश्न उत्तर को एनसीईआरटी यानि (राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद) के सहायता से बनाया गया है। कक्षा 8 की हिंदी की किताब के प्रश्न उत्तर सीबीएसई सिलेबस को ध्यान में रखकर बनाए गए हैं। देखा गया है कि छात्र कक्षा आठवीं हिंदी गाइड पर काफी पैसा खर्च कर देते हैं। लेकिन यहां से कक्षा आठ के हिंदी के प्रश्न उत्तर पूरी तरह से मुफ्त में प्राप्त कर सकते हैं। छात्र ncert solutions for class 8th hindi chapter 15 सूर के पद नीचे देखें।

कक्षा : 8
विषय : हिंदी (वसंत भाग -3)
पाठ : 15 सूर के पद 

प्रश्न-अभ्यास

पदों से:-

प्रश्न 1 – बालक श्रीकृष्ण किस लोभ के कारण दूध पीने के लिए तैयार हुए ?

उत्तर :- बालक श्रीकृष्ण अपनी चोटी को लमभी, घनी करना चाहते थे। माँ यशोदा उन्हें कहती तुम जितना दूध पीओगे उतनी ही तुम्हारी चोटी पर उसका असर दिखेगा और तुम्हारी चोटी बलराम भैया की तरह बड़ी और घनी हो जाएगी। चोटी बढ़ाने के लोभ में ही श्रीकृष्ण दूध पीने के लिए तैयार हुए थे।

प्रश्न 2 – श्रीकृष्ण अपनी चोटी के विषय में क्या-क्या सोच रहे थे ?

उतर :- वे सोचते थे कि मैया मुझे कितना दूध पिलाती है फिर भी चोटी है कि लम्बी होती ही नहीं है। पता ही नहीं बलराम भैया की तरह मेरी चोटी लम्बी और मोटी कब होगी और नागिन की भांति धरती पर कब लौटने लगेगी।

प्रश्न 3 – दूध की तुलना में श्रीकृष्ण कौन-से खाद्य पदार्थ को अधिक पसंद करते हैं ?

उत्तर :- दूध की तुलना में श्रीकृष्ण माखन के खाद्य पदार्थ को अधिक पसंद करते थे। दूध तो बस श्रीकृष्ण चोटी लम्बी, मोटी करने के लालच में पीते थे जबकि माखन को श्रीकृष्ण चोरी करके भी खा जाते थे। वे सिर्फ अपने घर से ही नहीं; जहा भी उन्हें बाहर किसी के घर माखन दिखता तो खाने लगते।

प्रश्न 4 – ‘तैं ही पूत अनोखौ जायौ’ पंक्तियों में ग्वालन के मन के कौन-से भाव मुखरित हो रहे हैं ?

उत्तर :- ऊपर दी गई पंक्ति में ग्वालिन कटाक्ष और क्रोध का भाव प्रकट कर रही है। वे कहती है कि उन्होंने कोई अनोखा पुत्र नहीं जन्मा, तुम्हारा पुत्र तो सबके घर से माखन खाता रहता है।

प्रश्न 5 – मक्खन चुराते और खाते समय श्रीकृष्ण थोड़ा-सा मक्खन बिखरा क्यों देते हैं ?

उत्तर:- श्रीकृष्ण ऐसा इसलिए करते थे ताकि सबको ऐसा लगे कि माखन किसी मनुष्य ने नहीं बल्कि किसी पशु या पक्षी ने खाया है। वे अपनी बुद्धि का सहारा लेकर माखन खाने का आनंद उठाना चाहते थे।

प्रश्न 6 – दोनों पदों में से आपको कौन-सा पद अधिक अच्छा लगा और क्यों ?

उत्तर:-  सूरदास के दोनों पदों में से हमें प्रथम पद अधिक अच्छा लगा जिसमें श्रीकृष्ण और यशोदा माँ की बातचीत का वर्णन है। इसमें श्रीकृष्ण का भोला – भाला रूप अत्यंत मनोहारी है। जिसे कवि ने बहुत ही प्यारे और सुलभ ढंग से प्रस्तुत किया है।

अनुमान और कल्पना :-

प्रश्न 1 – दूसरे पद को पढ़कर बताइए कि आपके अनुसार उस समय श्री कृष्ण की उम्र क्या रही होगी ?

उत्तर :- दूसरे पद को पढ़ने से यह पता चलता है कि उस समय श्रीकृष्ण की उम्र 8 से 10 वर्ष रही होगी। हमें ऐसा इसलिए लगता है क्योंकि एक छोटा बच्चा दीवारों पर से उछल कूद करके माखन नहीं चुरा सकता। चारपाई पर खड़े होकर मटकी से माखन निकालना, बच्चों की टोलिया बनाकर उनके ऊपर खड़े होकर ऊंचाई से माखन निकालना और अपने मित्रों को खिलाना इसी आयु के बच्चें कर सकते है।

प्रश्न 2 – ऐसा हुआ हो कभी कि माँ के मना करने पर भी घर में उपलब्ध किसी स्वादिष्ट वस्तु को आपने चुपके-चुपके थोड़ा बहुत खा लिया हो और चोरी पकड़े जाने पर कोई बहाना भी बनाया हो। अपनी आपबीती की तुलना श्रीकृष्ण की बाललीला से कीजिए।

उत्तर:-  हां, ऐसा एक बार हुआ था मेरी माँ ने एक दिन घर में आने वाले मेहमानों के लिए कई सारी चीज़ें लाकर रखी थी। जिसमें मुझे गुलाबजामुन बहुत पसंद थे। माँ ने मना किया था कि अभी इसे कोई भी हाथ नहीं लगाएगा। लेकिन मैंने वो चोरी छुपके खा लिए। फिर जब माँ को पता चला तो वे मुझसे पूंछने लगे और मैंने बहाना बनाया कि मैंने ये नहीं खाए। मेरे भाई ने खाए होंगे। फिर माँ ने भाई को बुलाया और मुझे रोता देखकर भाई ने कह दिया कि हां माँ मैंने ही खाए। उस समय तो मैं बच गया लेकिन बाद में मैंने भाई से माफ़ी मांगी।

प्रश्न 3 – किसी ऐसी घटना के विषय में लिखिए जब किसी ने आपकी शिकायत की हो और फिर आपके किसी अभिभावक (माता-पिता, बड़ा भाई-बहिन इत्यादि) ने आपसे उत्तर माँगा हो।

उत्तर :- यह उस समय की बात है जब मैं आठवीं कक्षा में पढ़ता था। मैं अपने दोस्तों के साथ घर में बिना बताए फिल्म देखने चला गया। लेकिन वहा मेरी पड़ोस से एक अंकल आए हुए थे जिन्होंने मुझे देख लिया। उन्होंने आकर मेरे माता–पिता को बता दिया। उन्होंने मुझसे पूंछा तुम बिना बताए ऐसे क्यों गए। मैंने कहा कि सब दोस्तों के ज़ोर ढालने पर मैं चला गया। जिस वजह से मुझे बहुत डांट पड़ी। सबने मुझे कहा कि अगर तुम्हें फिल्म ही देखनी थी तो हमें बताकर भी जा सकते थे। इसके बाद मुझे यह सीख मिली कि घर वालों से छिपकर कोई कार्य नहीं करना चाहिए।

भाषा की बात:-

प्रश्न 1 – श्रीकृष्ण गोपियों का माखन चुरा-चुराकर खाते थे इसलिए उन्हें माखन चुरानेवाला भी कहा गया है। इसके लिए एक शब्द दीजिए।

उत्तर :- माखनचोर।

प्रश्न 2 – श्रीकृष्ण के लिए पाँच पर्यायवाची शब्द लिखिए।

उत्तर :- श्याम, कान्हा, गोपाल, मुरलीधर, नंदलाल।

कक्षा 8 हिंदी वसंत के सभी अध्यायों के एनसीईआरटी समाधान नीचे देखें

अध्यायअध्याय के नाम
1ध्वनि (कविता)
2लाख की चूड़ियाँ (कहानी)
3बस की यात्रा (व्यंग्य)
4दीवानों की हस्ती (कविता)
5चिट्ठियों की अनूठी दुनिया (निबंध)
6भगवान के डाकिए (कविता)
7क्या निराश हुआ जाए (निबंध)
8यह सबसे कठिन समय नहीं (कविता)
9कबीर की साखियाँ
10कामचोर (कहानी)
11जब सिनेमा ने बोलना सीखा
12सुदामा चरित (कविता)
13जहाँ पहिया है (रिपोर्ताज)
14अकबरी लोटा (कहानी)
15सूर के पद (कविता)
16पानी की कहानी (निबंध)
17बाज और साँप (कहानी)
18टोपी (कहानी

छात्रों को कक्षा 8 हिंदी अध्याय 15 के प्रश्न उत्तर प्राप्त करके काफी खुशी हुई होगी। कक्षा 8 हिंदी वसंत अध्याय 15 सूर के पद के लिए एनसीईआरटी समाधान देने का उद्देश्य केवल बेहतर ज्ञान देना हैं। हम आशा करते है कि आपको हमारे यह कक्षा 8 हिंदी के प्रश्न उत्तर पसंद आए होंगे। इसके अलावा आप हमारे एनसीईआरटी के पेज से सभी विषयों के एनसीईआरटी समाधान और हिंदी में एनसीईआरटी की पुस्तकें भी प्राप्त कर सकते हैं।

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